सबा - 28 Prabodh Kumar Govil द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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सबा - 28

सालू को दो दिन के लिए कहीं जाना था। यहां आने के बाद से ही उसकी व्यस्तता काफ़ी बढ़ गई थी। इस व्यस्तता का कारण भी शायद ये दो लोग ही जानते थे। एक तो पिछले कई दिनों से उसके साथ ही घूमने विदेश आया हुआ राजा, और दूसरा ये लड़का कीर्तिमान।
और ये कारण यही था कि सालू भारत में "फीनिक्स" की एक ब्रांच खोलने का सपना देख रहा था। उसका जुनून ऐसा था कि यदि उसे कंपनी की ओर से शाखा खोलने की अनुमति नहीं मिली तो वो खुद ही इस कारोबार को वहां शुरू करने का इरादा रखता था। वह इसके लिए बहुत भाग - दौड़ कर रहा था और इसीलिए वो जब भी जहां कहीं जाने के लिए होटल से निकलता तो राजा उससे कुछ भी पूछता नहीं था सिवा इसके कि वो खाने के लिए उसकी राह देखे या नहीं।
कभी- कभी तो सालू रात भर न आता। ऐसे में राजा को अकेले ही समय बिताना पड़ता।
लेकिन जबसे उसे कीर्तिमान मिला था उन दोनों के बीच प्रगाढ़ दोस्ती हो गई थी। कारण ही ऐसा था।
आज भी जब सालू कहीं जाने के लिए बाहर निकला तो राजा ने उससे कह दिया कि वह या तो कीर्तिमान के पास चला जायेगा या फिर उसे यहां बुला लेगा। सालू ने इस पर कुछ नहीं कहा। वह तैयार होकर हमेशा की तरह ही फुर्ती से बाहर निकल गया।
शाम को कीर्तिमान आ गया।
कीर्तिमान ने रात को जब घड़ी देखी तो बारह बज चुके थे। उसे यकीन हो गया कि अब सालू नहीं लौटेगा। उसने शाम को आने के बाद राजा से वादा कर दिया था कि यदि सालू रात को वापस लौट कर न आया और राजा को अकेले रहना पड़ा तो कीर्तिमान आज रात को यहीं सो जायेगा।
दोनों ने खाना साथ ही खाया था। वह दोनों दोस्त खाने के बहाने ही थोड़ी देर होटल से बाहर भी टहल आए थे।
रात को बहुत देर तक दोनों के बीच बातें होती रहीं। यहीं राजा को एक बहुत बड़ा रहस्य भी मालूम हुआ।
जिस कीर्तिमान को वह अब तक विदेश में आकर अपनी होने वाली सीधी - सादी पत्नी की उपेक्षा करने वाला बिगड़ैल नौजवान मानता रहा था वो वास्तव में तो खुद एक निरीह प्राणी था।
कीर्तिमान शरीर से तंदुरुस्त और अच्छी कद काठी का होने के बावजूद विवाह के काबिल ही नहीं था। उसने नंदिनी की कोई उपेक्षा नहीं की थी बल्कि उसके प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भाव रखते हुए उसका जीवन बिगड़ने से बचाने की कोशिश ही की थी। वास्तव में राजा की इस कांट्रेक्ट मैरिज का सारा खर्च कीर्तिमान ही उठा रहा था।
राजा का मन ये सब जानने के बाद कीर्तिमान के लिए द्रवित हो उठा था।
अब उसकी दिलचस्पी ये जानने में थी कि यह सब कैसे हुआ और अब कीर्तिमान अपने तथा नंदिनी के भविष्य को लेकर क्या सोचता है।
यह सब जानने का मौक़ा आज उसे सहज ही मिल गया। दोनों दोस्त घंटों आत्मीयता से बातें करते रहे। रात के पौने तीन बजे भी जब राजा उठ कर दोनों के लिए कॉफी तैयार करने लगा तो कीर्तिमान समझ गया कि राजा की नींद उसकी कहानी सुनने के बाद उड़ चुकी है।
कीर्तिमान जैसे युवक के मुंह से राजा को यह सुन कर घोर आश्चर्य हुआ कि जिस तरह भारत के कुछ राज्यों में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं गृहस्थी के संचालन में डोमिनेट करती हैं ठीक उसी तरह यहां तो महिलाओं का पूरी तरह बोलबाला है।
कीर्तिमान बोलते - बोलते कभी - कभी इस तरह फुसफुसा कर बात करने लग जाता था कि कहीं आसपास कोई महिला जैसे उनकी बात सुन न ले। वहां घर में, दफ्तर में, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मुख्य रूप से महिलाओं का ही अधिकार था। वो वित्तीय मामलों से लेकर घर के हर मसले पर निर्णय लेने का अधिकार रखती थीं। पुरुषों को पूरी तरह दोयम दर्जे का नागरिक बन कर उनके साथ रहना पड़ता था।
इसका कारण कीर्तिमान के अनुसार यह था कि यहां महिलाएं बहुत छोटी आयु के लड़कों को ही अपनी शारीरिक क्षुधा शांत करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर देती थीं और जब तक लड़का पुरुष बनने की अवस्था तक पहुंच पाता था तब तक वो शरीर से पूरी तरह खोखला होकर रह जाता था। फिर एक नामर्द के रूप में उसके पास घर की महिलाओं के गुलाम की तरह रहने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता था। जबकि उन्हें इस अवस्था तक पहुंचाने वाली महिला बड़ी उम्र तक सक्रिय रहती और शान से जीवन व्यतीत करती।
महिलाओं के लिए ऑर्गेज्म की प्राथमिकता प्रमुख रहती। कोई भी नैतिक, चारित्रिक या स्वेच्छाचारिता के विपरीत बनी मान्यता वहां के कानून में कोई अहमियत नहीं रखती थी।
अपनी बात के समर्थन में कीर्तिमान अपने बदन का कोई भी हिस्सा राजा के सामने खोल कर रख देता और राजा देखता रह जाता।