दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 33 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 33

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के ३२ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

    आगे आपने देखा की कैसे संजयसिहने पुरी कॉलेज को अपने हाथ में ले लिया है | ना तो कोई प्रोफेसर कुछ कर पा रहा है और ना तो कोई पुलिसवाला क्योकी संजयसिह को कही से कुछ तो पीठबल मिल रहा है कहा से मिल रहा जैसे कही रहस्यो को जानने के लिए आपको इस दो पागल नवलकथा के दुसरे पार्ट की राह देखनी होगी जो मे आपके सामने बहुत जल्द पेश करुंगा। अब आगे। 

     संजयसिह के आदमीओने कॉलेज के दरवाजे बंद कर दिए थे और सभी स्टुडन्टस के पास से जबरदस्ती वोट कलेक्ट करने का कार्य कर रहे थे और एक तरफ रवी जो संजयसिह के खिलाफ खडा हुआ था उसे संजयसिहने अपने हाथो से मार मार कर ज़मीन पर गीरा दिया था। संजयसिह स्टेज पर खडा था और अपनी बकवास कर रहा था। 

     अब आपको कोई बचाने नहीं आनेवाला। आपके पास यहा से बचकर जानेका एक ही रास्ता है और वो रास्ता मेरे वोटो से होकर गुजरता है। अभी चुनाव होगा और जीसको बचकर जाना है वो मुझे वोट देकर जा सकता है और जीसको वोट नहीं देना है वो रवी के पास मेरी मार खाकर गीर सकता है। अब फेसला आपके हाथ में है... संजयसिह अपना भाषण खत्म करता है और इस तरफ रुहान और महावीर अपनी ओपन जीप लेकर कॉलेज का दरवाजा तोडकर अंदर कॉलेज मे घुसजाते है और सभी का ध्यान उस तरफ खींचा चला जाता है। संजयसिह रुहान और महावीर को आते देख उनके लिए भी अपना जाल बिछा देता है। संजयसिह निचे पडे रवी को उठाता है और उसके माथे पर अपनी गन रखता है। रुहान और महावीर संजयसिह के पास आकर अपनी जीप खडी करते हैं। 

     आ रुहान आ अब या तो मे जीतुंगा या तो यह मरेगा पसंद तेरे हाथ में है... संजयसिहने रवी के माथे पर अपनी गन रखकर गन का घोडा दबाने की धमकी देते हुए कहा। 

      तु गलत जगह पंगा ले रहा है और तुने रवी की एसी हालत बनाकर गलती कर दी है बेटा... रुहानने संजयसिह से कहा। 

      तु मुझे मत बता क्योकी हम दोनो की लडाई मे अभी तक मे ही जीता हु और वो तु अच्छी तरह से जानता है। रही बात तेरे दोस्त की तो मे उसे भी छोड दुंगा अगर तु बिच मे ना आया तो... संजयसिहने रुहान को अपनी कडक आवाज मे बोलते हुए कहा। 

      लडाई अभी तक खत्म नहीं हुई है और रही बात तेरे जीतने की तो तु जीता नहीं है और ना मे हारा हु बस एक लडकी ने अपने बाप को जीताया हैं । और हा मे तेरी धमकी से डरनेवालो मे से नहीं हुं तु मेरी चिंता ना कर तु अपनी चिंता कर क्योकी तेरे उपर जो ड्रोन उड रहा है वो तेरे यह गनवाला विडियो रेकोर्डिग कर रहा और यह अगले एक घंटे मे सभी मीडिया चेनल में पहुच जाएगा और फिर तेरी इज्जत की जो बजेगी... बेटा तेरी राजनीति शुरु होने के पहले ही समाप्त हो जाएगी। अब तु सोच ले तुझे क्या करना है क्योकी हमारी जान तो अब तेरे हाथ में है... रुहानने संजयसिह को अपनी जाल मे फसाते हुए कहा। 

      बे इसको तो मे अभी गोली मारकर उडाता हुं... ड्रोन की तरफ अपनी बंदुक करते हुए संजयसिहने कहा। 

      ना ना बेटा एसी गलती कभी मत करना वरना तेरी हालत एसी होगी की तु सोचते रह जाएगा की तुने बचपन मे पोलियो के बुंद पीए थे या नहीं क्योकी बहार मीडिया की पुरी सेना खडी है तु कहे तो बुलाउ अंदर... महावीरने संजयसिह से कहा। 

      बुलाना मे डरता हु क्या। तेरे किसी झूठ से मे डरनेवाला नहीं हुं... संजयसिहने कहा। 

      तु एसे नहीं मानेगा। संजना मेम आप अंदर आजाए प्लीज़... महावीरने सच तक चेनल की मशहुर पत्रकार को बुलाते हुए कहा।

      संजना मेडम अपने ड्रोन का रिमोट लेकर अंदर कॉलेज के ग्राउंड मे आती है और उन्हें देखकर संजयसिह अपनी गन छिपा लेता है और रवी को धक्का मारकर रुहान की तरफ फेक देता है। 

      आज फिर से तुने बडी गलती कर दी है इसे बुलाकर। अभी छोड रहा हु लेकिन आगे नहीं छोडुंगा...अपनी बंदुक छुपाकर रुहान के पास आते हुए संजयसिहने कहा। 

      जो भी करना है करले लेकिन अभी दुम दबाके भाग ले... रुहानने संजयसिह से कहा। 

      आज भाग रहा हु लेकिन तु एक बात सुन ले और मे जो करने जा रहा हुं उसे तु रोक सकता है तो रोक ले। मे जानता हुं की तेरी जानेमन जो अभी महेंदी लगाकर सजधज कर शादी करने जा रही है वो अपने बाप के सम्मान को ठेस ना पहुचे इसलिए कर रही हैं पर मे एसा नहीं होने दुंगा। अब मे खुद अहमदाबाद जाकर उसकी और उसके बाप की दोनो की इज्जत उतारुंगा अब तु तेरी जीज्ञा की और उसके बाप की इज्जत बचा सकता है तो बचा ले क्योकी कल उसकी शादी मे बेंड मे बजाउंगा। बाय। जय माताजी...इतना बोलकर संजयसिह वहा से चला जाता है। 

      जा बे जो उखडता है वो उखाडले...महावीरने जाते हुए संजयसिह को कहा। 

      संजयसिह और उसके गुंडे संजना मेम को घुरते हुए कॉलेज छोडकर चले जाते है ।

      तु उसकी बात पर ध्यान मत दे रुहान वो सिर्फ बोलनेवालो मे से है... रुहान के कंधे पर हाथ रखते हुए महावीरने कहा। 

      वो जाएगा जरुर पर मे उसे मंडप तक नहीं पहुचने दुंगा। जीज्ञा के निर्णय के कारण मेने अपने प्यार को छोड दिया तो इस तुच्छे आदमी को मे शादी थोडी बिगाडने दुंगा...रुहानने अपने दोनो दोस्तो से कहा। 

      अजीब आदमी है तु भी रुहान। पहले अपने प्यार की शादी के लिए शोपींग करता है जब की उस शादी से तेरा सबकुछ बरबाद हो जानेवाला है और अब तु वो शादी रुके नहीं उसके लिए लडेगा... रवीने रुहान से कहा। 

      मे जीज्ञा के किसी भी सही फेसले को गलत साबित नहीं होने दुंगा... रुहानने अपने दोस्त रवी को उत्तर देते हुए कहा। 

      संजना मेडम आगे आती है। 

      आभार आपका यहा आने के लिए ...रुहानने संजना मेम से कहा। 

      मे यहा आई नहीं हु मुझे तो जीज्ञा यहा खीच लाई है... संजना मेडमने कहा। 

      जीज्ञा केसे आपको यहा खीच लाई। मे कुछ समझा नहीं... रवीने सवाल करते हुए कहा। 

      वो मे बताता हुं। दरसल संजना जी को स्टोरी बुक पढने का बहुत शोख है और जीस दिन मनीष अंकल का अकस्मात हुआ उस दिन संजना मेम वहा लाईव कवरेज कर रही थी और तभी उन्होन जीज्ञा की लिखी हुई स्क्रिप्ट पढने के शोख के कारण वहा से उठा ली और फिर उनको वो कहानी बहुत पसंद आई...रुहान के इतना बोलते ही उसको बिच मे अटकाकर संजना मेडम बोलना शुरु करती है 

      वेसे तो यह एक क्राइम है पर क्या करे मेरे पढने के शोखने मुझसे यह चोरी करवाई और मेने जीज्ञा की लिखी हुई पुरी कहानी पढी और इसे पढकर मुझे इसकी लेखीका से मिलने का मन हुआ तो जीज्ञा को ढुंडते हुए मे सबसे पहले मनीषसर के वहा पहुची और वहा से मुझे रुहान का पता मिला और फिर मे जब रुहान के घर पहुची तो वहा कोई नहीं था जेसे मे घर से वापस जाने के लिए मुडी तो मुझे रुहान सामने से अपनी जीप मे आते हुए दिखा और मेने उसको रोक के बात की। 

      रुहान और संजना मेडम बिच का संवाद। 

      यु आर रुहान राईट... अपनी जीप को साईड मे लगा रहे रुहान से संजना मेडम ने कहा। 

      जी बोलिए... रुहानने संजना मेडम से कहा। 

      अरे यार तुम इतने मुड ओफ हो की मुझे पहचान नहीं रहे या फिर सच मे मुझे नहीं पहचानते ?...संजना मेडमने कहा। 

      अरे मेम आप को कोन नहीं जानता पर मेरे अभी दिन ही एसे चल रहे हैं की खुशी का और मेरा झगडा सा हो गया है। खेर यह सब छोडीए आप बोलिए मे आपकी क्या सेवा कर सकता हुं... रुहानने संजना मेडम से कहा। 

       हा मे यह बुक लोटाने आई थी... जीज्ञा की लिखी हुई स्क्रिप्ट बुक देते हुए संजना मेडमने रुहान से कहा। 

       यह आपके पास केसे आई... रुहानने सवाल करते हुए कहा। 

       संजनाजी आगे आपने जो पढा वही रुहान को बताती हैं। 

       संवाद पुर्ण। फिर से जहा थे वही। 

       फिर रुहान को यहा से किसी का फोन आया और उसका साथ देने मे यहा पे चली आई...संजना मेडमने रवी को सबकुछ समझाते हुए कहा। 

      और हा अब यह आप ही रखो क्योकी अब हमारे किसी काम की नहीं है यह किताब और सुना है किताबे पढने वालो को किताबो का कलेक्शन करने का भी शोख होता है... रुहानने अपनी जीप मे से जीज्ञा की लिखी हुई स्क्रिप्ट बुक निकालकर संजना मेडम को देते हुए कहा। 

       मतलब तुम कहना क्या चाहते हो मे कुछ समजी नहीं। जीज्ञा कहा है और इतनी अच्छी लिखी हुई कहानी को तो तुम लोग को बुक छापकर लोगो के बिच रखनी चाहिए ...संजना मेडमने सही बात कहते हुए कहा। 

       आप इसमे हमारी कोई मदद कर सकती है... रवीने संजना मेडम से कहा। 

       बिलकुल पर मुझे आपलोगो की भी मदद चाहिए होगी... संजना मेडमने कहा। 

       मे आपकी हर तरह की मदद करुंगा... रवीने संजना मेम से कहा। 

      आप लोगो को जो ठीक लगे वो आप किजीए लेकिन मुझे कुछ अधुरा काम पुरा करना है। मे संजयसिह को यह शादी नहीं रोकने दुंगा। एक बेटी की वजह से बाप की इज्ज़त पर आच मे नहीं आने दुंगा... रुहानने भावुकता से कहा। 

       ठीक है रुहान मे भी तेरे साथ चलुंगा... महावीरने कहा। 

      आभार होगा संजना जी आपका अगर आप हमे जीज्ञा की लिखी हुई कहानी को पुस्तक मे बदलने मे मदद करेंगे तो... रुहानने संजना मेडम की तरफ अपने हाथ जोडते हुए कहा। 

      अरे इसमे आभार की क्या बात है इतनी अच्छी कहानी को एक सही स्टेज पर लेजाना अब मेरी जिम्मेवारी है... संजना मेडम ने कहा। 

      कॉलेज में सभी के बिच का यह संवाद यही समाप्त होता है। रुहान स्टेज पर आता है और उसे देखकर सभी स्टुडन्टस खुश हो जाते हैं। 

      आप सभी चिंता मत करे मे हंमेशा आप के साथ खडा रहुंगा... रुहानने सभी स्टुडन्टस से कहा। 

      वहा खडे सभी विद्यार्थी रुहान... रुहान के नारे लगाने लगते हैं। 

      अब संजयसिह के अड्डे पर। 

      संजयसिह मुख्य जगह पर बेठा हुआ था और उसके आजु-बाजु उसके साथी मित्र बेठे हुए थे। 

      भाई इस बार तो बडे उच्च लेवल पर हमारी बेइज्जती हुई है पहले एसा होता था तो हम लोगो के शरीर से प्राण निकाल लेते थे... संजयसिह के साथी दोस्त ने कहा। 

      पहले की बात अलग थी और आज की बात अलग है। पहले हम सिर्फ दादागीरी करना चाहते थे लेकिन अब हम इस शहर पे राज करना चाहते हैं और उसमे हमे राजनीति की जरूरत होगी इसलिए हम हर कदम सोच समझकर ले रहे हैं। रही बात रुहान की तो उसे बिना छुए हराना केसे है वो हमे आता है। हम कल अहमदाबाद जाएंगे और जीज्ञा की शादी का ढोल मे बजाउंगा। जय माताजी...जोर जोर से हसते हुए संजयसिहने कहा। 

TO BE CONTINUED NEXT PART... 

      आगे के अंको को पढना बिलकुल न भुले क्योकी अब देखना रसप्रद होगा की जीत संजयसिह की होगी या रुहान की, जीत प्यार की होगी या घमंडी बाप की, जीत सपने की होगी या अपने बाप की इज्ज़त बचा रही बेटी की, जीत इज्जत उछालने आ रहे संजयसिह की होगी या फिर अपने बाप की इज्ज़त बचाने के लिए अपना जीवन बरबाद कर रही एक बेटी की होगी ? सवाल बहुत सारे है लेकिन उत्तर एक ही है और वो आपको आनेवाले अंको मे जरुर मिलेगा तो देखना मत भुले दो पागल के आनेवाले अंत के अंको को। धन्यवाद। 

|| जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है || A VARUN S PATEL STORY