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सुबह की सैर




सुबह की सैर

प्रभात वेला थी। करीब सात बजने को थे। हम सभी सखियां

प्रभात की सैर सपाटे के लिए निकले थे।। पहले तो हमने

दो राउंड उद्यान के लगाए।। इसके पश्चात् हमलोगों ने जिम

में कुछ आवश्यक एक्सरसाइज करने का निश्चय किया।।

उमा भारद्वाज, प्रिंसिपल मैडम रोशनी जी, आर्मी स्कूल की

शिक्षिका, और श्रीमती अग्रवाल और मैं करीब एक घंटे तक

एक्सरसाइज किये।।

अब हमलोग चूंकि बहुत ही थके थके महसूस कर रहे थे।

अतः उद्यान के बीचों-बीच पत्थर की बेंच पर हम लोगों ने

बैठने का निश्चय किया।।

कुछ समय तक सबने मौन व्रत धारण किया क्योंकि यदि

हमलोग ज्यादा बात चीत करते तो प्यास लगती और चाय

की तलब भी होती।।

हम लोगों ने बारी बारी से भजन गाए। भजनों का सिलसिला

चलता रहता यदि वो नीलिमा आहूजा ने आई होती।।

अब हमलोग कुल मिलाकर छ महिलाएं थीं।।

तो जो आर्मी में शिक्षिका हैं उन्होंने कहा कि यदि सूर्य

नमस्कार बैठे बैठे कर लिया जाए तो क्या ही अच्छा हो?

और उन्होंने विधि बताना शुरू किया।।

हम सभी ने ध्यान लगाकर सूर्य नमस्कार किया।

अब एक योग की विशेष प्रक्रिया और उन्होंने करने को

कहा।

वो ऐसे थी।।सबसे पहले राम नाम की माला १०८ बार

जप करना था फिर कुछ देर तक ताली मारनी थी।।

ये हम सबों ने कर लिया।। फिर एक अंगुली से हथेली पर

मारना था। फिर दो अंगुलियों से। फिर तीनों।और फिर चारों,

अब अंत में पांचों अंगुलियों को हथेली पर मारते हुए

दोनों हाथों को परस्पर रगड़कर अपने चेहरे पर तीन बार

राम जी का नाम लेते हुए मलना था।।

ये प्रक्रिया की उसके पश्चात् धरती को प्रणाम कर

हाथों को ऊपर की ओर उठाते हुए कम से कम ये प्रक्रिया

तीन बार करनी चाहिए।।

हर बार हाथों को उठाते हुए धरती को अवश्य नमन

करना है।।

अब इन हाथों को ऊपर उठाते हुए कहकहे लगाने होते हैं।

कम से कम धरती फिर हाथ ऊपर फिर धरती फिर

हाथ ऊपर और कहकहे लगाते जाना है।।

मतलब कि खूब जोर जोर से हंसते हुए यह क्रिया

करनी होती है। ऐसा करने से कैंसर होने की सम्भावना

नहीं होती है।। रोज़ ज़ोर ज़ोर से हंस कर

इम्यूनिटी सिस्टम को बढाये और रोग दूर भगाएं।

अब हम लोगों ने थोड़ी देर विश्राम करने का फैसला लिया।

करीब दो-तीन मिनट ही हुए होंगे कि तीन चार व्यक्ति

हमारे पत्थर के बेंच के पास बैठ गये।

हमारी सखियों ने तो मन ही मन कहा कि अब हम लोगों

की प्राइवेसी खत्म हो गई।। चलों कहीं और चलते हैं।।

तो सबों ने कहा क्यों वो लोग हमारे सिर पर तो नहीं बैठे हैं।।

रहने दो कोई हर्ज नहीं।।

अब सुनिए ये लोग जो हमारे पास में बैठे हुए थे एक एक करके अपना खाने के सामान निकालने लगे।।

ये लोग भरपूर नाश्ते करने को सोचकर ही उद्यान आने का
निश्चय किया था।।

जितने व्यक्ति थे उनमें से किसी ने भी घर का नाश्ता नहीं
लाया था।। करीब आधे घंटे तक इनलोगों की महफ़िल
चली। निकलने से पहले ये लोग प्लास्टिक की थैली,
नमकीन की ,जूस की ,ओर ब्रेड की तथा पानी की बोतलें
सबों को बेतरतीबी से फेंक कर चलते बने।।

हम लोगों में से एक सखि ने सवाल किया कि भाई
साहब आप जो ये सब यही फेंककर जा रहें हैं तो इसे
नीले रंग के डस्टबीन में क्यों नहीं डाल देते।।

इतना कहना था कि वे लोग बहुत गर्म होकर बातें करने लगे।।
हम सभी सखियों ने सोचा कि ये तो इस तरह नहीं माननेवाले
हैं ‌इनको ज़रा कानून के रास्ते दिखा देते हैं।।

हमलोग उनलोगों को कुछ नहीं बोले और। सीधे उद्यान के
मालिक को शिकायत कर दी।। उन्हें ये पता भी नहीं चला कि हमसबों की ये मिली जुली साजिश है ‌।

इस तरह हम सबों के प्रयत्न से कम से कम उद्यान की
सफाई के लिए ये बेहतरीन प्रयास होगा।।

इसलिए डरना नहीं है।। सीधे शिकायत लिख कर बढ़ा देंगे।
बस सरकार समझ लेगी।। क्योंकि ये सार्वजनिक सम्पत्ति है।
इसकी देखभाल हमलोगों को ही करनी है ‌

जनता ही जनार्दन होती है।।

एक कोशिश जरूर कीजिए सफाई अभियान के लिए।।

तभी प्रर्यावरण शुद्ध रहेगा

और प्रदूषण से मुक्त होगा।

जय हिन्द जय भारत वंदेमातरम


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