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सौतेली मां का प्यार

विपिन के घर में आज बहुत रौनक थी, क्योंकि विपिन की दूसरी शादी हो रही थी। उसकी पहली पत्नी का नाम तुलसी था। तुलसी को डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, कि वह जीवन में कभी भी मां नहीं बन पाएगी।

विपिन तुलसी को बहुत मान सम्मान देता था। और तुलसी से बहुत प्यार करता था। परंतु आज विपिन अपनी विधवा मां और बड़ी बहन रिश्तेदारों के आगे मजबूर होकर दूसरी शादी कर रहा था। और दूसरी शादी का सबसे बड़ा कारण तुलसी भी थी, क्योंकि तुलसी को बच्चों से बहुत ज्यादा प्यार था, चाहे वह इंसान के हो या पशु पक्षियों के हो। संतान के सुख के लिए तुलसी ने न्त्त््र विपिन पर दूसरी शादी करने का सबसे ज्यादा दबाव डाला था।

विपिन की साड़ियों लहंगो और महिलाओं के दूसरे सामान बेचने की दुकान गांव के पास वाले कस्बे में थी। विपिन को साड़ियों लहंगो की गुणवत्ता और अलग-अलग किस्म के कारण उसकी दुकान पूरे कस्बे में और उसके गांव में मशहूर थी। शादी के कपड़े गांव और कस्बे के लोग विपिन की दुकान से ही खरीदते थे।

तुलसी के माता पिता का देहांत वर्षा ऋतु में खेत में काम करते हुए बादल से बिजली गिरने से हो गया था। तुलसी को उसके मामा मामी ने ही पाल पोस कर बड़ा किया था। तुलसी पांचवी कक्षा तक पढ़ी हुई थी।

तुलसी की शादी में उसके मामा मामी ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मामा मामी ने उसकी शादी में साथ प्रकार की मिठाइयां बनवाई थी, और तीन प्रकार की सब्जियां और साथ में पूरी कचोरी दूध जलेबी बथुए का रायता आदि खाने पीने का सामान था।

तुलसी की शादी की दावत की मेहमानों गांव वालों बरात ने दूर तक की प्रशंसा की थी।

विदाई के समय तुलसी ने रो-रो कर पूरे गांव को सर पर उठा लिया था। तुलसी के रोने का कारण मामा मामी और इकलौते ममेरे भाई बेटे राजा या गांव या गांव की सहेलियों से जुदाई नहीं बल्कि अपनी गाय की बछिया से जुदाई था।

तुलसी के रोने का कारण सुनकर गांव के सब लोग सोच सोच कर बहुत दिनों तक हंसते रहे थेे।

जितना प्यार तुलसी को मायके में मिला था, उतना ही प्यार उसे ससुराल में मिला था।

जिस दिन विपिन की दूसरी शादी थी, तुलसी उस दिन भी भाग भाग कर शादी का सारा काम संभाल रही थी, परंतु सब लोगों का ध्यान आज तुलसी पर नहीं था बल्कि विपिन की नई नवेली दुल्हन पर था। विपिन की दूसरी शादी बहुत धूमधाम से हो जाती हैै।

नई नवेली दुल्हन का नाम कुंती था। कुंती 12वीं कक्षा पास थी। आस पास के गांव में इतनी पढ़ी लिखी बहू किसी की भी नहीं आई थी।

देश को आजादी मिले हुए कुछ ही वर्ष बीते थे। लोगों को पुलिस और कानून की कम ही जानकारी थी, और कुंती को इन सब बातों की बहुत अच्छी समझ थी। इसलिए कानूनी सलाह लेने गांव के लोग उसके पास आते थे।

कुंती विपिन और उसकी विधवा मां को बार-बार कहती थी कि दूसरी शादी के जुर्म में विपिन को पुलिस पकड़ लेगी, इसलिए तुलसी को तलाक दे दो तलाक के बाद तुलसी को हम अपने साथ रख लेंगे। लेकिन विपिन और उसकी विधवा मां कुंती की बातों पर ध्यान नहीं देते थे। लेकिन कुंती की यह बात सुनकर तुलसी बहुत उदास हो जाती थी।

विपिन की दूसरी शादी के दो बरस बाद तुलसी के मायके से आई तुलसी के साथ गाय की बछिया गाय बनकर एक बछिया को जन्म देती है। और उन्हीं दिनों में कुंती और विपिन एक बहुत सुंदर गोल मटोल सांवली सूरत के पुत्र के माता पिता बन जाते हैंं।

बच्चे के जन्म की खुशी में तुलसी पूरे गांव में लड्डू बांटती है। और तुलसी खुशी में इतनी पागल हो जाती है, कि वह ढोलक बजा बजा कर बड़े बूढ़ों के सामने घुंघट उतार कर खूब नाचती है। बच्चे का नाम भी दीपू तुलसी ही रखती हैैैै।

यह नाम कुंती को बिल्कुल भी पसंद नहीं था, इसलिए कुंती राशि के अनुसार अपने और विपिन के बेटेे का नाम सिद्धार्थ रखती हैै।

धीरे-धीरे दीपू आठ वर्ष का हो जाता हैै। तुलसी और दीपू साथ में खाते पीते थे खेलते कूदते थे और सोते थे। और जब दीपू 2 वर्ष का था, तो उसने अपनी मां कुंती को छोड़कर सौतेली मां तुलसी के साथ ही सोना शुरू कर दिया था।

तुलसी दीपू की गलती होने पर भी गांव की महिलाओं से उल्टा झगड़ा करती थी। तुलसी और दीपू के बीच के प्यार को देख कर गांव की कुछ महिलाएं और कुंती की मां भी नफरत करने लगी थी। कुंती की मां कुंती को तुलसी के खिलाफ भड़का देती थी और मां के सिखाए में आकर कुंती तुलसी को तलाक देने के लिए न्झ विपिन को मजबूर कर देती है।

कुंती को कानूनी दांवपेच की बहुत अच्छी समझ थी और वह कानूनी दांवपेच लाकर तुलसी को अपने ही घर से बाहर कर देती हैै।

तुलसी अपने मामा के बेटे राजा के साथ रहने लगती हैै। उसके मामा मामी बहुत वृद्ध हो चुकेेे थेे, और उसके मामा के बेटे राजा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए तुलसी अपने जेवर बेचकर एक गाय एक भैंस खरीद लेती है। और गाय भैंस का दूध बेचकर अपना गुजारा करने लगती है।

दीपू के बिना तुलसी का जीवन निराशा से भर गया था, उसकी जीने की सारी इच्छाएं खत्म हो चुुकी थी, और वह हमेशा दीपू की यादों में डूबी रहती थी। इसलिए वह अपने खाने-पीने स्स्थ्थ््र स्वस्थ्य का भी ध्यान रखना छोड़ देती है।

दीपू से सौतेली मां के रिश्ते की कसक उसको बहुत दुख देती हैै।

एक दिन तुलसी गाय का दूध निकालते निकालते कमजोरी और बुखार की वजह से बेहोश हो जाती है। और जब आस-पड़ोस के लोग तुलसी का शरीर हाथ लगाकर देखते हैं, तो उसका शरीर अंगीठी के जलते हुए कोयले की तरह तप रहा था। इसलिए आस पड़ोस के लोग उसको शहर के बड़े अस्पताल लेकर जाते हैंं।

शहर के बड़े अस्पताल में एक 16 बरस का लड़का टीवी की बीमारी की वजह से भर्ती था। उससे मिलने कुंती और विपिन आते हैं, तो उनके जाने के बाद तुलसी उस लड़के से उसका नाम पूछती है तो वह तुलसी को बताता है "प्यार से लोग मुझे दीपू कहते हैं, और वैसे मेरा नाम सिद्धार्थ है।"

कुंती उस लड़के को गले से लगा कर कहती है कि "मैं तेरी सौतेली मां तुलसी हूं बेटा।"

दीपू तुलसी को तुरंत पहचान कर मां कहकर तुलसी के गले लग जाता है।

तुलसी को डॉक्टरों से पता चलता है कि दीपू की टीवी की बीमारी ज्यादा बढ़ गई हैै, और इस वजह से उसकी बचने की उम्मीद कम है।

यह सुनने के बाद तुलसी ईश्वर के आगे हाथ जोड़कर ईश्वर से कहती है "जब तक मैं उसकी मां जिंदा हूं मैं ऐसा आपको ईश्वर नहीं करने दूंगी।"

और तुलसी दीपू का रात दिन खाने पीने और दवाई का पूरा ध्यान रखती है। और दीपू की पूरा सेवा करती है। लेकिन दीपू तो बिल्कुल स्स्थ्य् स्वस्थ हो जाता हैै, परंतु छूत की बीमारी टीवी तुलसी को हो जाती है।

उस जमाने में टीवी की बीमारी का बहुत अच्छा इलाज नहीं था, इसलिए एक ही दिन टीवी की बीमारी से तुलसी की मौत हो जाती है।

तुलसी की अस्थियां जब दीपू गंगा नहर में प्रवाहित करता है तो विपिन दीपूू से कहता है कि "आज तेरी सौतेली मां की तो मां बेटे के रिश्ते की दुख की कसक हमेशा के लिए खत्म हो गई है, लेकिन बेटा तुझे अपनी सौतेली मां के प्यार की कसक को हमेशा महसूस करना है।"

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