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मां तुम क्यों रोई




मां तुम क्यों रोई

मां मेरी बता तुम क्यों रोई । किस बात का तुम्हें दुःख है।

मेरी मां बताओ किसी ने तुम्हें कुछ कहा तो नहीं।।

मां ने कहा नहीं किसी ने कुछ भी नहीं कहा।।

मां बोलो ना मां तूझे मेरी कसम। मेरे दिल को तसल्ली ‌

हो जाएगी।। मां भाई भाभी ने तो कुछ नहीं बोला तुम्हें।

नहीं बेटा कोई भी ऐसी बात नहीं हुई है। तू जा जल्दी से

भोजन कर लें। मां मैं तो तभी भोजन करूंगी। जब तुम

मुझे बताओगी कि तुम किस बात पर रोई।

मैं कह रही हूं कल तेरी परीक्षा है तो तू झट-पट भोजन

करके पढ़ने बैठ जा।। प्लीज़ मेरी बात सुन ले।ये घर की

बातें तो आगे पीछे होती रहेंगी।। पहले तू अपनी पढ़ाई पर

ध्यान दें। बेटी ने कहा ,जैसी तुम्हारी आज्ञा मां।।अब मैं पढ़ने जा रही हूं।
तुम्हें कोई भी काम हो तो मुझे बता देना। एक बात सुनो

मां तब तक तुम आराम करो।। मां ने कहा जा बेटा देर ना कर।

तेरा तो एक एक सेकेंड कीमती है ‌ । जी मां कह कर वो पढ़ने चली

गयी । बस ये बात सुनते ही भाभी के तन बदन में आग लग

गई। वो जोर से चिल्ला उठी। पत्नी की आवाज सुनकर कमरे से विशाल भी

आ गया। विशाल ने मां को बुलाया मां जरा इधर तो आओ।

मां हड़बड़ा कर आई और बोली ,हां बेटा क्या हुआ?

विशाल ने मां से कहा तुम्हें एक बार मना किया है न कि

अब रजनी आगे पढ़ाई नहीं करेंगी। फिर तुम दोनों मां बेटी
अपनी जिद पर क्यों अड़े हो ?

अच्छा पात्र देखकर उसके हाथ जल्दी पीले कर देंगे।

मां बोली , बेटा अभी ये तो ग्रेजुएट भी नहीं हुई है। ये टीचर

बनना चाहती है।। विशाल गुस्से में आकर मां से बोला।

मैंने जो कह दिया सो कह दिया ।अब ये बात तो तुम्हारी रजनी

को माननी ही पड़ेगी।।

अचानक कोलाहलपूर्ण वातावरण देखकर रजनी को

लगा कि अब उसे भाभी से बात करनी चाहिए।। रजनी तुरंत आकर भाभी को बोली।

भाभी हुआ क्या है? बताइये मां क्यों रो रही है।

मां ने देखा कि अब झगड़े तो बढ़ेंगे इसलिए तुरंत आंचल

से आंसूओं को पोंछते हुए रजनी से मुखातिब होकर बोली।

नहीं मैं तो बिल्कुल नहीं रो रही हूं।।

रजनी को समझते देर न लगी कि हो न हो मेरी पढ़ाई के

बारे में ही कुछ चर्चा भाई ने छेड़ी है।। उसने तत्काल निर्णय

लेना उचित समझा।

रजनी ने मां को अपने कमरे में बिठा दिया और कहा मां

तुम यहां बैठो और मैं अभी आई‌।

रजनी ने भाभी को बाहर बुलाया और कहा भाभी

ज़रा सुनिए। भाभी बात करने के मूड में नहीं थी‌

फिर भी रजनी ने जबर्दस्ती बात छेड़ी। भाभी ने कहा जो

बोलना है अपने भाई से बोलो । मैं कुछ नहीं जानती कि

माजरा क्या है? तुम्हारे भाई तुम्हें क्यों नहीं पढ़ाना चाहते।

ये तुम और तुम्हारे भाई आपस में बातें कर लो तो अच्छा

रहेगा। अब रजनी को ताड़ते देर न लगी कि हो न हो

भाभी ने ही भाई को मेरे विरूद्ध भड़काया है।।

रजनी ने किसी तरह अपने आप को संयत किया और भाई के पास गयी।

भाई ने कहा बिना बताए क्यों यहां आई हो।देख नहीं रही

हो कि अभी सारे काम आनलाईन हो रहे हैं। तुम्हें मालूम है कि काम करते

वक्त मैं किसी की भी उपस्थिति पसंद नहीं करता।

भाई ने कहा रजनी तुम थोड़ी देर बाद आओ।

रजनी चली गई मां के पास ‌। मां ने पूछा तेरे तेवर कुछ

ठीक नहीं लग रहे ‌। कहीं तू भाई से लड़ाई -झगड़ा करके तो नहीं

आई।। रजनी ने हंसते हुए कहा ,नहीं मां । ऐसा बिल्कुल
नहीं है ‌तुम टेंशन मत लो। मां को अपनी बेटी की बात पर
पूरा भरोसा था‌‌। ‌ अतः मां शांत चित्त होकर टीवी देखने लगी।।

इधर भाभी ने रजनी को आवाज दी रजनी को और कहा जाओ तुम्हारे
भाई ने तुम्हें बुलाया है। रजनी को मालूम था ये तो होना
ही था। रजनी भागी भागी भाई के कमरे में आई।।

रजनी ने कहा , हां भाई बोलिए।। आपने बुलाया है मुझे।।
भाई ने कहा, अरे तुम तो अभी थोड़ी देर पहले मेरे पास आई थी न।

इसलिए तो तुझसे पूछ रहा हूं कि क्या बात है। जल्द बताओ।
मेरे पास समय बिल्कुल
नहीं है। रजनी ने कहा । हां भाई आप मेरी
पढ़ाई छुड़ाकर हाथ पीले करना चाहते हैं।।मैं आपसे
पूछती हूं ऐसा क्यों?

भाई ने जवाब दिया, मैं इस बात पर ज्यादा बहस नहीं करना
चाहता। मेरी बात पत्थर की लकीर समझो।

अब रजनी चुपचाप बैठने वाली में से नहीं थी। उसने
जवाब दिया भाई मैं पढ़ाई तो किसी क़ीमत पर नहीं
छोड़ सकती ‌‌और हां रही शादी की बात तो मैंने इस
विषय पर सोच रखा है कि अब मुझे क्या करना है।

भाभी को लगा कि बात बढ़ने वाली है तो वो तुरंत
बीच में हस्तक्षेप करने आ गई और रजनी को बोली
सुनो तुम ये शाम के वक्त ये कौन सा मसला लेकर बैठ
गयी‌‌ ।तुम्हें तो पता है कि तुम्हारे भैया कितने जिद्दी
किस्म के इंसान हैं।

रजनी ने सोच रखा था कि आज तो फैसला करके ही
छोडूंगी। उसने तुरंत भाई को कह दिया तो सुन लीजिए
मेरा भी ज़वाब। मैं इस घर को अभी और इसी वक्त छोड़
रही हूं। भाभी ने पूछा कि तुम अकेले कैसे रहोगी।
रजनी ने कहा कि भाभी हमारे गांव के मकान में मैं और मां
रहूंगी।

रजनी ने कहा क्या तुम्हें नहीं पता वो घर तो किराये पर चढ़ा दिए हैं तुम्हारे भाई ने।
तो वो घर तो अभी खाली होने से रहा। तुम्हें कोई दूसरा
उपाय करना चाहिए। अब भाई बोले सुनो रजनी
तुम्हें जाना है तो जाओ तुम्हें अकेले रहने का बहुत शौक़ है।
दो दिन में होश ठंडे हो जाएंगे फिर घर का रूख करोगी।

रजनी ने कहा कि भाई हरगिज नहीं ‌।अब रजनी के भाई ने
एक शर्त रख दी और कहा कि तुमको जाना हो तो
जाओ पर मैं मां को नहीं जाने दूंगा।।

रजनी गुस्से से बिफर पड़ी और बोली भाई
मां तो मेरे साथ ही रहेगी।

रजनी ने न आव देखा और न ताव ‌। बस आनन फानन में
अपने और मां के सामान एक गाड़ी में
लेकर चल दी। रजनी ने घर छोड़ दिया।सबको बोलकर
आई कि मुझसे मिलने की कोशिश भी मत करना।

अब सुनिए रास्ते में मां ने सारे प्लानिंग को बताया और
कहा सुन तेरी शादी के बाद मुझे वृद्धाश्रम भेजने की
तैयारी थी। क्योंकि तेरे भाई का तबादला अमेरिका में
होना था । तो मेरे को मजबूरी में वृद्धाश्रम जाना ही पड़ता।विदेश के
माहौल में मैं नहीं रह सकूंगी। इसलिए आश्रम भेजने की
बात तो तय थी।
अच्छा हुआ जो तूने कड़े कदम उठाए।अब तू यह सोच कि
हम सब रहेंगे कहां।

रजनी की सखि आई ए एस अफसर थी जो उसी शहर में स्थित थी‌ तो रजनी ने सबसे पहले अपनी सखी से मुलाकात
की और ठहरने के सिलसिले में बातें की।

रजनी की सखि तुरंत तैयार हो गई और कहा कि आ जाओ।
मेरे हाल से लगा एक बड़ा कमरा है उसी में तुम मां बेटी
आराम से रहो ‌‌।
रजनी की माता जी ने उनको ढेर सारे आशीर्वाद दिए और
कहा बेटा ठीक है।

इस तरह रजनी की पढ़ाई भी नहीं छूटी और उसने ट्यूशन
ज्वाइन कर लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद रजनी ने टीचर की नौकरी के लिए आवेदन किया। वो तो पढ़ने में तेज थी। अतः उसे नौकरी मिल गईं।

एक दिन रजनी ने अपनी सखी से बातों बातों में कहा कि अब तो मुझे नौकरी मिल गईं हैं । तो मैं एक कमरा किराए पर लेकर आराम से रह सकती हूं। पहले तो सखि ने मना किया
मगर रजनी की जिद के आगे वो कुछ नहीं बोली।
फिर सखि ने कहा कि भविष्य में कभी भी मेरी जरुरत
पड़े तो अवश्य याद करना।

रजनी ने जयपुर में एक फ्लैट किराए पर लिया।और
मां के साथ रहने का फैसला लिया।
रजनी अपनी मां के साथ जयपुर में आज भी रह
रही है ‌हा़ एक विशेष बात यह है कि रजनी ने शादी नहीं
करने का फैसला ले लिया है।।

आज रजनी के महत्वपूर्ण कदम की वजह से रजनी
की माता जी को वृद्धाश्रम नहीं जाना पड़ा।।
हां इस बात का मां को बेहद अफसोस है कि रजनी ने सिर्फ
और सिर्फ मेरी वज़ह से शादी के फैसले की
अवमानना की ।।

पर रजनी खुश हैं क्योंकि उसका आत्मविश्वास जिंदा है।
और उसने अब मां से पूछा मां तुम क्यों रोई।
बोलो ना मां अब क्यों डरती हो ? यहां तुम्हें कोई
नहीं डांटेगा।

अब तुम निश्चित होकर रहो। घर की मालकिन
तो तुम ही हो। ़ ‌ अब मत रोना मां अब कभी नहीं रोना।

मां सुनो । अब मैं कभी नहीं पूछूंगी कि मां तू क्यों रोई।
इस प्रश्न का सही हल मैंने ढूंढ लिया है और
वो यह है कि मेरी मां मेरे ही साथ रहेगी
और कभी भी आंसू नहीं बहायेगी। यही मेरा अंतिम फैसला है।


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