औरत का चरित्र Lotus द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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औरत का चरित्र

एक जवान औरत कू ए पर पानी भर रही थी
तभी एक आदमी पहूचा
उस आदमी ने औरत से थोड़ा पानी पीलाने को कहा
खुशी से उस औरत ने उसे पानी पिलाया
पानी पिने के बाद उस व्यक्ति ने औरत से पूछा
कि आप मुझे बता सकती है क्या की भगवान भी किसी औरत के चरित्र को क्यो नही बता सकते इतना कहने पर वह औरत जोर जोर से चिल्लने लगी बचाव बचाव...
उसकी आवाज सुनकर गाव वाले लोग कु ए की और दोडे ने लगे उस आदमी ने औरत से कहा कि आप ऐसा क्यो कर रही हौ मेने आपके साथ कोई गलत हरकत नही की उस औरत ने कहा मे ऐसा इसलिए कर रही हू कि गाव वाले आये और आपको खुब पिटे और इतना पिटे आपके होश ठीकाने लग जाए...
यह बात सुनकर वह आदमी बोला मुझे माफ करे मे तो आपको एक भली औरत और इजजदार औरत समझ रहा था...
पर आप वैसी नही हो मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई
तभी उस औरत ने कु ए के पास रखा मटके का सारा पानी अपने उपर डाल लिया और अपने शरीर को पुरी तरह भीगा लिया..इतनी देर मे गाव वाले कु ए के पास पहूच गये..
गाव वालो ने उस औरत से पुछा क्या हुआ...
औरत ने कहा मे कु ए मे गिर गई थी इस भले आदमी ने बचा लिया..अगर ये आदमी आज यहा नही होता तो मेरी जान चली जाती गाव वालो ने उस आदमी बहुत तारीफ की और उसको कंधो पर उठा लिया उसका खुब आदर संस्कर किया और उसको इनाम भी दिया....
जब गाव वाले चले गए तो उस औरत ने उस आदमी से कहा की अब समझ आया औरत का चरित्र....
अगर आप औरत को दुख दर्द देगे और उसे परेशान करेगे तो वो आपका सुख चैन छीन लेगी अगर आप उसे खुश रखेग तो वह आपको मौत के मुंह से भी निकाल लेगी.... औरत का चरित्र औरत ही समझती है...........

तो दोस्त हमे इससे बहुत कुछ सिखना चाहिए अगर वो औरत चाहती तो उस आदमी का क्या होता...ये आप लोग भी जानते है बहूत कुछ हो जाता.. मगर उस औरत की भी तारीफ करना चाहिए जिसने बडे ही खुबसूरत अंदाज से उस आदमी को इक को इक औरत के चरित्र के बारे मे समझाया बहुत ही अच्छा था.. ऐसा वही औरत कर सकती है जिसे मे मर्यादा हो संस्कार हो...जिसे ज्ञान हो की किसे क्या कहना है और कैसे कहना है..
और बाकी कैसी लगी कहानी रेड जरुर करे अगर कुछ गलती हो इक बार समझाना भी ताकी हम आगे कुछ बेहतर कर सके कुछ अच्छा लिखे..जो आप सभी को पसंद आये.....


तारो की गर्दिश मे चाॅद कभी छुप सका है कया
नही ना आज समय बलवान है
तुम्हारी सेहत का ख्याल तुम्ह ही रखना होगा..
पर कुछ हक हमे भी दे दो..
माना की तुम्ह खुद के काम खुद ही करना पसंद है
पर कुछ बातो मे जीद ठीक नही होती
कभी तो हम पर सौफ दो.. अपनापन लगता है
जीवन के लक्ष्य को हासिल करना नामुमकिन तो कतई नही
परंतू अगर विश्वास हो तो हाथ थाम सको तो थाम लेना
संकोच न करो साथ चलने से ऐतराज नही ना होना चाहिए