खामोश प्यार - भाग 20 prashant sharma ashk द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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खामोश प्यार - भाग 20

एक और श्लोक था और दूसरी स्नेहा। स्नेहा को जहां कायरा की बातों ने अंदर तक हिलाकर रख दिया था, वहीं श्लोक के कानों में जेनी के शब्द गूंज रहे थे। अपनी-अपनी सोच में डूबे श्लोक और स्नेहा किले में एक सुनसान जगह पर एक-दूसरे के सामने आ खड़े हुए थे। हालांकि दोनों ने ही यह नहीं सोचा था कि वे दोनों इस तरह से एक-दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे। इससे पहले भी वे कई बार कॉलेज में एक-दूसरे के आमने-सामने हुए हैं, एक-दूसरे खूब बातें भी की है, परंतु आज बात कुछ अलग थी। हमेशा बातें करने वाले आज खामोश थे। दोनों वहां होते हुए भी वहां नहीं थे। उनकी नजरें मिली और दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए भी परंतु दोनों के मुंह से कोई लफ्ज नहीं निकला था। फिर स्नेहा ने ही पहल करते हुए श्लोक से कहा-

यूं अकेले घूमकर किले का कोई रहस्य खोज रहे थे क्या ?

श्लोक कुछ मुस्कुराया और फिर बोला- नहीं बस ऐसे ही घूमने निकल गया था, पर शायद कुछ मिला जरूर है।

स्नेहा ने फिर से कहा- किले में कोई छिपा हुआ खजाना तो नहीं मिल गया ?

श्लोक ने कहा- अभी तो पता नहीं। हो सकता है कि जिंदगी का खजाना हो।

मतलब ? स्नेहा ने फिर से प्रश्न किया।

मतलब तो मुझे भी नहीं पता है बस वहीं सोच रहा था कि आखिर क्या मतलब हो सकता है। श्लोक ने भी जवाब दिया।

स्नेहा ने फिर कहा- चलो तो फिर चलते हैं। बाकि लोग शायद हमारा इंतजार कर रहे हो ?

श्लोक ने भी स्वीकृति दी और फिर दोनों साथ ही टेंट की ओर साथ चल पड़े। वहां पहुंचने के बाद श्लोक लड़कों के एक ग्रुप की ओर जाने लगा और स्नेहा ने कायरा को देखा तो वो उसकी ओर जाने लगी। हालांकि दोनों एक-दूसरे को पलटकर देखा और फिर मुस्कान भी दी। हालांकि दोनों के मन के अंदर अब भी कायरा और जेनी की बातें ही चल रही थी।

स्नेहा कायरा के पास पहुंच गई थी। स्नेहा को देख कायरा ने कहा- तो फिर क्या सोचा मेरी बात को लेकर, श्लोक के साथ भी आ रही थी। तुने बात कर ली उससे ?

स्नेहा ने कहा- अरे यार मैं उससे कोई बात कैसे कर सकती हूं, जबकि मुझे तो यह भी नहीं पता कि वो मेरे बारे में क्या सोचता है।

कायरा ने कहा- मैं भी तो हमेशा तुझसे यही कहती हूं कि मैं मानव से बात कैसे कर सकती हूं, जबकि मुझे ये भी नहीं पता कि वो मेरे बारे में क्या सोचता है।

स्नेहा ने कहा- देख मानव तेरे बारे में क्या सोचता है यह उसने श्लोक को बताया था और श्लोक ने मुझे और मैंने तुझे। इसलिए तुझे उससे बात कर लेना चाहिए।

कायरा ने स्नेहा कि बात सुनकर कहा- तो चल आज मैं तुझे कहती हूं कि तू श्लोक से बात कर वो तुझे मना नहीं करेगा।

स्नेहा ने कहा- पर ये तू कैसे कह सकती है ?

बस मुझे पक्का लग रहा है कि वो तेरे बारे में सोचता है।

स्नेहा ने कहा- यार ऐसा नहीं होता है।

कायरा ने फिर से कहा- तो अब समझी ना तू मेरी बात को। तेरे कहने से मैं नहीं मान सकती कि मानव मेरे बारे में क्या सोचता है। ऐसा नहीं होता है। अगर वो कुछ सोचता है तो उसे भी तो कुछ कहना चाहिए, या किसी तरह से हिंट तो देना चाहिए।

स्नेहा कायरा की बात को सुनकर खामोश हो गई थी।

दूसरी ओर श्लोक खड़ा तो दोस्तों के साथ था पर उसकी नजरें बार-बार स्नेहा पर जाकर टिक जा रही थी। दूर से जेनी श्लोक को देख रही थी और उसने देख लिया था कि श्लोक जेनी को ही देख रहा है। कुछ ही देर में जेनी ने श्लोक को आवाज दी और श्लोक उसके पास पहुंच गया था।

जेनी ने कहा- तो मतलब तुम अब भी सोच रहे हो ?

श्लोक ने कहा- क्या... क्या सोच रहा हूं मैं ? मैं कुछ नहीं सोच रहा हूं।

जेनी ने कहा- अगर नहीं सोच रहे हो तो बार-बार उसे क्यों देख रहे हो ?

श्लोक ने कहा- अरे वो तो बस ऐसे ही। मैं कुछ नहीं सोच रहा हूं।

जेनी ने कहा- श्लोक तुम्हारी आंखे और तुम्हारा चेहरा दोनों बता रहे हैं कि तुमने मेरी बातों पर सोचा है। अगर अब सोच ही लिया है तो फिर जाओ और उससे अपनी बात कह दो। तुम्हें भी पता है कि वो मना नहीं करने वाली है। सबसे बड़ी बात कि इससे अच्छा मौका तुम्हें नहीं मिलने वाला है।

श्लोक ने एक बार फिर पलटकर स्नेहा को देखा और फिर जेनी से कहा- अगर उसने मना कर दिया तो ?

जेनी ने कहा- तो कम से कम सच तो पता चल जाएगा। पर मुझे लगता है कि वो मना नहीं करने वाली है। तुम जाओ और उससे बात करो।

श्लोक ने जेनी की बात को मान लिया और उसके कदम जेनी की ओर बढ़ चले थे।

श्लोक को अपनी ओर आता देख कायरा ने स्नेहा से कहा- स्नेहा मुझे लगता है श्लोक तुमसे बात करने के लिए आ रहा है। अगर वो बात करता है तो तुम उसे अपनी बात कह देना। मैं चलती हूं।
इसके बाद कायरा वहां से कुछ दूर जाकर खड़ी हो गई थी। श्लोक चलते हुए स्नेहा के पास आ गया था। उसने औपचारिकता में स्नेहा को हाय कहा। स्नेहा ने भी हैलों कहा और अपनी नजरें नीचे कर ली थी।

श्लोक ने कहा- स्नेहा मैं तुमसे कुछ बात करना चाहता हूं। पर सच कहूं तो मुझे नहीं पता कि यह मेरी फिलिंग्स है या नहींं। पर....

स्नेहा ने कहा- हां तो बोलो क्या कहना है ?

श्लोक ने कहा- अभी कुछ देर पहले मैं जेनी से बात कर रहा था तो उसने मुझे कहा कि मैं और तुम दोस्ती से आगे बढ़ सकते हैं। हालांकि मैं नहीं जानता कि क्या ये संभव है ?

स्नेहा ने कहा- तो फिर जब जान लो तब ही बात करना।

श्लोक ने फिर से कहा- पर मुझे लगता है कि यह संभव है, अगर तुम भी मेरे बारे में कुछ सोचती हो तो तुम भी कह सकती हो।

स्नेहा ने कहा- सच कहूं श्लोक तो मैं तो कायरा को समझाने के लिए गई थी। पर उसने उल्टा मुझसे ही तुम्हारे लिए प्रश्न कर दिया था। उसके बाद मैंने भी सोचा तो मुझे भी लगा कि आखिर हम दोनां एक जैसे होते हुए भी अब तक क्यों साथ नहीं रह पाए। मुझे भी लगता है कि हमारी दोस्ती एक कदम आगे बढ़ सकती है। पर मुझे भी नहीं पता कि ये मेरी फिलिंग्स है या फिर कायरा के कहने के बाद ही मुझे ऐसा महसूस हो रहा है।