खून ANKIT YADAV द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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खून


बेरहमी से बरसात की बूंदें गिर रही थीं और नगर में एक दरावना रात का माहौल था। एक अजीब सी सनसनी सी थी वहां के लोगों पर। शहर की प्रमुखता नेहा मिश्रा एक पुलिस निरीक्षक के रूप में जानती थी कि अगले कुछ घंटों में उसे एक कठिन चुनौती का सामना करना होगा। एक खूनी हत्या का संकेत था।
वर्षों से नेहा ने इस संदेहयुक्त जगह में कई घटनाओं का समाधान किया था, लेकिन इस बार कुछ अलग ही था। बरसात के वादे उनके साथ टूट गए और आदित्य के निर्देशानुसार नेहा रेलवे स्टेशन के पास के एक बंगले पहुंची। यहां पर वे बैठे ताकतवर और संगीन महाशय आदित्य के इंतजार में थीं।
आदित्य अपने पास कुछ दस्तावेज़ लेकर था, जिन्हें उसने नेहा को दिखाए थे। ये दस्तावेज़ किसी माफिया गैंग की सूची थी जिसमें उनके शहर में मारे गए लोगों के नाम थे। आदित्य कह रहे थे कि इन लोगों की मौत एक ही वजह से हुई है - ये सभी लोग उसी गैंग
आदित्य कह रहे थे कि इन लोगों की मौत एक ही वजह से हुई है - ये सभी लोग उसी गैंग के शिकार बन गए थे और अपनी सभी राजनीतिक और धनवंत रिश्तों के चलते इन व्यक्तियों की मौत अनजाने में बनी रही थी। नेहा आदित्य के दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ती हुई थी जब उसे एक नाम पर ध्यान गया।
"आदित्य, ये नाम... तो वही आदमी है जिसे मेरी टीम एक महीने पहले दोस्त बना रही है?" नेहा ने उदास भाव से पूछा।
आदित्य की आंखों में एक अजीब सी चमक थी, "हाँ, वही आदमी है। उसका नाम राजीव शर्मा है। वह आराम से शहर में आता जाता है, परन्तु उसके पीछे एक अंधेरे सीक्रेट है जिसे हमे खोजना होगा।"
दोनों पुलिस अधिकारी बंगले से निकलकर राजीव शर्मा के पास जा पहुंचे। रात की अंधकार में, वे दोनों राजीव के आसपास थे, जब एक गहरी आवाज सुनाई दी - "तुम मेरे आगे कौन हो? यहां क्या कर रहे हो?"
उन्होंने घबराते हुए राजीव के पास धावा बो
राजीव ने घबराहट से अपनी आवाज ऊँची की, "कौन है वह? यहां आकर क्या कर रहा है?"
नेहा और आदित्य सुस्त ध्यान से उसके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे थे, जब राजीव एक आश्चर्यचकित आवाज में उत्तर दिया, "तुम दोनों पुलिस हो? मेरी वजह से आप आए हैं, ना? मैंने सबकुछ खो दिया है, सब चालाकी से नकली रिश्तेदार हैं।"
राजीव के आंखों में विश्वासघात की लालिमा थी जब उसने जारी रखा, "मैंने सचमुच उन्हें अपना सब कुछ दिया था, परंतु अब मुझे लगता है कि उनका इरादा था मुझे बर्बाद करने का।"
नेहा और आदित्य व्याकुलता से राजीव की बातें सुन रहे थे। उन्होंने तुरंत राजीव के पास जाकर उसे संयुक्त रूप से पकड़ा और पूछा, "तुमने उन लोगों को मार दिया, ना? तुमने यह चाहकर किया है क्योंकि वे तुम्हारी धोखाधड़ी में पड़ गए?"
राजीव की आंखों में डर की चमक देखकर, नेहा ने उसे दबोचा रखा और उसे संयुक्त रूप से थामे रखा। वे


राजीव की आंखों में डर की चमक देखकर, नेहा ने उसे दबोचा रखा और उसे संयुक्त रूप से थामे रखा। वे तत्पश्चात बंगले में लौटे और राजीव को गहरे प्रश्नों के बीच घिर लिया। राजीव की आंखों में आभास हो रहा था कि उसे इस मामले से ज्यादा जानकारी हो सकती है।
नेहा और आदित्य ने अपनी टीम को बुलाया और साथ मिलकर मामले की जांच शुरू की। राजीव की गवाही और पूर्वानुमानों के आधार पर, उन्होंने खुद राजीव को शामिल कर लिया। यह साबित हुआ कि राजीव एक मास्टरमाइंड था, जो एक नेटवर्क बना रहा था जिसमें वे धन, शक्ति और राजनीतिक अधिकार के धंधे करने वाले लोगों को शिकार बना रहे थे।
नेहा और आदित्य ने राजीव को सबसे पहले पकड़ा और फिर बंद अंधेरे कमरे में ले जाया जहां वे अपनी अधिकारिक गवाही देने के लिए जिस्मती सबूतों की तलाश में थे। राजीव चुपचाप बैठा रहा और अपने अंदर की घृणा को छिपाने की कोशिश कर
नेहा ने राजीव को एक तीखी नजर से देखा और कहा, "तुम्हारी यह खेल कभी खत्म नहीं होगा, राजीव। तुम धन, शक्ति और सत्ता के लिए मास्टरमाइंड हो सकते हो, लेकिन हम इस खेल को खत्म करेंगे। तुम्हारी बेशर्मी और दुष्कर्मों का सच सामने लाने का वक्त आ गया है।"
राजीव ने नेहा की ओर करीबी नजर देखी और खुद को बेबसी से ढकलते हुए कहा, "हाँ, मैंने वे सब कुछ किया है जिसे तुम कह रही हो। मेरे पास सभी शक्ति है, लेकिन वह सब कुछ व्यर्थ हो जाएगा। तुम्हारी जीत सम्भव नहीं है।"
नेहा और आदित्य अपनी टीम के साथ तैयार थे राजीव को समाप्ति देने के लिए। वे अंधकार में संयम बनाए रखते हुए उसे अचानक पकड़ लिया और सभी वैधानिक प्रक्रियाओं के साथ उसे गिरफ्तार किया।
यह सब देखकर राजीव बेहोश हो गया और उसे पुलिस थाने ले जाया गया। वहां, उसके खिलाफ गवाहों की बायोलॉजिकल प्रूफ और तथ्यों की संख्या बढ़ने लगी। राजीव अ

राजीव अपने अपराधों को छिपाने की कोशिश करते हुए दृढ़ता से खड़ा रहा, लेकिन सबूतों के सामने उसकी मास्टरमाइंड छवि ढल रही थी। वह बाहरी दुनिया से अलग हो गया था, अपने आत्मसम्मान की हार मानते हुए। उसे एक खोल की तरह महसूस हो रहा था, उसके अधिकार और सत्ता का अंत हो चुका था।
पुलिस अधिकारियों की गुज़ारिश पर नेहा और आदित्य ने उसे अंधकार से बाहर लिए और न्यायिक प्रक्रिया के तहत उसे दोषी पाया गया। राजीव को उचित सजा सुनाई गई, जिसमें उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। वह जीवनभर किसी जेल में बंद रहेगा, उसकी धांधली और अपराधों का परिणाम भुगतते हुए।
नेहा और आदित्य ने इस मामले के समापन पर आपस में मुस्कान देखी। वे जानते थे कि इस जंग की जीत ने न्याय को स्थापित किया है, धोखाधड़ी और अपराध के खिलाफ लड़ाई में। उनकी कठोर मेहनत और शक्ति का परिणाम था जो एक निर्णायक प्रमाण में बदल गया था।