मेरी दूसरी मोहब्बत - 68 Author Pawan Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मेरी दूसरी मोहब्बत - 68

Parts 68: Pehli Maa

पवन अपनी फैमिली फोटो को प्रेस में छपने के लिए देता है।

अगले दिन सुबह-सुबह जब पवन के पिताजी नाश्ता करते हैं तो न्यूज़ पेपर में अपनी फैमिली फोटो देखकर झट से जैक को आवाज़ लगाते हैं।

पिताजी - जैक ओ जैक देखो तुम्हारी फोटो न्यूज पेपर में।

जैक भागा भागा आता है कहाँ कहाँ है।जैक फैमिली फोटो देखकर बहुत खुश हो जाता है।

जैक - दादा जी ये मैं ले लूँ ।

पिताजी - हाँ बिल्कुल तुम्हारे लिए ही है।

जैक न्यूज पेपर की फोटो अवनी के पास ले जाता है। माँ देखो हमारी फोटो अखबार में।

अवनी- वाह बहुत शानदार है।

जैक - माँ मैं अपनी फोटो इटली अवनी - अपने friend रोजर को भेज दूँ।

हाँ बिल्कुल लाओ मैं स्कैन करके मेल करा देती हूँ।

अवनी और जैक फैमिली फोटो रोजर को मेल कर देते हैं। रोजर की मेल reply आता है।

रोजर - वाह जैक you are very lucky. I am happy for you.

रोजर अपने सभी फ़्रेंड्स को जैक के बारे में बताता है। कुछ दिनों बाद रोजर इटली के न्यूज़ चैनल पर एक खबर देखता है कि उस दिन swan बिल्डिंग के घायल लोगों को krim hospital में भर्ती कराया गया था। जिसमें उसके अंकल आंटी और जैक के माता-पिता थे। उनमें से कुछ लोग ठीक हो गए हैं। इटली सरकार डाक्टर्स और स्टाफ की बढ़ाई करती है। धन्यवाद देती है । एक लिस्ट जारी की जाती है। लिस्ट में दिए गए नाम में कोई किसी का परिजन हो तो तुरंत krim hospital में आकर सम्पर्क करें।

रोजर लिस्ट में जैक की माँ का नाम देखता है। "सिम्मी सोन"

रोजर - ये तो जैक की माँ का नाम है।

रोजर तुरंत hospital जाता है। वहाँ रजिस्टर में "सिम्मी सोन" चैक करता है और सिस्टर से पूरी इन्फोर्मेशन लेता है। ढूंढते हुए सिम्मी सोन के वार्ड में पहुँच जाता है।

रोजर - आंटी कैसे हो आप?

सिम्मी सोन- ठीक हूँ अब तो पूरे दो महीने होने को हैं। जैक के पापा तो नहीं बचे। एक बात बता ये जैक क्यों नहीं आया?

रोजर ( झिझकते हुए) आंटी वो अब.....

सिम्मी सोन - अरे बोल क्या हुआ? कुछ बोलेगा। मैं बहुत ‌घबरा रही हूँ।

रोज़र - आंटी जैक इटली में नहीं है । वो इंडिया में है।

सिम्मी सोन - क्यों इंडिया किसके पास गया ?...

रोजर - आंटी जब आप दोनों के न होने का पता चला तो जैक एकदम अकेला हो गया था। तभी इटली में आए एक कपल अवनी और पवन ने उसे बाकायदा गोद ले लिया।

सिम्मी सोन- (रोते हुए)ओह नो ! मैं जैक के बिना नहीं रह सकती। अपने बेटे के बिना मेरा जिंदा रहना बेकार है। रोजर तुम जानते हो इंडिया में कहां है वो...

रोजर - हां आंटी अभी कुछ पहले ही तो उसकी फैमिली फोटो अखबार में छपी थी।

सिम्मी सोन - तू मुझे इंडिया ले चलेगा बता।

रोजर - ठीक है आंटी मैं कुछ पैसों का इंतजाम करता हूँ। हमें लैटर भी बनवाना होगा मिनिस्ट्री से।

रोजर पैसे का इंतजाम कर मेल से जैक के सारी details निकालता है। मिनिस्ट्री आफिस में रोजर और उसकी माँ सारी बात बताती है। वहाँ कि रिसैपनिस्ट जैक की details निकालती है।

रिसैपनिसट - मैडम जैक मिस्टर पवन और मिसेज पवन ने कानूनी तौर गोद लिया है । अब कुछ नहीं हो सकता।

सिम्मी सोन - मैडम मैं अपने बेटे बिना कैसे जी पाउंगी । वो ही मेरे जीने का सहारा है।

रिसैपनिसट - आप अपनी जगह ठीक लेकिन कानून के भी अपने rule regulations होते हैं।

सिम्मी सोन - मैडम कुछ भी करो। कोई रास्ता तो होगा।

रिसैपनिसट- हम आपको humanitarian ground पर एक लैटर दे रहें । गोद लेने वाले इंडियन कपल के नाम। लेकिन आपको समझना है कि totally उनकी मर्जी पर निर्भर है।

सिम्मी सोन - ठीक ‌है मैम । मैं अपने बेटे के लिए उनके हाथ पैर भी जोडूगीं।

रिसैपनिसट - लीजिए लैटर। अच्छा होगा यदि आपको आपका बेटा मिल जाए। all the best

सिम्मी सोन - thanks madam ji .

जैक तुरंत इंडिया की टिकट कराता है। रोजर और सिम्मी सोन दोनों इंडिया के लिए aeroplane मैं ‌बैठे हैं। सिम्मी सोन बहुत उदास मन से जैक की बातें याद करती है । रोजर को बताती है...पता है रोजर जैक को आलू के परांठे बहुत पसंद हैं। वो भी सिर्फ मेरे हाथ के परांठे ।उसे फाइव स्टार के होटल के भी नहीं भाते थे। बस आलू के परांठे और इटली सैर ये दो शौक थे उसके। कभी उसने मुझे तंग नहीं किया। आठ साल की उम्र से कमाने लगा था वो... मुझसे कहता माँ एक दिन मैं खूब कमाउगाँ । तुझे aeroplane में घुमाऊंगा। क्या पता था उसके लेने ही जाना पड़ेगा। जैक की मेमोरी मेरे माइंड में ही रहती है। इसके पापा भी नहीं । मैं क्या करूंगी। सोचते सोचते नींद लग जाती है।

रोजर - आंटी जी उठो। हम इंडिया एयरपोर्ट पर पहुंचने वाले ‌हैं।

सिम्मी सोन- अच्छा, कितनी देर में मैं जैक को देख पाऊंगी।

रोजर - बस जल्दी ही।

सिम्मी सोन की आंखों में चमक आ जाती है।

रोजर और सिम्मी सोन एयरपोर्ट से टैक्सी करते हैं और address पूछते पूछते सीधे पवन के घर पहुंचते हैं। दोनों चौकीदार को सब बताते हैं ! चौकीदार अंदर बंगले में फोन करता है। पवन के पिताजी को फोन से सारी जानकारी मिलती है और वो चौकीदार को सिम्मी सोन और रोजर को अन्दर आने लिए permission दे देते हैं।

अब रोजर और सिम्मी सोन हाल में बैठे इंतजार कर रहे हैं। नौकर पानी लाता है । दोनों पानी पीते हैं।

सिम्मी सोन - कितना बड़ा बंगला है.... जैक यहाँ रहता है? आलीशान बंगला है।

रोजर - हाँ आंटी ।

सिम्मी सोन - अगर जैक का मन नहीं हुआ तो आने का। मैं क्या करुंगा??

तभी पवन के पिताजी,माँ और जैक हाल में enter करते हैं।

जैक अपनी मां को देखकर तुरंत उसके गले लग जाता है। सिम्मी सोन जैक को चूमते चूमते रोने लगती है। जैक भी रोने लगता है।

सिम्मी सोन - अरे तू मां को भूल गया।

जैक - नहीं माँ मुझे बहुत याद आती है। लेकिन क्या करता सब कहते थे तू और पापा God को प्यारे हो गए।

तभी नौकर चाय नाश्ता ले आता है।

योगेन्द्र जी - मैं पवन का पिताजी और ये पवन की माँ माया जी हैं।

सिम्मी सोन - जी बाबूजी ‌आप बहुत बड़े लोग हैं ‌। मैं गरीब हूं। मेरे पास जैक के सिवाय कुछ नहीं है। मुझे मेरा बेटा वापिस दे दो। मैं अपने son की भीख मांगती हूं । दे दो सर जी।

माया जी- देखिए हम कुछ नहीं कर पाएंगे । अभी अवनी और पवन आने वाले हैं । वहीं बताएंगे।

आप चाय नाश्ता लो।

सभी चाय नाश्ता ले रहे हैं तभी अवनी और पवन आ जाते हैं। अवनी जैक की माँ को देखकर हैरान होती है ।

सिम्मी सोन- मैडम मुझे मेरा सन दे दो। मैं आपका बहुत thanks करती हूं। इसके बिना मैं नहीं जी सकती।

अवनी - जैक को खींचते हुए ये मेरा बेटा है हमने कानून गोद लिया है।

पवन - अवनी, सिम्मी सोन जी की बात सुनो ...

अवनी - नहीं मैं जैक के बिना नहीं रह सकती । वो मेरा बेटा है । हमने लिगली गोद लिया है । ऐसे कैसे ??? मैं जैक को नहीं दूंगी । और जैक को अपने कमरे में ले जाती है।

पवन - हमें माफ कर दो। अवनी का लगाव जैक के साथ बहुत ज्यादा है। वो जल्दी नहीं मानेगी । मैं समझाऊंगा उसे। आप भी माँ हो माँ के emotions को समझो।

सिम्मी सोन- आप बड़े लोग हैं rich हैं। मेरे पास तो जैक के सिवाय कुछ नहीं... मैं क्या करूं अब।

उधर अवनी अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है। जैक भी उसी के साथ है।

अवनी - कुछ हो जाए मैं जैक को नहीं दूंगी। इनको बोलो यहां से चली जाएँ |