Baba Ramdev Success Story ᴀʙнιsнᴇκ κᴀsнʏᴀᴘ द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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Baba Ramdev Success Story

योग गुरु बाबा रामदेव को भला कौन नहीं जानता हैं। बाबा रामदेव ने योग से न जाने कितने लोगों को स्वस्थ कर दिया है। बाबा रामदेव ने योग को घर-घर तक पहुंचाया और भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया।लेकिन एक गरीब किसान का बेटा आज इतना बड़ा बिज़नेस टाइकून है जिसका करीब 10000 करोड़ से अधिक का कारोबार है। ये सफर इतना आसान नहीं था। एक वक्त था जब रामदेव साइकिल पर मुफ्त दवाई बेचते थे।

एक योगी के अरबपति बनने के पीछे उनकी सफलता की सच्ची कहानी आज हम आपको बताएंगे। baba ramdev life story काफी दिलचस्प और प्रेरणादायक हैं। योग के प्रति उनका लगाव और आयुर्वेदिक चीज़ों को हमेशा बढ़ावा देना उनकी सफलता का एक key point हैं। baba ramdev ki kahani के जरिये आप उनके शुरुवाती जीवन और उनके संघर्ष के बारे में अधिक विस्तार में जान पाएंगे।

बाबा रामदेव का जन्म हरियाणा के अली सैयदपुर गाँव में हुआ। इनके पिता एक किसान थे और इनकी आर्थिक स्थिति काफी ख़राब थी। बाबा रामदेव पढ़ना चाहते थे लेकिन इनके पास पढ़ने तक के पैसे नहीं थे जिसके कारण उन्हें अपनी पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बाबा रामदेव अपने दोस्तों से किताब उधार मांग कर पढ़ा करते थे। वह अपना ज्यादा समय अपने पिता के साथ खेतों में काम करते हुए बिताते थे।

बाबा रामदेव ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे पहले बहुत मोटे और बीमार रहते थे, जिस वजह से उनके दोस्त उन्हें चिढ़ाते थे। उसके बाद उन्होंने खुद को बदलने की ठानी और गाँव में होने वाले योग शिविर में भाग लेने लगे। यहीं से उनका ध्यान योग की तरफ बढ़ते गया।

बचपन से ही योग के प्रति रूचि होने के कारण वे खानपुर (हरिद्वार) के एक गुरुकुल में आचार्य प्रद्युम्न और योगाचार्य बलदेव जी से संस्कृत और योग की शिक्षा लेने गए। गुरुकल में कुछ साल बिताने के बाद वह वहां से हिमालय चले गए और वहां कुछ साल रहने के बाद हरिद्वार आ गए। यहीं पर उन्होंने सन्यासी बनने का फैसला लिया और अपने गुर शंकरदेव महाराज के आश्रम में रहते हुए योग सीखा।

उन्होंने वही से लोगों को योग की शिक्षा देनी शुरू कर दी और वह घर से दवाइयां बनाकर साइकिल से हरिद्वार की सड़को पर बेचते थे। गुरु शंकरदेव की तबियत ख़राब होने के कारण बाबा रामदेव ने ‘दिव्य योग ट्रस्ट’ को संभाला उस दौरान वह योग शिविर का आयोजन करते थे। उनके दोस्त बालकृष्ण और कर्मवीर ने उनका साथ दिया और आज भी उनके साथ काम कर रहे हैं।

बाबा रामदेव ने शुरू में अपने योग शिविर को टीवी के माध्यम से लोगों तक पहुंचाया। धीरे-धीरे उनके शिविर में बड़े बड़े नेता आने लगे और और उनका योग प्रचलित होने लगा। योग में सफल होने के बाद बाबा रामदेव ने जड़ी बूटियों का कारोबार शुरू कर दिया। इसके साथ ही बाबा रामदेव ने अपने आश्रम में आयुर्वेदिक दवाई बनाना भी शुरू कर दिया। उनके ट्रस्ट का उद्देश्य योग तथा आयुर्वेद को आम लोगों तक प्रचलित करना था। साल 1995 में पतंजलि का कंपनी के रूप में रजिस्ट्रेशन हुआ।

पतंजलि कंपनी की रजिस्ट्रेशन फीस महज 13000 रुपए थी मगर उस समय बाबा रामदेव के पास इतने पैसे भी नहीं थे उनके पास मात्र 3500 रुपए थे बाकी पैसे बाबा रामदेव और उनके मित्र बालकृष्ण ने उधार लेकर जमा किया। साल 2006 में दिव्य योग ट्रस्ट दूसरा पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बना। इस योगपीठ में हॉस्पिटल, योग रिसर्च सेंटर, यूनिवर्सिटी और आयुर्वेदिक फार्मेसी के अलावा फ़ूड पार्क और कॉस्मेटिक मैन्युफैक्चरिंग भी है।

पतंजलि मात्र 5 साल में आयुर्वेदिक कंपनी से आज सबसे बड़ी देसी ब्रांड कंपनी बन गयी हैं जो कि अपने आप में असाधारण है। ग्लोबल रिसर्च फर्म इप्सोस के हालिया सर्वे के अनुसार पतंजलि को भारत के टॉप 10 प्रभावी ब्रांड्स में चौथा स्थान मिला है। और यह बात कोई सामान्य नहीं है कि पतंजलि ने भारत के सबसे बड़े बैंक एसबीआई, दिग्गज टेलीकॉम कंपनी एयरटेल और जियो के साथ-साथ ई-रिटेलर कंपनी फ्लिपकार्ट को भी पीछे छोड़ दिया।

आज पतंजलि घर के सामान से लेकर दवाइयों तक सब कुछ बनाता है। आज योग ने हर घर में एक नया आयाम ले लिया है। कई लोगों को बाबा रामदेव द्वारा सीखे योग से नया जीवन मिला है। और कई लोगों ने बाबा रामदेव से प्रेरित होकर छोटे-छोटे मुफ्त योग शिविर भी लगाने शुरू कर दिए हैं।

बाबा रामदेव की कहानी हमे ये बात सिखाती हैं की अगर हम चाहें तो किसी भी छोटी चीज़ से शुरुवात करके बड़े मुकाम तक पहुंच सकते हैं। एक समय था जब योग और आयुर्वेद के प्रति लोग ज्यादा serious नहीं थे। हर किसी को लगता था की योग करने से आयुर्वेदिक दवाओं का इस्तेमाल करने से किसी को फायदा नहीं होता।

लेकिन बाबा रामदेव ने जब इस चीज़ को international level तक पंहुचा दिया तो आज हर कोई योग को एक अलग नज़रिये से देखता हैं। आज के समय में योग लोगों की जिंदगी का एहम हिस्सा हैं। बाबा रामदेव का लक्ष्य योग को हर घर तक पहुचाना था और अपनी मेहनत की वजह से ही वो ये कर पाने में सफल हुवे।

दोस्तों हमे भी अपने काम के प्रति मेहनती और ईमानदार होना चाहिए और अपने काम की शुरुवात जिंतनी जल्दी हो कर लेनी चाहिए। जिस तरह बाबा रामदेव ने योग की शुरुवात बचपन से ही कर ली थी और आज वो हर तरह के योग करने में expert हैं। practice करने से ही हम किसी काम में एक्सपर्ट बन पाते हैं, किसी काम को बार बार करने से हमारी skills बड़ जाती है और वो काम हमारे लिए आसान हो जाता है। पढ़ाई में, sports में या किसी भी चीज़ में practice बहुत मायने रखती है। इसलिए लगातार कोशिश करें, practice करने और कभी भी हार ना मानें।