भाग 8
मगोरा- ओह तो पृथ्वी पर कुछ भी नहीं बदला है। आज भी लोग यहां बीमार होते हैं, बुढ़े होते हैं और मर जाते हैं। इतने सालों के बाद भी ये पृथ्वी पर रहने वाले मानव कोई तरक्की नहीं कर सके हैं। खैर अब मगोरा यहां आ गया है तो इनकी सारी तरक्की यूं भी बेकार ही होना थी। क्योंकि पृथ्वी पर ऐसा कोई मानव नहीं है जो मगोरा का सामना कर सके। कुछ ही समय लगेगा मगोरा को राजा त्रियाची के आदेश का पालन करने में। मगोरा अपना काम खत्म करेगा और फिर यहां से चला जाएगा। मगोरा का काम खत्म होने के बाद पृथ्वी पर यूं भी कुछ नहीं बचने वाला है तो फिर इनकी चिंता करना व्यर्थ ही है। अपनी बात को कहते हुए मगोरा एक बार फिर मुस्कुराता है और फिर गांव में आगे बढ़ जाता है।
दूसरी ओर खंडहर में बैठा सप्तक एक बार फिर अपने ध्यान से बाहर आता है और इस बार उसके चेहरे पर चिंता के साथ एक डर भी शामिल था। वो आसमान की ओर देखता है और कहता है
सप्तक- हे भगवान ये क्या ? आपको तो सब पता है वो लोग अब तक तैयार नहीं है। फिर ऐसा क्यों हो रहा है। उन्हें तैयार होने के लिए कुछ और वक्त की जरूरत है। अगर वक्त नहीं मिला तो वो पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाएंगे। इस विनाश को रोकने के लिए हमें वक्त चाहिए भगवान हमें वक्त चाहिए। इस विनाश को अब आपको ही रोकना होगा। मुझे इतनी शक्ति दो प्रभु कि जब तक वो लोग तैयार नहीं हो जाते मैं होने वाले इस विनाश को टाल सकूं। क्योंकि विनाश की शुरूआत हो चुकी है और ये विनाश पूरी तरह से दुनिया में फैल जाए उसके पहले मुझे उन लोगों को तैयार करना है और उनको तैयार करने तक मैं इस विनाश को टाल सकूं इतना सामर्थ्य मुझे दीजिए।
मगोरा कौन था ? उसका यूं धरती पर आने का क्या मकसद था? राजा त्रियाची कौन है? सप्तक को किस बात का डर सता रहा था? ऐसे कई सवाल अभी वक्त के गर्भ में दफन थे और शायद जल्द ही इन सभी सवालों के जवाब मिलने वाले थे। मगोरा अपना रूप बदलकर गांव में तो पहुंच गया था पर अब आगे वो क्या करना चाहता था। मगोरा गांव में पहुंचने के बाद गांव वालों से बात करता है और उनके बीच घुलमिल जाता है। गांव में एक पेड़ के नीचे कुछ लोग बैठे होते है। मगोरा उनसे बातचीत करने लगता है-
मगोरा- चाचा इस गांव में हमारे लिए कोई काम मिलेगा क्या ?
ग्रामीण- पर बेटा तुम हो कौन और कहां से आ रहे हो ?
मगोरा- चाचा हम बहुत दूर से आ रहे हैं, हमारे गांव में अकाल पड़ गया था, पूरा गांव ही खाली हो गया है। हम भी कुछ काम की तलाश में निकल आए। कई जगह पूछा पर कहीं काम नहीं मिला है।
ग्रामीण- मिल तो जाएगा बेटा पर तुम रहोगे कहां ?
मगोरा- काम मिल जाएगा तो कुछ इंतजाम कर लेंगे चाचा। पहले काम तो मिले।
ग्रामीण- हां ये भी ठीक है। तुम खेत में काम कर लोगे ?
मगोरा- बिल्कुल कर लेंगे चाचा। बस काम हो तो सब हो जाएगा।
ग्रामीण- तो फिर ठीक है कल से मेरे खेत में काम करना, दोनों वक्त का भोजन दे दूंगा और कुछ रूपए भी दे दूंगा ताकि तुम रहने का कुछ इंतजाम कर सको।
मगोरा- धन्यवान चाचा।
एक ओर जहां मगोरा को ठिकाना मिल गया था दूसरी ओर सप्तक ध्यान में बैठकर कुछ मंत्रोच्चार कर रहा था। सप्तक के शरीर के आसपास एक अलौकिक घेरा बनता जा रहा था। वहीं प्रणिता, राधिका, रॉनी, यश, अनिकेत, तुषार सभी उस कॉलर के बताए खंडहर में पहुंच जाते हैं।
प्रणिता- लो अब यहां तो आ गए हैं अब क्या करना है ?
यश- हां उस कॉलर को कैसे पता चलेगा कि हम लोग यहां आ गए हैं ?
अनिकेत- यह तो पता नहीं कि उसे कैसे पता चलेगा पर उसने कहा था कि हम यहां आ जाए तो वह हमें काम देगा। अब देखते हैं कि उसे कैसे पता चलता है कि हम यहां है।
रॉनी- पर क्या हम यहां उसका इंतजार करते रहेंगे। अगर उसे दो दिन बाद पता चला तो क्या हम दो दिन तक यही रहेंगे।
तुषार - वैसे पुलिस से बचने के लिए इससे अच्छी जगह कोई हो भी नहीं सकती है।
राधिका- हां वैसे जगह तो अच्छी है, पुलिस सोच भी नहीं सकती कि हम सभी यहां पर होंगे।
प्रणिता- वो सब तो ठीक है पर कॉलर का क्या करें ?
प्रणिता अभी अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी कि इस बार यश के मोबाइल की रिंग बज उठती है। यश फोन देखता है और कहता है-
यश- ये तो कोई अंजान नंबर है।
तुषार - ये जरूर उस कॉलर का नंबर होगा, फोन उठाओ।
अनिकेत- पर उसे कैसे पता चलता है कि हम लोग कहां है और क्या कर रहे हैं ? हर बार उसे हमारी हर बात कैसे पता होती है ?
रॉनी- इसके बारे में बाद में सोचेंगे पहले फोन तो उठाओ।
यश- (फोन उठाता है) हैलो।
कॉलर- मुझे पता था तुम लोग जरूर आओगे पर इतनी जल्दी आ जाओगे यह नहीं पता था।
यश- तुम्हारे कारण हम सब मुसीबत में फंस गए हैं, वीडी से पीछा छूटा तो अब पुलिस हमारे पीछे पड़ गई है।
कॉलर- तो मैं क्या करूं, अब उसकी हत्या करोगे तो पुलिस तो पीछा करेगी ही।
रॉनी- ये क्या कह रहे हो तुम, तुम्हारे कहने पर ही तो हम लोगों ने उसकी हत्या की है और वैसे भी ये जो कुछ हो रहा है सब कुछ तुम्हारे कारण ही तो हो रहा है।
कॉलर- मेरे कारण नहीं तुम सभी की जरूरत के कारण हो रहा है मैंने तो तुम सभी को ऑफर दिया था, जिसे तुम सभी ने स्वीकार किया। अपने किए के लिए तुम लोग मुझे दोषी नहीं ठहरा सकते।
अनिकेत- वैसे तुम हो कौन और हमेशा फोन पर ही बात क्यों करते हो। सामने आओ फिर बात करते हैं।
कॉलर- मेरे सामने आने से कुछ नहीं होगा अनिकेत। ये जो भी परेशानियां है उसका हल तुम्हें ही निकालना है। हां मैं बस रास्ता बता सकता हूं।
तुषार - तुम तो कुछ काम का भी कह रहे थे ?
कॉलर- हां काम तो अब भी ही मेरे पास। पर तुम लोग तो पुलिस से भागे हुए लोग हो, क्या तुम लोग मेरा काम कर पाओगे ?
प्रणिता- काम क्या है ?
कॉलर- तुम्हें बहुत जल्दी रहती है प्रणिता। बता दूंगा पर पहले ये बताओ कि ये पुलिस से पीछा कैसे छुड़ाओगे ?
रॉनी- ये सब तुम्हारे कारण ही हुआ है और तुम ही बताओ पुलिस कि हमने कुछ नहीं किया है, जो भी किया है तुमने किया है।
कॉलर- और अगर मैं ना बताउं तो.... ?
रॉनी- मैं... मैं... तुम्हें छोडूंगा नहीं।
कॉलर- अच्छा वैसे क्या तुम मुझे जानते हो, मैं कौन हूं, कहां हूं क्या तुम्हें मेरे बारे में कुछ भी पता है ?
यश- हम पुलिस को सब सच बता देंगे फिर पुलिस ही तुम्हारे बारे में पता लगा लेगी।
कॉलर- पता लगाने की कोशिश तो प्रणिता और अनिकेत भी कर चुके हैं, पर वो दोनों भी मेरे बारे में कुछ पता नहीं लगा सके। क्यों अनिकेता, प्रणिता सही कह रहा हूं ना मैं ?
प्रणिता- हां इसका तो नंबर भी ट्रेस नहीं होता है।
अनिकेत- हां और ना ही लोकेशन मिलती है कि हम इस तक पहुंच सकें।
कॉलर- तो यश अब जाओ पुलिस के पास और बता दो सब सच।
अनिकेत- ठीक है हम समझ गए हैं कि हम सब मिलकर भी तुम्हारा कुछ नहीं कर सकते। अब ये बताओ कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा मिलेगा ?
कॉलर- हां ये सवाल ठीक है। वैसे इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए तुम सभी को एक काम करना होगा।
प्रणिता- अब कौन सा काम ? अब किस मुसीबत में फंसाना चाहते हो तुम ?
कॉलर- मुसीबत में फंसाना नहीं चाहता बल्कि मुसीबत से बचाना चाहता हूं।
तुषार - क्या काम करना होगा ये बताओ ?
कॉलर- तुम सभी को अपनी हर पहचान को मिटाना होगा।
रॉनी- पहचान को मिटाना होगा मतलब ?
कॉलर- मतलब कि तुम्हारी पहचान से संबंधित जो भी डॉक्यूमेंट है या जो भी कुछ है उसे तुम्हें नष्ट करना होगा।
यश- उससे क्या होगा ?
कॉलर- उससे ये होगा कि तुम्हें इस मुसीबत से छुटकारा मिल जाएगा।
अनिकेत- उसके बाद, उसके बाद हमारा क्या होगा ?
कॉलर- फिर तुम्हें एक नई पहचान दी जाएगी और फिर उसी पहचान के साथ तुम्हारी जिंदगी आगे बढ़ती जाएगी।
तुषार - पर इससे तो...
कॉलर- हां जानता हूं कि इससे तुम लोगों के काम पर भी असर पड़ेगा। पर यही एक रास्ता है और यही तुम्हें करना होगा। अगर तुम लोग तैयार हो तो दो दिन बाद फिर से इसी जगह पर आ जाना अपनी सारी पहचान मिटाकर।
रॉनी- पर मेरे बच्चों का क्या होगा ?
कॉलर- उनकी चिंता मत करो रॉनी तुम्हारे पहचान मिटाने के बाद से वे सब मेरी जिम्मेदारी होंगे। उनकी परवरिश में कभी कोई कमी नहीं आएगी।
रॉनी- पर मैं तुम पर यकीन कैसे करूं, मैंने तो तुम्हें देखा भी नहीं है और ना ही जानता हूं।
कॉलर- तुम्हारे पास मुझ पर यकीन करने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं है रॉनी। वैसे यकीन रखो उन बच्चों को कभी कोई तकलीफ नहीं होगी।
रॉनी- पर...
कॉलर- मैं जानता हूं रॉनी कि तुम बच्चों से बहुत प्यार करते हो, पर तुमने मेरे लिए जो किया और जो करने वाले हो उसके लिए मैं तुम्हारे सभी बच्चों की जिम्मेदारी ले सकता हूं। और किसी का कोई सवाल ?
अनिकेत- और अगर हम ऐसा ना करें तो ?
कॉलर- तो पुलिस से भागते रहो जब तक भाग सकते हो, जब थक जाओ तो खुद को पुलिस के हवाले कर देना या पुलिस की गोली का निशाना बन जाना।
इतना कहने के बाद फोन कट हो जाता है। सभी लोग एक दूसरे का चेहरा देखते हैं और सभी के मन में एक ही सवाल था कि अब क्या करें। क्योंकि कॉलर ने एक बार फिर उन्हें लगभग फंसा दिया था। कॉलर जो नई पहचान देने वाला है वो क्या होगी, पुरानी पहचान को खो देने से उनकी जिंदगी लगभग खत्म हो जाएगी। सभी के मन में सवाल कई थे पर जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं था। दूसरी ओर पुलिस भी उनकी तलाश में थी, वहीं कॉल करने वाला बंदा भी सामने नहीं आया था, जैसा कि वो लोग सोचकर खंडहर तक आए थे।
एक ओर इन छह लोगों की परेशानी खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी। वहीं दूसरी ओर मगोरा अब अपने काम में लग चुका था। अब वो कुछ शक्तियों का प्रभाव दिखाते हुए ग्रामीणों को अपने वश में कर रहा था। वो किसी बड़े काम को अंजाम देने की कोशिश कर रहा था। अभी कुछ ही दिन बीते थे मगोरा को उस गांव में कि आधे से अधिक गांव के लोग लगभग उसके गुलाम बन चुके थे। अपने काम को आगे बढ़ता देख उसने आसमान की ओर कुछ चमकती हुई वस्तु फेंकी थी। उस वस्तु को फेंकने के कुछ ही समय बाद बड़े-बड़े चमकीले गोले उस गांव और उसके आसपास गिरने लगे और फिर अचानक गायब भी हो गए। उन गोलों से मगोरा की ही तरह के कुछ लोग निकले और वे भी अपना रूप बदलते हुए आसपास के अन्य गांवों की ओर चल दिए। उनमें से कुछ उस गांव में भी रूक गए थे, जहां मगोरा था। धीरे-धीरे पूरा गांव ही मगोरा का गुलाम हो गया था और अब उस गांव में वही होता था जो मगोरा कहता था।