दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 34 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 34

डूबती प्रेम कथा 

  नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के ३३ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। आगे के अंको को पढने के लिए आप इस पेज मे सबसे निचे की और चले जाये और वहा दि गई सभी अंको की लिंक पर क्लिक करे और पढे सारे बहेतरीन अंक । तो आइए शुरु करते है हमारी इस बहेतरीन नवलकथा के इस बहेतरीन अंक को।

    आगे आपने देखा की कैसे संजयसिह और रुहान के बिच चल रही टक्कर को नया मोड मिलजाता है और दोनो आमने सामने आ जाता है। एक तरफ प्यार में घायल आशीक था तो दुसरी तरफ अपने गुरुर और बदले की आग मे अंधे सांढ जेसा संजयसिह। संजयसिह अपने बदले के लिए कुछ भी कर सकता है और सामने रुहान अपने प्यार के लिए कुछ भी करजाने को तैयार था। अब आगे। 

    दुसरे दिन सुबह। सुबह के ६:०० बज रहे थे। पुरी रात ना तो रुहान सोया था और ना तो दुल्हन के जोडे मे सजी हुई जीज्ञा सोई थी। पुरी रात जीज्ञाने अपने घर की छत पर बेठकर अपने आसु और रुहान की याद मे बिताई थी और पुर्वी भी उसकी राह देखते हुए निचे होल के सोफे पर सो गई थी। इस तरफ रुहान पुरी रात एक टी स्टोल की बेंच पे बेठा हुआ था और चाई पे चाई पीए जा रहा था। रुहान जीज्ञा से किया हुआ अपना वादा निभाते हुए शराब न पीते हुए चाई पीकर अपने गम को हलका करने की कोशिश कर रहा था अब तक रुहान चाई की १२ प्याली पी चुका था और तेरहवी प्याली चल रही थी। महावीर और रवी भी पुरी रात उसके साथ थे। दोनो दुसरी बेंच पे सो रहे थे। रुहान तेरहवी चाई की प्याली भी पुरी घटकजाता है।

    काका एक चाई और देना... रुहानने चाई का ओर्डर देते हुए कहा। 

    बेटा इतनी चाई पीकर मरना है क्या तुझे... चाईवाले चाचाने बोलते हुए कहा। 

    बे चाचा आप चाई दोना। आपका तो फायदा है ना शांति से चाई पिलाओना... रुहानने अपना मु बिगाडते हुए कहा। 

    बे मोटे उठ अपने दोस्त को संभाल शराब की तरह चाई पी रहा है। हर घंटे एक या दो चाई पी रहा है... महावीर को उठाते हुए चाई वाले चाचाने कहा ।

    दोनो दुःखरुपी समंदर मे डुबे हुए थे और दोनो मे से किसी मे भी इस समंदर मे से तेरकर बहार निकलने की हिम्मत नही थी। जीज्ञा अपने पापा के कारण अपना जीवन बरबाद करने जा रही थी और रुहान जीज्ञा के कारण अपना जीवन बरबाद करने जा रहा था। दोनो के बिच अभी माहोल हिन्दी फिल्म जेसा था बस एक सेड सोंग की हि कमी थी। 

    जीज्ञा पुरी रात एक ही पोजीशन मे बेठी हुई थी। पीछे से चंपाबा छत पर आते हैं और जीज्ञा को कंबल ओठाते है। 

    ओ हो जीज्ञाबेन इतने खुश हैं कि पुरी रात आपको निंद ही नहीं आई...चंपाबाने जीज्ञा से कहा। 

    जीज्ञा अचानक ही अपना मुड बदल लेती है और चंपाबा के सामने खुश दिखने का नाटक करने लगती है। 

     बा अब आप वृद्ध हो गई हो आपको क्या पता आजकल शादी मे लोग कितने खुश होते हैं... जीज्ञाने एकदम से अपना मुड बदलते हुए कहा। 

     हा हा अब तो मे बुढ्ढी ही लगुगीना क्योकी अब तो चंपाबा की जरुरत नहीं है लेकिन सुन ले तेरी सास भी बुढ्ढी ही है मे तो फिर भी उससे २० साल जवान हु और अभी भी तेरे दादा उपर स्वर्ग मे चेन से नहीं बेठ पाते क्योकी आज भी मे बुढ्ढो के लिए दीपिका पदुकोन हुं... चंपाबाने मजाक करते हुए कहा। 

     अब इससे आगे जीज्ञा कुछ भी नहीं बोलपाती है बस हसते हसते रोने लगती है। 

     अरे तु रो रही है या हस रही है... चंपाबाने जीज्ञासे कहा। 

     जीज्ञा कुछ भी उत्तर दिए बिना चंपाबा से लिपट जाती है। 

     अरे मेरा बच्चा... रोते नहीं चल अपने आसु रोक दे अभी मेरे पास उसे भरने के लिए बाल्टी नहीं है और मे इतनी भी जवान नही हु कि यहा पे पोछा मार सकु... जीज्ञा के आसु पोछते हुए चंपाबाने कहा। 

      जीज्ञा अपने आसु रोक लेती है। 

      बा आप मुझे बहुत याद आओगे... चंपाबा की गोद से लिपटी हुई जीज्ञाने कहा। 

      बस अब बहुत हुआ यह नाटक सच बोलने की शुरुआत कर की तुझे यह शादी करनी है या तेरे बाप को जबरदस्ती करवानी है... जीज्ञा के अंदर छुपी हुई सच्चाई को बाने परखते हुए सवाल के रुप पुछते हुए कहा। 

      चंपाबा का यह सवाल सुनकर जीज्ञा थोडी देर स्तब्ध हो जाती है। 

      नहीं बा एसा कुछ भी नहीं है मे खुश ही हु बस मम्मा की याद आ गई इसलिए मे रोने लगी... जीज्ञाने फिर से सच्चाई पर जुठ की चद्दर बिछाते हुए कहा। 

      कब तक झूठ बोलेगी जीज्ञा अब तो सच बोल दे क्यु अपना ही गला घोटने पर तुली है... अचानक छत पर प्रवेश करते हुए पुर्वीने कहा। 

      चंपाबा की गोद मे लिपती हुई जीज्ञा खडी हो जाती है। 

      अरे यह सब क्या चल रहा हैं जीज्ञा कोई मुझे बताएगा क्या। अगर तु खुश नहीं है तो क्यु कर रही हैं शादी... चंपाबाने पुर्वी को सुनने के बाद आश्चर्य के साथ जीज्ञासे कहा। 

      कुछ नहीं बा यह बकवास कर रही हैं... जीज्ञाने चंपाबा से कहा। 

      जो भी हो मुझे जानना है... चंपाबाने जीज्ञासे कहा। 

      इसमे उतनी हिंमत हि कहा है कि वो अपने आपको बरबाद होने से रोक सके मे आपको बताती हुं बा... पुर्वीने सच्चाई को सामने रखने की बात करते हुए कहा। 

      पुर्वी जीज्ञा की सारी सच्चाई अपने सपनो से लेकर रुहान तक की चंपाबा को बताती हैं। चंपाबा सारी सच्चाई सुनकर स्तब्ध हो जाते हैं।

      क्यु बेटा जबरदस्ती अपना जीवन क्यु बरबाद कर रही हैं मे बात करती हु अभी गीरधन से... चंपाबाने अपनी जगह से खडे होकर कहा। 

      नहीं बा आप एसा कुछ मत करो। अगर यह शादी उस कारण से अटक जाएगी की मे एक मुस्लिम लडके से प्यार करती हुं तो वो अपने संघ मे शिर उठाकर नहीं जी पाएगे और फिर तो मे उन लडकीओ मे से एक हो जाउंगी जीन्होने अपनी खुशी के लिए अपने बाप की पगडी जमीन पे गीरा दी...जीज्ञाने इस समय भी अपने पिता के बारे मे सोचते हुए कहा। 

      लो बोलो यह मेडम अभी भी डायलोग पे डायलोग मारे जा रहे हैं... पुर्वीने जीज्ञा की चिंता करते हुए कहा। 

      अरे मुस्लिम हुआ तो क्या हुआ वो इंसान नहीं है क्या हा अगर वो मास-मच्छी सबकुछ खाता है तो मे भी अपनी लडकी उसके घर विदा नहीं करुंगी एसा है क्या... चंपाबाने सवाल करते हुए कहा।

      लडका बहुत अच्छा है और उसमे अच्छी बात यह है की वो लडकीओ की आझादी समझता है और जीज्ञा के सपनो को भी समझता है ... पुर्वीने चंपाबा से कहा। 

      देख बेटा इंसान इंसान ही होता है वो ना मुस्लिम होता है और ना तो हिंदु इंसान सिर्फ अच्छा या बुरा हो सकता है। मे यह शादी नहीं होने दुंगी बात करती हु तेरे बाप से... चंपाबाने अपने सामने बेठी जीज्ञा से कहा। 

      बा प्लीज़ आपको मेरी कसम है और अगर आपने यह शादी रोकी तो मे अपनी जान दे दुंगी क्योकी मे नहीं चाहती की मेरी वजह से मेरे पिता को कही पे भी निचा देखना पडे... जीज्ञाने अपनी भावुकता का हथियार चलाते हुए कहा। 

     आज कल के बच्चो तो बस मरना हि आता है। तु समझा इसको कुछ... इतना बोलकर गुस्सा होकर चंपाबा वहा से चले जाते हैं। 

     अब जब तुने मरने का नक्की कर ही लिया है तो शादी करके क्यु मर रही वेसे ही मरजाना कम से कम बार बार जिंदा होकर भी मरना तो नहीं पडेगाना... गुस्से में कुछ भी बोलते हुए पुर्वी वहा से चली जाती है। 

     जीज्ञा फिर से अपने आसुओ के साथ दोस्ती कर लेती हैं। 

     मम्मा आप की बहुत याद आ रही है यहा पे कोई मुझे समझता हि नहीं है एक रुहान ही था अब वो भी मेरे साथ नही है पर मेरा नक्की है मे उन लडकीओ मे से नहीं हु जो अपने लिए अपने बाप की इज्ज़त को ढुल मे मिला दे मे शादी करुंगी और बाद मे मे आपके पास आ जाउंगी जीससे पापा की इज्जत को ठेस भी ना पहुचे और मुझे बार बार मरना भी ना पडे... सहमी हुई जीज्ञाने रोते हुए अपने आप से कहा। 

     जीज्ञा मन ही मन जान चुकी थी की अब वो ज्यादा सहेन नहीं कर पाएगी इसीलिए सायद उसने अपनी शादी के बाद मरने का निर्णय कर लिया था।

     अब बरोडा मे। 

     तीनो दोस्त चाय के ठेले से रुहान के घर पहुचते है और तीनो के बिच घर की बाल्कनी मे संवाद की शरुआत होती है। 

     जाने देना संजयसिह को । शादी रोकेगा तो फायदा तो अपना हि होगा ना... रवीने रुहान से कहा। 

      जीज्ञा जीवनभर अपने पापा से दुर हो जाएगी उसका क्या ? और प्यार में खुद के स्वार्थ को देखा नही जाता बल्की सामने वाले की खुशी और उसके फेसलो को सम्मान देना सही होता है। अगर जीज्ञा अपने पापा के सम्मान को ठेस पहुचाना नहीं चाहती तो उसमे बुरा क्या है। मे जब तक जीज्ञा अपने निर्णय पर कायम है तब तक संजयसिह जेसे गुड्डे मवाली के हाथो उस निर्णय पर आच नहीं आने दुंगा...रुहानने अपने दोस्तों से कहा। 

      साले सभी प्यार करने वाले गधे क्यु बन जाते हैं...रवीने थोडे से गुस्से के साथ कहा। 

      गधे नहीं सही मायने मे इंसान बनजाते है। प्यार में स्वार्थ की कोई जगह नहीं होती और हंमेशा दिल से सोचा जाता है तुम जेसे बेवडे क्या जाने प्यार क्या होता है... न चाहते हुए भी अपने दोस्तों को टेन्शन से थोडा बहार निकालने के लिए मजाक करते हुए रुहानने कहा। 

      अबे हमको बेवडा बनाया किसने साले तुने और तु हमे बेवडा बोल रहा है... रवीने रुहान की गरदन पकडकर उत्तर देते हुए कहा। 

      तो एक बेवडे को दुसरे बेवडे का साथ देना चाहिए... रुहानने कहा। 

      चल दिया अब हम दोनो मे से कोई तेरे को सवाल नही करेगा बस तु कहेगा वो कर जाएंगे और मर भी जाएंगे तेरे लिए... महावीरने रुहान के गले लगते हुए कहा। 

      तीनो दोस्त एक दुसरे के कंधे पर हाथ रखकर गले मिलते हैं। 

      मरने कि बात मत कर अब तुम कमीने दोस्त ही तो हो मेरे पास और क्या है... रुहानने अपने दोस्तों से कहा। 

      अभी ज्यादा भरतमिलाप ना करते हुए हमे अहमदाबाद के लिए निकलना चाहिए वो संजयसिह हम से पहले मंडप पे ना पहुच जाए... रवीने कहा। 

      सही है चलो निकलते है... रुहानने कहा। 

      तो कुछ एसे यार थे तीनो जो एक दुसरे के लिए कुछ भी करजाने को तैयार थे। यही यारी होती है सवाल नही बस साथ। 

      इस तरफ संजयसिह अपने साथीओ के साथ अपने अड्डे से निकल ने की तैयारी कर रहा था। उसके सभी साथी हाथ मे हथियार लेकर तैयार खडे थे। 

      अबे सालो जंग लडने नही जाना है और जीसके घर हम जा रहे है वो हिंदु एकता मंच का सभ्य है और उसकी पहोच भी अच्छी होगी इसलिए हथियार यही पे छोडकर अपनी समजदारी साथ ले लो हथियार सिर्फ मे लुंगा क्योकी वो रुहान जरुर बिच मे आने की कोशिश करेगा। हमे सिर्फ जबान नामका हथियार चलाना हैं ठीक है। चलो बेंड बजाते है जीज्ञा की शादी का और उसके बाप की इज्ज़त का... अपने अड्डे से बहार निकलकर अपनी जीप मे बेठते हुए कहा। 

      हम जीज्ञा की जींदगी एसे तो खराब नहीं होने देंगे... टेरीस पर से निचे आते हुए चंपाबाने पुर्वी से कहा। 

 TO BE CONTINUED NEXT PART... 

     आगे के अंको को पढना बिलकुल न भुले क्योकी अब देखना रसप्रद होगा की जीत संजयसिह की होगी या रुहान की, जीत प्यार की होगी या घमंडी बाप की, जीत सपने की होगी या अपने बाप की इज्ज़त बचा रही बेटी की, जीत इज्जत उछालने आ रहे संजयसिह की होगी या फिर अपने बाप की इज्ज़त बचाने के लिए अपना जीवन बरबाद कर रही एक बेटी की होगी ? सवाल बहुत सारे है लेकिन उत्तर एक ही है और वो आपको आनेवाले अंको मे जरुर मिलेगा तो देखना मत भुले दो पागल के आनेवाले अंत के अंको को। धन्यवाद। 

  || जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है ||  A VARUN S PATEL STORY