त्रियाची - 20 prashant sharma ashk द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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त्रियाची - 20

भाग 20

प्रणिता- सप्तक ने जो बताया है उसके बाद मुझे कुछ डर लग रहा है। 

अनिकेत- इसमें डरने की क्या बात है प्रणिता। हमारे मन में किसी बात का डर नहीं होना चाहिए। हम एक अच्छे काम को करने के लिए जा रहे हैं, इसलिए इस डर को अपने मन से हमेशा के लिए निकाल दो। 

रॉनी- हां प्रणिता मेरा अनुभव भी यही कहता है कि यदि आपके मन में डर है तो आप किसी भी क्षण कमजोर पड़ सकते हो। इसलिए इस डर को दूर कर दो। 

यश- प्रणिता का डर जायज है। तुम लोगों ने सुना नहीं था सप्तक जी ने कहा कि उनका एक-एक सैनिक हम पांचों पर भारी पड़ सकता है। 

अनिकेत- हां पर यह भी कहा था कि यदि हम सब एक रहे तो इस युद्ध में विजय प्राप्त कर सकते हैं। 

तुषार - पर यह जीत तय नहीं है। पता नहीं वो कितने लोग होंगे और हम सिर्फ पांच है। 

यश- उनका एक सैनिक यदि पर हम पर भारी पड़ सकता है तो वो यदि हजार या 10 हजार हुए तो हम उनका सामना कैसे करेंगे ? 

रॉनी- फिलहाल इन बातों को सोचने से बेहतर है कि यह सोचो कि युद्ध होगा तो हमारी रणनीति क्या होगी। दुश्मनों की संख्या एक हो या 10 हजार हो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

अनिकेत- और फिर हमारे पास हमारी विशेष शक्तियां भी तो है। उन शक्तियों से हम अपने दुश्मन को मात देंगे। दो को दे चुके हैं अब जितने आएंगे उनका भी वहीं हाल करेंगे।

तुषार - तो फिर तुम लोग ही बताओं कि युद्ध हुआ तो क्या और कैसे करना है ? 

प्रणिता- सप्तक जी के अनुसार युद्ध होना तय है। हमें अपने दुश्मन की संख्या और उसकी ताकत का फिलहाल कोई अंदाजा नहीं है। इसलिए हमें बहुत अधिक सोच विचार कर ही आगे की रणनीति बनानी होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि हम सिर्फ पांच है और दुश्मन की संख्या का पता नहीं। 

यश- हां और सप्तक जी ने भी कह दिया है कि वे इस युद्ध में हमारी कोई मदद नहीं कर सकते हैं। यह युद्ध हम ही लोगों को लड़ना होगा। 

रॉनी- हम लड़ेगें और जीतेंगे भी। अब तुम अपने डर को मन से निकाल दो। अपने आप पर यकीन करो। सप्तक जी ने हमें जो विशेष शक्तियां दी है उन पर विश्वास करो और जंग के मैदान में कूद पड़ो, जीत सिर्फ हमारी ही होगी। सामने दुश्मन कितना ही ताकतवर क्यों ना हो, परंतु हमारी जीत के विश्वास के आगे वो टिक नहीं पाएगा। 

अनिकेत- हां ना सिर्फ मानव जाति बल्कि पूरी पृथ्वी को बचाने की जिम्मेदारी हम पर है और तुम लोग ऐसे डरोगे तो युद्ध कैसे करोगे। अपने जीवन के उन लम्हों को याद करो जब डर से आगे बढ़कर तुम लोगों ने जीत हासिल की थी। यश तुमने अपना एक मुकाम हासिल किया था, क्योंकि तुम कभी किसी से डरे नहीं थे। तुषार तुम तो बिजनेस के आइकॉन रहे हो क्योंकि तुमने जो निर्णय लिया उस पर अडिग रहे और हमेशा सफलता हासिल की। प्रणिता तुम भी वो लड़की हो जो अब तक सिर्फ राधिका के साथ इस दुनिया से लड़ती आ रही हो। आज भी तुम्हें सिर्फ लड़ना ही है। ये लड़ाई सिर्फ हम ही जीतेंगे यह तय कर लो तो फिर हमें कोई नहीं करा सकता। हम सब साथ है। 

रॉनी- तो फिर यह तय है कि हमें युद्ध करना है, अब कैसे युद्ध करना है हम उस पर बात कर लेते हैं। 

अनिकेत- हां रॉनी बिल्कुल। 

यश- पर हम अपने दुश्मन के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते हैं। उसके बारे में क्या करेंगे ? 

तुषार - हां ना तो हमने दुश्मन को देखा है और ना ही हमें उसकी ताकत का कोई अंदाजा है, वो कितनी संख्या में होंगे हमें यह भी पता नहीं है। 

रॉनी- हां हम जानते हैं यह बातें, इसलिए ही हम युद्ध को लेकर बात कर रहे हैं। 

अनिकेत- हम पहले से ही बात कर ले तो हमें आसानी होगी। रॉनी तुम कुछ कह रहे थे वो बताओ। 

रॉनी- मैं बस इतना ही कहना चाहता था कि जब हम एक अंजान दुश्मन से टकराने जा रहे हैं तो सबसे पहले हमें अपनी विशेषताओं पर विश्वास रखने की जरूरत है। यानि कि हमारे पास जो शक्तियां है हम उस पर यकीन रखें तो हम युद्ध में अंजान दुश्मन पर भी भारी पड़ सकते हैं। दूसरी बात यह है कि यदि हमें दुश्मनों की संख्या के बारे में नहीं पता है तो हमें खुद पर यकीन बनाए रखना होगा कि हम किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम है और सबसे जरूरी बात यह है कि हम पांचों को एक रहना होगा। यदि कोई मुसीबत है तो दूसरा उसकी मदद के लिए तत्काल पहुंच जाए। 

प्रणिता- मेरा एक सवाल है कि यदि कोई मुसीबत है और दूसरा उसकी मदद को नहीं पहुंच पा रहा है तो फिर क्या करेंगे ? 

अनिकेत- उस स्थिति में यह हल है कि यदि आप उस स्थिति से निपट सकते हैं तो ठीक है नहीं तो वहां से कुछ देर के लिए दूर हो जाए और जब तक मदद ना मिल जाए कोई कदम ना उठाए। 

रॉनी- और हमें यह युद्ध सिर्फ जीतने के लिए लड़ना है। अब किसी कोई और सवाल ? 

प्रणिता, अनिकेत, यश, तुषार - नहीं। 

रॉनी- तो फिर ठीक है अब हम अपनी-अपनी जगह पर पहुंच जाते हैं और आपस में संपर्क में रहेंगे। 

इसके बाद सभी वहां से निकल जाते हैं। एक ओर जहां से पांचों युद्ध की तैयारियां कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर मगोरा और उसके साथियों ने धरती के मानवों की एक विशाल सेना तैयार कर ली थी। दिन बीतते जा रहे थे और त्रियाची धरती पर आने का समय नजदीक आता जा रहा था। मगोरा और उसके साथियों ने धरती के मानवों की स्मृति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और उन्हें अपने वश में कर लिया था। करीब एक करोड़ धरती के मानव उनकी सेना में शामिल हो गए थे। उनके हाथों में मगोरा उनके साथियों ने काफी खतरनाक हथियार थमा दिए थे। उन हथियारों के साथ वे मानव होकर भी किसी राक्षस के समान लग रहे थे, जो सब कुछ खत्म करने पर उतारू थे। युद्ध की इस तैयारी को सप्तक उस खंडहर में बैठकर देख रहा था और उसकी चिंता लगातार बढ़ती जा रही थी। क्योंकि प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, यश और तुषार को अब इस युद्ध को जीतने के लिए मानवों से भी संघर्ष करना था। यह युद्ध बहुत भयंकर होने वाला था और इसका सबसे अधिक नुकसान पृथ्वी और पृथ्वी पर रहने वाले मानवों को भुगतान था। चाहकर भी सप्तक कुछ करने की स्थिति में नहीं था। धरती के पुराने मानवों और आज के मानवों के बीच होने वाले इस युद्ध का क्या अंजाम होगा यह तो अभी पता नहीं था परंतु विनाश होगा यह तय था। सप्तक कभी आसमान को देखता था तो कभी धरती को देखता था। उसे मानव जाति की चिंता हुए जा रही थी और उन्हें बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ उन पांच लोगों पर थी। 

वक्त अपनी तेजी से आगे बढ़ता गया और फिर वो दिन भी आ गया जब त्रियाची त्राचा ग्रह से पृथ्वी के लिए निकल गया था। उसके साथ करीब 50 हजार से अधिक लोग शामिल थे जो कि मगोरा से शक्ति के मामले में किसी भी तरह से कम नहीं थे। उनके हथियार कुछ ऐसे थे कि पलक झपकने के साथ ही वो किसी भी चीज को नष्ट कर सकते थे। ताकत के मामले में हर व्यक्ति 100 हाथियों का बल रखता था। ऐसे में धरती पर होने वाले युद्ध में धरती के रक्षक के रूप में युद्ध में लड़ने वाले प्रणिता, रॉनी, अनिकेत, यश और तुषार के लिए कुछ भी आसान होने वाला नहीं था। त्राचा ग्रह से निकलने से पहले त्रियाची ने अपनी सेना से कहा था कि धरती पर यदि युद्ध होता है तो वे धरती से किसी भी हाल में ना जुड़े यदि जुड़ते हैं तो अपनी रक्षा स्वयं करें। त्रियाची ने उन्हें यह भी बता दिया कि मगोरा ने उसे सूचना दी है कि कोई पांच मानव है तो संभवतः युद्ध कर सकते हैं और हमें बस उनसे ही बचना है बाकि लोग अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ शक्तिपूंज को हासिल करने में लगाएंगे। यदि युद्ध होता है तो आधी सेना और खुद त्रियाची वह युद्ध करेंगे और बाकि बचे हुए लोग धरती से शक्तिपूंज को निकालने का कार्य करेंगे। पृथ्वी और त्राचा ग्रह पर युद्ध का पूरी तरह से माहौल बन चुका था और पृथ्वी पर रहने वाले मानव इस होने वाले विनाशकारी युद्ध से अब तक अंजान थे। 

एक चमचमाता गोला धरती पर आकर गिरता है। इस गोले के गिरने के साथ ही आसपास का क्षेत्र भी आग के गोले में बदल जाता है। वो गोला एक यान था, जिसमें त्रियाची और उसकी सेना धरती पर आक्रमण करने के लिए आए थे। त्रियाची ने अपने आने की सूचना मगोरा को पूर्व में ही दे दी थी, इस कारण मगोरा अपने साथियों के साथ अपने राजे की अगवाई के लिए तैयार था। अपने राजे के सामने मगोरा ने एक करोड़ से अधिक मानवों की सेना को प्रस्तुत कर दिया। मानवों की इतनी बड़ी सेना को देखकर त्रियाची बहुत खुश हो रहा था।