मेरी दूसरी मोहब्बत - 79 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 79

Part 79- Toota Dil

अवनी वजीराबाद के पुल पर बैठी हुई नम आँखों से काले आसमान मे चमकते सितारों की ओर देख रही है।

अवनी - (सोचते हुए) क्या अब मैं हमेशा ऐसे ही रहूंगी?

पवन अवनी के पास बैठ कर अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर उसके आँसू पोछता है।

पवन - बस अवनी!

अवनी - अरे! पवन तुम आ गए।

पवन - हम्म!

अवनी पवन को देख कर एक झूठी मुस्कान से मुस्करा देती है लेकिन पवन की आँखों में देखते ही अवनी के आँसू निकल आतें हैं। पवन अवनी को प्यार से समझाता है।

पवन - बस! अवनी अब तुम बिल्कुल नहीं रोओगी, तुम वैसे भी बहुत रो चुकी हो, अब और नहीं।

अवनी - (इमोशनल होकर) पवन तुमने सोंदर्या को क्यों नहीं रोका?

पवन - अवनी तुम ही बताओ, अगर मैं आज सोंदर्या से बेबी को ले लेता तो क्या कल को सोंदर्या अपने बेटे को लेने नहीं आती? अभी तो बेबी को हमने ठीक से देखा तक नहीं था, कुछ टाइम बाद हम उसके बिना कैसे रह पाते?

अवनी - (इमोशनल होकर) ) मैंने उस बच्चे के लिए बहुत मुश्किल से इंतजार किया और अब... ।

पवन - अवनी मैं जानता हूँ, मैंने भी तुम्हारे साथ ही इंतजार करा था पर हमे एक ऐसा बच्चा चाहिए था जिसे उसकी माँ अपनी खुशी से हमे दे सके, लेकिन सोंदर्या का मन बदल गया तो हम उससे बच्चा तो नहीं ले सकते थे ना।

अवनी -पवन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा, मैं क्या करूं?

पवन अवनी को गले लगा लेता है।

पवन - अब कुछ समझने की जरूरत नहीं है। हम दोनों ही एक दूसरे के लिए काफी हैं, किसी और की जरूरत हमे नहीं है, अब जो किस्मत में लिखा होगा वही होगा।

अवनी -(इमोशनल होकर ) पवन क्या सच में?

पवन - हाँ अवनी, क्या इसमे कोई दिक्कत है?

अवनी खुद को सम्भाल कर पवन की बात मे अपनी सहमति देती है।

अवनी - नहीं, अब हम दोनों ही एक दूसरे के लिए काफी हैं। ओह! पवन हमारी जिंदगी में कितनी उथल पुथल हो चुकी है।

पवन - अवनी तुम देखना ये उथल पुथल एक दिन जरूर शांत होगी।

पवन के फोन की रिंग बजती है, पवन फोन उठा कर रूपेश से बात करता है।

रूपेश - हैलो भाई।

पवन - हाँ रूपेश।

रूपेश - भाई, अवनी भाभी का कुछ पता चला?

पवन - हाँ रूपेश, मैं अवनी के साथ ही हूँ, अवनी ठीक है।हम थोड़ी देर बाद घर आ जाएंगे, तुम लोग परेशान मत होना।

अवनी किसी सोच में गुम हो जाती है, पवन अवनी को देख उससे पूछता है।

पवन - अवनी तुम्हारे मन में अभी भी कुछ है?

अवनी - आ... नहीं तो पवन, अब मैं ठीक हूँ। हमे घर चलना चाहिए, घर में सभी हमारा इंतजार कर रहे होंगे। मैंने सभी को बहुत परेशान कर दिया है।

पवन - हाँ घर वाले परेशान तो हुए हैं, चलो तो चलते हैं।

अवनी और पवन चलने के लिए उठते हैं तभी अवनी को अचानक चक्कर आ जाता है और वो गिरने लगती है, पवन उसे गिरने से बचा लेता है पर पवन अवनी की हालत देख कर बहुत घबरा जाता है।

अवनी - पवन!

पवन - अवनी अवनी! क्या हुआ अवनी?

पवन अवनी को सम्भालते हुए उसे होश में लाने की कोशिश करता है।

पवन - (घबराते हुए) अवनी उठो, आँखे खोलो अवनी ।

पवन अवनी को उठा कर कार में बैठाता है।

पवन - अवनी प्लीज अपनी आँखे खोल दो, क्यों मुझे डरा रही हो।

अवनी - पवन...!

कार में बैठाने के बाद पानी से अवनी की आंखों को पोंछ कर अवनी को पानी पिलाता है।

पवन - हाँ अवनी मैं यही हूँ, तुम्हें कुछ नहीं होगा, बस तुम आँखे खोलीं रखो।

अवनी जैसे ही थोड़ा होश में आती है, अवनी को अचानक उल्टी हो जाती है।

पवन घबरा कर अवनी की पीठ सहलाने लगता है।

पवन - अवनी आराम से, कुछ नहीं कुछ नहीं हुआ।

अवनी - पानी।

पवन - अवनी तुमने क्या खाया था आज, आखिर तुम्हारी तबीयत कैसे खराब हो गई?

अवनी -( धीरे से) आज... कुछ भी नहीं।

पवन - (डाटते हुए) तुम बिल्कुल भी अपना ध्यान नहीं रखती हो, रो रो कर क्या हाल कर लिया है तुमने अपना?

अवनी - ( धीरे से ) पवन.. ।

पवन अवनी को होश में रखने की कोशिश करता रहता है।

पवन - अवनी अवनी! रुको, मुझसे बाते करो, आँखे खोलो अवनी।

अवनी - (बेहोशी में) हम्म।

पवन जल्दी से अवनी को हॉस्पिटल ले जाने के लिए कार में बैठता है। पवन अवनी के लिए काफी डर जाता है इसलिए पवन रूपेश को फोन कर हॉस्पिटल आने के लिए कहता है।

 

पवन- आह! रूपेश फोन उठाओ, रूपेश फोन उठाओ।

पवन अवनी को देख घबरा जाता है और फिर से रूपेश को फोन करता है।

पवन - (घबरा कर) हैलो रूपेश, यार अवनी की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई है मैं अवनी को हॉस्पिटल लेकर जा रहा हूँ।

रूपेश- क्या! लेकिन अभी तक तो सब ठीक था भाई,अच्छा मैं आ रहा हूँ, आप घबराए नहीं।

पवन - रूपेश जल्दी आना।

पवन - अवनी अवनी! प्लीज अवनी उठ जाओ, मुझे डर लग रहा है, अवनी उठो प्लीज।

पवन अवनी को सीधे हॉस्पिटल लेकर आता है और अवनी को एडमिट करा देता है।

पवन - डॉक्टर वो अवनी अचानक बेहोश हो गई और उसे उल्टी भी हुई थी।

डॉ - ओके, डोंट वरी, हम देख रहे हैं।

डॉ. अवनी के पास जाकर अवनी को चेक करते है, इतने में पवन और अवनी के माता पिता रूपेश  के साथ वहां आ जाते हैं।

अवनी के पिता - (घबरा कर ) पवन क्या हुआ अवनी को?

पवन - वो अचानक बेहोश हो गई और मैं तुरंत अवनी को यहा ले आया।

पवन की माँ - अवनी अब कहा है?

पवन - यही है ये वाले रूम में।

अवनी की माँ - बेटा डॉ. ने कुछ बताया?

पवन - नहीं अभी नहीं माँ, डॉक्टर अवनी को चेक ही कर रहे हैं।

कुछ देर बाद डॉ बाहर आते हैं और पवन को कहते हैं -

डॉ - मिस्टर पवन अब आपकी वाइफ ठीक हैं, हाँ थोड़ा वीक हैं इसलिए उन्हें ग्लूकोज़ दिया जा रहा है।

डॉ - आ.. पवन आप एक बार मेरे रूम में आइए, मैं बाकी डिटेल्स भी आपको दे दूंगा।

पवन - ओके डॉक्टर।

पवन डॉ के पास रूम में जाता है।

डॉ. - आओ पवन बैठो यहां।

पवन - थैंक्स।

डॉ. - देखो पवन अवनी की तबीयत थोड़ी नाजुक है, खैर हमने उसके लिए ग्लूकोज़ दिया है और मुझे लगता है कि शायद अवनी प्रेग्नेंट भी है।

पवन -( चौंक कर) क्या? डॉ आप श्योर हो? मेरा मतलब है कि आप...

डॉ - वेट पवन, मेरी बात तो सुन लो पहले।

पवन - हम्म।

डॉ - हमने कुछ टेस्ट किए हैं, रिपोर्ट आते ही आपको बता दिया जाएगा, मैंने आपको बाहर इसलिए नहीं बताया था क्योंकि मैं श्योर नहीं हूँ।

पवन - डॉ दरअसल अवनी को हमने पहले भी दिखाया था तब हमे पता लगा था कि अवनी कभी माँ नहीं बन सकती

क्योंकि उसका यूटेरस वीक है।

डॉ - कोई बात नहीं मैं कुछ कह रहा हूँ तो कुछ सोच कर ही कह रहा हूँ, तुम्हें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।

पवन - (मुस्कराते हुए) जी ।

पवन रूम से बाहर आ जाता है।

पवन के पिता - बेटा क्या हुआ? क्या कहा डॉ ने?

पवन - ( सोचते हुए) आ... डॉक्टर कह रहे हैं कि अवनी को कुछ देर मे होश आ जाएगा। बाकी कुछ खास नहीं, वहीं जो उन्होंने बाहर बताया था।

रूपेश - भाई सब ठीक है ना ?

पवन -आ... हाँ रूपेश सब ठीक है।