हमने दिल दे दिया - अंक ३९ VARUN S. PATEL द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हमने दिल दे दिया - अंक ३९

अंक ३९. मौसम 

   अंश आज से तुम्हारा दिल मेरा और मेरा तुम्हारा | ना में विधवा और ना ही तुम कुवारे अब से हम एक है और हमारा सबकुछ एक अगर तैयार हो तुम तो में ना बिजली में वो जमीन जिससे मिलती है बारिश अगर हो तैयार तो आओ मिल जाए जन्मो जन्म तक ...दिव्या ने भी अपने अलग ढंग में प्यार का इजहार करते हुए कहा |

   दोनों ने आज मन से एक दुसरे से विवाह कर लिया था और मानो एसा लग रहा था की जैसे बारिश ब्राह्मण बनकर दोनों की शादी के मंत्र जप रही हो एसा लग रहा था | आज बाराती भी बारिश बनकर आई थी और दुल्हन वालो को तरफ से भी आरिश ही रिश्तेदारी निभा रही थी | बिच बारिश आज दोनों पानी की बूंदों से ज्यादा एक दुसरे के प्यार से भीग रहे थे |

   आखिरकार अंश और दिव्या ने लंबे समय के बाद एक दुसरे को अपने अपने प्रेम का इजहार कर ही दिया था और दोनों बिच बारिश इतना कसके गले लगे थे की दोनों के बिच से होकर पानी की एक बूंद तक नहीं गुजर सकती थी | जो हवेली बरसो से खंडित अवस्था में पड़ी थी जहा कोई आता जाता भी नहीं था वहा पर आज प्यार के फुल खिलने लगे थे | बहुत अच्छा मौसम था आज हवेली का | हवेली की छत से चारो और से पानी की धारा बहे रही थी और बिच में राधा और श्याम जैसे बरसो के बाद मिले हो एसे अंश और दिव्या दोनों एक दुसरे के गले लगे हुए थे | दोनों आज तन मन से एक हो गए थे | बारिश धीमी होती है दोनों बारिश और प्यार में भीगे हुए थे |

   जैसे ही बारिश रूकती है अंश और दिव्या ख़ुशी ख़ुशी नाचने लगते है और एक दुसरे पर प्रेम बरसाने लगते है | बरसो बाद आज हवेली में जान आ चुकी हो एसा लग रहा था | मौर कोयल सब आज अंश और दिव्या की ख़ुशी में सामिल होने के लिए आए हो एसा लग रहा था |

   चारो तरफ धरा और बारिश का मिलन हुआ था और एक तरफ अंश और दिव्या का | अंश और दिव्या के लिए उनके जीवन का आज सबसे श्रेष्ठ दिन था | कुछ देर के लिए बारिश रुक जाती है |

   क्यों भगवान क्यों बारिश क्यों बंद कर दी आप ने ...दिव्या ने आसमान की और देखते हुए कहा |

   सच ही कहा था दिव्या उस किन्नर माँ ने हम दोनों उनके आशीर्वाद से एक हो ही गए | सच कहेते है लोग उनके बारे में की उनकी कही हर बात सच होती है ...अंश ने दिव्या के पास आकर उसको अपनी बाहो मे लेकर कहा |

    सही है | मैंने कभी नहीं सोचा था की मेरे बचपन का प्यार मुझे यु मिलेगा | आज तक मेरे साथ जो कुछ भी हुआ है वो अगर तुम्हारे और मिलन के लिए हुए था तो मुझे कोई सिकवा गिला नहीं है मेरी किस्मत से ...दिव्या ने भी अंश की बाहों को जकड़ते हुए कहा |

    हा मैंने तो पहेले ही दिन तुम से कहा था की भगवान अगर हम से हमारी जीने की उम्मीद छीन लेता है तो बदले में वही हमें नयी उम्मीद भी दे देता है | देखो और अब कहो की भगवान ने तुम्हे कैसी उम्मीद दी है ...अंश ने प्यार भरी नजरो से अपनी बाहो मे सजी दिव्या को देखते हुए कहा |

    एसी उम्मीद दी है की मैंने पिछले कुछ दिनों में जो किंमत चुकाई है वो भी छोटी पड़ जाए बस अब भगवान से यह प्राथना है की अब बस अब कोई किम्मत मत मांगना हम से अब हम किंमत चुकाकर थक गए है ...दिव्या ने अपना शिर अंश के ह्रदय के पास रखते हुए मन में संकोच के साथ कहा |

    नहीं तुम एसा बिलकुल नहीं बोल शक्ति दिव्या क्योकी हकीकत तुम भी जानती हो और मै भी और साथ में यह भी हकीक़त है की हमें उस हकीक़त का सामना मिलकर ही करना है और करना ही होगा क्योकी हमारे पास कोई और रास्ता नहीं है ...अंश ने दिव्या से कहा |

    हा मगर कैसे तुम तो जानते हो मेरे ससुर को और उनकी ताकत को और तुम्हारा परिवार तो उनके साथ जड़ से जुड़ा हुआ है तो कैसे होगा सबकुछ कही में तुम्हे फिर से ना खो दु अंश मुझे बहुत डर लग रहा है ...आखो में आशु के साथ दिव्या ने कहा |

    बर्षो बाद मिले अपने प्यार को खोने का दर्द दिव्या अभी से ही महेसुस कर रही थी | पहेले ही दिव्या ने अंश को खोने का एहसास कर लिया है अब वो अंश को किसी भी किंमत पर नहीं खोना चाहती और अंश और दिव्या के सामने जो परिस्थति है वो बहुत कठिन है जहा पर चलना बहुत मुश्किल है परंतु उनके पास कोई और रास्ता भी तो नहीं है अगर उन दोनों को साथ में जीना है तो जादवा परिवार और इस समाज का तो सामना करना ही होगा जिसके लिए अंश बिलकुल तैयार था लेकिन दिव्या गभराई हुई थी |

    अरे तुम तो बोल रही थी की में अपने समय की गब्बर थी तुम तो अभी से ही रोने लगी हो तो आगे कैसे लड़ाई करोगी ...अंश ने दिव्या से कहा |

    मुझे कोई लड़ाई नहीं करनी है अंश और ना ही तुम्हे करनी है ...दिव्या ने अंश से कहा |

    देखो दिव्या यह सब बहेकी बहेकी बाते है क्योकी हकीक़त तुम भी जानती हो हमारे पास दो ही रास्ते है एक की हम हमारे सामने जो भी तकलीफे है उससे लड़े या तो फिर हम जुदा हो जाए ...अंश ने दिव्या से कहा |

    नहीं में अब तुम्हे नहीं खो सकती अंश चाहे कुछ भी हो जाए क्योकी मैंने एक बार वो दर्द सहा है तुम्हे खो ने का अब दुबारा नहीं क्योकी वो दर्द बहुत ही दर्दनाक होता है इससे अच्छा है साथ मिलकर लड़े चाहे इसमें मरना ही क्यों ना पड़े | जुदाई से अच्छा है साथ में मर जाना ...दिव्या ने अंश से भावुक अवस्था में कहा |

     मरना नहीं है जीना ही है बस जीने से पहेले जीने के लिए थोडा लड़ना है और तुम ज्यादा चिंता मत करो हम मिलकर कर लेंगे और हा अगर सावधानी के साथ किया तो जरुर सब सही से हो जाएगा ...अंश ने दिव्या से कहा |

     हा मगर कैसे करेंगे ...दिव्या ने अंश से कहा |

     सोचेंगे कुछ ना कुछ और क्या लेकिन अभी के लिए सब छोडो हम अभी मिले है और चिंता की बाते करने लगे | एसा तो कोई प्रेमी युगल नहीं होगा जो मिलने के तुरंत बाद बिछड़ने के डर की बात कर रहा हो ...अंश ने थोडा सा हसते हुए कहा |

     सही बात है सॉरी सोचेंगे जब लड़ना होगा तब | तब तक तो एक दुसरे को जी भर के जिले ...दिव्या ने अंश से कहा |

     अब सही बोली मेरी रानी ...अंश ने दिव्या से कहा |

     अच्छा अंश मुझे तुमसे थोड़े सवाल थे तो में पुछ शक्ति हु क्या ...दिव्या ने अंश से कहा |

     हा पुछ ना इस में एसा क्या है पुछो पुछो...अंश ने दिव्या से कहा |

     देखो अंश में एसा नहीं कहेना चाहती की तुम भी एसे हो लेकिन मेरे जहेन में यह सवाल चल रहा है तो सोचा पुछ लु की आज कल के लड़के को अच्छी खुबशुरत लड़की चाहिए होती है और मेरे में अभी वैसा कुछ नहीं बचा है | मेरे हाथो पर कोड़े लगने के निशान है और मेरे शिर पे एक भी बाल नहीं है तो तुम मेरे साथ खुश तो हो ना अंश ...दिव्या अंश से कहा |

    देखो दिव्या तुम ने सवाल किया मुझे कोई दिक्कत नहीं है और रही बात खुबशुरती की तो यह बाल और कोड़ो के निशान कल को ठीक भी हो सकते है और ठीक होने के बाद वापस भी आ सकते है और जा सकते है लेकिन मैंने जिस चीज से प्यार किया है वो है तुम्हारे अंदर की खुबशुरती जो कभी नहीं जाने वाली इसलिए यह सब मत सोचो और बस मुझे प्यार करती रहो मुझे बस तुम से इतना ही चाहिए | शरीर से तुम कितनी सुंदर हो या नहीं हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे ठीक है ...अंश ने दिव्या को समझाते हुए कहा |

    में कितनी भाग्यशाली हु की मुझे तुम जैसा समझने वाला लड़का मिला है तुम भी कभी भी मुझे छोड़कर मत जाना बस एसे ही प्यार करते रहेना ...अंश को कसके गले लगाते हुए दिव्या ने कहा |

    हमेशा तुम्हारे साथ ही रहूँगा दिव्या i love you ...अंश ने दिव्या को कसके अपनी बाहो मे पकड़कर कहा |

    i love you २ मेरी जान ...दिव्या ने अंश से कहा |

    दोनों अब बेहद से भी ज्यादा एक दुसरे से प्यार करने लगे थे | अंश और दिव्या ने गाव के हर एक रिवाज और नियम को बाजु में रखकर एसे एसे काम कर रहे थे जो असल में सही थे लेकिन समाज की नजर से गलत थे और अपराध भरे थे | अब बात यह थी की जब इस बात की खबर गाव वालो को और मानसिंह जादवा को लगेगी तो हालात एसे बिगड़ने वाले है की जिसका सामना करना दिव्या और अंश के लिए आसान नहीं होने वाला है |

    दोनों ने फिर से एक दुसरे को गले लगा लिया था क्योकी आप जिस किसी से भी प्यार करते हो और उसे अपने गले लगाना उसका आनंद कुछ और ही होता है | दिव्या और अंश प्यार के रंग में एसे रंग गए थे की फिर से बारिश की शुरुआत हो गई थी और वो भी तेज बारिश |

    अरे वाह फिर से आ गई चलो नहाते है ...दिव्या ने अपनी जगह पे ख़ुशी से उछलते हुए अंश से कहा |

    बारिश की बूंद बूंद ख़ुशी के गालो को ख़ुशी बनकर चुम रही थी जिसका आनंद ख़ुशी जी भरके ले रही थी |

    अरे दिव्या अब चलो बीमार हो जाओगी कितना नहाओगी ...अंश ने दिव्या से कहा |

   बीमारी का इलाज हो जाएगा अंश लेकिन यह मौसम दुबारा से नहीं आएगा और बारिश में एसा बोलते है की भगवान खुद हमें नहेलाने के लिए आते है तो अब तुम सोचो की जब भगवान हम को नहेलाने के लिए आए हो और हम घर में जाकर छुप जाए तो कैसा लगेगा इसलिए मुझे नहाने दो और तुम भी आजाओ और नहालो ...दिव्या ने अंश को अपनी और खीचते हुए कहा |

   टिप टिप बरसती बुँदे सिर्फ बुँदे नहीं है यह तो आप के लिए प्यार का संदेश लेकर आई है इन्हें अपने आप में भर लो ताकि यह संदेश अधुरा ना रहे और उपर वाले को भी पता चले की उनके द्वारा भेजा प्यार का संदेश शिर आखो पर ... varun s patel

   दोनों आज बारिश में जी भर के नहा रहे थे और अपने जीवन का मजा ले रहे थे और साथ ही साथ एक दुसरे के लिए कई सारे सपने सजो रहे थे लेकिन इस तरफ ख़ुशी भी अंश के साथ अपने कई सारे सपने बुन रही थी जिसका जरा सा भी अंदाजा दिव्या और अंश को नहीं था |

   जब से ख़ुशी को अंश के साथ बेपनाह इश्क हुआ है तब से वो ज्यादातर अकेली रहेने लगी है और अकेली अपने घर के झरुखे मै बैठी रहेती है और अंश के और अपने आगे के जीवन के सपने देखती रहेती है | बारिश में प्यार से सिर्फ अंश और दिव्या ही नहीं भीगे थे बल्कि ख़ुशी भी अपने घर की छत पर अंश के साथ बारिश में प्यार की बूंदों की मजा ले रही थी |

   ख़ुशी अंश के साथ अपनी अलग ही सोच में डूबी हुई थी | ख़ुशी ने आज अपनी अलग ही दुनिया बना ली थी |

   अंश और ख़ुशी दोनों बारिश में नहाने के साथ साथ एक दुसरे को प्यार कर रहे थे | ख़ुशी बार बार अंश के गालो पर चुंबन कर रही थी और i love you, i love you एसा बार बार बोलकर अपने प्यार का इजहार कर रही थी | ख़ुशी अंश के पीछे पागल हो चुकी थी उसे अंश के अलावा कुछ भी नहीं दिख रहा था जहा देखो वहा अंश दिख रहा था | बारिश में नहाते समय, झरुखे में बाते करते समय, कॉलेज में पढने में भी अंश उसको अपने पास वाली बेंच पर ही दीखता | ख़ुशी अंश से बेपनाह महोब्बत करने लगी थी जो दिव्या और अंश के लिए काफी हद तक घातक साबित होने वाली थी जिसको लेकर अब बहुत जल्द भूचाल आने वाला था |   

   आज बारिश में एक नहीं कई सारी घटनाए घट रही थी जिसका सीधा जुडाव अंश और दिव्या की प्रेम कथा के साथ था | ज्यादा बारिश होने के कारण मानसिंह जादवा जनमावत किसी काम से गए हुए थे जो पुरा करके वहा से निकल चुके थे और बिच रास्ते पर उन्हें दो कार का अकस्मात हुआ दीखता है जिन्हें देखकर मानसिंह जादवा अपने ड्राईवर से गाड़ी रोकने को कहेता है |

    ड्राईवर एक मिनट गाडी रोको तो जरा ...मानसिंह जादवा ने अपने ड्राईवर से कहा |

    जहा अकस्मात हुआ था वहा आस-पास कई सारे लोग जमा हुए थे | मानसिंह जादवा की कार साईड पर खड़ी रहेती है | बारिश अभी भी धीरे धीरे बरस रही थी | मानसिंह जादवा अपनी कार से उतरते है और साथ में उनका एक आदमी छाता लेकर उतरता है | मानसिंह जादवा के आने से भीड़ के बिच उनके आगे जाने का रास्ता अपने आप ही हो जाता है | मानसिंह जादवा भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ते है और यह देखने की कोशिश करते है की किसका अकस्मात हुआ है और अकस्मात किसी और का नहीं हुआ था वो दिव्या के पिता यानी मानसिंह जादवा के वेवाई का था | जिनका नाम शुभनाथ सिंह था |

    शुभनाथ सिंह को अकस्मात के दौरान शरीर में कई सारी चोट आई हुई थी और रक्त भी बहे रहा था और उन्हें उनकी कार से निकालकर बहार एक तरफ बिठाया गया था | मानसिंह जादवा उन्हें देखकर हड़बड़ी से उनके पास जाते है और उनके खबर-अंतर पुछने लगते है |

    अरे शुभनाथ जी क्या हुआ आपको ...मानसिंह जादवा ने उनके पास आते हुए कहा |

    कुछ नहीं जादवा जी अकस्मात हो गया है और भाई का लड़का आ रहा है फोन लगाया है ...शुभनाथ जी ने मानसिंह जादवा से कहा |

    शुभनाथ जी अपनी धीमी आवाज में बोल रहे थे क्योकी उनका पुरा शरीर दर्द कर रहा था |

    अरे आप भी ना ड्राईवर अपनी कार को वापस मोड़ो ...मानसिंह जादवा ने कहा |

    अरे नहीं जादवा साहब आप रहेने दो पहेले ही आप बहुत परेशान हो चुके हो इस पापी की वजह से और नहीं ...शुभनाथ सिंहजी ने कहा |

    अरे एसा क्यों बोल रहे है आप वो सब बाते बाद में आईए सबसे पहेले में आपको कंधा देता हु और आप लोग भी मदद कीजिये इन्हें गाड़ी में बिठाने के लिए ...मानसिंह जादवा ने कहा |

    वहा खड़े सारे लोग और मानसिंह जादवा की मदद से शुभनाथ सिंह जी को कार में बिठाया जाता है और फिर उन्हें मानसिंह जादवा की कार के द्वारा अस्पताल की और ले जाया जाता है |

   शुभनाथ जी आपने एम्बुलेंस को फोन नहीं लगाया ...मानसिंह जादवा ने बिच रास्ते में पुछा |

   लगाया था जादवा साहब पर हाजिर में उनके पास थी नहीं सभी एम्बुलेंस कही ना कही व्यस्त थे ...शुभनाथ सिंह ने कहा |

   मानसिंह जादवा शुभनाथ सिंह जी को उसी अस्पताल में लेकर आते है जहा पर दिव्या और अंश दिव्या की सारवार के लिए आते है | शुभनाथ जी को सबसे पहेले अस्पताल के अंदर लेजाकर उनको एडमिट किया जाता है और फिर उनका इजाल शुरू होता है | करीब-करीब ५ घंटे लगते है शुभनाथ जी के इलाज में क्योकी उनके पैर में कई सारी हडिया तूट चुकी थी जिसको जोड़ने के लिए उनका ओपरेशन किया गया था | इन ५ घंटो के दरमियान शुभनाथ जी के रिश्तेदार भी आ चुके थे और मानसिंह जादवा को मिलने के बाद शुभनाथ जी के बारे में अंदर से अच्छे समाचार आने का इंतजार कर रहे थे |

   मानसिंह जादवा तब तक वही पर थे और ओपरेशन थियेटर से कोई अच्छे समाचार के आने का इंतजार कर रहे थे | तभी उन्हें सुरवीर का फोन आता है कुछ काम के लिए |

   हा सुरवीर बोल ...मानसिंह जादवा ने फोन उठाते हुए कहा |

   एक दो जगह पर आपके तत्काल में सही और अंगुठा चाहिए था ...सुरवीर ने कहा |

   हं अच्छा ठीक है तो कहा हो तुम में वहा पे आ जाता हु ...मानसिंह जादवा ने सुरवीर से कहा |

   में घर पर ही हु ...सुरवीर जादवा ने कहा |

   ठीक है में आता हु ...फोन रखते हुए मानसिंह जादवा ने कहा |

   मानसिंह जादवा जैसे ही अपना फोन रखते है की तुरत डोक्टर साहब शुभनाथ जी का इलाज करके ओपरेशन थिएटर से बहार आते है और मानसिंह जादवा उनके पास जाते है |

   डोक्टर ...अपने काम से कही जाते हुए डोक्टर से कहा |

   हा जी जादवा साहब माफ़ कीजिये मेरा आपकी और ध्यान नहीं गया ...डोक्टर ने मानसिंह जादवा की आवाज सुनकर पीछे की और मुड़ते हुए कहा |

   क्या हुआ शुभनाथ जी का ...मानसिंह जादवा ने कहा |

   जी उनके दोनों पैर में हड्डी दोनों तरफ कुछ कुछ क्रेक थी जिसका इलाज हमने कर दिया है तो उन्हें कुछ दिन यही पर रहेना होगा फिर यहाँ से छुट्टी देंगे लेकिन पैर पे प्लास्टर कुछ महीनो तक रहेगा ...डोक्टर ने कहा |

   ठीक है तो में उन से मिल सकता हु अभी ...मानसिंह जादवा ने कहा |

   जी नहीं क्योकी अभी वो बेहोश है तो बहेतर रहेगा की आप कुछ एक घंटे के बाद ही मिले ...डोक्टर ने कहा |

   ठीक है कल ही आता हु मिलने सुबह में ...मानसिंह जादवा ने डोक्टर से कहा |

   ठीक है जादवा साहब जय माताजी ...डोक्टर ने जाते हुए कहा |

   जय माताजी ...मानसिंह जादवा ने कहा |

   अब मानसिंह जादवा कल शुभनाथ जी को मिलने आने वाले थे और इसी बिच अंश और दिव्या भी अस्पताल आ सकते है अगर सारे लोग एक ही समय पर अस्पताल पहुचे तो क्या क्या हो सकता है आप सोचिए और उत्तर के लिए पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY