कहानी प्यार कि - 68 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 68

गाड़ी का दरवाजा खुला और वो बाहर आया...
हरदेव उसे देखकर हैरान था....
" तुम यहां कैसे आ सकते हो ? "

" क्यों ये तेरे बाप का रास्ता है क्या ? " सौरभ गुस्से से बोला....

" ए बाप पर मत जा ....."

" तो तू क्यों मेरे बाप पर गया हा ? बोल ..." बोलते हुए सौरभ ने गुस्से से आकर हरदेव का कोलर पकड़ लिया...

" अब अनिरुद्ध की जगह तेरा बाप आ गया उसमे में क्या करता ...छोड़ो मुझे..." हरदेव ने सौरभ को धक्का दे दिया...

इस तरफ करन ने अपना फोन देखा तो वो शॉक्ड रह गया...
" यार तुम सब एक बार अपना फोन चेक करो तो..."

सब ने अपना फोन चेक किया तो वो भी हैरान रह गए...
" क्या तुम सब के फोन पर भी सौरभ के मिसकॉल है....?" करन ने सवालात भरी नजरो से सब की और देखा...

" हा पांच मिसकॉल है " मोहित ने जवाब दिया...

" मेरे फोन पर भी सात मिसकॉल है" मीरा ने फोन चेक करते हुए कहा..

" और मेरे भी " किंजल करन की और देखकर बोली...

" पता नही क्या हुआ होगा... हम सब ने तो पकड़े ना जाए इस लिए फोन साइलेंट कर दिया था ... " करन ने बेबसी के साथ कहा..

" एक मिनिट सौरभ ने कुछ मेसेज छोड़ा है..." करन का ध्यान अचानक से मेसेज बॉक्स पर गया...

" क्या है जल्दी पढ़ो..." किंजल आतुरता से बोली।

" में हरदेव और जगदीशचंद्र की गाड़ी का पीछा कर रहा हु.. वो लोग अनिरुद्ध और संजना को लेकर जा रहे है ...तुम लोग जल्द से जल्द वहा पहुंचना... में अपना लोकेशन भेज रहा हु..." करन ने पूरा मेसेज रीड किया..

" पर सौरभ तो अंकल के पास था तो वो यहां कैसे पहुंचा.. हमने तो उसे ये भी नही बताया था की हम कहा है..." किंजल ने कन्फ्यूज्ड होते हुए पूछा...

" अब इसका जवाब तो सौरभ ही दे पाएगा..चलो...." करन ने कहा और वो लोग सौरभ के भेजे लोकेशन पर जाने के लिए निकल गए...

( कुछ घंटे पहले...)

" मनीष चाचू पापा ठीक हो जायेंगें ना ? " सौरभ बहुत ज्यादा इमोशनल हो गया था...

" हा सौरभ तुम फिक्र मत करो... भगवान है ना वो सब संभाल लेंगे..."

" हम...."

" चाचू अभी आप अनिरुद्ध से बात कर रहे थे ना ? क्या कहा उसने ? "

" कुछ नही बस वो भाईसाब की खबर पूछ रहा था..."

" तो वो लोग कहा जा रहे थे ऐसा कुछ कहा क्या? "

" नही ऐसा तो कुछ नही कहा..."
मनीष चाचू की बात सुनकर सौरभ भी सोच में पड़ गया...

तभी डॉक्टर आईसीयू से बाहर आए...
उनको देखकर सौरभ , मनीष चाचू और अनुराधा जी भागती हुई डॉक्टर के पास गई...

" डॉक्टर अब मेरे पति कैसे है ... उनको होश आया क्या ?" अनुराधा जी ने चिंतित स्वर में पूछा...

" हा डॉक्टर कहिए ना .. अब तो पापा ठीक है ना ? "

" देखिए .. जो सच है में वही आपको बताऊंगा.. में कोई जूठी तसल्ली नहीं देना चाहता.. हो सकता है की मेरी बात सुनकर आप सब को शॉक्ड लगेगा पर आप को हकीकत एक्सेप्ट करनी ही पड़ेगी..."

" डॉक्टर बात क्या है? " मनीष चाचू ने घबराते हुए पूछा..

" पेशेंट का खून बहुत बह गया है और विस्फोट की वजह से उनकी चमड़ी भी बहुत जगह जल चुकी है .. हमने उनकी सर्जरी तो कर दी है पर फ्लूइड बहुत लॉस हो चुका था जिसकी वजह से पेशेंट कोमा में चले गए है..."

डॉक्टर की बात सुनते ही अनुराधा जी जमीन पर गिरने वाली थी की सौरभ ने उन्हें पकड़ लिया...

सौरभ और मनीष चाचू की आंखों से आंसू आ गए...
" डॉक्टर प्लीज कुछ तो करिए... बेस्ट से बेस्ट डॉक्टर को बुलाना पड़े तो वो कीजिए पर प्लीज मेरे पापा को ठीक कर दीजिए..." सौरभ रोते हुए हाथ जोड़कर डॉक्टर को बिनती कर रहा था...

" देखिए हम से जितना हो सकता था उतना हमने किया... पर फिर भी आप कह रहे है तो में एक डॉक्टर को जानता हु जो यू एस से कल आने वाले है .. में उनसे एकबार रिक्वेस्ट करके देखता हु... "

" शुक्रिया डॉक्टर..."
डॉक्टर के जाते ही सौरभ जमीन पर बैठ गया और फुटफुट कर रोने लगा..
" मेरे पापा की यह हालत उस हरदेव और जगदीशचंद्र की वजह से हुई है में तुम दोनो को छोडूंगा नही..." सौरभ ने गुस्से से कहा और उठ गया..

" चाचू मोम और पापा का ख्याल रखना में अभी आता हु..." बोलते हुए सौरभ वहा से गुस्से से जाने लगा..

सौरभ ने अनिरुद्ध को फोन लगाया पर वो उठा नही रहा था... सौरभ ने सब के फोन पर ट्राई की पर किसीने फोन नही उठाया...
" यह सब फोन क्यों उठा नही रहे है ..." सौरभ परेशान होता हुआ बोला..

तभी सौरभ को याद आया की अनिरुद्ध ने उसके पास ट्रेसिंग डिवाइस मंगवाया था...
" ट्रेसिंग डिवाइस...! यह जरूर मुझे उन लोगो के पास ले जायेगा..."

उसने जहा से ये डिवाइस खरीदा था उन्हें फोन लगाया..
" हेलो वो ट्रेसिंग डिवाइस जो में ले गया था उससे क्या दो अलग फोन से ट्रेस कर सकते है क्या ? "

" क्या सर पर ऐसा आपको क्यों करना है ?"

" तुमसे जो पूछ रहा हु उसका जवाब दो ना.. "

" हा कर तो सकते है.. पर..."

" पर बर कुछ नही में वहा आ रहा हु .. उसके लिए जो जो चाहिए वो लेकर तैयार रहना..मेरे पास ज्यादा टाइम नही है..." कहते हुए सौरभ ने फोन रखा और उस स्टोर पर चला गया..

कुछ ही देर में उसे अनिरुद्ध का लोकेशन मिल चूक था..
लोकेशन का पीछा करते हुए सौरभ अंजली के घर तक आ गया... वो पहुंचा ही था की उसके फोन पर लोकेशन आना बंध हो गया..
" अरे! ये क्या हुआ ? ये बंध कैसे हो गया...? " सौरभ को कुछ समझ नही आ रहा था..

हरदेव जब संजना को ले जा रहा था तब उसने संजना के गले का नेकलेस निकाल दिया था...
सौरभ यह सब सोच ही रहा था की उसे हरदेव दिखाई दिया .. वो और उनके आदमी संजना और अनिरुद्ध को लेकर बाहर आए...

सौरभ ने सोचा की अभी बाहर जाए और उनको रोक ले पर अकेले ऐसे बिना सोचे समझे जाना उसे ठीक नही लगा..
हरदेव और जगदीशचंद्र ने बीच वाली सीट में संजना और अनिरुद्ध को बिठाया और दोनो खुद आगे बैठ गए.. सबसे पीछे उनके दो आदमी बंदूक लेकर बैठ गए...

गाड़ी के जाते ही सौरभ उनका पीछा करने लगा... उसने फिर से कई बार सब को फोन ट्राई किया पर किसीने फोन नही उठाया तो सौरभ ने करन के फोन में एक मेसेज छोड़ दिया...

इस वक्त सौरभ और हरदेव आमने सामने थे...
जगदीशचंद्र और उनका एक साथी भी वही खड़े थे... एक आदमी अंदर संजना और अनिरुद्ध पर नजर रख रहा था..
संजना सब देख पा रही थी पर मुंह पर पट्टी की वजह से कुछ बोल नहीं पा रही थी..

" जगदीशचंद्र छोड़ दीजिए अनिरुद्ध और संजना को नही तो बहुत बुरा होगा.."

" बचा सकता है तो बचा ले..." हरदेव हस्ते हुए बोला..

" तुम कितने बेशर्म हो .. संजना प्रेगनेंट है उसका तो कुछ ख्याल करो.. ये कैसा प्यार है तुम्हारा ? "

" मेरे प्यार पर सवाल मत उठाना... में जानता हु उसे कैसे बचाकर रखना है इसीलिए में उसे आज मेरे साथ लंडन ले जा रहा हु.. "

" लंडन तो तू तब जायेगा जब मुझसे बचेगा..."
बोलकर सौरभ ने जोर से लात हरदेव के पेट पर मारी...
हरदेव इससे पीछे गिर गया...
तभी उनका आदमी सौरभ पर हमला करने आगे आया... सौरभ ने उसे भी जोर से मुक्का मारा और फिर उसके पिछवाड़े में जोर से लात मारी तो वो भी गिर गया...

यह देखकर जगदीशचंद्र घबरा गए...
सौरभ को बहुत गुस्सा आ रहा था की वो जगदीशचंद्र को मारने के लिए आगे बढ़ा.. तो हरदेव ने उसका हाथ पकड़ लिया...
हरदेव सौरभ को मारने लगा... सौरभ खुद को बचा नही पाया और जमीन पर गिर गया...
वो लोग सौरभ को मार रहे थे...
संजना से यह देखा नही जा रहा था... उसकी आंखो से आंसू बहने लगे...
तभी अनिरुद्ध को धीरे धीरे होश आने लगा.. उसने धीरे से अपनी आंख खोली तो उसे बंधी हुई , रोती हुई संजना दिखाई दी...
अनिरूद्ध ने फिर से अपनी आंखे बंध कर दी... उसे यह देखकर बहुत दर्द हुआ...
उसे अहसास हो गया था की उसके पीछे भी कोई था .. इसीलिए वो जल्दबाजी ना करके वो ऐसे ही लेटा रहा..

उसने अपनी आंख खोलकर पीछे की और देखा तो वो दूसरा आदमी बाहर की और देख रहा था अनिरुद्ध को यही सही मौका लगा और उसने बिना कुछ सोचे पीछे से जपटकर उसकी गरदन पकड़ ली और मुंह दबोच लिया...

संजना एकदम से चौंक गई... अनिरुद्ध ने जोर लगाकर उस आदमी की गर्दन मरोड़ दी और वो वही बेहोश हो गया.

अनिरूद्ध ने संजना की मुंह पर से पट्टी खोली...
पट्टी खोलते ही संजना तुरंत सौरभ की और उंगली करके बोली..
" अनिरूद्ध वो देखो वो लोग सौरभ को मार रहे है..." अनिरूद्ध ने उस तरफ नजर की..

अनिरूद्ध ने जल्दी से संजना के हाथ खोल दिए..
" सुनो संजू तुम यही रुकना .. बाहर मत आना .. में उन्हें संभालता हु..." बोलकर अनिरुद्ध बाहर चला गया...

अनिरूद्ध ने पीछे से हरदेव को पकड़कर खींचा और उसे धक्का देकर दूर गिरा दिया...
फिर उस गुंडे को भी पकड़ा और लात मारकर दूर कर दिया...
जगदीशचद्र की और अनिरुद्ध ने गुस्से से एक नजर की तो जगदीशचंद्र खुद ही पीछे हट गया...

अनिरूद्ध ने सौरभ को अपना हाथ दिया..
सौरभ अनिरुद्ध का हाथ पकड़कर खड़ा हो गया..
" ठीक हो तुम ? "

" हा ठीक हु..." सौरभ ने कहा..
फिर अनिरुद्ध और हरदेव और सौरभ और उस गुंडे के बीच ऐसी हाथापाई शुरू हुई की जगदीशचंद्र तो उनसे दूर जाकर ही खड़े हो गए...

अनिरूद्ध और सौरभ उन दोनो पर भारी पड़ रहे थे...
तभी जगदीशचंद्र पिछली बार की तरह एक पत्थर हाथ में लेकर पीछे से वार करने आ गए...

वो इस बार सौरभ के माथे पर पत्थर मारने ही वाले थे की अनिरुद्ध ने उन्हें देख लिया और उन्हें जोर से धक्का दे दिया... धक्के से जगदीशचंद्र पीछे की और एक धारदार पत्थर पर गिरे.... जैसा उन्होंने किया वैसा ही फल आज उन्हें मिला था... पत्थर से टकराकर वो वही बेहोश हो गए...

हरदेव यह देखकर बहुत गुस्सा हुआ और वो अनिरुद्ध को हटाकर जगदीशचंद्र के पास चला आया..

" पापा उठो ... आंखे खोलो अपनी..." वो उन्हें जगाने की कोशिश करने लगा... पर वो नही उठे...

" ये ठीक नही किया तुमने ... अब तू गया..." बोलकर हरदेव अनिरुद्ध के पास जाकर उसे मारने लगा...

अनिरूद्ध के मुंह से और नाक से खून बहने लगा... पर हरदेव रुक नही रहा था..
सौरभ ने गुंडे पर आखरी जोर से वार किया और वो वही नीचे गिर गया...
सौरभ ने पीछे से हरदेव पर अटैक किया..
तो अनिरुद्ध भी मौका देखकर हरदेव को मारने लगा...

सौरभ और अनिरुद्ध ने हरदेव को मिलकर बहुत पीटा...
हरदेव खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर गया.. अब उससे उठा भी नही जा रहा था...

" हार मान लो हरदेव ... " अनिरूद्ध ने आखरी चेतावनी देते हुए कहा..

पर हरदेव की नजर तो कही और थी... उसे जमीन पर कुछ दूरी पर गिरी हुई बंदूक दिखाई दे रही थी...

वो जैसे ही उठकर बंदूक लेने जा रहा था की अनिरुद्ध ने आकर वो बंदूक उठा ली...

" नही नही हरदेव में तुम्हे ये गलती नही करने दूंगा.." अनिरूद्ध ने कहा और बंदूक हरदेव पर ताक दी...

अनिरूद्ध हरदेव की बहुत पास खड़ा था...

हरदेव ने कुछ सोचा और अनिरुद्ध के पैर पर जोर से लात मारी... तो अनिरुद्ध बैलेंस बना नही पाया और जमीन पर गिर गया..
इतने में हरदेव खड़ा हुआ और भागता हुआ गाड़ी के पास गया और दरवाजा खोलकर संजना का हाथ पकड़कर उसे बाहर खींच लिया...
और उसके गले पर चाकू रख दिया...

" करीब मत आना अनिरुद्ध... नही तो में संजना को और तुम्हारे बच्चे दोनो को मार दूंगा..."

" नही नही हरदेव ... संजना को छोड़ दो... प्लीज में में तुम्हे कुछ नही करूंगा..." अनिरूद्ध घबराए हुए बोला..

" मुझे तुम पर भरोसा नहीं है.. में संजू को नही छोडूंगा .. वो सिर्फ मेरी है समझे...."

" हरदेव पागल मत बनो.. और चाकू फेंक दो..." सौरभ चिल्लाते हुए बोला...

" नही नही संजू .. हम साथ में मर जायेंगे... में में जानता हु तुम मेरे ही साथ चलोगी है ना..." हरदेव का पागलपन फिर से शुरू हो चुका था...

" अनिरूद्ध गोली चलाओ...." सौरभ जोर से बोला...

अनिरूद्ध की बंदूक अभी भी हरदेव की और थी पर आगे संजना थी ... अनिरूद्ध संजना की वजह से गोरी चलाने से डर रहा था...

" संजना तैयार हो जाओ हम जा रहे है..." हरदेव ने कहा पर वो आगे कुछ करे इससे पहले अनिरुद्ध ने ट्रिगर दबा दिया और गोली सीधे हरदेव के सीने पर जाकर लगी...
" आह..." हरदेव के मुंह से आह निकल गई..

पर अभी भी वो संजना को पकड़े हुआ था...
अनिरूद्ध ने फिर से गोली चलाई...
दूसरी गोली भी हरदेव के सीने पर जाकर लगी...

हरदेव जमीन पर गिरे उससे पहले उसमे जितनी ताक़त बची थी उसका इस्तेमाल करके संजना को आगे की तरफ धक्का दे दिया..

और संजना जोर से जमीन पर गिरी....
" संजू......" अनिरूद्ध जोर से चिल्लाया....
" संजना.... " सौरभ भी दौड़ता हुआ उनके पास आया...

संजना बेहोश हो गई...
" संजू संजू आंखे खोलो... प्लीज ... प्लीज संजू...." अनिरूद्ध रोते हुए संजना को जगाने की कोशिश कर रहा था...
तभी करन और बाकी सब वहा पर पुलिस के साथ आ गए...

" क्या हुआ संजू को....? " मोहित ने भागते हुए अनिरुद्ध के पास आते हुए कहा..

पर अनिरुद्ध बिना कुछ कहे सिर्फ रोए जा रहा था..
उन सब की नजर हरदेव पर गई जिसके सीने पर दो गोली लगी थी और हरदेव की वही मौत हो चुकी थी....

" अनिरूद्ध होश में आओ.. हमे संजू को हॉस्पिटल ले जाना होगा..." करन अनिरुद्ध को समझाता हुआ बोला..

" मेरी संजू.. मेरा बेबी... मेरी गलती है में उन्हें नही बचा पाया.." अनिरूद्ध अभी भी किसी की बात नही सुन रहा था ...

करन ने अनिरुद्ध को जोर से हिलाया...
" होश में आ मेरे भाई... "
तभी अनिरुद्ध को होश आया...

" तुम तुम आ गए... देखो ना संजू को क्या हो गया..."

" अनिरूद्ध खुद को संभालो ... हमे संजू को हॉस्पिटल ले जाना है..." करन ने कहा..

" हा हा..." अनिरूद्ध उठा और फिर वो लोग संजू को लेकर गाड़ी में हॉस्पिटल जाने निकल गए...

करीब एक घंटे से संजना हॉस्पिटल के कमरे में थी... अनिरुद्ध और बाकी सब डॉक्टर के आने का इन्तजार कर रहे थे...

तभी डॉक्टर बाहर आए...
" डॉक्टर संजू कैसी है ? और मेरा बच्चा ठीक तो है ना ? "
अनिरूद्ध भागता हुआ डॉक्टर के पास जाकर बोला..

" आपकी वाइफ ठीक है... ज्यादा चोट नही लगी है पर ..."

" पर क्या डॉक्टर ? "

" पेशेंट के जोर से गिरने की वजह से गर्भाशय की मेंबरेन टूट चुकी है इसीलिए हमे अभी डिलीवरी करनी पड़ेगी.. नहीतो बेबी का बचने का चांस नहीं है..."

" पर डॉक्टर अभी तो साढ़े सात महीने ही हुए है..." अनिरूद्ध ने परेशान होते हुए कहा..

" हा पर यही एक तरीका है जिससे हम बेबी को बचा सकते है.. हमे यह करना ही होगा..."

" ठीक है डॉक्टर .. आप कुछ भी करिए पर मेरे बेबी को और मेरी संजू को कुछ नही होना चहिए...प्लीज "

" आप बेफिक्र रहिए.. हम अपना काम जानते है.. वैसे बच्चे की डिलीवरी सीजेरियन सेक्शन से करनी होगी..."

कहकर डॉक्टर चले गए...

अनिरूद्ध ने अपनी मुठ्ठी कसली ... उसे इस वक्त बहुत ज्यादा डर लग रहा था... वो मन ही मन बहुत घबरा रहा था .. उसका जी तो कर रहा था की वो अंदर संजू के पास ही चला जाए और उसका हाथ कसकर पकड़ ले पर वो इतना मजबूर था की रो भी नही पा रहा था..

करन ने अनिरुद्ध को परेशान देखा तो उसके पास आ गया और उसे गले लगा लिया.. अनिरूद्ध भी खुद को रोक नही पाया और रोने लगा...

सौरभ , मोहित , किंजल तीनो भी अनिरुद्ध के गले लग गए... कुछ ही देर में रागिनी जी और राजेश जी भी वहा आ चुके थे...

कुछ वक्त के बाद दरवाजा खुला...
दरवाजे से डॉक्टर आ रहे थे..
सब आसभरी नजरो से डॉक्टर को देख रहे थे ....

" बधाई हो आपको बेटी हुई है..." डॉक्टर हस्ते हुए बोले....

यह सुनकर अनिरुद्ध की आंखे चौड़ी हो गई... उसके चहेरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आ गई और साथमे आंखमे आंसू भी...
" मेरी बेटी....मुझे पता था बेटी ही होंगी ... मैने संजू से कहा था... में पापा बन चुका हु.." अनिरूद्ध खुशी से जूम उठा था...

" डॉक्टर मुझे मेरी बेटी से मिलना है कहा है वो ? " अनिरूद्ध मुस्कुराते हुए इधर ऊधर देखने लगा..

" नही आप उसे नही मिल सकते..."

यह सुनते ही अनिरुद्ध की मुस्कुराहट एक पल में गायब हो गई..
" क्यों में अपनी बेटी से क्यों नही मिल सकता ? "

" आपकी बेटी बहुत कमजोर है ... हमने उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा है.. दो दिन हमे बच्ची को यही हॉस्पिटल में रखना होगा ...और तब तक आप बच्ची को छू नहीं सकते..."

" नही मुझे अभी जाना है मेरी बच्ची के पास ... आप मुझे रोक नही सकती..." बोलकर अनिरुद्ध जाने लगा..

" सुनिए रोकिए आप इन्हे .. बच्ची बहुत कमजोर है उसे छूना भी अलाउड नही है..." डॉक्टर चितिंत होकर बोली...

" अनिरुद्ध समझने की कोशिश करो बेटा... वो सही कह रहे है... संजू को नो महीने पूरे नही हुए थे इसीलिए बच्ची कमजोर है .. तुम उसके पास नही जा सकते बेटा..." रागिनी जी ने अनिरुद्ध को समझाते हुए कहा..

क्रमश: