त्रियाची - 7 prashant sharma ashk द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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त्रियाची - 7

भाग 7

इतना कहने के साथ ही वीडी अनिकेत पर हमला कर देता है। तुषार और यश बीच बचाव के लिए आते हैं पर वीडी में सच में इन सभी पर भारी पड़ रहा था। इसी बीच रॉनी और प्रणिता भी वहां आ जाते है। वो वहां आकर देखते हैं कि वीडी तुषार, अनिकेत और यश पर भारी पड़ रहा है। इस लड़ाई में अब रॉनी भी कूद जाता है। राधिका को जो अब तक एक ओर डरी सहमी खड़ी थी वो प्रणिता को देखकर उसके पास आस जाती है। रॉनी के आ जाने के बाद भी वीडी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन पांचों के बीच हाथापाई चल रही थी, तभी एक गन राधिका के पास आकर गिरती है प्रणिता जो कि उससें दूर थी और वो उससे जोर से कहती है राधिका दी गन उठाओ और शूट करो। राधिका हिम्मत करके गन उठाती है और गन से फायर कर देती है गोली वीडी के सिर के बीचों बीच लगती है और वो वही ढेर हो जाता है। वीडी के खत्म होने के साथ ही वो सभी वहां से निकल जाते हैं। हालांकि सभी के दिल में पछतावा था कि उन लोगों ने हत्या की है। सभी दुखी होते है और वहां से तुषार के फार्म हाउस पर पहुंच जाते हैं। 

राधिका- (जो अब तक सबसे अधिक सदमे में थी) मैं कातिल हूं... मैं कातिल हूं। 

प्रणिता- (जो राधिका को संभालने का प्रयास कर रही थी) नहीं दीदी हम में से कोई कातिल नहीं है। हमने जो कि अपनी जान बचाने के लिए किया है। 

अनिकेत- हां अगर हम उसे नहीं मारते तो वो हम सभी को मार देता है। 

राधिका- मैंने उसे गोली मारी है, तुमने नहीं। मैं कातिल हूं। 

प्रणिता- नहीं दीदी आप कातिल नहीं हो, आपने तो इन सभी की जान बचाई है। अगर आप उसे नहीं मारती तो वो इन सभी को मार देता। 

राधिका अब तक डरी हुई थी और रोए जा रही थी। वहीं सब उसे समझाने में लगे थे। तभी तुषार का फोन बज उठता है। एक बार फिर उसी कॉलर का फोन था। 

कॉलर- उम्मीद है तुम सभी ठीक हो। वैस कमाल कर दिया तुम सबने आखिर वीडी से छुटकारा पा ही लिया। 

तुषार - तुम क्यों इतना खुश हो रहे हो ? तुमने ही कहा था कि या तो हम उसे खत्म कर दे या फिर वो हमें खत्म कर देगा। 

कॉलर- हां कहा तो था। 

अनिकेत- तो बस उसमें से या हम में से कोई एक जिंदा रह सकता था तो हम जिंदा है। 

कॉलर- वैसे मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम सब मिलकर भी उसका सामना कर सको इतनी हिम्मत तुम लोगों में होगी पर तुम लोगों ने कर दिखाया। 

प्रणिता- अब क्या चाहते हो तुम ? अब क्यों कॉल किया है ? 

कॉलर- मैंने तो बस तुम सभी लोगों को बधाई देने के लिए कॉल किया है। 

रॉनी- वैसे अब वीडी खत्म हो गया है तो तुम्हारा काम भी खत्म हो गया होगा। कम से कम अब तो बताओ कि तुम कौन हो ? 

कॉलर- मुझसे मिलकर क्या करोगे रॉनी। अब तुम्हारे पास पैसा है, तुम्हारे बच्चे हैं उनके साथ जिंदगी का आनंद लो। 

तुषार - तुम अपनी पहचान छिपा क्यों रहे हो ? 

कॉलर- वैसे मेरे पास तुम लोगों के लिए एक काम और है? अगर तुम लोग करना चाहो। इस काम में कोई रिस्क नहीं है मतलब यहां कोई वीडी नहीं मिलेगा, बल्कि ये जो काम है उसे करके तुम सभी लोगों को बहुत अच्छा लगेगा। 

प्रणिता- हमें तुम्हारा कोई काम नहीं करना है। जो अपनी पहचान छिपा सकता है उसकी बात पर यकीन कैसे किया जा सकता है ?

कॉलर- पहचान तो मैंने पहले भी छिपाई थी प्रणिता फिर भी तुमने मेरा काम मुझ पर यकीन करके ही किया था। 

यश- तब हम तुम्हें जानते नहीं थे। 

कॉलर- जानते तो अब भी नहीं हो यश। 

अनिकेत- अब हमें तुम्हारी फितरत पता है। 

कॉलर- फितरत... ? मैंने तुम लोगों के साथ कोई धोखा नहीं किया। प्रणिता को मैंने पहले ही कहा था कि इस काम में खतरा है। रॉनी को एक ऑफर दिया था। यश को राजनीति में चमकने का एक रास्ता दिया था। अनिकेत को इस काम के बदले उसका एक काम करने का वादा किया था। तुषार को अपने बिजनेस को आगे बढ़ाने का एक मौका दिया था। ये तुम सभी लोगों की जरूरत थी और तुम खुद इस काम से अपनी मर्जी से जुड़े थे। 

अनिकेत- तो तुमने मेरा काम किया ? 

कॉलर- हां बिल्कुल किया ? 

अनिकेत- तो बताओ कहा है अंसारी ? 

कॉलर- उसकी पूरी जानकारी तुम्हारे घर पहुंच चुकी है अनिकेत। वैसे अगर तुम लोगों को लगता है कि मेरा एक ओर काम करना चाहिए तो शहर के बाहर कृष्ण मंदिर वाले खंडहर में पहुंच जाना। 

रॉनी- पहले काम बताओ। 

कॉलर- मैं फिर से कहूंगा अगर काम करने के इच्छुक हो तो खंडहर में पहुंच जाना। पर एक बात और आना सभी, सिर्फ एक से काम नहीं होगा। 

प्रणिता- क्या इस काम का भी दाम मिलेगा ? 

कॉलर- बिल्कुल मिलेगा और ऐसा दाम मिलेगा कि फिर शायद तुम लोगों को काम करने की जरूरत ही ना पड़े। 

अनिकेत- ऐसा क्या काम है ? 

कॉलर- बार बार एक ही सवाल करने से मेरा जवाब नहीं बदल जाएगा अनिकेत। तुम सभी उस काम को करने के इच्छुक हो तो खंडहर में आ जाना। 

इसके बाद कॉलर फोन कट कर देता है। वीडी के खौफ से बाहर निकलने के बाद फिर सभी वहां से अपने घर के लिए रवाना हो जाते है। अभी कुछ ही दिन हुए थे कि इनकी जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने वाली थी, तभी सभी के घर पर पुलिस पहुंच जाती है और सभी को वीडी के कत्ल का दोषी बताती है। हालांकि जब पुलिस उनके घर पहुंचती है उनमें से कोई भी अपने घर पर नहीं था, नहीं वे सीधे पुलिस की हिरासत में होते। एक बार फिर से मजबूरी में सभी को एक साथ होना पड़ता है और सभी फिर से तुषार के फार्म हाउस पर मिलते हैं। 

प्रणिता- ये परेशानियां तो पीछा ही नहीं छोड़ रही है। मैंने भी कहां उस कॉलर का फोन अटेंड कर लिया। 

अनिकेत- ये समय पिछली बातों को दोहराने का नहीं है, फिलहाल हमें ये सोचना है कि अब हम आगे क्या करें ? 

रॉनी- तुम पुलिस वाले रह चुके हो तुम बताओ कि क्या किया जा सकता है ? 

अनिकेत- खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए हमें ये साबित करना होगा कि वीडी हम सभी की जान लेने वाला था, सेल्फ डिफेंस में वो हमारे हाथों मारा गया। 

तुषार - पर ये हम कैसे साबित करेंगे ? 

अनिकेत- इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। 

यश- तो फिर बताओ कैसे साबित करेंगे कि वो हमारे हाथों सेल्फ डिफेंस में मारा गया है। 

अनिकेत- काफी सोचा इस बारे में पर कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। 

प्रणिता- तो क्या पहले वीडी से भाग रहे थे और अब पुलिस से भागते रहे। पुलिस भी कभी ना कभी तो हम तक पहुंच ही जाएगी और फिर खेल खत्म। 

रॉनी- मेरे हिसाब से एक तरीका और है पर वो पहले वाले तरीके से भी ज्यादा मुश्किल है। 

तुषार - क्या तरीका है वो ? 

रॉनी- यह कि हम उस कॉलर को तलाश कर ले और वो बताए कि जो हुआ उसके कारण ही हुआ है। 

प्रणिता- पर हम उसे कहां तलाश करेंगे ? 

रॉनी- करना होगा, वरना हम सब पुलिस की हिरासत में होंगे। 

तुषार - दो तरीके हैं इस मुसीबत से बचने के और दोनों ही ऐसे कि जिन्हें पूरा कर पाना लगभग असंभव है। 

राधिका- दूसरा तरीका संभव है। 

रॉनी- वो कैसे ? 

राधिका- याद है उसने हमें कहा था कि एक काम और है हम लोगों के लिए। और अगर हम सब तैयार हो तो खंडहर में आए जाएं। 

यश- हां तो ? 

राधिका- तो ये कि हम सब खंडहर में चलते हैं। मुझे लगता है कि इस बार वो कॉलर हमारे सामने होगा। 

प्रणिता- आपको ऐसा क्यों लगता है दीदी ? 

राधिका- वो इसलिए लगता है कि उसे अगर हमें दूसरा काम देना होता तो वो हमें फिर से कॉल पर ही काम दे सकता था। पर इस बार उसने हम सभी को उस खंडहर में बुलाया है। 

अनिकेत- हां बात में वजन तो है। 

रॉनी- हां अगर वो एक बार हमारे सामने आ गया तो फिर हम उसे पुलिस के हवाले कर सकते हैं। 

तुषार - तो फिर क्या कहते हैं सभी चले खंडहर में ? 

यश- चलना ही पड़ेगा अब अगर इस मुसीबत से छुटकारा पाना है तो। 

प्रणिता- तो फिर चलो चलते हैं। 

इसके बाद सभी तुषार के फार्म हाउस से खंडहर के लिए रवाना हो जाते हैं। एक ओर जहां इन पांचों की परेशानियां खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी वहीं दूसरी ओर अचानक कुछ देशों के शहरों में अचानक पत्थरों की बारिश होने लगी थी। पत्थरों की बारिश के कारण कई शहरों में काफी नुकसान भी हुआ था और कुछ लोगों की जान भी गई थी। विश्व भर के वैज्ञानिक पत्थरों की इस बारिश का रहस्य सुलझाने में लग गए थे। हालांकि अचानक हुई इस घटना का फिलहाल वक्त तक वैज्ञानिकों को कोई कारण पता नहीं चला था। विश्व भर के वैज्ञानिक तो फिलहाल अंतरक्षि में हुई पूर्व की घटनाओं से भी अंजान थे। इसके साथ ही वो खंभे और धरती पर अचानक होने वाले बड़े गड्ढे भी उनके लिए अब तक रहस्य बने हुए थे। हालांकि ये जो कुछ भी हो रहा था वो आने वक्त में होने वाली घटनाओं का एक संकेत था, जिसके लिए शायद पृथ्वीवासी तैयार नहीं थे। क्या इस प्रकार की होने वाली घटनाओं को लेकर ही सप्तक परेशान था। वो आखिर किसके लिए कह रहा था कि तुम लोग तैयार हो जाओ। क्या सप्तक की बातों का इन घटनाओं से कोई संबंध था ?

शायद क्योंकि पृथ्वी के एक कोने पर अंतरिक्ष से कुछ गिरा था और उस चीज के गिरने मात्र से ही पृथ्वी का वो हिस्सा एक आग के गोले में तब्दील हो गया था। जंगल में आग लग गई थी, बड़े पर्वत भी हिल गए और धरती का वो हिस्सा कांप उठा था। जो चीज धरती से आकर टकराई थी वो भी आग के गोले की तरह ही थी और फिर वो धीरे-धीरे अपना रूप बदलते हुए एक स्पेसशिप की तरह नजर आने लगी थी। उसमें से एक व्यक्ति निकल कर बाहर आया था। उसके हाथ में एक चौड़ी पट्टीनुमा कोई चीज थी। जब वो उस स्पेसशिप से बाहर आया तो उसने उस पट्टी को उस स्पेसशिप की ओर इशारा किया और वो स्पेशशिप आकार बदलते हुए अचानक गायब हो गई थी। स्पेसशिप के गायब होने के बाद वो व्यक्ति पलटा और उसने एक बार चारों और बड़े गौर से देखा फिर मुस्काते हुए बोला। पृथ्वी वासियों सावधान हो जाओ क्योंकि अब पृथ्वी पर मगोरा आ गया गया है। पलक झपकते ही मगोरा ने एक इंसान का रूप लिया और वहां से आगे बढ़ता चला गया। उसके हाथ की पट्टी उसके हाथों में समा गई थी। मगोरा आगे बढ़ते हुए एक गांव में पहुंच जाता है। यहां का मंजर देखते हुए वो कहता-