रजिस्टर मैरिज Priya Vachhani द्वारा मनोविज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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रजिस्टर मैरिज

" गुड मॉर्निंग सरु !" पिंकू ने बस में सरु के पास वाली सीट पर बैठते हुए कहा
"गुड मॉर्निंग " बोलकर सरू वापस खिड़की से बाहर देखने लगी
"तुम मुझसे नाराज हो ?" पिंकू ने मासूमियत से पूछा
" हाँ " बाहर देखते हुए ही सरु ने जवाब दिया
"पर क्यों ?"
"तुम कल क्यों नहीं आए ! और मुझे पहले बताया क्यों नहीं कि तुम स्कूल से छुट्टी करने वाले हो ? पता है कल मैंने स्कूल में नाश्ता भी नहीं किया " मुंह लटकाते हुए सरु ने कहा
"आई एम सॉरी सरु " पिंकू ने अपने दोनों हाथों से अपने दोनों कान पकड़े "मुझे भी पता नहीं था कि मुझे छुट्टी करनी पड़ेगी। पापा ने सुबह-सुबह कहा कि आज स्कूल मत जाओ, आज हम तुम्हारे लिए नयी मम्मी लेने चलते हैं "
"क्या! नयी मम्मी !" सरु ने हैरानी से कहा
"हां नयी मम्मी "
"ले आए ?"
"हां"
"तुम्हारे पापा ने दूसरी शादी की ?"
" हां ! वहां बोल तो सब ऐसे ही रहे थे और यहां भी पापा को सब हैप्पी न्यू मैरिड लाइफ बोलकर विश कर रहे थे। पर मुझे नहीं लगता कि पापा ने शादी की है"
" मतलब ! मैं समझी नहीं तुम क्या कहना चाहते हो !"
"शादी में तो लड़का लड़की तैयार होते हैं, अच्छे और नए कपड़े पहनते हैं, बैंड बजती है, मिठाइयां बंटती हैं और कार्यक्रम होते हैं, सब नाचते गाते हैं , पर कल तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ । बस पापा मुझे एक ऑफिस में लेकर चले, वहां पापा के कुछ दोस्त थे। नयी मम्मी आई, मम्मी और पापा ने एक रजिस्टर पर साइन किया और एक दूसरे को मालाएं पहनाई। सब लोगों ने तालियां बजाई और कहा हो गई शादी। उसके बाद नयी मम्मी हमारे घर आ गई। ऐसे भला कैसे शादी ? ना डांस, ना पार्टी सिर्फ साइन करने से थोड़ी ना शादी होती है "
कुछ सोचते हुए सरू ने कहा " "पिंकू! मुझे लगता है तुम्हारे पापा तुमसे झूठ बोल रहे हैं , वह नयी मम्मी नहीं, नयी आया ले आए होंगे, पर तुम्हें मां की कमी महसूस ना हो इसलिए उसे तुम्हारी मम्मी कहते होंगे"
"नहीं सरु! ऐसा होता तो रात को वह अपने घर चली जाती ना ? पर वो तो हमारे घर में ही रही "
"हो सकता है रात को तुम्हारे सोने के बाद चली गई हो और सुबह जल्दी वापस आ गई हो"
" हां ऐसा भी हो सकता है" पिंकू सोचने लगा
"यह बड़े भी ना ! हम छोटो को बच्चा समझते हैं , इनको लगता है हम कुछ समझते ही नहीं "
"हां सरु! बोल तो सही रही हो पर अब कैसे पता चले वह मेरी मम्मी है या आया ?"
"उसकी एक तरकीब बताती हूं, देखो अगर वो तुमसे प्यार नहीं करती, छोटी-छोटी गलतियों पर मारती है तो हो सकता है वह तुम्हारी नयी मम्मी हो पर अगर तुम्हें प्यार करती है, तुम्हारा ध्यान रखती है तो वह तुम्हारी आया है"
"पर आया हो या मम्मी मुझे मारेगी क्यों ?"
"मैंने सुना है नयी मम्मी बच्चों को मारती है, उन्हें खाना भी नहीं देती"
"फिर पापा उन्हें कुछ नहीं कहते ?"
" नहीं ! पापा के ऊपर वह जादू कर देती हैं फिर पापा कुछ नहीं कहते"
"अगर उसने मुझे खाना ना दिया तो ! फिर मैं क्या खाऊंगा ?" पिंकू रुआंसा हो गया
"तू चिंता क्यों करता है पिंकू ? मैं हूं ना , जैसे आज तक हम दोनों टिफिन शेयर करके खाते रहे हैं आगे भी खाते रहेंगे"
"थैंक्यू सरु ! तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड हो। अरे हां ! याद आ गया , आज तो उसने मुझे टिफिन बना कर दिया है, गरमा गरम परांठे बनाए हैं " बैग में से टिफिन निकालते हुए पिंकू ने कहा
पिंकू और सरु एक ही स्कूल में पढ़ते थे। दोनों अच्छे दोस्त थे। छः महीने पहले जब पिंकू की माँ स्वर्ग सिद्धार गई थी तबसे पिंकू कभी टिफिन ले आता कभी कैंटीन से खाना लेकर खाता। सरु को पिंकू का कैंटीन से खाना अच्छा नहीं लगता।
एक दिन सरु ने पिंकू से कहा "मम्मी कहती है कैंटीन का खाना अच्छा नहीं होता बच्चे बीमार हो जाते हैं, इसलिए तू कैंटीन में खाना मत खाया कर" उसके बाद से वह पिंकू के साथ अपना टिफिन शेयर करने लगी।
पिंकू रिसेस तक यही सब सोचता रहा
टिफिन खाते-खाते सरु ने कहा "वाह! तेरी मम्मी ने तो परांठे बहुत बढ़िया बनाए हैं"
"हां सरु! पर अब कैसे पता चले वह मेरी मम्मी है या आया ?"
"तू चिंता मत कर, मैं तुझे पता करके बताऊंगी "
"ठीक है, पर जल्द पता करना"
पिंकू शाम को घर पहुंचा तो इस उधेड़बुन में था कि वह मम्मी कहे या कुछ और
"पापा ने तो कहा है मम्मी कहने के लिए, पर अगर यह आया हुई तो फिर! आया को मम्मी क्यों कहूं ! अब कैसे पता चले यह कौन है ? एक काम करता हूं कपड़े यहां वहां बिखरा देता हूं, स्कूल बैग, जूते ऐसे ही फेंक देता हूं। सरु ने कहा था नयी मम्मी थोड़ी सी गलती पर बच्चों को मारती है और अगर यह नयी मम्मी होगी तो पक्का मारेगी। फिर पता चल जाएगा" सोचकर पिंकू खुश हुआ पर दूसरे ही पल उदास हो गया "नहीं ! अगर ज़ोर से मारा तो ? मैं तो न सह पाऊंगा, पर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं जो पता चल सके" फिर थोड़ी देर सोचने लगा "एक काम करता हूं। अगर मारने आएगी तो पहले ही जोर जोर से रोना शुरू कर दूंगा और सॉरी बोल दूंगा, हो सकता है ज्यादा ना मारे। आया को मम्मी कहने से तो अच्छा है थोड़ी सी मार ही खा लूँ " सोचकर उसने कपड़े यहां वहां फैला दिए
नयी मम्मी ने कमरे में सामान बिखरा हुआ देखकर कहा
"यह क्या है पिंकू बेटा ! अच्छे बच्चे अपना सामान, अपने कपड़े अपनी जगह पर रखते हैं, ऐसे बिखेर नहीं देते। यह तो गंदे बच्चों का काम होता है और हमारा पिंकू तो अच्छा बच्चा है ना !" मम्मी ने जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया पिंकू को लगा मम्मी मारने वाली है। वह डर गया पर मम्मी ने प्यार से उसके गाल को सहलाया
"आगे से ऐसा मत करना। तुम्हें भूख लगी होगी ना ? चलो मैंने तुम्हारे लिए नाश्ता बना के रखा है। चल कर खा लो " बोलकर उसने सारे कपड़े उठाकर बाथरूम में रखें।
पिंकू हैरान होकर मां को निहारने लगा "पक्का आया ही है, मम्मी नहीं । पर अब मैं बुलाऊं कैसे ? एक काम करता हूं, मैं उससे बात ही नहीं करता। जब तक सरु बताएं तब तक चुप रहता हूं, ना बात करूंगा ना बुलाना पड़ेगा"
"क्या सोच रहे हो बेटे ? चलो नाश्ता खा लो"
पिंकू ने सिर्फ " हां " में गर्दन हिलाई

उस तरफ सरु घर पहुंची आज उसे शांत देखकर मां ने कहा "क्या बात है सरु ! आज इतनी चुप चुप क्यों हो! किसी से झगड़ा हुआ क्या ?"
"नहीं मम्मी ! किसी से झगड़ा नहीं हुआ"
"तो क्या बात है ? तुम अपनी मां को नहीं बताओगी ?"
" मम्मी ! आज पिंकू स्कूल आया था , मैंने उससे कल ना आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि वह और उसके पापा कल नयी मम्मी लेने गए थे"
"मतलब पिंकू के पापा की दूसरी शादी! पर यह तो अच्छी बात है, फिर तू क्यों उदास है ! उसकी मां अच्छी नहीं है क्या ?"
"नहीं मम्मी! पहले इस बात का तो पता चले कि वह पिंकू की मम्मी है या आया "
"मतलब मैं समझी नहीं!"
" मतलब ये मम्मी ! शादी में तो पार्टी होती है, गीत गाए जाते हैं, सब डांस करते हैं ,अग्नि के समक्ष फेरे लिए जाते हैं, पर पिंकू बता रहा था ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वह सिर्फ एक ऑफिस में गए जहां पर उन्होंने एक रजिस्टर पर साइन की और कहा हो गई शादी । यह भी कोई शादी हुई भला ?"
सरु को हैरत में देखकर व उसके मुंह से ऐसे शब्द सुनकर सरु की मां को हंसी आ गई
"आप हंस रहे हो ? मैंने तो पिंकू से कहा उसके पापा उसे पागल बना रहे हैं, वह मम्मी नहीं आया होगी "
"नहीं नहीं बेटा ! ऐसे नहीं है। शादी में जो तुम कह रही हो वह सब होता है। मगर यह भी शादी ही है। इसे रजिस्टर मैरिज कहते हैं, मतलब कानूनी तरीके से शादी"
" मतलब वह सच में पिंकू की माँ है ?"
" हां , अच्छा हुआ, नहीं तो मैं सोच रही थी आगे से पिंकू के लिए टिफिन कौन लेकर जाएगा स्कूल में ?"
" कोई और क्यों ले जाएगा ? मैं हूं ना , मैं ले जाऊंगी, आप बना कर देना"
" वह बात नहीं बेटा ! असल में तुम्हारे पापा की बदली हो गई है। तुम्हारे इम्तिहान खत्म होते ही हम दूसरे शहर चले चलेंगे "
"दूसरे शहर मतलब! अब मैं इस स्कूल में नहीं जाऊंगी?"
" नहीं ! अब जहां चलेंगे वहीं के स्कूल में तुम्हें दाखिला लेनी पड़ेगी "
मां की बात सुनकर सरु सोच में पड़ गई

"गुड मॉर्निंग सरु !" बस में चढ़ते ही पिंकू ने कहा
"गुड मॉर्निंग पिंकू!"
"सरु! तुम सही कह रही थी वह मेरी मम्मी नहीं है। कल मैंने सामान यहां वहां बिखरा दिया था पर उसने न मुझे डांटा न ही मारा मतलब वह मेरी आया है। पापा मुझे बेवकूफ बना रहे हैं"
"नहीं पिंकू! पापा तुझे बेवकूफ नहीं बना रहे वह तेरी मम्मी ही है। कल मेरी मम्मी ने बताया इस शादी को रजिस्टर वाली शादी कहते हैं। जिसमें रजिस्टर पर साइन करने से शादी हो जाती है। और यह कानूनी शादी होती है।"
"सच कह रही हो ! फिर कल उसने मुझे मारा क्यों नहीं ?"
"हां पिंकू! बिल्कुल सच कह रही हूं और मम्मी ने यह भी बताया कि जरूरी नहीं हर नई मां बच्चों को मारे। कोई कोई नई मम्मी अच्छी भी होती है जिसे हमारे लिए खास परी रानी भेजती है। वो बच्चों को नही मारती। "
"मतलब मेरे लिए परी रानी ने नयी मम्मी भेजी है? तभी पापा एक दिन में मम्मी ले आए " पिंकू ने हैरत भरी खुशी में कहा
"हां पिंकू!" सरु ने गर्दन झुकाते हुए कहा "परी रानी को चिंता होगी कि पिंकू टिफिन कहां खाएगा, इसलिए तेरे लिए नयी मम्मी भेजी है "
"टिफिन कहां खाएगा ? पर यह तो टेंशन की बात ही नहीं। वह तो मुझे तुम खिलाती हो और यह बात न जाने कितनी बार मैं परी रानी को सपने में बता चुका हूं"
"हां पर अब मेरे पापा का ट्रान्सफर हो गया है। मैं यह स्कूल छोड़कर दूसरे स्कूल जाऊंगी इसलिए "
"पापा का ट्रान्सफर हो गया है तो पापा जाए तुम्हारा स्कूल से थोड़ी न ट्रांसफर हुआ है जो तुम जा रही हो !"
"मम्मी ने कहा जहां पापा रहेंगे वही हमें भी रहना होगा और वहीं के स्कूल में ही मुझे आगे की पढ़ाई करनी होगी"
"नहीं सरु ! तुम मत जाओ। मम्मी से कहो मैं नहीं चलूंगी आप जाओ"
"अगर मम्मी चली जाएगी तो मैं अकेली कैसे रहूंगी यहां ?" " जाने दो मम्मी को , मेरे साथ मेरे घर पर रहना। अब तो मम्मी भी आ गई है तो वो खाना बना कर देगी"
" पर अगर तेरी मम्मी परी रानी की भेजी हुई मम्मी ना निकली तो ?"
"पर अगर तुम चली गई और बाद में उसने मुझे खाना नहीं दिया और मारा , तो मैं खाना कहां खाऊंगा! और किसको यह सब बातें बताऊंगा ? मेरा तो कोई और अच्छा दोस्त भी नहीं" पिंकू सोचकर ही डर गया "नहीं सरु !तुम मम्मी को मना करो , कहो मैं नहीं चलूंगी "
"मैंने मना करके देखा पिंकू! पर मम्मी नहीं मानी" सरु ने मुंह लटकाते हुए कहा
"पर सरु ! कोई ना कोई रास्ता तो ढूंढना पड़ेगा"
" हां पिंकू! पर अब स्कूल आ गया है चलो "
दो-तीन दिन गुजर गए पर दोनों को कोई रास्ता न समझ आया । चौथे दिन पिंकू बस में बहुत खुश था
"आज तुम बहुत खुश लग रहे हो पिंकू!"
"हां सरु! मैं खुश हूं, क्योंकि मैंने हल ढूंढ लिया है" सरु के पास वाली सीट पर बैठे हुए धीरे से पिंकू ने कहा
"क्या सच्ची ! तुमने रास्ता ढूंढ लिया ?" सरु ने हैरानी से पूछा
"हाँ " स्टाइल मारते हुए पिंकू ने कहा "वह भी ऐसा रास्ता जिससे कोई भी हम दोनों को अलग नहीं कर पाएगा। तुम्हारे मम्मी पापा भी नहीं "
"अच्छा मुझे भी बताओ, वह भला कैसे ! जल्द बताओ "
"तुम्हें याद है ! तुम्हारी मम्मी ने कहा था सिर्फ रजिस्टर पर साइन करने से भी शादी हो जाती है"
"हां " सरु ने हैरानी से कहा
"तो बस ! यही रास्ता है । यह देखो मैं रजिस्टर ले आया हूं" बैग में से रजिस्टर निकालते हुए पिंकू ने कहा "हम दोनों इस पर साइन कर देते हैं और उस रजिस्टर को छुपा कर रख देंगे। जब तुम्हारे मम्मी या पापा तुम्हें ले जाने लगेंगे तब हम उन्हें यह रजिस्टर दिखाएंगे। फिर कैसे ले जाएंगे वो तुम्हें ?" हंसकर भौहैं नचाकर सर हिलाते हुए पिंकू ने कहा
"पर पिंकू! फिर तुम्हारी मम्मी परी रानी वाली मम्मी ना निकली तो ?"
"तुम उस बात की चिंता मत करो। इन तीन दिनों में मैंने यह निश्चित कर लिया है कि वह परी रानी वाली मम्मी ही है" "वह भला कैसे ?"
"मैंने इन तीन दिनों में खूब शरारतें की पर मम्मी ने मुझे नहीं मारा, सिर्फ प्यार से समझाया और अगर ऐसा हुआ भी है तो दूसरा रास्ता भी है।"
"दूसरा रास्ता कौन सा ?"
" मैंने उस दिन अमिताभ बच्चन की एक फिल्म देखी थी जिसमें वह बिल्कुल मेरी तरह छोटा सा ही था। फिर वह दौड़ते दौड़ते जोर से जंप देकर बाइक पर बैठ गया और वह बड़ा हो जाता है, मैं भी ऐसा ही करूंगा। बड़ा होकर मैं खुद कमा लूंगा। फिर तुम्हारे लिए अलग घर बनाऊंगा, हम दोनों उसमें ही रहेंगे" कहकर पिंकू अपनी समझदारी पर मुस्कुराने लगा
"अच्छा ठीक है " सरु ने कहा
"पर एक बात बताओ, मम्मी चली जाएगी तब तुम तो नहीं रोओगी ?"
"याद तो आएगी मम्मी पापा की , पर मम्मी पापा कहते हैं लड़कियों का असली घर उनके पति का घर होता है, मायका नहीं " उदास होते हुए सरु ने कहा
"मम्मी पापा मैं तुमसे यह कहा?" पिंकू ने हैरानी से पूछा
"नहीं मुझे तो नहीं कहा था पर उस दिन बुआ आई थी शायद उनके घर में झगड़ा हुआ था, वह बहुत रो रही थी और कह रही थी मैं वापस नहीं जाऊंगी, उस समय मम्मी पापा ने बुआ से कहा "
"चलो छोड़ो इस बात को, आओ हम दोनों इस रजिस्टर पर साइन करते हैं " रजिस्टर पर साइन करके बैग में डाल कर वह दोनों टेंशन मुक्त हो गए।