त्रियाची - 5 prashant sharma ashk द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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त्रियाची - 5

भाग 5

प्रणिता- कौन थे ये लोग ? 

रॉनी- तुम्हारा ही नाम प्रणिता है ? 

प्रणिता- हां तुम कैसे जानते हो ? 

रॉनी- बस ऐसे ही।

प्रणिता- और ये लोग कौन थे ? 

रॉनी- ये तुम्हारे लिए ही आए थे। 

प्रणिता- मेरे लिए ? 

रॉनी- हां, अगर तुम्हारा ही नाम प्रणिता है तो फिर ये लोग तुम्हारे लिए ही आए थे। 

प्रणिता- पर ये लोग है कौन और मैंने इनका क्या बिगाड़ा है ? 

रॉनी- ये विशेष धवन यानि वीडी के लोग थे। अब उसका तुमने क्या बिगाड़ा है वो तुम जानो। 

प्रणिता- वीडी का नाम सुनकर प्रणिता थोड़ा डर जाती है ओह वीडी। 

रॉनी- तुम्हारा उससे क्या लेना-देना है ? 

प्रणिता- कुछ नहीं, वैसे तुम कौन हो ? 

रॉनी- मेरा नाम रॉनी है और मुझे एक कॉल आया था कि मैं तुम्हारी जान बचाउं, जिसके लिए मुझे रूपए दिए गए हैं। 

प्रणिता- किसका कॉल आया था और किसने रूपए दिए हैं ? 

रॉनी- वो मैं नहीं जानता, बस कॉल आया और अकांउट में रूपए आ गए। मैं तो बस अपना काम कर रहा हूं। 

प्रणिता- मतलब तुम मेरा पीछा कर रहे हो ? 

रॉनी- नहीं बस तुम्हारी जान बचा रहा हूं। वैस तुमने विशेष का क्या बिगाड़ा है, जो उसके आदमी तुम्हारे पीछे लगे हैं। 

प्रणिता- मैं तो उसे जानती तक नहीं हूं। 

रॉनी- तो फिर से लोग यहां क्या कर रहे थे ? 

प्रणिता- मुझे नहीं पता। 

रॉनी- देखों जो भी सच है बता दो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं। 

तभी राधिका भी वहां आ जाती है और रॉनी और प्रणिता की बात सुन लेती है। 

राधिका- ये सच नहीं बताएगी मैं बताती हूं। 

रॉनी- आप कौन ? 

राधिका- इसकी दोस्त या बड़ी बहन जो भी मानना चाहो मान सकते हो। वैसे इस दुनियां में हम दोनों ही एक-दूसरे का सहारा है। 

रॉनी- ठीक है तो आप ही सच बता दो। 

राधिका- इसके पास एक कॉल आया था। कॉल करने वाले बंदे ने अपना नाम तो नहीं बताया था, पर इसे यह काम सौंप दिया था। इस काम के बदले उसने हम दोनों के अकाउंट में कुछ 25 करोड़ जमा करा दिए। इतनी रकम देखकर ये बावरी हो गई और इसने किसी कंपनी के कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट चुरा लिए हैं। अब उनका करना क्या है यह अब तक नहीं पता है क्योंकि कॉल करने वाले ने अब तक दोबारा कॉल नहीं किया है और यह मुसीबत और पीछे लग गई है। 

रॉनी- जब तक मैं हूं यह मुसीबत आप लोगों का बाल भी बांका नहीं कर पाएगी। 

प्रणिता- पर आप इतना खतरा क्यों मौल ले रहे हैं हमारे लिए। 

रॉनी- मैंने पहले भी बताया कि मुझे किसी ने कहा है। जैसा एक कॉल आपके पास आया था वैसा ही एक कॉल मेरे पास भी आया था। मुझे भी आपकी सुरक्षा के लिए 25 करोड़ रूपए दिए गए हैं।

राधिका- मुझे एक बार समझ नहीं आ रही है कि यह कॉल करने वाला है कौन है और ये चाहता क्या है ? 

प्रणिता- हां मुझे चोरी करने के लिए कहता है और इन्हें मेरी जान बचाने के लिए। आखिर उसका मकसद क्या है ? 

अनिकेत- और मुझे तुम्हारा पता लगाने के लिए कहता है। 

तुषार - और मुझे तुम्हारा पता लगाने के लिए इन्हें पेमेंट करने के लिए कहता है। 

प्रणिता, राधिका और रॉनी और दो लोगों को अपने सामने पाकर सोच में पड़ जाते हैं। 

अनिकेत- मेरा नाम अनिकेत है और मैं प्राइवेट जासूस हूं और इन्हें तो तुम सभी जानते होंगे ये हमारे शहर के बहुत बड़े बिजनेस मैन तुषार । 

प्रणिता- पर आप लोगों का इस केस से क्या लेना-देना है ? 

अनिकेत- लेना-देना तो कुछ नहीं है। मेरे पास भी एक कॉल आया था कि किसी कंपनी के डॉक्यूमेंट चोरी होने वाले हैं और मैं उस हैकर का पता लगाउं। 

प्रणिता- तो आपने पता लगा लिया ? 

अनिकेत- पता नहीं लगाया होता तो यहां नहीं होता। 

रॉनी- और मिस्टर तुषार आप ? 

तुषार - मुझे अपने बिजनेस को बचाने का कहा गया था। मुझसे कहा कि एक जासूस है जो यह काम कर सकता है मुझे बस उसको कुछ पेमेंट करना है। फिर मुझे इनका नाम पता दिया गया और मैंने इन्हें पेमेंट कर दिया। 

राधिका- ये कॉल करने वाला आखिर खेल क्या खेल रहा है ? 

अनिकेत- ये खेल सिर्फ हमारे साथ ही खेला गया है या कोई और भी है ? 

यश- मैं भी हूं। 

रॉनी- अब तुम कौन हो ?

यश- मेरा नाम यश है और स्टूडेंट लीडर हूं। मुझे इस चोरी के मुद्दे को उछालने के लिए कहा गया था। 

तुषार - इसके लिए तुम्हें कितने रूपए दिए गए हैं ?  

यश- मुझे रूपए नहीं मिले हैं मुझे इससे मेरे राजनीतिक कैरियर में फायदा होने की बात कही थी। हुआ उल्टा यहां तो अब जान के लाले पड़ गए हैं। 

रॉनी- क्या कोई नहीं जानता कि कॉल किसने किया था ? अनिकेत तुम तो जासूस हो तुम पता करो। 

अनिकेत- मैंने कोशिश की थी पर उसका कुछ पता नहीं चल सका। 

प्रणिता- पर तुमने मेरे बारे में कैसे पता कर लिया ?

अनिकेत- मैं पहले पुलिस डिपार्टमेंट में था, बस वहीं से कुछ मदद ली और कुछ मेहनत की तो पता चल गया। 

राधिका- पर अब इस मुसीबत से छुटाकारा कैसे पाया जाए ? 

तुषार - हां क्योंकि मुझे पता चला है कि वीडी के लोग अब हम सभी को तलाश कर रहे हैं क्योंकि किसी न किसी तरह से हम सभी उसके इस मामले से जुड़े हुए हैं। उसे लगता है कि मुझे इस चोरी के बारे में पता था और मैंने ही प्रणिता के बारे में पता लगाने के लिए अनिकेत को रूपए दिए हैं। 

यश- तो फिर वो मेरे पीछे क्यों पड़ा है ? 

तुशार- उसकी कंपनी में हुई चोरी को अब तुम मुद्दा बनाओगे तो क्या वो तुम्हें छोड़ेगा। वो इस बात को छिपाकर रखना चाहता था और तुमने सभी को बता दिया। 

यश- ओह ऐसा। 

तुषार - एक बार को रॉनी बच जाता पर इसने उसके आदमियों को मार कर उससे सीधी दुश्मनी मोल ले ली है। जितना मैं उसे जानता हूं वो अब हम में से किसी को छोड़ने वाला नहीं है। कहने को बिजनेस मैन है पर है असल में एक गुंडा। अपने पैसों के दम पर वो कुछ भी कर सकता है। कई राजनैतिक लोग यहां तक की पुलिस बड़े अधिकारियों से उसकी खासी जान-पहचान है। 

राधिका- तुषार तुम डरा रहे हो या बता रहे हो। 

तुषार - फिलहाल तो मैं बता रहा हूं। 

रॉनी- जब तक मैं हूं किसी को कुछ नहीं होने दूंगा। 

अनिकेत- रॉनी तुम्हें उसकी ताकत का अंदाजा नहीं है। मैं तुम्हारे हौंसले की दाद देता हूं पर तुम अकेले उसका सामना नहीं कर सकते हो। 

राधिका- क्या हम वीडी से मिलकर उसे सारी बात बता दें तो क्या वो हमें छोड़ देगा ? 

तुषार - पर हम उसे अपनी बात का यकीन कैसे दिलाएंगे ? 

प्रणिता- मेरे पास इतना पैसा है कि मैं यह देश ही छोड़ दूंगी उसके बाद वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। 

अनिकेत- तुम्हारा ऐसा सोचना गलत है प्रणिता, तुम देश तो क्या यह शहर भी छोड़कर नहीं जा सकती हो, क्योंकि उसके आदमी हर पल तुम पर नजर रखे हुए होंगे। 

यश- तो इन सबसे निकलने का तरीका क्या है ? 

तुषार - फिलहाल तो कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए। 

राधिका- मुझे लगता है कि आराम से बैठकर सोचते हैं कुछ तो हल निकलेगा ही। 

तुषार - ठीक है मेरा एक फार्म हाउस है वहां चलते हैं वो जगह फिलहाल हम सभी के लिए सुरक्षित भी होगी। 

सभी लोग वहां से तुषार के फार्म हाउस के लिए निकल जाते है। रास्तें में सभी ने अपने लिए थोड़ा सामाने ले लिया था। कुछ ही देर में सभी लोग तुषार के फार्म हाउस पर होते है। एक बार फिर सभी इस परिस्थिति से निकलने के लिए सोच रहे होते हैं, तभी प्रणिता के फोन बज उठता है। 

प्रणिता- कोई अंजान नंबर है। 

रॉनी- फोन उठाओ। 

राधिका- नहीं कहीं वीडी का हुआ तो। 

रॉनी- जो भी होगा देख लेंगे फिलहाल फोन उठाओ। हो सकता है उसी का कॉल हो और वो तुमसे उन डॉक्यूमेंट की मांग करें। 

तुशार- हां फोन उठाओ। हो सकता है वो डॉक्यूमेंट लेने के लिए खुद आए या कोई और रास्ता बताए तो हमारे पास एक चांस होगा कि हम उस तक पहुंच सके। 

प्रणिता- ठीक है। हैलो। 

कॉलर- वाह आखिर तुमने मेरा काम कर ही दिया। 

प्रणिता- ये किस मुसीबत में फंसा दिया है तुमने ? 

कॉलर- क्यों मैंने तुमसे कहा नहीं था कि इसमें कुछ खतरा हो सकता है, और तुमने कहा था कि मैं इन बातों के परवाह नहीं करती। 

प्रणिता- पर इसका मतलब ये तो नहीं था कि लोग मेरी जान के पीछे पड़ जाएंगे। 

कॉलर- मैं जानता था इसलिए तो रॉनी को तुम्हारे पीछे भेज दिया था। 

प्रणिता- यश, अनिकेत और तुषार को इसमें क्यों फंसाया है तुमने ? 

कॉलर- मैंने सोचा था कि एक न एक दिन तुम सभी आपस में मिल जाओगे पर इतना जल्दी मिल जाओगे यह नहीं सोचा था। 

प्रणिता- बात को घुमाओ मत बताओ तुमने ऐसा क्यों किया ? आखिर क्या खेल खेल रहे हो तुम हम सब के साथ ? 

कॉलर- खेल... खेल तो अब शुरू होगा प्रणिता। 

रॉनी- मतलब क्या है तुम्हारा ? आखिर करना क्या चाहते हो तुम ? 

कॉलर- तुम बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते हो रॉनी। थोड़ा शांत रहा करो। देखो अब तक शांत थे तो सब कुछ कितना आराम से तुम्हारे सामने आ गया। 

रॉनी- मैं तुम्हें छोडूंगा नहीं। 

कॉलर- ये बातें हम बाद में कर लेंगे अगर तुम वीडी से बच गए तो। फिलहाल ये सोचो कि वीडी से कैसे बचना है ?

तुषार - आखिर तुम चाहते क्या हो ? हमें इस सब में फंसाने के पीछे तुम्हारा मकसद क्या है ?  

कॉलर- फिलहाल तुम्हारे पास दो रास्तें है या तो खुद को वीडी के हवाले कर दो और फिर वो तुम्हारे साथ क्या करेगा वो तो मुझे भी पता नहीं या फिर उसके खिलाफ सब एक साथ होकर लड़ो और उसका खात्मा कर दो। वैसे तो तुम पांच ही थे पर अब तो राधिका भी तुम्हारे साथ है। 

इतना कहने के साथ ही कॉलर का फोन कट हो जाता है। कॉलर ने इन सभी के बीच में एक आग लगा दी थी। अब ये इन पांचों पर निर्भर करता था कि इस आग को हथियार बनाकर वो वीडी का खात्मा करते हैं या खुद ही इस आग में जल जाएंगे। वैसे प्रणिता, रॉनी, यश, अनिकेत और तुषार के पास सिर्फ एक ही रास्ता था और वो था कि उन सभी को वीडी के खिलाफ जंग का एलान करना ही था। ये जंग होगी या नहीं यह तो वक्त की गर्दिश में छिपा था। एक ओर जहां ये पांचों बिना बुलाई वीडी नामक की मुसीबत में फंसे हुए थे, वहीं दूसरी ओर ध्यान में बैठा सप्तक अचानक आंख खोल देता है। उसके आंख खुलने के बाद उसके चेहरे में चिंता साफ नजर आ रही थी। वह कुछ देर उसी खंडहर में घूमता रहता है और फिर बाहर निकल जाता है। वह कुछ देर तक आकाश की ओर देखता है और फिर जमीन से मिट्टी उठाकर उसे हवा में उड़ा देता है। उसकी इन हरकतों को देखने वाला कोई नहीं था पर सप्तक की यह हरकतें आखिर क्यों कर रहा था ? उसे क्या चिंता थी जो वो कभी ध्यान में बैठ जाता था और कभी खंडहर से बाहर निकल आता था। वो फिर से खंडहर में गया ही था कि जिस जगह वो खड़ा था ठीक उसी जगह बड़ा सा पत्थर आकर गिरता है। वो आवाज सुनकर फिर से बाहर आता है और उस पत्थर को बड़े गौर से देखता है। फिर वो आसमान की ओर देखता है और कहता वो आ रहा है... वो आ रहा है... तुम लोग जल्दी तैयार हो जाओ वरना चारों और विनाश ही विनाश होगा। इतना कहने के बाद वो फिर से खंडहर में चला जाता है और फिर से ध्यान में बैठ जाता है। इधर तुषार के फार्म हाउस पर उन पांचों के बीच का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रणिता और राधिका एक ओर थे और बाकि चार इस पूरे मामले को लेकर प्रणिता को दोषी ठहरा रहे थे।