जुदाई का दुख Rakesh Rakesh द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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जुदाई का दुख

ऊंचा गांव ऐसा गांव था, जहां सड़क पानी बिजली विद्यालय अस्पताल डाकघर आदि जरूरी सुविधाएं नहीं थी।

गांव का पक्का रोड जहां पर गाड़ी मोटर चलती थी, वह गांव से आठ किलोमीटर की दूरी पर था। अगर गांव वाले शहर के बाजार घरेलू सामान जैसे तेल आटा चीनी आदि लेने जाते थे, तो उन्हें शहर के बस अड्डे पर रात को रुकना पड़ता था क्योंकि अपने घर पहुंचते पहुंचते उन्हें आधी रात हो जाती थी और रोड से गांव तक पैदल के रास्ते पर जंगली खूंखार जानवर और चोर मिलते थे। वह चोर पैसे या जेवर आदि की चोरी करने वाले चोर नहीं थे, बल्कि वह चोर तेल आटा चीनी दाल आदि घरेलू सामान की चोरी करते थे।

गांव वालों को भी पता था, कि गांव के कुछ लोग ही चोर है क्योंकि गांव की भूमि रेतीली थी, इसलिए गांव में अन्न का एक दाना भी नहीं उगता था और रोजगार के साधन भी गांव से बहुत दूर थे।

जो ईमानदार युवक थे, वह बड़े बड़े शहरों में नौकरी कर रहे थे और कुछ युवक रोजगार की तलाश में शहर गए हुए थे।

उस गांव के जंगली जानवर भी भूखे मरते थे क्योंकि गांव की रेतीली भूमि होने की वजह से आसपास हरियाली का नामोनिशान नहीं था। हरियाली ना होने की वजह से शाकाहारी जानवरों की संख्या कम थी, और शाकाहारी जानवर कम होने की वजह से मांसाहारी शिकारी जानवर भूखे मरते थे।

ऊंचे गांव में चुनाव में खड़ा किसी भी राजनीतिक पार्टी का उम्मीदवार अपने लिए वोट मांगने भी नहीं आता था क्योंकि ऊंचे गांव से अपने लिए वोट मांगने का मतलब था, पूरे दिन की बर्बादी और गांव के लोग अपने जीवन से इतने निराश और दुखी थे कि वह मतदान करने भी नहीं जाते थे।

ऊंचे गांव की दूसरी बड़ी समस्या थी, गांव में जनसंख्या दिन प्रतिदिन घट रही थी क्योंकि कोई भी मां-बाप अपनी बेटी की शादी इस गांव में करना पसंद नहीं करता था।

इस गांव का एक सुंदर हटा कटा युवक कुमर पाल बड़े शहर में कारखाने में नौकरी करता था। कुमर पाल ईमानदार मेहनती और शांत स्वभाव वाला युवक था।

कुमर पाल का परिवार गांव में रहता था। वह अपने माता-पिता छोटी बहन छोटे भाई की जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहा था और महीने में तनख्वाह लेकर अपने गांव अपने परिवार के पास जरूर आता था।

कुमर पाल के साथ कारखाने में एक कबीर दास नाम का व्यक्ति काम करता था। कबीर दास की दो बेटियां और एक बेटा था। कबीर दास कुमर पाल को बहुत पसंद करता था, इसलिए वह लोगों के मना करने के बावजूद अपनी बड़ी बेटी सुंदरी की शादी कुमर पाल से कर देता है।

उसकी बेटी सुंदरी घरेलू काम-काज में बहुत होशियार थी और उसे दुनियादारी की भी बहुत अच्छी समझ थी।

नई-नई शादी होने की वजह से कुमर पाल अपने गांव में कारखाने से एक महीने की छुट्टी लेकर रुक जाता है और एक महीने कारखाने से छुट्टी करने की वजह से उसकी नौकरी छूट जाती है।

कबीरदस की मदद से कुमर पाल को दूसरे कारखाने में नौकरी मिल जाती है, लेकिन उस कारखाने में एक नियम था कि एक सप्ताह की लंबी छुट्टी सिर्फ वर्ष में एक बार ही ले सकते थे।

सुंदरी को और कुमर पाल के मां-बाप भाई-बहन को कुमर पाल से मिलने के लिए एक वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ता था।

धीरे-धीरे सुंदरी को महसूस होता है, कि पूरे गांव में कुछ परिवारों को छोड़कर उनके घर के मर्द शहर में नौकरी करते हैं और उनके परिवार के लोग अपने परिवार के मर्द सदस्यों की जुदाई का दुख बर्दाश्त कर रहे हैं।

सुंदरी उसी समय इस समस्या को हल करने की अपने मन में ठान लेती है और गांव की सारी महिलाओं को बुलाकर पंचायत करती है।

गांव की सारी मां पत्नी बहन सब की इच्छा थी, कि उनके परिवार के मर्द सदस्य उनके साथ रहे, इसलिए वह सब सुंदरी का यह कहना मान लेती हैं कि "गांव के दो हजार घर मंदिर के दानपात्र में रोज एक वर्ष तक ₹1 डालेंगे।"

फिर सुंदरी गांव की महिलाओं से कहती है कि एक बरस बाद मंदिर के दानपात्र में कितना पैसा इकट्ठा हुआ है, पूरे गांव के सामने उस पैसे की गिनती होगी। और उस पैसे की गिनती के बाद मैं बताऊंगी आगे की योजना क्या है।"

मंदिर के दानपात्र का ताला खोलकर पूरे गांव के सामने सुंदरी पैसों की गिनती करती है, तो छ सात लाख के करीब पैसे देकर पूरे गांव की महिलाएं बहुत खुश हो जाती है।

फिर सुंदरी पूरे गांव की महिलाओं से कहती है कि "हम दो साल तक और मंदिर के दानपात्र में पैसा इकट्ठा करेंगे और उसके बाद फिर गांव में दूध देसी घी पनीर आदि बनवाने का डेरी फार्म खोलेंगे और पूरे गांव की महिलाओं का उस डेरी फार्म में बराबर का हिस्सा होगा।"

पूरे गांव की महिलाएं खुश हो जाती हैं। तीन साल बाद सुंदरी की गांव में डेयरी फार्म खोलने की योजना सफल हो जाती है।

ऊंचे गांव की उन्नति की खबर धीरे-धीरे क्षेत्र राज्य और देश दुनिया में फैल जाती है, इस वजह से राज्य का मुख्यमंत्री गांव का दौरा करके गांव में बिजली पानी शिक्षा सड़क परिवार स्वस्थ्य सुविधाएं कर देता है।

और धीरे-धीरे मां का बेटा बच्चे का पिता पत्नी का पति बहन का भाई अपने गांव अपने घर लौटने लगते हैं और पूरे गांव में यह खुशी का स्वर गूंजने लगता है कि वह लौट आया।