कहानी प्यार कि - 67 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 67

किंजल बहुत कोशिश कर रही थी पर कमरे से बाहर नहीं निकल पा रही थी...
धुएं की वजह से उसको सास लेने में तकलीफ होने लगी... और जमीन पर बैठ गई.. तभी करन किंजल को ढूंढता हुआ वहा आ गया... उसने देखा की किंजल कमरे में आग से घिरी जमीन पर बैठी थी...

" किंजल.." करन जोर से चिल्लाया....

किंजल ने धीरे से करन की और देखा... उसके चहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई..
करन आग के ऊपर से कूदकर कमरे में आ गया... पर इसी चक्कर में उसका हाथ जल गया....

पर करन को अभी ना तो अपने हाथ की पड़ी थी ना ही खुद की... उसे सिर्फ सामने बेहोश होती हुई किंजल दिखाई दे रही थी....

वो किंजल के पास आकर बैठ गया...
" तुम ठीक तो हो ना ? " करन ने किंजल को गले लगाते हुए कहा..

" तुम आ गए हो तो अब में ठीक हु..." किंजल बेहोशी की हालत में बोली...

" किंजल आंखे खुली रखो.... सांस लेने की कोशिश करो... में तुम्हे कुछ नही होने दूंगा..."

" मुझे लगा की में तुम्हारा चहेरा दिखे बिना ही मर जाऊंगी... पर अब कोई पछतावा नहीं रहेगा..." किंजल की आंखो से बोलते हुए आंसू आ गए थे...

" कुछ भी मत बोलो किंजल... और तुम्हे क्या जरूरत थी ऐसे अकेले यहां आने की.. तुम्हे कुछ हो गया तो में क्या करूंगा ? " करन गुस्से में बोला...

यह सुनकर किंजल सिर्फ करन की आंखो में देखती रही... करन की आंखे भीग चुकी थी... किंजल को भी अब करन की आंखो में अपने लिए प्यार दिखाई दे रहा था... यह देखकर वो फिर से मुस्कुराई...

" में इतना परेशान हु और तुम मुस्करा रही हो...! " करन फिर से गुस्से में बोला..

" कुछ नही बस ऐसे ही.."

" चलो अब हम यहां से बाहर जाते है... " करन ने कहा और अपना कोट निकालकर किंजल को पहना दिया...

करन ने किंजल को अपनी गोद में उठा लिया... और कमरे से बाहर जाने लगा... पहले तो ज्यादा आग की वजह से वो जा नही पाया और वही रूक गया...

" आग तो बहुत तेज है अब में क्या करू ? " करन मन में ही परेशान होता हुआ बोला...

उसने एक नजर किंजल की और की जिसने अपनी आंखे बंध करली थी...
" मुझे किंजल के लिए यह करना ही होगा..."

करन ने कहा और एक ही झटके में वो कूद गया....
कमरे से बाहर आते ही करन ने किंजल को पास में बिठा दिया और अपने शर्ट पर लगी आग को बुझाने लगा...

धीरे धीरे किंजल को भी होश आने लगा... उसने आंख खोली तो सामने करन को देखा... वो डरकर खड़ी हो गई...
" करन तुम्हारे शर्ट तो जल रहा है..."
बोलते हुए किंजल करन के पास आई और आग बुझाने लगी...
किंजल ने देखा तो करन की पीठ भी बहुत जल गई थी... किंजल को यह देखकर बहुत बुरा लगा... वो वहा अपने मुंह से फूंक मारने लगी.... ताकि करन को आराम मिले..
" इसकी कोई जरूरत नही है..." करन थोड़ा दूर हॉकर बोला..

" अच्छा तो क्या जरूरत थी ऐसे आग कूदकर आने की...? देखो कितना जल गया है... " किंजल परेशान होते हुए बोली..

" ऐसा करता नही तो तुम्हे बचाता कैसे ? "

" तो मुझे नही बचाते ना.. मेरे लिए अपनी जान जोखम में डालने की क्या जरूरत थी..? ज्यादा से ज्यादा में मर जाती ना... ! ये तो अच्छा होता ना आप सबकी एक परेशानी तो खत्म होती ना..! "

" बस बहुत हो गया किंजल..." करन गुस्से से बोला..

" अब बोल दिया तो बोल दिया अगली बार ऐसा कहा ना तो में खुद तुम्हारी जान ले लूंगा समझी..." करन ने किंजल के बहुत करीब आकर कहा...

" क्यों तुम्हे इतना फर्क क्यों पड़ रहा है ? "

" क्योंकि .... "

" क्योंकि क्या करन बोलो ना..."

किंजल करन के मुंह से सच्चाई सुनना चाहती थी पर करन चुप हो गया आगे कुछ बोला ही नही...

तभी दूसरा पिलर जलता हुआ किंजल के ऊपर गिरने ही वाला था की करन की नजर उस पर गई... उसने किंजल को खींच कर अपनी और कर लिया और खुद किंजल को कवर करके खड़ा हो गया और वो पिलर करन के ऊपर गिरा....

" आह...." दर्द की वजह से करन की आह निकल गई थी....

यह सब होता देखकर किंजल बहुत घबरा गई... उसने पिलर को दूसरी और धक्का दे दिया... और वो पिलर साइड में जमीन पर गिर गया...

करन दर्द की वजह से जमीन पर बैठ गया...

" फिर से तुमने मेरे लिए अपनी जान खतरे में डाल दी करन... आखिर तुम मेरे लिए इतना दर्द क्यों सहन कर रहे हो..? "

" तुमने भी तो यही किया था ना .. याद है मुझे बचाने के लिए खुद सामने आ गई थी..."

" हा पर मैने इसीलिए किया था क्योंकि में तुमसे प्यार करती हु... पर तुम ऐसा कैसे कर सकते हो हा ? " किंजल लगभग चिल्लाती हुई बोली

" क्योंकि में भी तुमसे प्यार करता हु पागल लड़की....! मेरी आंखों में दिखता नही है क्या ? "करन भी किंजल की बातो से परेशान होकर चिल्लाया ...

किंजल उसे देखती रही....करन ने अपनी आंखे बंध की और फिर खोलकर प्यार से किंजल की और देखा
" आज नही बहुत पहले हो गया था... पर अपनी फिलिंग को समझ ही नही पाया था... पर अब पहली बार सब क्लियर नजर आ रहा है... में अपने पूरे होशो आवाज़ में , पूरे दिल से तुमसे यह कहता हु की किंजल ..आई लव यू..." करन मुस्कुराता हुआ बोला पर उसकी आंखे भर आई थी...

करन ने अपने हाथ फैलाए और किंजल को पास आने का इशारा किया... किंजल ने तुरंत आकर करन को अपने गले से लगा लिया.... दोनो की आंखो में प्यार भरे आंसू थे...
" आई लव यू टू करन..."
किंजल ने कहा और दोनो एक दूसरे के सिर को टिकाए आंखो में देख रहे थे... देखते ही देखते उनके होठ एक हो गए... इस प्यारे से लम्हे के बाद दोनो के चहेरे पर सुकून भरी मुस्कुराहट थी....

इस तरफ मोहित ने अंजली को उठाया और कंबल ओढ़ लिया और दोनो को कवर कर लिया... मोहित ने हिम्मत जुटाई और दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गया.... और आगे बढ़ने लगा... तभी सामने उसे किंजल और करन दिखाई दिए जो साथ में बैठे मुस्कुरा रहे थे...

" तुम दोनो क्या कर रहे हो निकलो यहां से....आग बहुत बढ़ चुकी है " मोहित भागते हुए वहा आते हुए बोला ...

तभी किंजल और करन को अपने आसपास क्या हो रहा था उसका होश आया... करन ने हाथ बढ़ाया और किंजल ने हाथ पकड़ लिया... दोनो हाथ पकड़कर वहा से भागे....
जब वो चारो नीचे आए तो वहा पर मीरा , मिस्टर और मिसीस खन्ना को बांध दिया था... और मोनाली उनके पास बैठकर फोन में कुछ कर रही थी... करन ने सब तरफ नजर की पर उसे संजना और अनिरुद्ध कही दिखाई नही दिए....

" मोनाली अनिरुद्ध और संजना कहा है ? " करन गुस्से से मोनाली के पास जाता हुआ बोला...

" उसे तो हरदेव ले गया.... बिचारा अनिरुद्ध मुझे तो उस पर तरस आ रहा है ...बिचारा बेहोश हो गया था... " मोनाली अपनी शैतानी मुसकुराहट के साथ बोली...

" बेहोश हो गया था पर कैसे ? " किंजल ने चिंतित होकर पूछा...

" सर पर डंडा जो लगा था... तो फिर मैंने भी हरदेव से कह दिया की उन दोनो को यहां से लेकर चलें जाए... क्योंकि तुम लोगो को संभालने के लिए में एक काफी हु...."

यह सुनते ही करन ने मोहित की और देखकर इशारा किया और वहा से भागने के लिए तैयार ही थे की....मोनाली ने रिवॉल्वर निकाली और अंजली पर ताक दी...

" यहां से भागने का सोचना भी मत.....नही तो में इस पर गोली चला दूंगी..."

यह देखकर वो सब रुक गए...

" देखो मोनाली एक बार तुम यह गलती कर चुकी हो इस बार मत करो प्लीज.... " करन ने उसे समझाते हुए कहा..

" उस बार मैंने गलती से डर के मारे गोली चला दी थी पर इस बार कोई गलती नही होंगी.. क्योंकि में इस बार तैयार हु... मैने ही इस अंजली को मारने के लिए आग लगाई.. पर तुम लोगो ने उसे बचा लिया... पर अब नही.."

" पर तुम अंजली को नुकसान पहुंचाना क्यों चाहती हो ? " मोहित ने कहा..

" क्या तुम जानते नही हो क्या ? तुम दोनो ने मेरे भाई अथर्व को धोखा दिया है... उनका प्यार उनसे छीन लिया..."

" प्यार छीना नही है ... वो अथर्व के आने से पहले से एक दुसरे से प्यार करते थे ये मत भूलो..." करन गुस्से से बोला...

" लगता है तुम्हे भी फिर से प्यार हो गया है ... ओह ये प्यार के लिए लड़ने वाले लड़के मुझे समझ में ही नही आते...! " मोनाली ने नौटंकी करते हुए कहा...

" बस करो मोनाली अपनी हद में रहो..."
किंजल गुस्से से चिल्लाई...

" तुम क्यों इतना गुस्सा हो रही हो ? ओह हा समझ में आया तुम्हारे बॉयफ्रेंड को मैने कहा इसीलिए तुम्हे बुरा लग गया...?"

" मोनाली प्लीज ये पागलपन छोड़ो गोली चल जायेगी... उस बार गोली मुझ पर चली थी तो मैंने तुम्हे जाने दिया था पर इस बार गोली चली तो में तुम्हे नही छोडूंगा...."
करन का गुस्सा अब और भी बढ़ गया था...

मोनाली को करन की बात पर बहुत गुस्सा आया और वो गोली चलाने ही वाली थी तो मोहित अंजली के सामने आ गया...
" ये तो अच्छा होगा एक साथ तुम दोनो को में सजा दे दूंगी... मुझे तो सिर्फ एक एक्स्ट्रा गोली ही चलानी है..."

बोलकर मोनाली ने ट्रिगर दबा दिया और गोली की आवाज आई...
सब ने अपनी आंखे बंध करली....
कुछ पल के बाद अंजली और मोहित ने अपनी आंखे खोली तो वो दोनो बिलकुल सही थे और मोनाली की रिवॉल्वर ऊपर की और थी... और मोनाली का हाथ अथर्व ने पकड़ा हुआ था...

अथर्व ने गोली छूटने से पहले मोनाली का हाथ ऊपर उठा दिया था और गोली ऊपर की और चली थी...

अथर्व ने मोनाली के हाथ से रिवॉल्वर छीन ली और फेंक दी...
अथर्व ने एक जोर से थप्पड़ मोनाली के गाल पर मारा....
यह देखकर सब हैरान थे...

" भाई आप ने मुझे क्यों मारा ? यह सब में आपके लिए तो कर रही थी..." मोनाली गुस्से से अथर्व पर चिल्लाई...

" शट अप... मोनाली... क्या मैने कहा था तुझे ये करने के लिए... मैने कहा था बोलो ? " अथर्व जोर से बोला...

मोनाली कुछ नही बोली...
" कुछ पूछ रहा हु तुमसे जवाब दो...."

मोनाली ने ना में अपना सिर हिलाया...

" तो फिर किसके लिए कर रही हो ? पागल हो गई हो क्या ? कितनी बार तुम्हे समझाऊ ? हर बार कोई पहले से ज्यादा बड़ी गलती करती हो..! "

" पर भाई इस अंजली ने आपको धोखा दिया था में बस उसे सजा देना चाहती थी..."

" किसने कहा अंजली ने धोखा दिया? किसने कहा ? धोखा तुम मुझे देती हो.. हर बार .. माफी मांगती हो और वही गलती दोबारा करती हो... और सजा देने वाली तुम होती कौन हो हा? " अथर्व आज बहुत गुस्से में था..

" भाई आप अपनी सगाई के दिन इसे प्रपोज करने वाले थे पर उसने क्या किया आपके साथ ? आप रोज परेशान रहते थे वो मुजसे देखा नही जाता था..."

" हा माना की में अंजली से प्यार करता था उसे प्रपोज करने वाला था पर अंजली मोहित को पसंद करती थी तो में जबरदस्ती तो उससे सगाई नही कर सकता था ना ? प्यार जबरदस्ती से नही मर्जी से होता है... और में खुश था की में उन दोनो को मिला पाया...पर में परेशान उनकी वजह से नही तुम्हारी वजह से था..."

" मेरी वजह से कैसे ? " मोनाली ने हैरानी के साथ पूछा ..

" लंडन की जो कंपनी मैने तुम्हे दी थी संभालने के लिए उस पर तुमने ध्यान नहीं दिया और हमारा करोड़ो का नुकसान हो गया ... मैंने तुम्हे नही बताया क्योंकि बताता तो तुम भी परेशान हो जाती... पर तुमने तो कुछ और ही समझ लिया..."

यह सुनकर मोनाली शॉक्ड रह गई..
" तो आप मेरी वजह से इतने परेशान रहते थे ? अंजली की वजह से नही ? "

" नही... तुम इतनी स्टूपिड कैसे हो सकती हो मोनाली ? पिछली बार करन से रिक्वेस्ट करके मैंने उससे केस वापस लेने को कहा था पर इस बार में ऐसा कुछ नही करूंगा... तुम्हें सजा मिलना बहुत ज्यादा जरूरी है.... इंस्पेक्टर... आ जाईए...."

अथर्व ने कहा और तभी पुलिस अंदर आ गई... मोनाली बस हैरानी से कभी अथर्व को तो कभी पुलिस को देख रही थी...
" भाई आप ऐसा क्यों कर रहे है ... प्लीज मुझे माफ कर दीजिए में अब कोई गलती नही करूंगी..."
मोनाली गिड़गिड़ाती हुई बोली..

पर अथर्व ने उसकी कोई बात सुनी नही..
" इंस्पेक्टर ले जाओ इसे " कहकर अथर्व ने अपना मुंह मोड़ लिया...
मोनाली उससे माफी मांगती रही पर अथर्व ने एक बार भी उसकी और नही देखा क्योंकि वो खुद अपनी बहन की हरकत की वजह से शर्मिंदा था.. उसकी आंखे भीग चुकी थी...
" किसी भी भाई की लाइफ में ऐसा पल ना आए जब उसे खुद अपनी बहन को गिरफ्तार करवाना पड़े..." अथर्व मन में ही बोला...
उसने अपने आंसू पौछे...
" आई एम सोरी अंजली , मोहित , करन और किंजल... आगे से मेरी बहन की वजह से आप को कभी तकलीफ नहीं होगी..." अथर्व माफी मांगते हुए बोला...

" सच में आप एक बहुत अच्छे इंसान है , मोनाली आप की बहन है फिर भी आप ने हमारा साथ दिया... पर आप यहां आए कैसे ? " अंजली ने सवालात भरी नजरो से देखते हुए पूछा...

" वो मुझे मोहित ने फोन करके सब बता दिया था..." अथर्व के कहते ही सब मोहित की और देखने लगे..

" हा जब में ऊपर अंजली को बचाने जा रहा था तब मुझे लगा की मुझे अथर्व को सब बताना चाहिए और मैंने तुरंत उन्हे फोन करके बता दिया..." मोहित ने कहा..

फिर उन सब ने मीरा और मिस्टर और मिसीस खन्ना को भी छुड़वाया...
" हमे अनिरुद्ध और संजना को ढूंढना होगा..." मोहित ने गंभीरता के साथ कहा...

तभी करन ने अपने फोन में देखा... तो वो हैरान रह गया...
" सुनो तुम सब अपने फोन चेक करो एक बार..."
सब ने अपने फोन खोले तो वो भी हैरान थे...

इस तरफ हरदेव और जगदीशचंद्र संजना और अनिरुद्ध को गाड़ी में लेकर जा रहे थे... अनिरुद्ध अभी भी बेहोश था और संजना के हाथ और मुंह उन्होंने बांध दिए थे...

उनकी गाड़ी जा ही रही थी की एक गाड़ी तेजी से उनको ओवरटेक करके आगे निकल गई और उनकी गाड़ी के बिल्कुल सामने आकर ब्रेक मार दी और खड़ी हो गई..

हरदेव ने भी गाड़ी से ना टकराने के लिए जोर से ब्रेक लगाई...
" कौन है तू... समझता क्या है खुद को " हरदेव गुस्से से चिल्लाता हुआ बाहर आया...

तभी उस गाड़ी का दरवाजा खुला... और कोई उस गाड़ी में से बाहर आया....
" तुम तुम यहां कैसे आ सकते हो ? " हरदेव उसे हैरानी से देखकर बोला...


क्रमश: