खट्पटीराम का मुक़दमा (हास्य नाटक )
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(मंच पर अदालत के कमरे का दृश्य।कमरे में जज की कुर्सी के पीछे महात्मा गाँधी की फोटो लगी है।वकील,गवाह एवं दर्शक बैठे हुए हैं।पेशकार आकर मेज पर फाइलें आदि सही करता है।कमरे में लोग आपस में बातें कर रहे हैं,जिनका मिला-जुला एवं अस्पष्ट स्वर गूँज रहा है।तभी ख़ाकी वर्दी पहने हुए चपरासी प्रवेश करता है।)
चपरासी-(लोगों की ओर देखकर) आप लोग शांत रहिये।जज साहब आने ही वाले हैं।
(थोड़ी ही देर में जज साहब का प्रवेश होता है।जज साहब आकर बैठते हैं।सामने बैठे लोगों की ओर देखकर सबको शांत रहने के लिए कहते हैं।फिर पेशकार की ओर देखकर पूछते हैं।)
जज-आज सबसे पहले किसका केस है?
पेशकार-साहब,आज सबसे पहले खट्पटीराम का केस है।
जज-खट्पटीराम !कौन खट्पटीराम?
पेशकार-सर,वही खट्पटीराम !जो कक्षा में बच्चों को तंग किया करता है।उसका केस पिछले सप्ताह ही आपकी अदालत में हुआ था।
जज(सोंचने की मुद्रा में)-अच्छा-अच्छा !वही खट्पटीराम,जो कक्षा में बच्चों को तंग किया करता है।
पेशकार-यस सर,उसका केस पिछले सप्ताह ही आपके सामने पेश किया गया था।
जज-हुँह;खट्पटीराम को पेश किया जाय।
चपरासी(ऊँची आवाज़ में)-खट्पटीराम हाजिर हो sss
खट्पटीराम(व्यंग से)-अरे,अरे,इतनी तेज क्यों गला फाड़ रहे हो !जैसे लाउडस्पीकर लगा हो।
चपरासी(डांटकर)-चुप रहो !तुम्हें बात करने की भी तमीज नहीं !
खट्पटीराम-क्या कहा?कमीज !कमीज तो आजकल का फैशन ही नहीं है।
चपरासी(क्रोध से खट्पटीराम की ओर देखते हुए फिर आवाज़ लगाता है)-खट्पटीराम हाज़िर हो sss
खट्पटीराम(अजीब सा मुँह बनाकर)-उँह !टें टें लरिका गाँव गुहार।अरे भाई,तुम्हारे पास ही तो खड़ा हूँ और तुम हो कि चिल्लाए ही जा रहे हो।
चपरासी-क्या तुम्हीं खट्पटीराम हो?
खट्पटीराम-और नहीं तो क्या तुम हो?
चपरासी-यह खटर-पटर बाद में करना।देखते नहीं कब से पुकार रहा हूँ।चलो,अदालत में हाज़िर हो।
(खट्पटीराम गुनगुनाते हुए अदालत के अंदर दाखिल होता है।वह सीधे वकीलों के लिए नियत स्थान पर जाकर बैठ जाता है।चपरासी उसे बलपूर्वक खींचकर कटघरे में खड़ा करता है।वकील खट्पटीराम को गीता की कसम खाने को कहता है।इस पर खट्पटीराम फिर हँसी का फुहारा छोड़ देता है।)
खट्पटीराम-साहब,और चाहे जो कुछ करने को कहो लेकिन गीता की कसम मत खिलाओ।
वकील(आश्चर्य से)-क्यों;गीता की कसम क्यों नहीं खाओगे?इसका मतलब तुम कानून को सच बताने से मुकर रहे हो।
खट्पटीराम(बेचारा सा मुँह बनाकर)-नहीं साहब,यह बात नहीं है।मैं गीता की कसम खाऊँगा तो गीता की अम्मा,जो कि इसी अदालत में बैठी है,मुझे उठाकर इसी जगह धसक देगी।साहब गीता की अम्मा मुझसे पता नहीं क्यों इतना चिढ़ती है।
वकील(डांटकर)-चुप रहो।जो मैं कह रहा हूँ,वैसा करो।अदालत का समय मत खराब करो।
खट्पटीराम-साहब,मैं अदालत का समय क्या खराब करूँगा।समय तो मेरा खराब चल रहा है।
(काफी बहस के बाद खट्पटीराम गीता की कसम खा लेता है।)
जज-खट्पटीराम,तुम्हारे ख़िलाफ़ आरोप है कि तुम किसी बच्चे का पेन तोड़ देते हो,किसी की शर्ट पर इंक छिड़क देते हो तो कभी किसी बच्चे का लंच खा जाते हो !तुम्हे इन आरोपों की सफाई में क्या कहना है?
खट्पटीराम-जज साहब,मुझे अपनी सफाई के सम्बन्ध में बहुत कुछ कहना है।अव्वल तो मैं यह कहना चाहूँगा कि मैं बिना नागा हर रोज एक गिलास पानी से स्नान करता हूँ।सौंदर्य साबुन निरमा से अपना शरीर खूब साफ़ करता हूँ।कोलगेट डेंटल क्रीम से अपने दाँत साफ़ करता हूँ और सिर पर ठंडे -ठंडे कूल-कूल नवरतन तेल की मालिश करता हूँ।यही कारण है कि मेरा शरीर तो शरीर दिमाग भी एकदम साफ़ रहता है।(खट्पटीराम यह सब एक ही साँस में जल्दी-जल्दी बोल जाता है।खट्पटीराम की बातें सुनकर अदालत में बैठे सभी लोग हँस पड़ते हैं।जज हथौड़ा ठोंककर सबको शांत रहने के लिए कहते हैं।फिर खट्पटीराम की ओर मुख़ातिब होकर कहते हैं।)
जज-खट्पटीराम !इस समय तुम अदालत में हो।अदालत की मर्यादा में रहो।
खट्पटीराम(फुसफुसाते हुए)-मर्यादा में तो हैं ही वरना कटघरे में हमारी जगह कोई और ही खड़ा होता।
विरोधी पक्ष का वकील(खड़े होकर)-माई लार्ड !देख लिया आपने इसका पाजीपन !इसी तरह की हरकतें यह कक्षा में भी करता रहता है।माई लार्ड,मैं खट्पटीराम पर लगाए गए आरोपों को सही साबित करने के लिए चंद गवाह पेश करने की इजाज़त चाहता हूँ।
जज-इजाज़त है।
विरोधी पक्ष का वकील-माई लार्ड,मेरा पहला गवाह है सिद्धू प्रसाद।
खट्पटीराम(दर्शकों की ओर देखकर)-अरे वाह !क्या सीधा है सिद्धू प्रसाद।
(सिद्धू प्रसाद अपनी जगह से उठकर बिलकुल सीधा चलता हुआ कटघरे में आकर खड़ा हो जाता है।वकील सिद्धू प्रसाद को गीता पर हाथ रखकर कसम खाने को कहते हैं।)
सिद्धू प्रसाद-मैं गीता पर हाथ रखकर कसम खाता हूँ।जो कुछ कहूँगा,सच कहूँगा।सच के सिवा कुछ नहीं कहूँगा।
विरोधी पक्ष का वकील-खट्पटीराम ने तुम्हारे साथ जो बदसलूकी की है उसका बयान अदालत के सामने करो।
सिद्धू प्रसाद-जज साहब !आज सुबह जब मैं विद्यालय के प्रांगण में प्रार्थना के लिए खड़ा था तब खट्पटीराम ने लंगड़ी मारकर मुझे गिरा दिया।यही नहीं इसके बाद कक्षा में इसने पीछे से मेरी शर्ट पर इंक छिड़क दी।श्रीमान जी,मैं एक गरीब घर का लड़का हूँ।मेरी इकलौती शर्ट खराब हो गई।
(खट्पटीराम बीच में व्यंग से बोलता है।)
खट्पटीराम-हाँ-हाँ,गरीब घर का लड़का है।नुक्कड़ पर संजू चाट वाले के यहाँ चाट खाने के पैसे हैं।आइसक्रीम खाने के लिए पैसे हैं।और तो और मोबाइल में रिचार्ज कराने के लिए पैसे हैं;और यह कहता है कि गरीब है।एकदम सफ़ेद झूठ बोल रहा है यह सिद्धू।यह देखने में ही सीधा लगता है लेकिन है बड़ा घाघ।
जज-खट्पटीराम,तुमसे जो पूछा जाए और जब पूछा जाए तभी अपना मुँह खोलो वरना खामोश रहो।
खट्पटीराम-योर ऑनर !मेरे ख़िलाफ़ सिद्धू ने जो आरोप लगाए हैं,वे बिलकुल बेबुनियाद हैं।सिद्धू का पहला आरोप कि मैंने इसे लंगड़ी मारकर गिरा दिया,सत्य नहीं है।यह अवश्य सत्य है कि मैंने इसे लंगड़ी मारी लेकिन यह भी सोलह आने सच है कि मैंने इसे गिराया नहीं;गिरा तो यह अपने आप था।
इसका दूसरा आरोप कि मैंने इसकी शर्ट पर इंक छिड़की,यह भी सरासर झूठ है।साहब,सिद्धू के सिर की कसम,मैंने इसकी शर्ट पर इंक नहीं छिड़की।उस समय आर्ट की कक्षा चल रही थी।मैम साड़ी में किनारा की डिजाइन बनवा रही थीं।मैंने आगे बैठे सिद्धू की प्लेन शर्ट को देखा और मेरे अंदर का पिकासो जाग उठा और उसी झोंक में मैंने उसकी शर्ट पर यादगार कलाकृति बना डाली।यह जो कहता है कि मैंने इसकी शर्ट पर इंक छिड़क दी,यह कहकर यह मेरे अंदर के कलाकार की तौहीन कर रहा है।
(खट्पटीराम की बातें सुनकर अदालत में बैठे सभी लोग हँस पड़ते हैं।जज मेज पर हथौड़ा ठोंककर सबको शांत रहने को कहते हैं।)
वकील(खड़े होकर)-माई लार्ड !मेरा दूसरा गवाह चटोरीलाल है।
(चटोरीलाल मुँह में अंगूठा डाले हुए कटघरे में आकर खड़ा हो जाता है।वकील इसे भी गीता की कसम खिलाता है और इसके बाद चटोरीलाल से सवाल पूछना शुरू करता है।)
वकील-तुम्हारा नाम?
चटोरीलाल-श्रीमान,मेरा नाम चटोरीलाल है।
(खट्पटीराम बीच में ही बोल उठता है।)
खट्पटीराम-वकील साहब,इसको आपने बेकार ही बुलाया।यह अपनी बातों से आपका दिमाग ऐसा चाटेगा कि आप कानून की सारी धाराएं भूल जाएंगे।मेरी कक्षा के सभी बच्चे और अध्यापकगण इसके भुक्तभोगी हैं।
वकील-खट्पटीराम,बिना जज साहब की इजाज़त के बीच में मत बोलो।अदालत की मर्यादा बनाए रखो।
चटोरीलाल(अपनी बात जारी रखते हुए)-जज साहब,बात दरअसल यह है कि जब मैं पैदा हुआ था तो मेरी आदत अंगूठा चाटने की थी।थोड़ा बड़ा हुआ तो चटुआ चाटने के लिए दे दिया गया।और इस तरह मेरी आदत कुछ न कुछ चाटने रहने की पड़ गई।(यह कहकर चटोरीलाल मुस्कुरा उठता है।)
जज(डांटकर)-चटोरीलाल,ध्यान रहे जो पूछा जाए,उसी बात का जवाब दो।
चटोरीलाल-डांटते क्यों हो साहब?अपना परिचय देना तो कोई गलत बात नहीं है।
वकील-अच्छा ठीक है।लेकिन मेरा और जज साहब का दिमाग न चाटो।मुद्दे पर आओ।तुम्हे खट्पटीराम के ख़िलाफ़ क्या कहना है?
चटोरीलाल-जज साहब,जैसा कि मेरा नाम ही चटोरीलाल है।मैं खाने-पीने का बहुत शौक़ीन हूँ।घर पर जब रहता हूँ तो मेरी माँ मेरे लिए कुछ न कुछ बनाती रहती है।विद्यालय आता हूँ तो माँ बड़े प्रेम से मेरा लंच बनाकर देती है लेकिन यह खट्पटीराम मेरा तो मेरा और भी दूसरे बच्चों का लंच बॉक्स साफ़ कर देता है।हम लोगों को अक्सर भूखा रह जाना पड़ता है।
जज-खट्पटीराम,इस बारे में तुम क्या कहना चाहते हो?
खट्पटीराम-साहब,यह बात तो एकदम सही है कि चटोरीलाल खाने-पीने का बहुत शौकीन है।इसीलिए काफी हैवी लंच लाता है।लेकिन यह बात एकदम गलत है कि मैं इसका लंच बॉक्स साफ़ कर देता हूँ।जज साहब,मैं लिखने-पढ़ने वाला लड़का हूँ,कोई काम करने वाली बाई नहीं,जो इसका और दूसरे बच्चों का लंच बॉक्स साफ़ करूँ।हाँ,यह ज़रूर है कि कभी-कभी इसके लंच बॉक्स से कुछ खा लेता हूँ लेकिन इसका लंच बॉक्स तो इसके घर में ही साफ़ किया जाता है।लंच बॉक्स साफ़ करने का आरोप मेरे ख़िलाफ़ बनता ही नहीं।
(अदालत में उपस्थित सभी लोग खट्पटीराम की बात सुनकर हँस पड़ते हैं।जज साहब का हथौड़ा एक बार फिर उनकी मेज पर बज उठता है।)
जज-आर्डर !आर्डर !
वकील-योर ऑनर,मेरा तीसरा गवाह है,तुतलूराम !
(तुतलूराम कटघरे में आता है और चटोरीलाल पुनः अपनी सीट पर जाकर बैठ जाता है।वकील तुतलूराम को गीता की कसम खिलाते हैं।तुतलूराम अपनी तोतली भाषा में गीता की कसम खाता है।उसकी बोली सुनकर लोग फिर से हँस पड़ते हैं।)
वकील-तुम्हारा नाम क्या है?
तुतलूराम-योल ऑनल,मेला नाम तुतलूलाम है।(यह कहकर तुतलूराम मुँह बनाकर खड़ा रहता है।)
वकील-खट्पटीराम ने तुम्हारे साथ जो व्यवहार किया,उसे अदालत के सामने बयान करो।
तुतलूराम-माई लाल्ड !थतपतीलाम एत तातत वाला ललता है।ये दिथे भी अटेले पाता है,थूब मालता है।तल मैं इथतूल ते
अपने धल दा लहा था,तब इतने मुधे अटेले पा तल थूब माला।इतने थाला इथतूल ही थल पल उथा लत्ता है।
(लोग तुतलूराम की तोतली भाषा सुनकर खूब ठहाके लगाते हैं।जज साहब फिर सबको शांत करते हैं और अदालत की कार्यवाही आगे बढ़ती है।)
जज-खट्पटीराम,इस आरोप के बारे में तुम्हारा क्या कहना है?
खट्पटीराम-माई लार्ड !जहाँ तक ताकतवर होने की बात है,सही है। ताकतवर होऊँगा कैसे नहीं,रोज ही बाबा रामदेव को देखकर प्राणायाम जो करता हूँ।शुद्ध भैंस का घी खाता हूँ।दंड-बैठक करता हूँ और दो किलोमीटर रोज सुबह दौड़ लगाता हूँ।किसी को पीटना मेरे बाएं हाथ का खेल है लेकिन मैं ऐसा बिलकुल नहीं करता।(पीटता तो मैं दाएं हाथ से हूँ।खट्पटीराम दर्शकों की ओर अपनी आँख मारते हुए धीरे से कहता है।)इसका यह आरोप कि मैंने स्कूल को अपने सिर पर उठा रखा है,सरासर बेबुनियाद है।
जज साहब,अब आप ही सोंचिये कि इतना बड़ा स्कूल भला मैं अपने सिर पर कैसे उठा सकता हूँ?जैसे मैं खट्पटीराम न होकर पवन-पुत्र हनुमान होऊँ।साहब आप ही फैसला कीजिये।मैं तो इतना ही कहूँगा कि मैं स्कूल को सिर पर नहीं उठा सकता हूँ और ना ही उठाता हूँ।
(खट्पटीराम की बात सुनकर लोग एक बार फिर हँस पड़ते हैं।अब खट्पटीराम के बचाव पक्ष का वकील खड़ा होता है।)
बचाव पक्ष का वकील-माई लार्ड !मेरे क़ाबिल दोस्त ने मेरे मुवक्किल के ख़िलाफ़ जो भी आरोप लगाए हैं,उनमे रंचमात्र भी सच्चाई नहीं है।मेरा मुवक्किल वास्तव में बड़ा हंसमुख स्वभाव का बालक है।वह किसी को दुखी नहीं देख सकता।अपनी कक्षा के बच्चों को और अध्यापकों को हंसाने के लिए ही वह ऐसी बचकानी शरारतें करता रहता है।बाल-स्वभाववश वह वह कभी-कभी अपने सहपाठियों का लंच खा लेता है तो वह कोई गंभीर अपराध नहीं कहा जा सकता।हाँ,इसके लिए खट्पटीराम को ताकीद अवश्य दी जा सकती है लेकिन उस पर कोई सख़्त कार्रवाई करना उचित नहीं होगा।जज साहब,मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप मेरे मुवक्किल की उम्र और उसकी भावनाओं की ओर अपना ध्यान देते हुए ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचें।मेरा मुवक्किल डील-डौल में हृष्ट-पुष्ट अवश्य है लेकिन वह किसी को बेवजह परेशान करता है,यह आरोप सरासर झूठा है।रही बात लंगड़ी मारने की,तो इसके लिए उसे हिदायत दी जा सकती है।
(बचाव पक्ष के वकील की दलील सुनने के पश्चात जज साहब अपना फैसला अदालत में सबके सामने सुनाते हैं।)
जज-तमाम गवाहों के बयानात सुनकर तथा बचाव पक्ष की बातों पर गौर करके यह अदालत इस नतीजे पर पहुँची है कि मुजरिम खट्पटीराम यह शैतानियाँ केवल अपने संपर्क में आने वाले लोगों को हँसाने के लिए करता है।उसका इरादा किसी को भी तकलीफ देना कतई नहीं रहता।जैसा कि बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि बाल-स्वभाववश वह अपने सहपाठियों का लंच कभी-कभार खा लेता है तो इसे किसी गंभीर अपराध की श्रेणी में नहीं रक्खा जा सकता।हाँ,मुल्जिम खट्पटीराम को सख़्त हिदायत दी जाती है कि वह आइंदा से अपने साथियों का लंच न खाए।उनका लंच यदि कभी वह खा जाता है तो विद्यालय प्रशासन उस पर फाइन लगा सकता है।किसी बच्चे के कपड़ों पर इंक या रोशनाई यदि भविष्य में उसने छिड़की तो पीड़ित बच्चे के लिए नई ड्रेस खट्पटीराम को देनी पड़ेगी।उसे अपने बल का प्रयोग लाचारों की मदद करने और स्वस्थ खेल खेलने में करना चाहिए। साथ ही उसे यह भी हिदायत दी जाती है कि वह विद्यालय की गरिमा को बनाए रखेगा।खट्पटीराम को सौ बार उठक-बैठक लगाने और आगे से कोई भी शरारत न करने के लिए सख़्त ताकीद की जाती है।खट्पटीराम से अपेक्षा की जाती है कि वह भविष्य में एक अच्छा बालक,एक अच्छा विद्यार्थी बनकर दिखाए।उसे अपने अच्छे कार्यों से अपना और अपने माँ-बाप का नाम रोशन करना चाहिए।
(खट्पटीराम कटघरे से हँसता हुआ बाहर आता है और अदालत में गाने लगता है।)
खट्पटीराम-मुजरिम तो सारा ज़माना है ssss
(खट्पटीराम जज की ओर देखकर कहता है।)
खट्पटीराम-जज साहब,मैं अदालत के सामने यह प्रतिज्ञा करता हूँ कि आगे से मैं कोई शरारत नहीं करूँगा।(दर्शकों की ओर देखकर हँसते हुए धीमे से कहता है।)आगे से शरारत नहीं करूँगा लेकिन पीछे से या दाएं-बाएं से तो कर ही सकता हूँ।(खट्पटीराम कान पकड़कर उठक-बैठक लगाता है।)
एक,दो,तीन;चार,पांच,छः,सात,आठ,नौ,दस,ग्यारह;बारह,तेरह।
(जज साहब मेज पर पुनः हथौड़ा ठोंकते हैं और अदालत की कार्रवाई को समाप्त कर देते हैं।अदालत में बैठे सभी दर्शक एवं वकील भी अपने स्थान से उठकर चल देते हैं।चलते-चलते खट्पटीराम पुनः नाचते हुए गाता है।)
खट्पटीराम-अच्छा,तो हम चलते हैं।अच्छा,तो हम चलते हैं।(धीरे-धीरे पर्दा गिरता है और खट्पटीराम के मुक़दमे का मंच पर समापन हो जाता है।