हमने दिल दे दिया - अंक २९ VARUN S. PATEL द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हमने दिल दे दिया - अंक २९

अंक २९. गरमाहट   

    ठीक है कोई बात नही ऐसा करते हैं एक मेहरबानी हम आपके उपर करते हैं और एक आप हम पर कर दीजिए और इसके लिए आप मना नहीं करोगे यह वादा करो... शांतिलाल झाने राजनैतिक दाव खेलते हुए कहा ।

     बाप रे यह आदमी तो उपर ही चढ़ता जा रहा है... अंश ने मन ही मन कहा।

     ठीक है बोलिए ... अंश ने कहा ।           

     इनका मास्क नही निकालते है ऐसे ही फोटो खींच लेते है और आप इतनी समाज सेवा कर रहें हो तो हमारा फर्ज बनता है की हम आपको कुछ उपहार दे और यह उपहार है की आप भी मेरे साथ इस बहन के साथ फोटो में आए ताकी हम यह फोटो कल अखबार में छाप सके और आपके इस अच्छे काम को लोगो तक पहुंचा सके... शांतिलाल झाने जान बूझकर चाल खेलते हुए

    चलो भाई हमारी इस सेवक के साथ एक फोटोग्राफ खिचो और कल मस्त अख़बार में छाप दो इन्होने जो कार्य किया है इसका फल तो इन्हें मिलना ही चाहिए ...शांतिलाल झा ने फोटो के लिए पोझ देते हुए कहा |

    फोटोग्राफर अंश दिव्या और शांतिलाल झा का फोटो लेता है और फिर शांतिलाल झा दिव्या के सामने देखकर दो हाथ जोड़कर प्रणाम करता है और बाद में अंश के साथ हाथ मिलाता है |

    चलिए अंश जी हम चलते है और आपका नंबर अगर आप दे सके तो हमें चाहिए था क्योकी जब भी कोई एसा सेवा का काम हो तो आपके जैसे जवानो के नंबर हमारे पास हो तो अच्छा रहेता है और कुछ नहीं अगर आपकी इच्छा हो तो बाकी चलेगा ...शांतिलाल झा ने कहा |

    नहीं कोई बात नहीं आप लिख लीजिए में आपको नंबर देता हु | लिखिए ९७५८६२.... यह है मेरा नंबर ...अंश ने अपना नंबर देते हुए कहा |

    चलिए ठीक है राम राम हम लोग चलते है ...शांतिलाल झा ने जाते हुए कहा |

    शांतिलाल झा वहा से तो चले जाते है लेकिन जाते जाते कई सारे सवालों को अंश और दिव्या के दिमाग में छोड़ जाते है जो उन्हें कल सुबह जब तक अखबार नहीं आ जाता तब तक सताने वाले थे |

    इसके साथ अच्छा व्यवहार करके इसको अपने साथ लेने के लिए कुछ सोचो अगर प्यार से नहीं तो कोई एसा रास्ता खोजो जिससे इसका हमारे साथ रहेना मज़बूरी बन जाए ...शांतिलाल झा ने अस्पताल से बहार जाते हुए अपने PA से कहा |

    जी में कुछ करता हु ...शांतिलाल झा के PA ने कहा |

    हाश ...राहत की साँस लेते हुए अंश ने कहा |

    राहत की साँस लेते हुए अंश दिव्या के बेड के उपर बैठता है और दिव्या भी अपने दोनों हाथो को जोड़ते हुए माताजी को धन्यवाद बोलती है |

    हे माताजी आपका लाख लाख सुखरिया माँ ...दिव्या ने अपने दोनों हाथो को जोड़ते हुए कहा |

    अभी चिंता टली नहीं है दिव्या माताजी को साथ में यह भी प्राथना करो की कल अगर अख़बार में यह फोटो आए तो इस पर हमारे परिवार वालो की नजर ना पड़े और नजर पड़े तो कोई सवाल ना उठे और मुझे नहीं लगता की यह आदमी एक व्यापारी था साला जान बुझकर हमें बना रहा था | यह कोई राजनैतिक आदमी था ...अंश ने दिव्या से कहा |

    कोई बात नहीं तुम चिंता मत करो कल सब सही ही होगा लेकिन मुझे तो इस बात की चिंता है की पहले ही दिन इतना बड़ा बवाल होते होते रहे गया है तो आगे जाकर क्या होगा यार बड़ा साहस कर रहे है हम अंश... दिव्या ने अंश से कहा |

    हा पर हमारे पास इसके अलावा कोई और रास्ता भी तो नहीं है यह रिश्क तो हमें लेना ही होगा दिव्या ...अंश ने दिव्या से कहा |

    दोनों के बिच बाते चल ही रही थी उतनी देर में डोक्टर वहा पर पहुचते है और दिव्या से उसका हालचाल पूछते है |

    अब तबियत कैसी है आपकी दिव्या जी कल से ज्यादा बहेतर लग रहा है या अभी भी वैसा ही है ...डोक्टर ने कहा |

    जी अभी तो बिलकुल ठीक लग रहा है ...दिव्या ने डोक्टर से कहा |

    ठीक है तो में कुछ छोटी मोटी जाचे है वो कर लेता हु रिपोर्ट कराना होगा लेकिन वो हम बाद में एक दो दिन के बाद ही करेंगे ...डोक्टर ने कहा |

    ठीक है ...दिव्या ने डोक्टर से कहा |

    डोक्टर अपने ब्लड प्रेसर को चेक करने के यंत्र से दिव्या का ब्लड प्रेसर चेक कर रहे थे और अंश पास में खड़े होकर सबकुछ देख रहा था |

    अच्छे समाचार है आपका ब्लड प्रेसर अभी तो कंट्रोल में है थोडा उपर है लेकिन वो दिक्कत की बात नहीं है | अभी बस इतना कीजिएगा ज्यादा चिंता मत करियेगा और समय समय पे खाना और दवाई दोनों लेते रहिएगा ...डोक्टर ने दिव्या से कहा |

    जी सुखरिया डोक्टर ...दिव्या ने कहा |

    thank you डोक्टर ...अंश ने अपना हाथ डोक्टर से मिलाने के लिए आगे करते हुए कहा |

    जी वेलकम अंश और यह तो मेरा फर्ज है ...डोक्टर ने अंश से हाथ मिलाते हुए कहा |

    चलिए में नर्स से बोल देता हु यह बोटल और सुई निकालले और फिर आप लोग जा सकते है ठीक है ...डोक्टर ने अंश और दिव्या से कहा |

    जी ...अंश ने डोक्टर से कहा |

    डोक्टर अपनी तपास करके वहा से चले जाते है और फिर बाद में नर्स वहा पर आती है और दवाई की बॉटल और हाथ में लगी सुई को निकालकर चली जाती हैं ।

    अब आप जा सकते है ...नर्स ने जाते वक्त कहा |

    अंश और दिव्या दोनों अस्पताल से निकलते है और अपने आयोजन के मुताबित होटल में खाना खाने जाने की तरफ आगे की और बढ़ते है |

    अंश हमारा ज्यादा बहार रहेना ठीक नहीं है खास करके आज के लिए मुझे अजीब सा लग रहा है तो हम बहार खाने का प्रोग्राम रद करके एसा करते है खाने का पार्सल ले लेते है और हवेली जाकर वहा सब के साथ ही खाना खायेंगे पराग, चिराग और अशोक के साथ ...दिव्या ने अंश से कहा |

    अंश कार चला रहा था और दोनों बिच रास्ते में थे |

    हा सही बात है यही ठीक रहेगा वैसे भी वो लोग भी बिचारे भुखे बैठकर हमारा काम कर रहे होंगे तो अच्छा ही है की हम उन लोगो के साथ ही बैठकर खाना खाए ...अंश ने कहा |

    ठीक है तो आगे एक बहुत ही अच्छा होटल है वहा से तुम पार्सल करवालो... दिव्या ने अंश से कहा |

    ठीक है और में तीनो को फोन भी लगा देता हु की हम आज खाना साथ में खा रहे है ...अंश ने कहा |

    पुलिस ठाणे में,

    मानसिंह जादवा के बेटे वीर का कॅश अभी भी उसी ड्राईवर पे अटका था और इस वजह से आज भवानी सिंह थोडा गुस्सा भी था और बोखलाया हुआ भी था | हवालदार मनसुख भाई और महेंद्र भाई दोनों भवानी सिंह के बुलावे पर भवानी सिंह के दफ्तर में आते है |

    साहेब आपने बुलाया हमको ...हवलदार महेंद्र भाई ने कहा |

    ध्यान से सुनो आप दोनों अभी है ना यह ड्राईवर जब मिलेगा तब मिलेगा इसलिए उसको खोजना तो शुरू ही है लेकिन अब कार्यवाही उस मानसिंह जादवा के हिसाब से नहीं चलेगी अब कार्यवाही जैसे पुलिस करती है वैसे ही होगी तो आप दोनों उस फार्म हाउस को और में जादवा परिवार के साथ और उस विधवा बहु दोनों के साथ पुछ्ताज करूँगा और जल्द से जल्द इस कॅश को ख़त्म करते है और अपना माल अंदर करते है किसी के बाप का नौकर नहीं है यह भवानी सिंह ...भवानी सिंह ने गुस्सा होते हुए कहा |

    बिलकुल सर और उस ड्राईवर के परिवार का भी पता चल गया है वो अभी भावनगर में है और शायद वो ड्राईवर भी वहा पर ही होगा ...हवालदार महेंद्रभाई ने कहा |

   शायद वो वहा जाकर अलंग में काम कर रहा है एसा भी जानने को मिला है तो हमें वहा की पुलिस को उस पत्ते पर भेजना चाहिए जो हमने उस ड्राईवर के परिवार का निकाला है और पुरी पुछ्ताज करके अगर वो ड्राईवर वहा पर है तो उसको पकडवा लेना चाहिए ...हवालदार मनसुख भाई ने कहा |

    ठीक है तो वहा के पुलिस ठाणे में बात करो और उस ड्राईवर को पकड़ो और अगर नहीं मिलता तो पुरे परिवार को पकड़कर यहाँ पर लाओ और उनको तब तक हमारी खातिरदारी में रखो जब तक वो ड्राईवर हमारे हाथ ना लग जाए ...भवानी सिंह ने अपने हवालदारो से कहा |

    तीनो के बिच बातचीत चल ही रही थी तभी वहा पर एक और हवालदार आता है और भवानी सिंह से अपनी जो भी बात कहने के लिए आया था वो कहेता है |

    साहेब में अंदर आ सकता हु ...दरवाजे पर खड़े रहेकर भवानी सिंह ने कहा |

    जी आजाओ ...भवानी सिंह ने कहा |

    सर यह विकास दल के प्रदेश प्रमुख का PA कितने दिनों से हमारे पीछे पड़ा है उनको आपके साथ मीटिंग करनी है ...हवालदार ने कहा |

    कौन शांतिलाल झा ...भवानी सिंह ने कहा |

    जी साहेब ...भवानी सिंह ने कहा |

    ठीक है अभी का बोल दे इन नेता लोगो को भगाना ही पड़ता है बोल दो उनको की आधे घंटे में आ जाये उसके बाद हम व्यस्त है ...भवानी सिंह ने अपने हवालदार से कहा |

    जी साहेब... जाते हुए हवालदार ने कहा

    आप लोग सुनो आप दोनों सबसे पहले उस वीर के दोस्तों से मिलो और उनसे पुछ्ताज करो की फार्म हाउस में क्या हुआ था और वहा से वीर कब निकला और फिर कहा कहा गया और क्या क्या किया सारी कुंडली निकालो क्योकी सिर्फ ड्राईवर को ढूढने से कुछ नहीं होगा जल्द से जल्द पुरी बात क्या थी वो जान लो और इस कॅश को ख़त्म करो अगर मर्डर है तो मर्डर और अकस्मात है तो अकस्मात ...भवानी सिंह ने कहा |

    भवानी सिंह अब इस कॅश को ज्यादा लंबा खीचना नहीं चाहता था क्योकी उसे अपने हिसाब से कॅश को मानसिंह जादवा चलाने नहीं दे रहे थे इस वजह से ही भवानी सिंह इस कॅश को ज्यादा से ज्यादा जल्दी निपटाना चाहता था |

    आधा घंटा बीतता है | शांतिलाल झा की गाडियों का काफिला पुलिस ठाणे पहुचता है भवानी सिंह की मुलाकात करने के लिए | शांतिलाल झा अपने PA और अपने कुछ आदमी लोगो के साथ अपनी कार से बहार निकलते है और पुलिस ठाणे में प्रवेश करते है | अंदर जाते ही सबसे पहले शांतिलाल झा का PA वहा बैठे हवालदार से पुछता है |

    भवानी सर कहा मिलेंगे हमारी उनके साथ मीटिंग है | में विकास दल पार्टी के प्रमुख का PA हु और यह है झा साहब जिनकी आज मीटिंग है ...PA ने हवालदार से कहा |

    जी आप कुछ देर इंतजार कीजिये में साहब से पुछ लेता हु ...हवालदार ने उठकर भवानी सिंह के दफ्तर की और जाते हुए कहा |

    भवानी सिंह अपने दफ्तर में बैठकर कुछ कॅश की फाइल्स देख रहे थे और वो हवालदार दरवाजे से ही उनसे बात करता है |

    साहेब वो झा साहब आए हुए है आपके साथ जिनकी मीटिंग थी वो ...हवालदार ने कहा |

    अंदर भेज दो उनको ...भवानी सिंह ने कहा |

    जी साहेब ...इतना बोलकर हवालदार वहा से चला जाता है |

    शांतिलाल झा और उनके लोगो के पास आकर हवालदार उनको अंदर जाने के लिए बोलता है |

    जी आप अंदर जा सकते है साहेब अंदर ही है ...हवालदार ने कहा |

    ठीक है आप कार्यकर्ता लोग इधर ही रुकिए में और हमारे PA साहब दोनों अंदर होकर आते है ...अपने कार्यकर्ताओ से बात करते हुए शांतिलाल झा से कहा |

    शांतिलाल झा और उनका PA दोनों भवानी सिंह के दफ्तर में प्रवेश करते है और उनको देखते ही भवानी सिंह अपनी फाइल अपने टेबल पर रख देता है |

     जय हिन्द भवानी साहेब ...दो हाथ जोड़कर प्रणाम की मुद्रा में शांतिलाल झा ने कहा |

     अरे आईए आईए झा साहब आपका स्वागत है हमारे इलाके में और जय हिन्द आपको भी ...सामने भवानी सिंह ने भी उनको वैसे ही सद्कार देते हुए कहा |

     नमस्ते सर ...शांतिलाल झा के PA ने कहा |

     जी आप कौन ...भवानी सिंह ने कहा |

     जी में इनका PA ...PA ने कहा |

     PA का मतलब पोछा अच्छा करने वाला ही ना ...भवानी सिंह ने शांतिलाल झा के PA की मजाक उड़ाते हुए कहा |

     भवानी सिंह की एसी बात सुनकर कुछ देर के लिए शांतिलाल झा और उनके PA को बड़ा अजीब लगता है |

     अरे रुठियेगा मत में तो मजाक कर रहा हु पर्सनल असिस्टेंट साहेब नमस्ते आपको भी ...भवानी सिंह ने कहा |

     अरे में तो गभरा ही गया था की आप एसी बात क्यों कर रहे है ...PA ने कहा |

     अरे हमारा स्वभाव ही मजाकिया है | जी बैठिये आप दोनों ...भवानी सिंह ने खुद अपनी जगह पर बैठते हुए कहा |

     भवानी सिंह जान बुझकर एसी मजाक कर रहा था ताकि शांतिलाल झा को यह अंदाजा हो जाए की यह अफसर बहुत ही टेड़े किसम का है और इस से डील करने में ध्यान रखना होगा |

     जी कहिए इतने बड़े नेता को आज मेरा क्या काम पड़ गया हम क्या सेवा कर सकते है आपकी ...भवानी सिंह ने कहा |

     सेवा तो आपकी बहुत चाहिए और काम का तो आपको पता ही है आप यहाँ के दरोगा है तो आपको इतना तो पता ही होगा की इस बार में यहाँ पर हमारा एक कार्यकर्ता खड़ा कर रहा हु और आपको तो पता है की यहाँ पर वो जादवा का बड़ा दबदबा चलता है तो हमें प्रचार के लिए बड़ी बड़ी रेलिया करनी है और सभा भी तो पुलिस का सुरक्षा के लिए हमें सहयोग चाहिए था ...शांतिलाल झा ने कहा |

    जी वही तो हमारा काम है और उसके लिए आपको यहाँ पर आने की कोई जरुरत नहीं थी आप अगर आपके आदमी को भेज देते कुछ जरुरी चीजो के साथ जो क़ानूनी कार्यवाही के लिए जरुरी है तो प्रोसेस करके वो काम तो आप के बिना भी हो जाता आख़िरकार पुलिस का ही तो काम है आप लोगो की सुरक्षा का ...भवानी सिंह से शांतिलाल झा के सिंपल सवाल का सिंपल उत्तर देते हुए कहा |

    देखो बात उतनी ही नहीं है साहब पुरी बात यह है की आपको तो पता ही है की चुनाव के कितने दावपेच होते है और क्या क्या खेल खेला जाता है तो आपसे रूबरू मुलाकात करना जरुरी था क्योकी आज वो सत्ता में है तो कल हम भी हो सकते है तो एक दुसरे की मदद करना और एक दुसरे से जान पहेचान बनाना तो जरुरी ही है तो हमारी आप से यह बिनती थी की आप हमारी सुरक्षा के अलावा भी थोड़ी मदद करे और बदले मे हम भी आपकी जो सहायता बन पड़ेगी वो जरुर करेंगे ...शांतिलाल झा ने बात को घुमाते हुए कहा |

    देखिये आपको में क्या एसा वैसा अफसर लगता हु | एक बात सुन लीजिए आपका चुनाव आपका प्रश्न है तो वो आप जाने इसमें में आपके लिए कुछ भी नहीं कर सकता में बस आपको सुरक्षा दे सकता हु ...भवानी सिंह ने अपनी जगह से थोडा उचा होते हुए थोड़े से गुस्से से कहा |

    देखिये अफसर थोड़ी ठंडी पकडिये और हमें भी आप एसा वेसा ना समझे आप मानसिंह जादवा के बेवडे बेटे का कॅश कैसे दबा रहे है वो हमको बिलकुल सही से पता है तो आप भी हमें हलके में मत लीजिए प्यार से आपके साथ दोनों का फायदा हो वैसे रहने की कोशिश कर रहे है तो आप भी आपका फायदा सोचिएना | में कहा कहे रहा हु की आप वो मानसिंह जादवा के विरोध में हो जाए में तो बस इतना बोल रहा हु की आप उनसे भी माल लीजिए और छुपके से हमारे साथ भी काम करिए और हम से भी माल लीजिए आपका तो दोनों और से फायदा हो जाएगा | क्योकी एक बात तो तय है की एक बार हमारी सत्ता यहाँ पर आ गई तो मानसिंह जादवा का पुरा साम्राज्य हम बिखेर देंगे ठीक है | आपको सोचना है तो सोच लीजिए और हमारी मदद कर सकते है तो कर दीजिए और इसी में आपका फायदा है बाकी आपकी इच्छा हमें घंटा फर्क नहीं पड़ता आपके बिना हम इतने हरामी है की चुनाव तो हम कैसे भी करके जित लेंगे लेकिन आप अपना सोचियेगा | हम आपको साहेब करके बुलाते है और आप भी कहेते है और भवानी सिंह ... बाकी आगे आप समझदार है चलते है जय हिन्द ...इतना बोलकर शांतिलाल झा भवानी सिंह के केबिन से निकल जाते है |

    शांतिलाल झा कोई साधारण इंसान नहीं था वो विकास दल का सबसे ताकतवर इंसान था और पैसे वाला भी इस वजह से उसके लिए भवानी सिंह को धमकाना कोई बड़ी बात नहीं थी | शांतिलाल झा वहा से चले जाते है और उनका यह व्यवहार भवानी सिंह को जरा सा भी पसंद नहीं आता और वो गुस्सा हो जाता है और गुस्से में अकेले ही कुछ ना कुछ रटने लगता है |

    साला जो कोई भी आता है वो जो मन में आए वो बोलकर चला जाता है अब दिखाना ही पड़ेगा मुझे इन सबको । सालो ने पुलिस को समझ क्या रखा है बताता हु तुम सबको में ...भवानी सिंह ने गुस्से में आग बगुला होते हुए कहा |

    इधर अंश और दिव्या दोनों खाने के पार्सल के साथ हवेली वापस पहुचते है और हवेली के पीछे सिर्फ पराग ही बैठा हुआ था अशोक और चिराग दोनों दुसरी जगह पे बैठे हुए थे | पराग दिव्या और अंश को देखकर अपनी जगह से खड़ा होता है | अंश और दिव्या कार से उतरते है |

    आ गए आप लोग सब ठीक से हो गया ना ...पराग ने अपनी जगह से उठकर अंश के पास आते हुए कहा |

    थोड़ी दिक्कते हुई पर हो गया बाकी का कल देखते है क्या कर सकते है ...अंश ने परेशान होकर पराग से कहा |

    क्यों क्या हुआ मतलब ...पराग ने अंश से कहा |

    तुम उन दोनों को बुलालो और यह मोटर-साईकल दीवार के पास लगा दो हम लोग खाना खाते हुए बात करते है ...अंश ने पराग से कहा |

    ठीक है ...पराग ने कहा |

    अरे बाप रे यहाँ तो कितना गंदा गंदा हो गया है यह लाल पानी है की क्या है ...दिव्या ने पराग जहा पर बैठा था वहा आस-पास कुछ लाल प्रवाही देखते हुए कहा |

    नहीं रे यह लाल पानी नहीं है यह इसने गुटखा खाकर थूका हुआ है | साले बंद कर दे यह गुटखा खाना वरना एक दिन मर जायेगा | जहा जहा गुटखा वहा वहा गंदकी एसा एक एड चला देना चाहिए तो ही लोग सुधरेंगे ...अंश ने पराग की और देखते हुए कहा |

    तु ना अपना यह भाषण बंद कर और सीधा सीधा अंदर चला जा वरना अभी मु में जो गुटखा भरा है वो तुम्हारे उपर थूक देंगे | थूके क्या ...पराग ने अंश को धमकी देते हुए कहा |

    नहीं भाई नहीं एसा कुछ भी करने की जरुरत नहीं है तुझे जो खाना है वो खा और तु जल्दी से वो मोटर-साईकल वहा पर लगा कोई देखले उससे पहले हमलोग अंदर चले जाते है ...अंश ने पराग से कहा |

    पराग अपनी मोटर-साईकल दीवार के पास लगाता है और जैसे हर बार अंश और उसके दोस्त हवेली में घुसते है वैसे ही इस बार भी अंश, दिव्या और पराग हवेली में घुसते है | अशोक और चिराग भी हवेली पर आ पहुचते है | सारे मिलकर दिव्या के कक्ष में खाना खाने की तैयारिया कर रहे थे |

    बिच में सारा खाना बरतनों में डालकर दिव्या ने रख दिया था और खुद कपडे बदलने के लिए चली गई थी और खाने के आस-पास बैठकर सारे दोस्तों के बिच गुफतगु चल रही थी |

    में खुशु को मेसेज करके बता देता हु ताकि वो चिंता ना करे की हम वापस आ चुके है ...अपने मोबाईल पर संदेश लिखते हुए अंश ने कहा |

    अच्छा अंश यह बता की वहा पर कही पर भी कोई भी गड़बड़ तो नहीं हुई थी ना ...चिराग ने पराग वाला सवाल पूछते हुए कहा |

    यही सवाल हमने पूछा था लेकिन हमको कहा की अंदर जाकर बताता हु लेकिन अभी तक नहीं बताया ...पराग ने कहा |

    अरे बोलता हु मेरे भाई बोलता हु गड़बड़ तो बड़ी हुई है यार कल हमें कुछ करना होगा वरना मुझे कई सारे सवालों के उत्तर देने पड़ेंगे ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    अरे हमें बता तो सही क्या हुआ है बाद में उसके लिए भी कुछ सोचते है ना ...अशोक ने कहा |

    अंश अस्पताल में जो कुछ भी हुआ वो बताता है और बाद में अपने दोस्तों से कहेता है |

    अभी वो फोटो कोन से अखबार में आएगी उसका भी पता नहीं है और अगर मेरे पापा के पास या मानसिंह काका के पास वो फोटो चली गई तो मुझे कई सारे सवालों के उत्तर देने पड़ जाएंगे और वो आदमी भी मुझे जूठा लग रहा था | वो मुझे किसी राजनैतिक पार्टी का आदमी लग रहा था कही वो विपक्ष का आदमी निकला और चुनाव शिर पर है और फोटो में मानसिंह काका ने मुझे उसके साथ देख लिया तो गड़बड़ हो जायेगी | जब वो आया तब में अस्पताल में नहीं था और जब गया तो में डोक्टर से उसकी पहेचान पूछना ही भुल गया लेकिन था बड़ा आदमी एक तो में यहाँ पर रहेता नहीं हु वरना यहाँ के लोगो को जरुर पहेचान लेता ...अंश ने अपने दोस्तों से कहा |

    वो कौन था और उसकी वजह से क्या होने वाला है यह तो हमें पता नहीं है लेकिन हमें इतना पता है की हमें कल कुछ भी कर के अख़बार को जादवा सदन और केशवा निवाश पहुचने नहीं देना है ठीक है ...अशोक ने अपने दोस्तों से कहा |

    हा यही सही रहेगा ...चिराग ने कहा |

    ठीक है देखते है कुछ ...अंश ने कहा |

    चारो दोस्तों के बिच बाते चल ही रही थी तभी वहा पर दिव्या अपने उसी अंदाज में वापस आती है जैसे हवेली से बहार जाने से पहले थी | अपनी सफ़ेद सारी में यह देखकर अंश और भी उदास होता है |

    अरे दिव्या तुमने कपडे क्यों बदल डाले यार वो ड्रेस पहेनो ना और में कल तुम्हारे लिए और भी लेकर आऊंगा मेरी बहन अभी इनका इस्तेमाल नहीं करती है और अगर तुम्हे किसी और के नहीं पहनने है तो में नए लाकर दूंगा लेकिन यह सफ़ेद सारी पहेनना छोड़ दो ...अंश ने दिव्या को देखकर कहा |

    अरे अंश एसा कुछ नहीं है मुझे तुम्हारी बहन के कपडे पहनने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन अभी तो यही मेरा भाग्य है और कभी भी कोई भी आ सकता है तो इस सारी में ही रहेना सही है ...दिव्या ने अंश से कहा |

    अगर कोई आता है तो दरवाजे पे सेंसर लगा हुआ ही है जो हमारे मोबाइल के साथ जुड़ा हुआ है तो तुम्हे चिंता किस बात की है वो दरवाजे से अंदर पहुचे उससे पहले तो तुम कपडे बदल ही शक्ति हो ...अंश ने कहा |

    लेकिन जब तुम लोग नहीं होंगे तब किसके मोबाइल से में वो आलाम सुनूंगी ...दिव्या ने कहा |

    सारे दोस्तों के बिच बात चल ही रही थी उतने में सही में दरवाजे का आलाम बजना मोबाइल में शुरू होता है और सभी वो आवाज सुनकर गभरा से जाते है की इस वक्त कौन आया होगा और अगर कोई आया होगा तो इस खाने को कैसे छुपाया जा सके क्योकी खाने की सुगंध पुरे कक्ष में फ़ैल चुकी थी |

    बाप रे बाप मर गए सच में आज अगर पकडे गए तो गुटखा कभी भी नहीं खा पाउँगा ...पराग ने रोतलु जैसा मु करते हुए कहा |

TO BE CONTINUED NEXT PART...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY