मेरी दूसरी मोहब्बत - 78 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 78

Part 78- Inkaar

सोंदर्या के बच्चे को ले जाने देने पर अवनी का दिल टूट जाता है और अवनी वहां से भाग जाती है।सभी उसे रोकने की कोशिश करते हैं लेकिन अवनी किसी की नहीं सुनती। पवन अवनी के पीछे जाने लगता है।

पवन - अवनी! रुको अवनी। कहा जा रही हो? अवनी रुक जाओ ।

पवन के पिता - पवन बेटा जल्दी जाओ, कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए।

पवन - आप सभी यही रहिए, मैं अवनी को ले आऊंगा।

रूपेश - भाई मैं भी आ रहा हूँ।

पवन - नहीं रूपेश मैं जानता हूँ अवनी कहा गई है, तुम यहीं रहो। मैं अवनी को ले आऊंगा ।

पवन की चाची - ये सोंदर्या ने बिल्कुल अच्छा नहीं किया।

अवनी की माँ - शुक्र है ये सब पहले ही हो गया, बस अवनी वापस आ जाए।

पवन की माँ - ठीक ही कहा आपने, वर्ना ये दुःख काफी बड़ा होता जिसका शायद ही कोई हल होता।

अवनी गाड़ी में बैठ सीधे वज़ीराबाद के उसी पुल की तरफ जाती है जहां अवनी पहले भी सुसाइड करने आई थी और पवन ने अवनी को बचाया था।

पवन अवनी के पीछे जाते हुए खुद से कहता है।

पवन- (घबरा कर) ओह! अवनी ऐसा कुछ मत करना। तुम क्यों नहीं समझती हो अवनी, प्लीज रुक जाओ वापस आ जाओ अवनी।

अवनी - पवन तुमने बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया, तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे।

अवनी पुल पर पहुंच कर देखती है कि एक लड़की पुल के ठीक किनारे पर खड़ी किसी ख्याल मे गुम है।

अवनी- (आवाज़ लगाते हुए) ए लड़की! रुको तुम क्या कर रही हो वहा? तुम नीचे गिर जाओगी, पीछे हटो वहा से।

लड़की - (चीख कर) वहीं रहो, मेरे पास आने की कोशिश न करना।

अवनी - मैं तुम्हें नहीं रोक रही, लेकिन तुम पहले ये तो बताओ कि आखिर तुम किस चीज की शिकार हो जो तुम यहा तक चली आई।

लड़की - (गुस्से में) मैं तुम्हें बताना जरूरी नहीं समझती, तुम चली जाओ यहा से।

अवनी - (इमोशनल होकर) मैं यहां से जाने ही तो आई हूँ, इस बेरूखी और अधूरी जिंदगी से बेहतर मैं भी यहा से चली जाऊँ।

अवनी उस लड़की को रोकने के लिए उसकी ओर हाथ बड़ा कर उसे कहती है।

अवनी - चलो हम दोनों साथ मे ही कूदते हैं, इससे हम दोनों को ही डर नहीं लगेगा।

लड़की - (हल्की आवाज़ में) तुम मज़ाक कर रही हो।

अवनी - नहीं! मैं इस वक़्त कोई मज़ाक नहीं कर रही हूँ बल्कि किस्मत मेरे साथ मज़ाक कर रही है।

अवनी और लड़की वहीं बैठ जाती हैं।

लड़की - क्या तुम भी अपनी किस्मत से परेशान हो?

अवनी - आ.. वो तुम बताओ आखिर तुम क्यों सुसाइड करना चाहती हो। आखिरकार क्यों इस जिंदगी से ख़फ़ा हो तुम?

लड़की -  मेरा नाम सीमा है, तीन साल पहले मेरी लव मैरिज हुई थी पर मेरी कोख अभी भी सूनी है। सूनी कोख देख समाज के सभी लोग मुझे आए दिन बाँझ कहते हैं, मैंने खूब बर्दाश्त किया लेकिन अब तो लोग मेरे पति को मुझे छोड़कर दूसरी शादी की सलाह देने लगे हैं, मैंने खूब बर्दाश्त किया पर मैं नहीं चाहती कि मेरी वज़ह से मेरे पति या फैमली को ये सब झेलना पड़े।

पवन इतने मे अवनी के पास पहुंच जाता है लेकिन उसके सामने न आकर वो अवनी की गाड़ी के पीछे छिप दोनों को साथ बैठा देख उनकी बाते सुनता है।

अवनी - (भावुक कर) सीमा मेरा नाम अवनी है, मेरे हालात भी कुछ ऐसे ही हैं। सीमा तुम्हें पता है, मैं भी बच्चे को जन्म नहीं दे सकती लेकिन मेरी फैमिली इतनी अच्छी है कि किसी एक के लिए मैं बाकियों का दिल नहीं दुखा सकती । तुम्हें जिसकी परवाह है तुम उसी को सताना चाहती हो?

सीमा - (इमोशनल होकर) नहीं लेकिन मेरी वज़ह से... ।

अवनी - तुम चली जाओगी तो तुम्हारे प्यारों को ज्यादा तकलीफ होगी।

सीमा - पर लोगों का मुँह तो मैं बंद नहीं कर सकती।

अवनी - हाँ सही कहा, लेकिन वहीं लोग जो तुम्हें आज बुरा भला कहते हैं तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारी तारीफों के पुल बांधने लगेंगे। सीमा ये समाज ऐसा ही है, जिंदा को जीने नहीं देता और मरने के बाद उसको पूछता रहता है।

सीमा - हाँ तुम ठीक कह रही हो, मेरे जीने के लिए मेरी फैमली ही काफी है, इस समाज से मैं अब कोई और समझौता नहीं करुँगी।

अवनी -( मुस्कराते हुए) हाँ और करना भी नहीं चाहिए।

सीमा - और तुम इस वक़्त शायद वहीं भूल करने आई थी जो मैंने की है?

अवनी नीचे निगाहें कर सीमा को कहती है।

अवनी - हाँ मैं भी अपनी फैमली को यहा सताने आई थी, तुम्हें पता है मुझसे तो मेरा बच्चा ही छीन लिया, किसी एक के खातिर मैं अपने परिवार को किसी आजमाइश मे नहीं डालूंगी।

पवन भावुक हो कर खुद से कहता है।

पवन - ( भावुक हो कर) ओह! अवनी तुम कितनी समझदार हो फिर ये सब क्यों?

सीमा -( मुस्कुरा कर) शायद मेरी जान बचाने के लिए ही तुम्हें यहा भेजा गया है।

अवनी - (धीरे से )और शायद मेरी जान बचाने के लिए तुम्हें।

(मुस्करा कर) तुम्हें अब अपने घर जाना चाहिये सब तुम्हें ढूंढ रहे होंगे।

उसी वक़्त वहा सीमा का पति एक बाईक पर आ जाता है।

सीमा का पति - (गहरी सास छोड़ते हुए) शुक्र है सीमा तुम मिल गई, तुम्हें पता है सब कितना परेशान हैं तुम्हारे लिए।

सीमा - सॉरी साहिल, आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा, मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी।

साहिल मुस्कराते हुए सीमा को गले लगा लेता है।

साहिल - खबरदार अगर ऐसा सोचा भी तो।

सीमा अवनी से साहिल को मिलाती है।

सीमा - साहिल ये अवनी हैं मेरी दोस्त, इन्होंने ही मेरी जान बचाई है।

साहिल - मैं हमेशा आपका शुक्रगुज़ार रहूँगा, आपने मेरी जिन्दगी मुझे लौटा दी।

अवनी - (मुस्करा कर) ये सब तो किस्मत का लिखा हुआ है उसके आगे किसकी चलती है भला?

साहिल - सीमा चलो अब घर चले।

सीमा - हम्म!  अवनी शुक्रिया। तुम्हें भी अब घर जाना चाहिए। तुम चाहो तो हम तुम्हें घर छोड़ दें?

अवनी -( मुस्कराते हुए) शुक्रिया पर अभी मेरे हसबैंड आते ही होंगे, मैं उनके साथ ही वापस जाऊँगी, आप लोग जाओ।

पवन को अच्छा लगता है कि अवनी अब शांत हो गई है और पवन खुद मे ही मुस्करा देता है।

सीमा - (मुस्कराते हुए) अवनी ऊपर वाले ने चाहा तो जरूर हम दोनों की ख्वाहिश पूरी होगी।

अवनी - हम्म!

सीमा और साहिल दोनों साथ में वापस चले जाते हैं।

पवन अवनी के सामने आने ही वाला था कि अवनी जमीन पर बैठ कर आसमान की ओर देख कर रोने लगती है।

अवनी - (रोते हुए) मैं कैसे अपने बच्चे को भुला सकती हूँ? वो नन्ही सी जान जिसका इंतजार मैंने नौ महीने तक किया मैं उसे कैसे भुला सकती हूँ? अब मुझे कोई उम्मीद नहीं है कि हमारी जिंदगी फिर रोशन हो पाएगी।

पवन अवनी को रोता देख खुद भी टूट सा जाता है, पवन खुद से कहता है।

पवन -(उदास होकर) अवनी तुम जब ऐसे टूटती हो तो तुम अकेले नहीं टूटती मैं भी तुम्हारे साथ टूटता हूँ। काश! मेरे पास इसका कोई हल होता। ठीक है अब हम दोनों ही एक दूसरे के लिए काफी हैं, हम किसी के मोहताज नहीं रहेंगे, एक दूसरे के सहारे ही अपना जीवन खुशी खुशी बिताएंगे फिर ऊपर वाला चाहे तो तरस खा कर हमे और खुश कर दे।