रोटी Anita Sinha द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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रोटी


रोटी वर्तमान समय में एक ज्वलंत उदाहरण बन कर उभर रही है। रोजी रोटी कमाने तो निकलते हैं मजदूर
पर रोजी पक्की हो तो रोटी घर परिवार के लिए दो वक्त की जुगाड़ कर सकें। कभी रोजगार मिला दिहाड़ी मजदूर का, तों दो वक्त की रोटी आज की हो गई परन्तु
कल का ठिकाना कहां से करे यह कठिन होता है।

समय बदलता है तो हर चीज बदलता है। आहार में परिवर्तन होता है। रोटी के जगह पर पूड़ी बनता है।
कभी पुआ भी बनता है। परांठे तो हर घर की पसंद है।
परन्तु सूखी रोटी भी तो हमें ही खानी है। उसे कौन खाएंगे। रोटी फिर उदास हो जाती है और मन ही मन सोचती है कि रोटी घर परिवार के लोग खाएंगे ही नहीं
तो मैं चलती हूं। फिर रोटी चली जाती है।

रोटी की जगह अब पिजा, बर्गर तथा चावमीन
एवं इडली डोसा सैंडविच खाते हैं। मतलब कि रोटी की
जगह दूसरा भोजन करने में व्यस्त हो गए हैं लोग। फिर
रोटी क्या करे। वो तो हर समय में तैयार रहती है कि आज हमारे मालिक के घर में रोटी पकेगी। मगर वो भी
मोबाईल बैरन की वजह से थाली छोड़कर उठना भी
मजबूरी हो जाती है। इस समय थाली में रोटी रोती है
और हमें रोटी मिलनी मुश्किल हो जाती है।

रोटी मेल मिलाप से रहना चाहती है। वो घर घर में जाती है और मुस्कुराती है। इंतज़ार करती है तो वापिस लौट जाती है। यहां पर रोटी का अपमान होता है।।रोटी
की दुनिया निराली होती है। रोटी बनेगी तो साथ में दाल
बनेगी , सब्जी ,चटनी वगैरह सब कुछ को मान मिलेगा।
यहां पर बात यह है कि रोटी को हम मर्यादा देंगे ही नहीं
तो रोटी फिर कभी नहीं आएगी। रोटी मांगती है प्यार।
वो चाहती है कि रोटी से सब प्यार करे।

रोटी कहती हैं कि पहले रोटी बनती थी तो सबसे पहले गाय की रोटी निकालते हैं। फिर सबकी रोटी और बनती है। मतलब कि रोटी को हम गौ माता लक्ष्मी को यह खिला कर तब खाते थे। अब वो दिन नहीं है।
रोटी कहती है तुम हमसे प्यार करके तो देखो हम तुम्हारे पास ही रहेंगे। यहीं पर धूनी रमाए रहेंगे।

वास्तव में कहीं रोटी पूरी की पूरी मिलती है,मगर
उसे खाते नहीं है। रोटी दो दो दिन पड़ी सूख जाती है और रोती है। उस समय रोटी का अभिशाप लगता है और हमें रोटी की समस्या सताने लगती है।

गरीबों के लिए रोटी अमृत समान होता है। उन्हें मालूम है कि रोटी का जुगाड करना ही अपने आप में एक प्रश्न चिन्ह है। हर रोज़ रोटी तो बनती है मगर
खाने के बजाए उसे कूड़ेदान में फ़ेंक दिया जाता है।
रोटी खाएं और खिलाएं। रोटी बांटें। रोटी जीव जंतुओं को खिलाएं। रोटी लंगर लगाएं। रोटी को भूखे लोगों को यह खिलाएं।


रोटी दान करें और जीवन को बचाएं। रोटी मिले सबको यही कामना है और ईश्वर से प्रार्थना है।रोटी
हीरा से कम नहीं है। रोटी को बहुमूल्य समझकर
रोटी फेंके नहीं। रोटी की दुकान लगाएं। रोटी का
मूल्य समझें।