कहानी - अंत भला तो सब भला
दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रात भर चहल पहल रहती है . काफी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें रात में ही होती हैं . सर्वेश अमेरिका के लिए ह्यूस्टन की फ्लाइट के लिए चेक इन करने जा रहा था . स्वाति उसे विदा करने आई थी .
स्वाति की आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे . सर्वेश उसे सांत्वना देते हुए बोला “ इतना रोने की क्या बात है ? बस दो साल की तो बात है , अपना एम एस पूरा कर मैं वापस आ रहा हूँ न . ¨
¨ तुम्हें तो यहाँ भी अच्छी खासी नौकरी थी , अमेरिका भी प्रोजेक्ट के सिलसिले में आना जाना हो ही रहा था . ¨
¨ तुम समझती क्यों नहीं ? मुझे राइस यूनिवर्सिटी से फुल स्कॉलरशिप मिल गयी है और कंपनी ने भी सबाटिकल लीव दे दिया है . और फिर तुम भी तो ट्राई कर रही हो एरिज़ोना यूनिवर्सिटी से स्कालरशिप के लिए . मिल गया तो अगले साल तुम भी वहीँ मिलोगी . ¨
¨ न जाने क्यों मुझे अंदर से डर लग गया है . तुम्हारे अकेले जाने से मन में अनेकों शंकाएं उठ रही हैं . ¨
¨ मैं पहले भी दो बार अमेरिका जा चुका हूँ , क्या मैं वहीँ रह गया था ? ¨
¨ तब तुम एक महीने के अंदर आ जाते थे , तो ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ता था . इस बार तो दो साल की बात है . कहीं इस बीच तुम्हारा इरादा बदल गया तो मैं क्या करुँगी ? मैंने तो अपना सब कुछ तुम्हें समर्पित भी कर दिया है . ¨
¨ पागल हो गयी हो क्या ? तुम्हारे और मेरे दोनों परिवार को हमारी शादी मंजूर है तब क्यों डर रही हो ? लौटने के बाद चट मंगनी पट शादी हो जाएगी . अब हँस कर विदा करो . ¨
स्वाति ने मुश्किल से लगभग नकली हँसी के साथ सर्वेश को विदा किया . सर्वेश ने अपनी फ्लाइट के लिए आगे प्रस्थान किया .
स्वाति और सर्वेश दोनों की पढ़ाई एक ही स्कूल से हुई थी . प्लस टू के बाद सर्वेश इंजीनियरिंग के लिए आई आई टी चेन्नई चला गया और स्वाति पुणे के फर्गुसन कॉलेज से इकोनॉमिक्स हॉनर्स करने गयी . दोनों ने वादा किया था कि पढ़ाई के बाद सैटल होते ही शादी कर लेंगे . दोनों की जातियाँ तो अलग थीं फिर भी दोनों परिवारों की स्वीकृति उन्हें मिल गयी थी .
सर्वेश को बी टेक के बाद नॉएडा की बहुराष्ट्रीय कंपनी में जॉब मिल गयी . एक साल की नौकरी में वह दो बार अमेरिका जा चुका था . वहां अपने और मित्रों से मिल कर उसे अमेरिका में एम एस करने का मन हुआ .इसके लिए वह जरूरी परीक्षाएं दे चुका था और टेक्सास के ह्यूस्टन स्थित राइस यूनिवर्सिटी से फुल स्कालरशिप भी मिल गया था . स्वाति ने सिविल सर्विसेज के लिए परीक्षा दी थी , प्रेलिम में तो वह कम्पीट कर गयी पर मेन्स में उसे सफलता नहीं मिली . फिर स्वाति ने भी अमेरिका से एम एस के लिए टेस्ट्स दिए थे और एडमिशन भी मिल रहा था . उसे इंतजार था स्कॉलरशिप मिलने का .
स्वाति और सर्वेश दोनों अक्सर फोन और विडिओ चैटिंग से सम्पर्क में रहते थे . अभी सर्वेश को गए छः महीने ही हुए थे . 2016 में मई के अंतिम सप्ताह में भयंकर बारिश और तूफ़ान के चलते अचानक बाढ़ आ गयी . बफैलो नदी ऊफान पर था . उस का जल शहर के ज्यादातर इलाकों में फ़ैल गया था . बस , मेट्रो , हाईवे , एयरपोर्ट , दफ्तर , स्कूल कॉलेज सभी बंद पड़े थे . ह्यूस्टन एक टापू बन गया था .
सर्वेश हैरिस काउंटी में एक अपार्टमेंट में रहता था . उसकी तबियत भी पिछले कुछ दिनों से ठीक नहीं थी . उसे ह्यूस्टन इमरजेंसी सेवा की मदद से ह्यूस्टन से कुछ दूर सुगरलैंड के एक अस्पताल में पहुंचाया गया . वहां उसे लगभग पांच दिन रहना पड़ा . इस दौरान अस्पताल की एक नर्स जेनिफर से उसकी पहचान हुई . अभी तक ह्यूस्टन बाढ़ से उबर नहीं सका था . जेनिफर ने तब तक उसे अपने यहाँ रहने की पेशकश की और सर्वेश को स्वीकार करने के सिवा और कोई रास्ता न था .
जेनिफर के माता पिता का तलाक बहुत पहले ही हो चुका था और वे दोनों अपनी नयी दुनिया में व्यस्त थे . जेनिफर सौतेले पिता के साथ नहीं रहना चाहती थी . कुछ दिन अपनी मौसी के यहाँ रह कर स्कूल की पढ़ाई पूरी की , फिर नर्सिंग का कोर्स कर अस्पताल में नर्स बनी .
लगभग एक सप्ताह जेनिफर के साथ रहने के बाद सर्वेश ह्यूस्टन लौट आया . पर इन दिनों जेनिफर की सेवा भाव और आत्मीयता से वह उसके काफी करीब हो गया था . सर्वेश ने स्वाति को भी बताया कि कैसे जेनिफर ने उसकी सहायता की थी . यह जान कर स्वाति के मन में नारी सुलभ शंका उतपन्न होना नार्मल बात थी और जायज़ भी . उसने जेनिफर से आगे नहीं मिलने की सलाह भी दी थी . पर सर्वेश वीकेंड में उससे मिला करता . उसके साथ काफी समय बिताता . इन दिनों डिनर , पार्टी और शराब तक सभी में दोनों साथ होते .
इसी बीच जेनिफर और सर्वेश कुछ अंतरंग क्षणों में इतने करीब आये कि सभी सीमायें लांघ गए . इसका परिणाम अगले महीने पता चला जब जेनिफर ने अपना पीरियड मिस किया . वह रोमन कैथोलिक थी और
एबॉर्शन उसे मंजूर नहीं था . सर्वेश ने जेनिफर से स्वाति की बात बता रखी थी . जेनिफर ने स्वाति से बात करने की पेशकश भी की पर सर्वेश ने उसे मना कर दिया और बोला वह खुद बात कर लेगा . जेनिफर और सर्वेश ने शादी कर ली .
शादी के पूर्व ही उसने स्वाति को फोन कर अपनी मजबूरी बता दी थी और उससे क्षमा मांगते हुए कहा ¨ आई ऍम सॉरी स्वाति . मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गयी . इसकी सजा तो मुझे भुगतनी होगी . हो सके तो मुझे माफ़ कर देना . मुझे कहते हुए शर्म आ रही है पर अब मैं जेनिफर का हो चुका हूँ . तुम …. . ¨
स्वाति ने बिना पूरी बात सुने फोन काट दिया . स्वाति के माता पिता को जब यह बात पता चली तो वे उसके लिए दूसरा लड़का देखने लगे . इत्तफाक से एक रिश्तेदार की मदद से एक अप्रवासी भारतीय लड़का जल्द ही मिल गया . वह लड़का दिनेश था जो अमेरिका के एरिज़ोना प्रान्त के फीनिक्स शहर में कार्यरत था . शादी के बाद स्वाति फीनिक्स चली आयी . उसने फीनिक्स युनिवर्सिटी में एम एस जॉइन किया . दो साल के अंदर ही उसे भी मैकेंजी कंसल्टेंसी में जॉब मिल गया .
स्वाति और सर्वेश दोनों अमेरिका के दो छोर पर थे दोनों में बातचीत बंद थी हालांकि दोनों को एक दूसरे की खबर किसी तीसरे से मिलती थी . अब दोनों अपनी अपनी जिंदगी से खुश थे . करीब तीन साल बीत गए . इस बीच जेनिफर को एक बेटा हुआ . उसका नाम श्याम रखा गया हालांकि जेनिफर उसे प्यार से सैम बुलाती . इधर स्वाति भी उम्मीद से थी .
एक बार दिनेश और स्वाति छुट्टियों में टेक्सास घूमने गए . डैलस , ऑस्टिन , सैन अंटोनिओ , गाल्विस्टन , नासा आदि घूमते हुए वे ह्यूस्टन एयरपोर्ट की ओर जा रहे थे . तभी अचानक स्वाति के सर में जोरों का दर्द हुआ और वह लगभग बेहोश हो गयी . दिनेश उसे लेकर ह्यूस्टन के एक बड़े अस्पताल में गया .
अस्पताल में टेस्ट्स और सिटी स्कैन के बाद डॉक्टर ने दिनेश से पुछा ¨ इन्हें ऐसा दर्द पहले भी हुआ है ? ¨
¨ हाँ कभी कभी कभी सर दर्द उसे होते थे पर इतने जोर से नहीं . दर्द की गोलियों से आराम मिलता था . ¨
“ आपने इसे लाइटली लिया होगा , नेचुरल है . पर हमें इनके ब्रेन में एक ट्यूमर नज़र आया है . इनका बॉयोप्सी करना होगा . उसके बाद ही आगे का ट्रीटमेंट तय कर पाएंगे . “
बायोप्सी से पता चला कि स्वाति के ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन करना होगा . हालांकि यह अभी कैंसर्स नहीं है पर इसे हटाना होगा . आपकी वाइफ प्रिग्नेंट भी हैं . “
स्वाति का ऑपरेशन तो हुआ पर वह कोमा में चली गयी . उसकी आँखें बंद थीं . अंगों में कोई हरकत नहीं थी . डॉक्टर ने उसके पास जा कर जोर जोर से आवाज लगायी , उसके जबड़ों और नाखूनों को जोर से दबा कर उसकी प्रतिक्रिया देखनी चाही . फिर स्वाति के कान में ठंडा जल डाला गया पर स्वाति की और से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई . डॉक्टर ने कहा ¨ आई एम सॉरी , शी इज इन कोमा . इनका कुछ और टेस्ट्स करना होगा . “
¨ इसे कब तक होश आएगा ? “ दिनेश ने पुछा
¨ देखिये निश्चित तौर कुछ कहा नहीं जा सकता है . कुछ दिन या सप्ताह या महीनों और वर्षों भी लग सकते हैं . वैसे इनकी साँसें , ब्लड प्रेशर और पल्स तो करीब ठीक है . इनका कौन सा महीना चल रहा है ? ¨
“ छठा महीना होना चाहिए डॉक्टर . “
स्वाति के होश में आने के इंतजार में देखते देखते छः सप्ताह बीत गए . एक दिन स्वाति के रूम में नयी नर्स आयी , वो जेनिफर थी . वह न तो स्वाति को जानती थी न ही दिनेश को . पर स्वाति का नाम तो उसने सर्वेश से सुन रखा था . फिर भी उसने दिनेश से कुछ और बातें कर पता किया कि यह सर्वेश की एक्स गर्लफ्रेंड ही है . उसने अपने और सर्वेश के बारे में दिनेश को बताया . दिनेश को भी कुछ पता तो था ही . यूँ तो अस्पताल स्वाति का पूरा ख्याल रखता था , पर अब जेनिफर अपनी ओर से भी काफी ध्यान देने लगी थी . सर्वेश भी रोज आ कर स्वाति को देख जाता और दिनेश से बातें करता .
एक दिन जेनिफर दौड़ी हुई डॉक्टर के पास आ कर बोली ¨ डॉक्टर जब मैं स्वाति को अटेंड कर रही थी तो मुझे लगा कि उसकी डिलीवरी करानी होगी . “
“ ओह गॉड , अभी तो उसका आठवां महीना ही है . चलो देखें क्या हो सकता है . “
डॉक्टर ने स्वाति का एग्जाम कर जेनिफर से कहा ¨ इनकी डिलीवरी की तैयारी करो , हरी अप . “
उन्होंने कुछ देर तक बच्चे के बाहर आने का इंतजार किया , फिर कहा ¨ अब और इंतजार नहीं करना चाहिए , जल्दी इसकी डिलीवरी करानी होगी , वरना बच्चे की जान को खतरा है . “
“ सीजीरियन की तैयारी करनी होगी ? “ जेनिफर ने पूछा
“ नो , उसकी जरूरत अब नहीं होनी चाहिए . वैसे भी तुम्हें पता होना चाहिए कि ऐसे केसेज में सीजीरियन में रिस्क है , एनिस्थिसिया देने के बाद होश में लाना बहुत कठिन होगा और टांकें भी देने होंगे तो उन्हें ठीक होने में भी दिक्कत आ सकती है . बेहतर है इसका नार्मल डिलीवरी के लिए तैयार करो . इंजेक्शन और दवा दे कर लेबर पेन जल्दी कराओ . “
स्वाति ने एक बच्चे को जन्म दिया . बच्चा जरा कमजोर था पर स्वस्थ था . तीन दिनों तक बच्चे को इन्क्यूबेटर में रखा गया और नली से उसे दूध दिया जाता था . चौथे दिन स्वाति रह रह कर आँखें खोल रही थी . जेनिफर ने बच्चे को स्वाति के निकट पालने में रख दिया . जेनिफर ने ब्रेस्ट पंप से स्वाति के स्तन से दूध निकाल कर बच्चे को देना शुरू किया . जब भी वह आँखें खोलती उसे जेनिफर और दिनेश बताने की कोशिश करते कि यह तुम्हारा बच्चा है , पर उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं होती . दो दिनों के बाद स्वाति आँखें घुमा कर चारों और देखती और उसकी नज़रें लोगों का पीछा करतीं . कभी उसकी अँगुलियों में भी हरकत होतीं .
यह सब देख कर डॉक्टर ने कहा “ यह एक अत्यंत पॉजिटिव साइन है , उम्मीद है स्वाति की रिकवरी जल्द ही होगी . “
एक दिन जब जेनिफर उसके स्तन से दूध पंप कर रही थी स्वाति ने लड़खड़ाती आवाज़ में पूछा ¨ यह क्या कर रही हो ? “
“ मैं तुम्हारे बेटे को दूध पिलाने जा रही हूँ . “
¨ मेरा बच्चा कहाँ से आ गया ? मुझे तो कुछ भी याद नहीं कि मेरा बेटा भी है . “
डॉक्टर भी वहीँ था , बोला “ रिलैक्स स्वाति , यह तुम्हारा ही बेटा है . तुम्हारे ब्रेन की सर्जरी हुई है . धीरे धीरे तुम्हें हम सब समझा देंगे . “
फिर डॉक्टर ने दिनेश को बीते दिनों के फोटो और विडिओ वगैरह स्वाति को दिखाने के लिए कहा . जेनिफर ने भी डिलीवरी का विडिओ स्वाति को दिखाया . अमेरिका में अपने प्रसव का विडिओ बना सकता है . धीरे धीरे स्वाति के अन्य अंग भी काम करने लगे . सर्वेश ने भी कुछ बीते दिनों के फोटो उसे दिखाए . वह अब कुछ कुछ पहचानने लगी थी . उसके दिमाग में सर्वेश की धुंधली यादें जीवित होने लगी थीं . जेनिफर तो उसके वर्तमान में ही थी .
अगले दो सप्ताह में स्वाति को पुरानी बातें याद आने लगीं . अस्पताल से उसे छुट्टी मिलने वाली थी . वह बोली “ मुझे बहुत कुछ याद आ रहा है . पर बेटे के जन्म के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं . “
“ पता कैसे होगा , उस समय तुम कोमा में थी . यह बच्चा तुम्हारा है , इसके लिए मेरे ख्याल से यह सी डी काफी होगा . “
डॉक्टर ने स्वाति और दिनेश से कहा ¨ आप बहुत लकी हैं . जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं . ऐसे मामलों में हज़ारों केसेज में एक दो को ही सफलता मिलती है .”
जेनिफर ने हँसते हुए सी डी दिनेश को पकड़ाते हुए कहा “ स्वाति , उम्मीद है तुम मुझे माफ़ कर डौगी . “
दिनेश ने कहा “ माफ़ी का सवाल कहाँ उठता है . तुमने स्वाति और बच्चे के लिए जो किया है उसके लिए हम तुम्हारे आभारी हैं . तुम दोनों की सेवा से स्वाति और बच्चा दोनों बच पाए हैं . “
स्वाति ने भी जेनिफर का हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा कर कहा ¨ मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ . मुझे तो ख़ुशी है कि हमारा रिश्ता अब और मजबूत हो गया है . ¨
जेनिफर बोली ¨ अगर नाराज नहीं हो तो यहाँ से सीधे मेरे घर चलो . कुछ दिन रह कर फीनिक्स लौट जाना . ¨
स्वाति दिनेश की ओर देखने लगी तो वह बोला ¨ ज्यादा से ज्यादा दो दिन रुक सकते हैं . वो तो मेरी कंपनी का बड़प्पन है कि इतने दिनों तक मुझे वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रखी थी . ¨
दो दिनों तक जेनिफर और सर्वेश के साथ रह कर दिनेश और स्वाति फीनिक्स लौट रहे थे . किसी के मन में कोई मलाल नहीं रहा था .ह्यूस्टन एयरपोर्ट पर विदा करते समय सर्वेश बोला ¨ स्वाति , अब तो कोई शिकायत नहीं मुझसे या जेनिफर से . ¨
जेनिफर के गले लग कर वह बोली ¨ तुमलोग एरिज़ोना घूमने जरूर आना . वहां का ग्रैंड कैनियन भी देख लेना . ¨
जेनिफर और सर्वेश उन्हें विदा कर अपने घर लौट रहे थे . दोनों के मुंह से एक साथ निकल पड़ा ¨ अच्छा हुआ , अंत भला तो सब भला . स्वाति और हमारे बीच वर्षों से चली आ रही कटुता अब दूर हो गयी है . ¨
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नोट - कहानी पूर्णतः काल्पनिक है