मेरी दूसरी मोहब्बत - 69 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 69

Chapter - 69 Case Filed

सिम्मी सोन अपने बेटे के दूर होने से बहुत दुखी है। रोजर और सिम्मी सोन गेट से बाहर आ जाते हैं।

सिम्मी सोन- रोजर अब क्या करें। मैं जैक के बिना वापिस नहीं जाऊंगी।

रोजर - सोचता हूं। हाँ आंटी जो भी हो हम जैक को लेकर जाएंगे।

मेरे एक अंकल रहते हैं इंडिया में उनसे बात करता हूं।

सिम्मी सोन - ठीक है।

सिम्मी सोन और रोजर अपने अंकल के घर जाते हैं। उनसे सारी बात बताते हैं।

अंकल - मेरे पड़ोस मे मिस्टर अग्रवाल जी है, वो अच्छे लॉयर हैं।चलों उनसे बात करते हैं।

सभी अग्रवाल जी घर जाते हैं और सारी बातें विस्तार से बताते हैं।

अग्रवाल जी - जो भी हो जन्म देने वाली माँ का हक अधिक है। ठीक उन्होंने लीगली लिया है। उनके पास पेपर्स हैं। केस मुश्किल है। नामुमकिन नहीं। मैं कुछ करता हूं। एक महिला आयोग में भी आपका केस डालता हूं।

सिम्मी सोन ( झिझकते हुए) - सर मैं poor हूं। आपकी फीस कैसे दूंगी। मेरे पास कुछ नहीं है। ये मेरे बेटे का फ्रैंड रोजर ही इंडिया तक लाया है।

अग्रवाल जी - सिस्टर आप tension ना लें। हम हर केस फीस के लिए नहीं लड़ते। कुछ केस humanitarian ground पर भी लड़े जाते हैं। आपका केस भी ऐसा ही है

सिम्मी सोन- thanks alot sir.

अग्रवाल जी- अभी half thanks बोलो। बाकि जैक मिलने के बात। मुझे सब पेपर्स दो । फ़ाइल तैयार करनी है।

सिम्मी सोन - पेपर्स तो नहीं है सर।

अग्रवाल जी - ओह ! मुश्किल होगी। अब क्या जाए

कुछ सोचते हुए फोन करते हैं.... कृष्णा जी जय श्री कृष्ण।

मैं लॉयर अग्रवाल जी।

कृष्णा जी- जय श्री कृष्ण। आज्ञा कीजिए क्या कर सकते हैं।

अग्रवाल जी सारी बात बताते हैं।

कृष्णा जी - दोनों लैडिज हैं। दोनों अपनी जगह ठीक है। हाँ सिम्मी सोन के जीने का इकलौता सहारा जैक है। बस यही मुद्दा strong करना है। हम गरीब लोगों की मदद करते हैं। हम करेंगे।

अग्रवाल जी- बहुत बहुत धन्यवाद कृष्णा बहन।

कृष्णा जी - जी ये हमारे आयोग का काम है। मजबूर व गरीब बहनों की मदद करना ।

अग्रवाल जी - ठीक है हम कल आते हैं आपके आफिस।

कृष्णा जी - जी बहुत अच्छा।

अग्रवाल जी- आप सभी ने बातें सुनी कल चलेंगे।

अंकल जी - चलो रोजर। घर चलो नहा धोकर डिनर करना।

सभी रोजर के अंकल के घर आ जाते हैं।

सिम्मी सोन- आप सब मेरी कितनी help कर रहे हो। thanks alot...

अंकल - it's our pleasure, don't worry... सब ठीक हो जाएगा।

सभी फैश होकर, डिनर करके सो जाते हैं।

अगला दिन-

रोजर, सिम्मी सोन और अग्रवाल जी सभी मिलकर महिला आयोग के दफ्तर जाते हैं।

कृष्णा जी - आइए अग्रवाल जी आप सभी को नमस्कार.....

बैठिए..

अग्रवाल जी - कृष्णा बहन ये हैं सिम्मी सोन, जिनके बारे में फोन पर बात की थी।

कृष्णा जी - जी बिल्कुल सब याद है। सिम्मी सोन sister सबसे पहले आप अपने को बेसहारा ना समझे। हम आपके साथ है।

अग्रवाल जी - कृष्णा बहन मैंने जैक की सब पेपर इटली से मेल से मंगवा लिए। फ़ाइल तैयार है।

कृष्णा बहन - ठीक है हम भी प्रेस विज्ञप्ति से सभी समाचारों में खबर डालते हैं। आप केस फाइल कीजिए।

अग्रवाल जी- धन्यवाद कृष्णा बहन। हम कोई भी कसर नहीं छोड़ेंगे। मैं आज ही केस फाइल कर रहा हूँ। तीन दिन में ही नोटिस पहुंच जाएगा पवन के घर में...

कृष्णा बहन - बहुत ठीक... सिम्मी सोन सिस्टर को न्याय जरूर मिलेगा.... वो निराश नहीं लौटेंगी।

सिम्मी बहन घबराना मत आपका रहने का इंतजाम हमने कर दिया आप आराम से रहो....

सिम्मी सोन- thanks alot sister ... मैं तो डर रही थी। कैसे होगा .... हर country में आप जैसे इंसान मिल ही जाते हैं...

पवन का घर ...

अवनी (चुपचाप) - घर में किसी बात नहीं करती ।

पवन - सुनो मेरी बात। ऐसा नहीं कि हमें जैक से प्यार नहीं। सोचो तुम्हारा बेटा होता तो तुम क्या करती... जैक की माँ कैसे रहेगी अपने बेटे के बिना।

अवनी - और मैं कैसे रहूंगी उसके बिना। अब वो खुश रहने लगा था हमारे साथ।

पवन - my dear तब उसकी मजबूरी थी । उसे पता था वो अकेला है । जब से उसकी मां मिलकर गई है वो कितना उदास है।

अवनी - थोड़े दिन फिर सही हो जाएगा। पहले भी तो उदास रहता था। मैं उसे और अधिक प्यार दूंगी। और ध्यान रखूंगी।

पवन - डियर ऐसा नहीं होता । पहले और अब में फर्क है। पहले वह सोचता था उसके मां पापा नहीं। उसने हमें अपना मां पापा मान लिया था। अब वो जानता है कि उसकी माँ जिंदा है तो कैसे खुश रहेगा।

अवनी - उसकी मां आ ही क्यों??? मुझे नहीं पता मैं जैक के बिना नहीं रह पाऊंगी।

पवन - तुम्हें समझना होगा.... यह कहकर चला जाता है।

अगले दिन सुबह-सुबह चाय के समय योगेन्द्र जी चाय पी रहे हैं तभी अखबार पढ़ते हैं। अखबार में खबर है-

इटली की सिम्मी सोन का बेटा क्यों नहीं दिया जा रहा, गरीब महिला पर अत्याचार। इस प्रकार सारी खबर विस्तार से छपी है।

योगेन्द्र जी- (चिल्लाते हुए) पवन ओ पवन देख क्या न्यूज़ आई है...

सब आओ....

सब दौड़े दौड़े आते हैं।

माया जी - क्या हो गया ऐसा? आपने घर ही सिर पर उठा लिया..

योगेन्द्र जी - ये देखो क्या छपा। हमारे घराने इज्जत खराब हो रही है.. हमने क्या बच्चा चुराया है। बाकायदा गोद लिया है। पवन देखो इसका जवाब देना होगा...

माया जी - जो भी है लेकिन कोई माँ अपने जाये को कैसे छोड़ेगी।

सोचो तुम सब इंसानियत के नाम पर गलत है। हमें जैक को उसकी माँ को दे देना चाहिए।

पवन - मैं भी मां से agree हूं।

अवनी पवन की बात सुनकर गुस्सा हो जाती है।

पवन - समाचार संपादक से बात करता है।

समाचार संपादक - हमें सच्चाई छापनी पड़ेगी । सिम्मी सोन के support में पूरा महिला आयोग है। आगे भी छापनी पड़ेंगी...

पवन अपने पिताजी को सारी स्थिति बताता है।

योगेन्द्र जी - ये मुद्दा नाजुक हो सकता है । अवनी का बयान भी छपवाओ तभी कुछ ठंडा होगा...

अवनी - पापा जी आप सही कह रहे हैं। मैं भी अपनी सफ़ाई में लिखूंगी।

माया जी - हाँ बस यही मान सम्मान पर अड़े रहो। उस जैक के बारे में भी सोचो...

पवन - मान जाओ अवनी जैक अपनी माँ के बिना खुश नहीं रह पाएगा। अब तुम स्वार्थी हो रही हो...

घर का माहौल बहुत tension वाला हो जाता है।दो दिन बाद पवन के घर कोर्ट का नोटिस भी आ जाता है। पी सी अग्रवाल लॉयर के support से सिम्मी सोन ने अवनी और पवन के खिलाफ केस कर दिया है तीन बाद केस की सुनवाई है...

माया जी- पवन देख पढ़ कोर्ट का नोटिस...

अवनी - मां क्या हमें अपने लडना भी नहीं चाहिए। डरकर बैठ जाना चाहिए।

माया जी - बेटा मैं ये नहीं कह रही डरो... सोचो तो..

माया अवनी प्यार से बैठाती।

देख बेटा तेरा जन्म दिया हुआ बेटा तो तू भी यही करती । अन्याय हर हाल अन्याय है। मान जा जिद्द छोड़ दे...

हमें पता है हम गलत हैं।

ना उसकी मां खुश ना जैक खुश। उसे जबरदस्ती कैसे खुशियां दे पाएगी। उस दिन से वो बच्चा कितना उदास है।

मान जा बेटा। मैं तेरी भी feelings समझती हूं ‌। उसकी मां के पास कुछ भी नहीं जैक के सिवाय। तेरे साथ हम सब हैं।

अवनी (भावुक होते हुए) - ठीक है माँ.....

पवन - ओके मैं कागज़ तैयार करवाता हूं । बाकायदा written में जैक को सौंपेंगे। safety रहेगी...

पवन अपने वकील से बात करता है । चलो अवनी जैक को साथ ले लो । उसकी मां भी आ रही कोर्ट में। केस को भी खारिज करा देंगे...

अवनी उदास मन से पवन और जैक के साथ कोर्ट जाती है । बाकायदा पेपर्स पर साइन करके जैक को उसकी माँ को सौंप देते हैं....

तीन दिन बाद |