ममता की छांव Anita Sinha द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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ममता की छांव








ममता की छांव

ममता की छांव में पले बढ़े ।

मां ने लाड़ प्यार से रखा

मै आज्ञाकारी थी सबकी तो लाडली बन गई।

नानी के संग खेला करती , खूब उछल कूद मचाती।

नानी प्यार से मुझे अलबेली पुकारती

नानी का प्यार बड़ा निराला।

मेरा मन बन जाता मतवाला।

नानी के संग बाबा धाम देवघर की यात्रा पर निकली


तो शिव गंगा में नानी ने मुझे स्नान कराया

मैं पापा के साथ भागवत लिखा करती

और देवी कवचों को भी लिखती।

पापा मुझे दुर्गा सप्तशती सुनाते

और पूछते समझ में आया।

अब मैं मां से अंग्रेजी पढती


और पापा से व्याकरण सीखती

अब शुरु हुआ सिलसिला कविता पाठ

रोज मुझे मां कविता पढ़ाती।

फिर दूसरे दिन जबानी सुनती।

स्कूल में कविता पढ़ती

और शिक्षक को सुनाती

मां मुझे किस्से कहानियां

रोज सुनाती और शाम को घूमने ले जाती।

अब कबड्डी खेलने की बारी आई।

कबड्डी की भाग दौड़ में आगै बढ़ने की तैयारी थी।

ये दौर ना कोई भूल सकता है।

मां ने आंचल की छांव में जीवन को संवारा है।

हमें इस काबिल बनाया है। संस्कार भरकर जिंदगी

को अनुपम बनाया है। मत पूछो दोस्तों कितने रंग भरे

खुशियों के दिन थे , जिसे पेश कैसे करें शब्द अंतहीन है।

मां ने ममता से सिंचित कर इंसान बना दिया है।

हर गम से दूर चांद तारों का संसार उपहार दिया है।

सचमुच मां ने जीवन में ज्ञान का भंडार भर दिया है।


क्यो न कहें जीवन ज्योति जला दिया है।


मां की ममता अनमोल खजाना है।

जिसे मिल गया उसे तो कारुं का खजाना हासिल हो गया

मां की ममता के रंग नूरानी है जो दुर्लभ है।

मां की ममता के फूल बच्चे होते हैं।

बच्चों के दिल में मां का प्यार बसा हुआ होता है।

मां वट वृक्ष की तरह होती है जो सदा और सर्वदा

बच्चों को शीतल छाया प्रदान करती है।

मां स्नेह का सागर है। सागर में उठती लहरों में अठखेलियां

मां की ममता करती है जो हमें निरंतर प्रेरणा देती है और

कहती है कि गतिशील रहो सदा

कभी नहीं रुकना । चलते ही जाना जीवन पथ पर और

मंजिल पर पहुंच कर ही दम लेना। मां की ममता वो

संजीवनी बूटी है जो बच्चों को सुधा रस पान कराती है

और जीवन देती है। मां की ममता के रंग पक्के होते हैं।

ये रंग कभी मलिन नहीं होते हैं। मां प्रेम का उपवन है।

हम बच्चे उपवन के सतरंगी फूल है। मां बच्चों के जीवन

में अद्भुत रंगों के साथ मन में समाई रहती है। कैसे करें

वर्णन मीठी-मीठी लोरी का जो दिन रात जागकर हमें

निद्रा देवी के गोद में सुलाने का अनवरत प्रयत्न करती है।

खुद भूखी रह जाती है और हमें अपने हिस्से का निवाला

खिलाती है। मां तो मां है । मां के चरणों में सारे तीर्थ धाम हैं।

मां है तो जीवन स्वर्ग है। मां पथ प्रर्दशित करती है।

मां बच्चों का भविष्य स्वर्णिम बनाती है।

मां की ममता मील का पत्थर है।

मां की ममता अजेय है।

ममता की छांव तले नैसर्गिक सुख शांति है।

मां का वात्सल्य सुख अद्भुत और बेमिसाल है।

मां ही जो रिश्तों को जोड़कर रखती है।

मां की ममता बिना जीवन सूना है।

मां है तो उत्साह दूना है।

मां की ममता पर कुर्बान जाएं।

मां की ममता पर जीवन समर्पित करें।

मां की महिमा वर्णन को शब्द नहीं।

मां जैसा सचमुच कोई भी नहीं।

मां के चरण पूजें कोटि-कोटि बार ।