वैंपायर अटैक - (भाग 8) anirudh Singh द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वैंपायर अटैक - (भाग 8)

हरजीत सिंह को इस यहां आने से पहले ही पता था कि यह मिशन कितना खतरनाक है....पर उनके पन्द्रह साल के पुलिस कैरियर में किसी भी प्रकार का ड़र कभी भी उनकी कर्तव्यनिष्ठता को बाधित नही कर सका......और आज भी अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करते हुए आज इस हालत में पड़ा था यह बहादुर पुलिस वाला।

लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ को डॉक्टरी का कामचलाऊ अनुभव भी था.....क्योकि दो साल उन्होंने आर्मी हॉस्पिटल में भी एक वॉलिंटियर के रूप में सेवाएं दी थी.......उन्होंने बड़ी सावधानी के साथ उस पथरीली तलवार को हरजीत सिंह के शरीर से अलग किया..व अपनी शर्ट को उतार कर उनके घाव पर बांध दिया.......चार लोगों को उन्होंने हरजीत सिंह को अस्पताल ले जाने का इशारा किया.......चूंकि आसपास खड़े वह सारे वाहन जिनसे सभी लोग यहां तक आये थे, उनको तो वह मैग्नेटिक बवंडर निगल चुका था....इसलिये बिना किसी वाहन के ही चार लोगों की टुकड़ी छिपते छिपाते पैदल ही निकल पड़ी .....हरजीत सिंह के प्राण अब ईश्वर के भरोसे थे।


हवा में लटका हुआ पेट्रो लगातार हमले कर रहा था....सैकड़ो की तादाद में आये हुए पुलिस व आर्मी के जवानों की तादाद अब सिर्फ पचास के आसपास ही बची थी......लाशो और खून से आसपास की जमीन नहा चुकी थी।
'ऑपरेशन वैम्पायर' के लिए जाते समय किसी ने भी न सोचा था कि पेट्रो के लिए यह टास्क फोर्स एक छोटे बच्चों की टीम की तरह सिद्ध होगी......जिसे वह चुटकियों में नेस्तनाबूद कर देगा।

पेट्रो को काबू करने का एकमात्र हथियार अब उस ''विशेष जाल' के रूप में मौजूद था.....पर समस्या बिल्ली के गले मे घण्टी डालने की थी........हवा में उड़ते वैम्पायर को उस जाल में कैद करना असम्भव ही था....और फिर डर यह भी था कि इतने शक्तिशाली वैम्पायर को वह जाल अधिक समय तक कैद कैसे रख पायेगा।

लीसा,विवेक और लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ ने नई रणनीति बनाई....उसके अनुसार लीसा और बिवेक पहाड़ी के रास्ते ऊपर की ओर चढ़ने लगे और लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ अपने बचे खुचे साथियों के साथ भागते हुए पेट्रो के द्वारा बरसाए जा रहे पत्थरो से बचने का प्रयास करते हुए उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने लगे।

विवेक और लीसा जल्दी ही सबसे ऊंची पहाड़ी की चोटी पर थे....दोनों का ही हिल क्लाइम्बिंग का शौक आज काम आ गया था।

पहाड़ की चोटी पर खड़े हुए वह दोनों पेट्रो को अब साफ देख सकते थे....,जो उनसे कुछ ही फ़ीट नीचे नीचे हवा में तैर रहा था....

पेट्रो भी अब बोर हो चुका था....वह एक झटके में ही सब खत्म कर देना चाहता था.....उसके इशारों पर नाचते हुए पत्थर अब रुक गए थे......पर यह क्या.....अचानक से किसी सुरंग से निकला चमगादड़ जैसे पक्षियों का एक झुंड चारो ओर फैल गया......

वैसे उनको सिर्फ चमगादड बोलना नाइंसाफी होगा.... क्योकि वह पक्षी दिखने में सिर्फ चमगादड जैसे थे...पर उनका साइज एक भारी भरकम छह फुट के इंसान के जैसा था.... नरभक्षी जैसे दिख रहे यह पक्षी सच मे ही इंसानों के खून के प्यासे थे....तभी तो टास्क फोर्स के बचे खुचे लड़ाकों को भी वह अपने पंजो में दबा के उड़ा ले जाने लगे....अपने जबड़े से इंसानी सिरों को हवा में ही तरबूज की तरह फोड़ कर बड़े स्वाद के साथ चख रहे थे ये चमगादड ।

यह हमला और भी खतरनाक था....लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ बड़ी मुश्किल से खुद को बचा पाए हुआ था..…..टास्क फोर्स के अब चंद लोग ही शेष बचे थे......वैम्पायर अटैक की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी इंसानो को।

"उफ्फ ये क्या...…अब वैम्पबैटो का हमला....ये तो ड्रैकुला के पालतू पक्षी है....इनकी उपस्थिति बता रही है कि शायद इनको अपने मालिक के आने का अहसास हो रहा है...." नीचे का खौफनाक दृश्य देख कर लीसा ने इन चमगादड़ो के बारे में विवेक को बताया।

"अरे....ये तो बहुत बुरा समाचार है....सोच के भी डर लगता है....कि ड्रैकुला को कैसे झेलेगी यह दुनिया.....जब उसके सेवक ने हमारा यह हाल कर रखा है।"

विवेक भी वक्त की नाजुकता को भलीभाँति समझ रहा था।

अब वक्त था.....एक खतरनाक स्टंट करने का....हो सकता है लीसा ने पहले भी इस प्रकार का स्टंट किया हो पर विवेक के लिए यह एकदम नया था।

फिर भी विवेक के मन मे जरा सा भी डर न था.....अगर कुछ था तो वह था गुस्सा और प्रतिशोध......राहुल की मौत का प्रतिशोध...सैकड़ो बेगुनाह इंसानों की मौत का प्रतिशोध...अपने कर्तव्य को निभाते शहीद होने वाले कई सिपाहियों की मौत का प्रतिशोध...इस देश के दो बड़े शहरों को तहस नहस कर डालने का प्रतिशोध।

अब वक्त ज्यादा सोचने समझने का नही बचा था.....लीसा और विवेक ने सैकड़ो फ़ीट ऊंची पहाड़ी से छलांग लगा दी थी.....

पैराशूट की जगह पर दोनों के हाथ मे उस जाल का एक एक शिरा था जिस से वह पेट्रो को कैद कर लेना चाहते थे।

नीचे गिरते हुए दोनों लोग जैसे ही पेट्रो के करीब आये जाल को फैला कर उसको घेर लिया....इतनी ऊंचाई ओर हवा में खड़े पेट्रो को जब तक अपने ऊपर से होने वाले इस अप्रत्याशित हमले का जब तक आगाह हुआ......लीसा और विवेक जाल की डोरी को खींच चुके थे..….जाल की कैद का असर तुरन्त हुआ.. पेट्रो की शक्तियां कुछ हद तक क्षीण हो चुकी घी।
अब लीसा और विवेक के साथ साथ जाल में कैद पेट्रो भी तेजी के साथ नीचे गिरकर जमीन से टकराने वाला था।

कहानी जारी रहेगी........