हमने दिल दे दिया - अंक २५ VARUN S. PATEL द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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हमने दिल दे दिया - अंक २५

अंक २५. किस्सा 

    सही है पर एसा नहीं था क्योकी कॉलेज में एक लड़के के साथ उसने सबके बिच जो किया उसके बाद मैंने उसके साथ जो किया वो होने के बाद पुरी दुनिया को पता लग गया की हरमन से सुहानी सिर्फ और सिर्फ पैसो के लिए ही प्यार करती थी और कुछ नहीं था सुहानी की तरफ से ...दिव्या ने अंश से कहा |

    एसा क्या किया था तुम ने उसके साथ ...अंश ने सवाल करते हुए कहा |

    तुम सोचो एसा क्या किया होगा मैंने सोचो सोचो लगाओ अपना दिमाग चलो ...दिव्या ने अंश से सवाल करते हुए कहा |

    नहीं यार तुम ही बता दो की हुआ क्या था मुझे यह सोचना वगेरा बहुत बोरिंग लगता है ...अंश ने कहा |

    अच्छा ठीक है तो सुनो | यह तो अब तुमको पता है की सबको यह पता था की हरमन और सुहानी दोनों एक दुसरे से प्यार करते थे | तब में उस कॉलेज की सबसे बिंदास लड़की थी में तभी हॉस्टल में रहा करती थी जहा मुझे अपनी मरजी से कपडे पहेनने की आदत थी तो में हमेशा जिन्स पहना करती थी | वो भी क्या दिन थे जिन्स और टी-सर्ट और खुले बाल कॉलेज में चलते तो एसा लगता की मानो जैसे Ramp Walk कर रहे हो | हा बहुत प्रख्यात नहीं थी पर कॉलेज के १०-१२ लड़के तो पागल होंगे ही मेरे पीछे | मुझे लडको की वही बात पे दया आती थी की वो बिचारे जिस लड़की को चाहे उसे पटा नहीं सकते थे और इस बारे में हम लडकियो का बहुत आसान होता है क्योकी शायद ही हमें कोई लड़का ना कहेता ...दिव्या ने अपने कॉलेज के समय के किस्से कहानिया सुनाने की शुरुआत करते हुए कहा |

    वो मेरे जैसे होंगे में मना कर देता बहुत सी लडकियो को क्योकी में बहुत सी चीजो के लेकर पझेसिव हु जैसे मुझे एसे वेसे ही किसी लड़की से आकर्षण नहीं होता है में हमेशा दिल से सोचता हु तो शायद इसी वजह से मुझे कभी किसी भी लड़की की सुंदरता ने मोहित नहीं किया होगा ...अंश ने कार चलाते हुए कहा |

    वाह मतलब सख्त लोंडा ...दिव्या ने हसते हुए कहा |

    सख्त तो नहीं पर हर किसी से नहीं पटता में किसी खास इंसान से ही मुझे हमेशा से लगाव रहेता ...अंश ने दिव्या से कहा |

    ठीक है तुम्हारे उपर यह चर्चा उधार रही हमारी | पहले मेरा किस्सा पुर्ण करते है | सुहानी और हरमन का अफैर चल ही रहा था पर कॉलेज का एक और लड़का था नाम उसका था ...हा भजन बहुत ही शरीफ और सीधा सा लड़का था और पढने में सबसे टॉप पर था जिसे ख़ुशी भी जानती है उसे सुहानी से एक तरफ़ा और बहुत ही गहेरा प्यार हो गया था | भजन अपनी पढाई वगेरा सबकुछ छोड़कर छुपते छुपाते हमेशा सुहानी के पीछे पड़ा रहेता | गार्डन में हो या क्लास रूम में हो हमेशा भजन सुहानी का पीछा करता और उससे थोड़ी दुर छुपके से बैठकर उसे देखा करता | कुछ दिन एसे ही बीतने लगे ना तो उसको भुख लगती और ना ही उसको कुछ भी करने का मन करता वो बस सुहानी सुहानी करता रहेता और इसी कारण एक बार तो वीकली टेस्ट में तो वो फ़ैल भी हो गया फिर कुछ दिन और बीते और एक दिन एसा आ ही गया जब भजन ने हिम्मत करके सुहानी को प्रपोझ करने का ठान लिया और बिच कॉलेज में उसने सुहानी के प्यार में अँधा होकर उसे प्रपोझ कर दिया फिर जो हुआ वो बहुत बुरा हुआ मतलब तुम सोच नहीं सकते अंश इतना बुरा हुआ | तुम्हे क्या लगता है क्या हुआ होगा ...दिव्या ने फिर से सवाल करते हुए कहा |

    दिव्या प्लीज तुम जानने की उत्सुक्ता मत बढाओ जल्दी से किस्सा कहेकर खत्म करो मुझे ज्यादा सस्पेंस पसंद नहीं है ...अंश ने दिव्या से कहा |

    ठीक है बाबा ठीक है तो सुनो आगे | जब भजन ने उसको एक गुलाब का फूल अपने घुटनों पे बैठकर प्रपोझ करते हुए दिया तो फिर कुछ देर के लिए सुहानी शांत रही उसके बाद उसने कोई भी उत्तर दिए बिना भजन को एक जोर से सबके बिच में एक थप्पड़ लगा दिया ...दिव्या ने कहा |

    बाप रे फिर तो भजन की इज्जत की क्या बेंड बजी होगी है ना ...अंश ने कहा |

    अरे सॉलिड बेंड बजी और यह यहाँ तक ख़त्म नहीं हुआ पहले हाथ से थप्पड़ मारा और फिर अपने शब्दों के थप्पड़ लगाने की शुरुआत की और में तब वहा पर ही हाजिर थी और बड़ी शांति से सबकुछ देख रही थी | सुहानी ने बोलने की शुरुआत की |

    सुहानी : यह सब करने से पहले कम से कम अपनी औकात तो देख लेता भजन तु सुहानी से महोब्बत करेगा तुन्हें आईने में अपनी शकल देखी है कभी साले कुत्ते जैसा लगता है | में हरमन की गर्ल फ्रेंड हु तेरे पास तो उसके जितने पैसे भी नहीं है और हा तुम जैसे लोग ना सिर्फ और सिर्फ पढाई के लिए बने है तो यह सारी कुत्ता गिरी छोड़कर पढाई पर ध्यान दो | मेरे जैसी लड़की तुमको मिले एसा तुम्हारे लिए सपने में भी सोचना पाप है समझा क्या आईंदा से ध्यान रखना वरना लडको से पिटवा दूंगी | साले शर्म नहीं आती बिच कॉलेज के तु मेरे जैसी अच्छी लड़की को यह सब करके बदनाम करने कोशिश कर रहा है |

    भजन उस समय कुछ भी बोल नहीं रहा था वो बस जैसे बैठा था वैसे ही बैठकर रो रहा था | वो इस हादसे से बहुत ही दुखी था | यार उसने कोई गुनाह थोड़ी किया था उसने किसी से प्यार किया और फिर उस बात का इजहार किया तो उसमे गलत क्या किया था फिर भी उसने बिना बात की बदनामी कॉलेज में फेस की जो मुझे जरा सा भी पसंद नहीं आया | एक तरफ़ा प्यार करना कोई गलत बात थोड़ी है तब मुझे लगा की यार अगर कोई एक तरफा प्यार करने की सजा भुगत सकता है तो फिर उसे सजा देने वाली को भी सजा देना जरुरी था तभी मैंने निश्चय कर लिया की में उस साली सुहानी को एसी सजा दूंगी की वो फिर से कभी भी एसे किसी लड़के के सामने अपना रुआब झाड़ने की कोशिश नहीं करेगी ...दिव्या ने कहा |

    फिर क्या हुआ और तुम ने एसा क्या किया ...अंश ने कहा |

    अरे यार बात मत पूछो इतना बड़ा किस्सा बना की कुछ समय के लिए में भी डर गई की कही में फस ना जाऊ इसमें ...दिव्या ने कहा |

    यार तुम बिना घुमाये जो भी है सीधा उसकी बात करो यार दिव्या ...अंश ने कहा |

    ठीक है तो में बात पर आती हु | फिर चिड़ी हुई सुहानी कॉलेज के बाथरूम में चली गई और वहा पर जाकर अपना पूरा गुस्सा बाथरूम में चिल्लम चिल्ली करके निकालने लगी फ़िर में वहा पर पहुंची और मैने उसकी तारीफ करके उसीको फसाने की कोशिश की ओर में सफल हो गई।

        सुहानी क्या कर रही हो इतना चिल्ला क्यों रही हो... दिव्या ने कहा ।

        साला कोई भी आकर मुझ पर नजरे डालने लगता है मैं कोई चीज हु जो खरीदी जाए। साले की हिम्मत कैसे हुई मुझे प्यार करने की साला अपनी सकल शीशे में देखकर आ... फिर से गुस्सा होते हुए वो लड़का वहा पर मौजूद ना होने के बावजूद उससे कहा।

        ऐसे तो देखा जाए तो हरमन तो इससे भी बुरा दिखता है और तुम कितनी अच्छी लगती हो तो उसे भी छोड़ क्यों नही देती... दिव्या ने जले में नमक डालने का काम करते हुए कहा।

        अरे उससे कौन प्यार करता है वो तो मै पैसे के लिए उसे अपने साथ रखती हु... गुस्से में बिना कुछ सोचे समझे सुहानी ने ऐसा कुछ बोल डाला जो उसे नही बोलना चाहीए था।

        सुहानी ऐसा बोलने के बाद अपने दोनों होठो के बिच अपनी जीभ दबाकर ना बोलने वाली चीज बोलने का अफसोस जताती है ।

        क्या मतलब तु हरमन से प्यार नही करती हैं। देख तु मुझे नही बताना चाहती तो कोई बात नहि पर अगर बताना चाहती है तो बता भी शक्ति है तेरी मर्जी मैंने सोचा तेरे अंदर का भार हलका हो जाएं... दिव्या ने अपनी बातो मै सुहानी को फसाते हुए कहा।

        अरे नही ऐसा नहि है वो में हरमन से प्यार नहि करती मै तो बस अपने सारे शोख और सपनो को पूरा करने के लिए उसके साथ रहती हूं ...सुहानी ने दिव्या से कहा |

    सुहानी इतना गुस्से में थी की उसके पेट में एक भी बात हजम नहीं हो रही थी सारी बाते वो दिव्या को बता रही थी और दिव्या उसे अपने फोन में रिकॉर्ड कर रही थी वीडियो के माध्यम से |

    क्या बात कर रही हो सुहानी यार एसा करना बिलकुल गलत होता है यार और वो भजन ने भी जो किया उसमे भी उसकी तो कोई गलती नहीं थी यार तुम बिना बात इतनी छिड़ क्यों रही हो ...दिव्या ने सच का साथ देते हुए कहा |

    तु बात बात पर पलट कैसे शक्ति है दिव्या और में ना तुझे यह सब बता क्यों रही हु | तु अभी यहाँ से निकल जा दिव्या वरना अच्छा नहीं होगा में बता दे रही हु ...सुहानी ने दिव्या को धमकी देते हुए कहा |

     ओह रूप की रानी तु न तेरी यह सब मैडम गिरी दुसरो को बताना मेरे को नहीं समझी क्या आई साली बड़ी ...दिव्या इतना बोलकर वहा से निकल जाती है |

     फिर में वहा से उतना बोलकर चली गई | ना तो उसको पता था या ना ही किसी कॉलेज वालो को की मैंने सुहानी का एक वीडियो बना दिया था की इस लड़की के कितने मु है एक पल में क्या बात करती है और दुसरे पल क्या बात करती है और मैंने वो वीडियो सोसिअल मीडिया पर वायरल कर दिया और फिर क्या था हमारी कॉलेज में इतना बड़ा भूचाल आया की उस भूचाल ने मेरी कॉलेज और बाहरी जिंदगी ही समाप्त कर दी और फिर मुझे भी दुसरी औरतो की तरह रिवाजो का शिकार होना पड़ा वरना में मेरे समय की गब्बर थी एकदम बिंदास किसी के बाप का डर नहीं और वेल्ले ही घुमना बहुत मजा आता था लेकिन साली एक ही दिन में जिंदगी एसी पलती की आज मेरी हालत देखो कैसी ही कोई सोच भी नहीं सकता की मै जीवन में कैसी थी और आज कैसी हु ...दिव्या ने अंश से कहा |

     चलो यह तो माना की तुमने सुहानी के साथ बड़ी शरारत कर दी पर इसमें तुम्हारा क्या फायदा था की उस लड़के के कारण तुमने एसा किया क्यों वो तुम्हारा दोस्त था या फिर तुम उससे प्यार करती थी और वो भी एक तरफ़ा ...अंश ने सवाल करते हुए दिव्या से कहा |

     अरे नहीं में उसको बस कॉलेज में पढने में अच्छा है उसी वजह से जानती थी ना तो हमारे बिच कोई प्यार था और ना ही दोस्ती पर हा एक चीज थी जो उसमे और मुझ में एक जैसी थी ... दिव्या ने अंश से कहा |

     और वो क्या थी ...अंश ने सवाल करते हुए कहा |

     एक तरफ़ा प्यार मैंने भी बचपन में एक तरफ़ा प्यार किया है और वो भी बड़े ही पागल किसम का प्यार मतलब वो मेरे लिए सबकुछ था और एक तरफ़ा प्यार का दर्द में अच्छी तरह से समझती हु क्योकी एक तरफ़ा प्यार में सिर्फ और सिर्फ तनहाही और अनंत जुदाई का अहसास ही होता है और कुछ नहीं ...दिव्या ने अंश से कहा |

     एक तरफ़ा प्यार चलो अभी तो अस्पताल आ गया लेकिन तुम्हारे इस एक तरफ़ा प्यार की दास्तान क्या है यह जरुर जानना चाहूँगा जैसे ही समय मिलता है ...अस्पताल में कार को पार्क करते हुए अंश ने कहा |

     आपको शायद यह खाली एक किस्सा लगा होगा पर यह किस्सा हमारी कहानी का सबसे एहम हिस्सा है जिसका पता आपको आगे चलकर चलेगा जो अंश और दिव्या को पुरी तरह जोड़ देगा और जब जुड़ेंगे अंश और दिव्या तो होगा एसा कुछ जिसे पढ़कर आपके रोंगटे जरुर खड़े हो जाएंगे इसलिए पढ़ते रहिये Hum Ne Dil De Diya के आने वाले सारे अंको को |

TO BE CONTINUED NEXT PART...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY