झोपड़ी - 16 - प्यार Shakti द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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झोपड़ी - 16 - प्यार

यह पूरी कायनात टिकी है दया और प्यार पर। मनुष्य कितना भी शक्तिशाली हो। कितना भी बुद्धिमान हो। कितना भी पढ़ा लिखा हो। कितने भी पैसे वाला हो। अगर उसके अंदर दया और प्यार नहीं है तो वह सिर्फ एक रोबोट है एक मनुष्य नहीं। मनुष्य में दया और प्यार के गुण स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होते हैं। दया मनुष्य को जहां मानव बनाती है, वहां प्यार उसे एक महामानव बनाता है। प्यार के कारण बड़े-बड़े राजा महाराजाओं ने अपने सिंहासन त्याग दिए। राजा भरत को प्यार के कारण ही मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ और वह जड़ भरत नाम से दूसरा जन्म लिए। लेकिन हमें समझना चाहिए कि प्यार और वासना में अंतर है। हमें प्यार करना चाहिए, वासना नहीं। आजकल लड़के लड़कियों का प्यार भी प्यार माना जा सकता है। लेकिन इसमें वासना का न्यून या अल्प स्थान होना चाहिए और सच्चा प्यार तो वही है जिसमें वासना लगभग शून्य हो। सच्चा प्यार कुर्बानी चाहता है। प्राप्त करना नहीं चाहता है। सच्चा प्यार त्याग में है, प्राप्ति में नहीं। सच्चे प्यार को आप अपने मन से महसूस कर सकते हो। जिसे आप प्यार करते हो, उसे देखते ही आपका मन- मस्तिष्क प्रसन्न हो जाता है। जिस से नफरत करते हो, उसको देखते ही आपका मन -मस्तिष्क बुझ सा जाता है। आपका चेहरा बता देता है कि आप किसी से प्यार करते हो या नफरत।


इस तरह प्यार सच्चा वह भावना है जो मानव को महामानव बनाती है, मनुष्य को देवता बनाती है। मनुष्य को जानवर से ईश्वर बनाती है। हमारे गाँव के बगल में एक गांव था। वहां रोहन नामक एक गरीब लड़का रहता था। रोहन के मां- पिता बचपन में ही मर गए थे। रोहन का एक भाई था। रोहन उस समय 16 बरस का था कि रोहन के भाई ने अपनी पत्नी के कहने पर रोहन को बंटवारा दे दिया था। उसने अपने लिए एक अच्छा सा सुंदर सा मकान रखा और रोहन को एक पुराना छोटा सा मकान दिया। अपने लिए उसने अच्छे- खासे उपजाऊ खेत रखे और रोहन को कम उपजाऊ और बंजर जमीन दे दी। अपने लिए उसने अच्छे पशु रखे और रोहन को लूले- लंगड़े और घटिया किस्म के पशु दे दिए।


लेकिन रोहन बचपन से ही मेहनती और धार्मिक प्रवृत्ति का था। वह रोज जंगल में अपने पशु चराने जाता और उन्हें चरा कर अपने घर लाता। जंगल में उसे एक महात्मा मिले। महात्मा पढ़े- लिखे थे। 1 दिन महात्मा ने कहा रोहन तुम्हारे पशु तो काफी घटिया क्वालिटी के हैं। रोहन बोला यह तो है गुरु जी। लेकिन मैं इसमें क्या कर सकता हूं भला। महात्मा जी बोले थोड़ा -बहुत धन प्राप्त भी करना चाहिए पुत्र। जब गृहस्थी में रहना है तो थोड़ा भौतिक वादी बनना पड़ेगा। हम तो महात्मा लोग हैं। हमें तो भौतिकता छोड़नी ही पड़ती है। लेकिन तुम अभी गृहस्थ जीवन में हो। हालांकि तुम्हारी शादी अभी नहीं हुई है। लेकिन जब होगी तो उसके लिए तुम्हें धन की आवश्यकता पड़ेगी। इसीलिए अभी से तुम थोड़ा धन कमाना भी शुरू करो। रोहन ने कहा कि यह कैसे होगा गुरुजी। गुरुजी बोले तुम्हारे पास काफी पशु है, लेकिन घटिया क्वालिटी के हैं। मेरी बात मानो तो तुम्हारे गांव के बगल में अगले महीने जो पशु मेला लग रहा है उसमें तुम अपने सब पशु ले जाओ और उन्हें बेच दो। इससे तुम्हें कुछ धन प्राप्त होगा। यह धन तुम अपने अकाउंट में जमा कर लो। इससे तुम्हें हर महीने अच्छा- खासा ब्याज मिलेगा। लेकिन याद रखना, पूरा धन बैंक में जमा मत करना। कुछ धन से उसी मेले में कुछ अच्छे पशु खरीद लेना। इससे तुम्हें मेहनत भी कम लगेगी और तुम्हें दूध आदि भी ज्यादा मिलेगा। रोहन ने गुरु जी की बात मान ली। रोहन ने अगले महीने मेले में जाकर वही सब कुछ किया जो उसके गुरुजी ने उसे बताया था। अब रोहन के पास कम पशु हो गए। जिससे उसे कम मेहनत करनी पड़ी। लेकिन यह अच्छी क्वालिटी के थे, इसलिए इनसे उसे काफी उत्पादन होने लगा। अब गुरुजी ने उसे कहा तुम्हारे पास काफी जमीन है, लेकिन वह बंजर है। तुम थोड़ा मेहनत करो। जमीन का समतलीकरण करो। जमीन में से कंकड़- पत्थर चुनकर एक जगह पर डालो। जमीन में गोबर आदि खूब डाला करो। रोहन ने गुरु जी की यह बात भी मान ली। धीरे-धीरे उसके खेत भी काफी उपजाऊ हो गए और रोहन अपने पशुओं और खेती से अच्छा- खासा पैसा कमाने लगा। अब गुरु जी की सलाह पर उसने अपने टूटे-फूटे मकान को ठीक किया। आधुनिक समय की चीजों से अपने मकान को सुसज्जित किया। अपने लिए अच्छे वस्त्र खरीदे। अब रोहन धीरे-धीरे एक संपन्न व्यक्ति बन गया था। इस प्रकार रोहन ने भौतिक रूप से प्रगति की। अब रोहन अपने भाई से ज्यादा अमीर बन गया। कुछ ही दिनों में रोहन को एक सुंदर सी लड़की से प्यार हो गया। गुरुजी के कहने पर रोहन ने उससे शादी कर ली। शादी करने के बाद उसे पता चला कि भौतिक प्रगति तो जरूर चाहिए, लेकिन उसके साथ -साथ किसी का सच्चा प्यार हो तो जिंदगी बहुत आसान और खुशहाल बन जाती है।


अब रोहन जवान हो गया था। उसकी शादी हो चुकी थी। इसलिए उसने अपने खेतों में और भी ज्यादा मेहनत करनी शुरू कर दी। पशुओं पर और ध्यान देना शुरू कर दिया। उसने अपने खेतों को और उपजाऊ बनाया। पशुओं की नस्ल और सुधारी। वो अब और अधिक पैसा कमाने लग गया। साथ ही साथ उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी थी। इसलिए उसने काफी पुस्तकें भी खरीद कर अपने कमरे में रख ली। खाली समय में वह उनका भी अध्ययन करता था। अब वह एक पढ़ा-लिखा संपन्न किसान था। कुछ ही समय बाद उसके 1 पुत्र उत्पन्न हुआ। अपने पुत्र के लिए उसने किसी चीज की कमी नहीं रखी। साथ ही साथ अपने भाई और भाभी जिन्होंने उसे बचपन में धोखा दिया था, उनसे भी वो नफरत नहीं करता था। उनसे भी प्यार करता था और समय-समय पर उनकी मदद भी कर लिया करता था। सत्य है व्यक्ति भौतिक रूप में कितनी भी प्रगति कर ले अगर उसमें प्यार का गुण नहीं है तो वह एक राक्षस है या एक रोबोट है। अगर वह सच्चा प्यार किसी से करें तभी वह एक मनुष्य है, तभी वह एक देवता है।