वैंपायर अटैक - (भाग 9) anirudh Singh द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वैंपायर अटैक - (भाग 9)

सैकड़ो फ़ीट ऊपर से जमीन की ओर गिर रहे लीसा और विवेक अगर इसी गति से जमीन से टकराते तो उनकी हड्डियों का कचूमर बन जाना तय था।

पर वह पूर्वनियोजित योजना के तहत नीचे कूंदे थे.....इसलिए उनके कंधों से लटक रहे बैग अब खुल चुके थे...और झटके के साथ उन में से निकल कर आये पैराशूट की वजह से वह हवा में लहराने लगे.....कुछ ही देर में वह जमीन पर उतर चुके थे......

उस अद्भुत जाल में कैद पेट्रो बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था.....इस कैद में यकीनन पेट्रो अपनी शक्तियों का अधिक प्रयोग नही कर पा रहा था पर उसके जाल को तोड़ देने के भरकस प्रयत्नों को देख कर लग रहा था कि यह कैद भी पेट्रो जैसे महाशक्तिशाली वैम्पायर को अधिक देर तक कैद नही कर पायेगी।

उधर वो राक्षसी चमगादड भी अपने नए शिकारों की तलाश में आसमान में फड़फड़ा रहे थे.......

"विवेक.....मेरी बात ध्यान से सुनो...." लीसा ने विवेक को अपने पास बुलाया.......लीसा इस समय काफी गम्भीर और शांत लग रही थी।

"विवेक,मेरे पास अब ज्यादा वक्त नही है....पीढ़ियों से हमारे वंश का एक ही उद्देश्य रहा है ...इन वैम्पायरो से इंसानियत को बचाना......अब वक्त आ गया है मैं अपना जीवन अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए समर्पित कर रही हूँ।" लीसा का दमकता हुआ तेजस्वी चेहरा बता रहा था कि कोई बड़ा फैसला उसने ले लिया है......और उस फैसले को सुनने के लिए विवेक उत्सुक था.....
उधर लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ अपने बचे हुए साथियों के साथ चट्टानों एवं गुफाओं की ओट में चमगादड़ो के साथ लुकाछिपी खेलते हुए उनका ध्यान भंग करने में जुटे थे।

लीसा ने अपनी बात जारी रखी.....
"हम यूलेजियन्स वंश के है....हमारी खासियत यह है कि हमे कोई भी वैम्पायर गर्दन में दांत गड़ा कर वैम्पायर नही बना सकता.....यदि किसी भी वैम्पायर ने ऐसा किया तो हमारे रक्त में मौजूद एंटीडोट उस वैम्पायर के लिए जहर का काम करेगा.....और वह तुरन्त ही गल कर नष्ट हो जाएगा..... परन्तु यदि वह वैम्पायर बहुत प्राचीन एवं शक्तिशाली है तो उसको गलाने के लिए हमारा सारा रक्त प्रयुक्त हो जाएगा.....फलस्वरूप हमारा जीवन भी समाप्त हो जाएगा.........वैम्पायर्स को यह आभास हमे देखते ही हो जाता है इसलिए वह कभी भी हम पर इस प्रकार का हमला नही करते है......आज इस दुनिया को बचाने के लिए मुझे किसी भी प्रकार से इस पेट्रो को मजबूर करना होगा मुझे दांतो से काटने के लिए....यही एक रास्ता है बस"

लीसा का निर्णय सुन कर विवेक हतप्रभ था..."मैडम....मैं तो अपने दोस्त का बदला लेने के लिए इस युध्द में शामिल हुआ था....मेरा तो स्वार्थ था...प....पर आप तो ..आप तो दूसरे देश से है....तब भी आप दुनिया को बचाने के लिए अपने प्राणों की आहूति देने का फैसला कर चुकी है....मैडम आपकी जरूरत इस दुनिया को आगे भी रहेगी....आप समर्थ है इनसे लड़ने के लिए....और मैं....इस जंग में मेरा योगदान न के बराबर रहा....मैं एक साधारण इंसान हूँ....मेरे न होने से फर्क नही पड़ता.....आप कुछ ऐसा करिए कि आपकी जगह मेरी जान देकर इस दैत्य का अंत हो सके।"

विवेक की बात सुनकर लीसा मन्द मन्द मुस्कुरा उठी और फिर कुछ रहस्यमयी बाते उसने विवेक को बताई......

"विवेक हर इंसान की अपनी नियति होती है....जीवन की प्रत्येक घटना हमारी नियति पर आधारित होती है...साधाहरण शब्दो मे कहे तो हमारे जीवन मे छोटी से छोटी घटना भी पहले से निर्धारित होती है.…..तुम्हारा इस जंग ने शामिल होना ...मेरा मिलना.....सब कुछ पहले से ही निर्धारित था......मेरा ज्योतिष ज्ञान मुझे आगाह कर रहा है कि यदि मैं पेट्रो को नष्ट करने में कामयाब हो गयी...तब भी एक बड़ा खतरा कुछ समय बाद दोबारा सिर उठाएगा.....हो सकता है कि वो ड्रैकुला हो.....और तब उस खतरे से दुनिया को तुम ही बचाओगे विवेक......तुम्हारी नियति इस बात का इशारा कर रही है........तुम साधाहरण इंसान नही हो......आने वाला वक्त तुम्हे इस बात का अहसास बहुत जल्दी करा देगा....चलो अब ये बात छोड़ो ....हमारे पास अपने काम को अंजाम देने के लिए बहुत कम समय है।"

भौचक्का सा विवेक समझ ही नही पा रहा था कि लीसा ने जो जो कहा है क्या वह सच है.....पर उसके पास सिवाय विश्वास करने के दूसरा चारा भी न था।

लीसा ने आगे की योजना विवेक को बताई जिसका अनुसरण करते हुए विवेक आगे बढ़ा.....

(कहानी जारी रहेगी....)