दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 32 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 32

    नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के ३१ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए।

    आगे आपने देखा की केसे जीज्ञा और रुहान दोनो बेदर्दी से अलग हो जाते हैं और बिना मुलाकात किए जीज्ञा अहमदाबाद जाने के लिए निकल जाती है। अब आगे। 

    जीज्ञा और रुहान बिछड जाने के बाद पुरी तरह टुट गए थे। जीज्ञा अहमदाबाद अपने घर पहुच चुकी थी और घर पहुचते ही उसको शादी के लिए जो भी एसी रस्मे होती है जो शादी के पहले निभाई जाती है उन रस्मो मे जबरदस्ती लगा दिया जाता है। इस तरफ रुहान की दुनिया फिर से सुखी पड गई थी लेकिन इस बार उसने अपने गम भुलाने के लिए शराब का सहारा नही लिया था। वो जेसे तेसे करके अपने दिन निकाल रहा था। दोनो दिल से जरुर तुट चुके थे पर दिमाग से बहुत मजबुत हो चुके थे जीससे कभी सामने वालो को पता ही ना चले की दोनो बहुत दुःखी है। पुरी रात दोनो अपने कमरे के किसी रुममे रोकर बिताते थे। रुहान के पास अपना दुःख बाटने के लिए दोस्त थे परंतु जीज्ञा के पास कोई नहीं था। पुर्वी जरुर थी वो हरबार जीज्ञा के चहरे को देखकर भापलेती थी की जीज्ञा दुःखी है पर शादी की जबरदस्ती वाली तैयारीया पुर्वी को सतत व्यस्त रखती थी। 

     कुछ इस तरह रुहान और जीज्ञा अपने दिन रो रो कर गुजार रहे थे। अब शादी के पहले दिन यानी आज जीज्ञा की शादी का संगीत था। सुबह का समय था और जीज्ञा का घर पुरी तरह सजा हुआ था और महमानो का मेला पुरी तरह लग चुका था। समय होते ही महूरत के तहत जीज्ञा की हल्दी की रसम शुरु की जाती है। जीज्ञा सभी महमानो के बिच बेठी हुई थी। असल मे भले ही हल्दी कोई और लगा रहा हो लेकिन जीज्ञा अपनी सोच मे पुरी तरह डुब गई थी और उसे लग रहा था की सबसे पहले उसे हल्दी लगाने उसकी मम्मी आती है और बडे लाड प्यार से हल्दी लगाती है और जीज्ञा के चहरे पर बहुत खुबसुरत सी हसी चमक उठती है फिर जीज्ञा के पापा हल्दी लगाने आते हैं और वो भी बडे प्यार से हल्दी लगाते हैं क्योकी जीज्ञाने अपने पापा को कभी बुरा नहीं सोचा। वो सोच रही थी की उसके पापा हल्दी लगा रहे है लेकिन असल मे हल्दी उसके मामा लगा रहे थे। अब बारी वहा खडे रुहान की थी। रुहान अपनी दुल्हन को हल्दी लगाने के लिए आगे आता है। रुहान को आगे आते देख जीज्ञा मानो एसे खुश होती है जेसे अपना कोई मरा हुआ जींदा हो जाए। रुहान आगे आता है और अपनी दुल्हन को हल्दी लगाने के लिए अपने हाथ हल्दी वाले करता है और जेसे ही अपनी दुल्हन को हल्दी लगाने जाता है तभी अपनी सोच मे डुबी जीज्ञा जाग जाती है और अपने सामने हाथ मे हल्दी लिए पुर्वी को पाती है और समझजाती है की यह बस एक सपना था। जीज्ञा की मुस्कान दो मिनट की अच्छी सोच के बाद फिर गायब हो जाती है और उसके आखो से निकलते हुए आसु पुर्वी अपने हाथो से हल्दी लगाने के जरिए पोछ डालती है। पुर्वी और उसके मम्मी पापा जीज्ञा की तकलीफ और उसके दुःख को महसुस कर पा रहे थे। इस तरफ रुहान की हालत भी अच्छी नहीं थी। रुहान के पापा को अरजन्ट दिल्ही सुरक्षा के मुद्दे को लेकर जाना पड रहा था और रुहान अपनी जीप लेकर बस स्टेशन छोडने जा रहा था। अभी तक दोनो एकदम शांत बेठे थे दोनो के बिच किसी भी प्रकार की बातचीत की शुरुआत नहीं हुई थी। रुहान जीप जरुर चला रहा था लेकिन उसका ध्यान कही और था। जीप सिग्नल पर रुकती है। रुहान और मुहम्मद भाई दोनो अपने अपने ख्यालो मे खोए हुए थे। सिग्नल हरा हो जाता है लेकिन अभी तक रुहान कही खोया हुआ था। पीछे की गाडी वाले होर्न बजाने लगते हैं। 

     रुहान चल सिग्नल हरा हो गया कहा खोया है... रुहान के कंधे पर हाथ रखकर मुहम्मद भाईने कहा। 

     ह... कुछ नहीं... रुहानने इतना बोलकर जीप को आगे बढाया। दोनो के बिच संवाद की शरुआत होती है।

     क्या हुआ तु मुझे कुछ बता क्यु नहीं रहा है। जीज्ञा अपनी शादी के लिए निकल गई तुने मुझे बताया तक नहीं और इतना ही दोनो को दुःखी होना हैं तो कुछ फेसला करो और यह शादी रोक दो... मुहम्मद भाईने रुहान से कहा। 

     मुझे ही नहीं पता होता है कि किस्मत कब मेरे साथ क्या कर दे। जीज्ञा को यह शादी करनी ही है तो मे आपको बता के क्या करु अब्बा। उसे इस शादी को नहीं रोकना है और मुझे उसकी मरजी की विरुद्ध मे कछ नहीं करना... रुहानने उत्तर देते हुए कहा। 

     शाबाश मेरे शेर गर्व हैं तुझ पर की तु अपने प्यार को अपने हाथ से इस वजस जाने दे रहा है की वो लडकी अपने पिता की आबरु मिट्टी मे नहीं मिला देना चाहती जब्की तेरा अब्बा इतना बडा अधीकारी है की वो शादी आसानी से रुकवा सकता है... मुहम्मद भाईने अपने बेटे रुहान से कहा। 

     अगर उसकी जगह मे भी होता तो यही करता... रुहानने कहा। 

     फिर भी तुझे और जीज्ञा को लगे की यह बिछडजाने वाली जींदगी तुम दोनो को नहीं जीनी है तो मुझे फोन कर देना अभी भी तुम दोनो के पास एक दिन है... मुहम्मद भाईने रुहान से कहा 

     जी... जवाब देकर रुहान अपने अब्बा को एरपोर्ट पे ड्रोप कर देता है और अपनी जीप लेकर वापस अपने घर की तरफ जा रहा था।

     कॉलेज में। रुहान की हालत का पुरा फायदा संजयसिह उठा रहा था। कॉलेज के गार्डन मे संजयसिह और उसके साथी दोस्तोने फिर से जबरदस्ती सभी स्टुडन्टस को इक्कठा किया था और स्टेज पर चढकर संजयसिह प्रवचन के रुप मे सभी स्टुडन्टस को धमकी दे रहा था। 

     मेरे प्यारे स्टुडन्टस। अब आपके पास आपके अच्छे शिक्षण का भविष्य एक ही है और वो मे हुं। अगर मुझे इस कॉलेज का स्टुडन्टस का लिडर नहीं बनाया तो आप लोग जानते हो की मे किस हद तक जा सकता हुं और रही बात आपके हीरो रुहान की तो वो अब आपके लिए नहीं आनेवाला अब उसको छोडके अगर कोई मर्द बचा है मेरे सामने लडने के लिए तो वो अभी स्टेज पर आजाए तो मे उसका फेसला अभी के अभी कर दुं... संजयसिहने सभी विद्यार्थी को सीधी धमकी देते हुए कहा। 

     संजयसिह के सामने खडी विद्यार्थीओ की भीड मे रवी मोजुद था। रवी स्टेज की तरफ आता है। 

     निचे खडे सभी मर्द ही है हिजडा तो तु है। मे खडा हु इस चुनाव मे आप मुझे जीताओ मे इस कॉलेज से गुड्डे लोगो का सफाया करदुंगा...रवीने स्टेज पर संजयसिह के पास आकर कहा। 

     तु साला जन्मा ही मरने के लिए है... संजयसिहने रवी की आखो से अपनी आखे मिलाते हुए कहा। 

     क्या पता किसीको मारने के लिए भी जन्मा हु तो...संजयसिह को उत्तर देते हुए रवीने कहा। 

     इससे आगे कुछ भी बोले बिना संजयसिह रवी को एक चाटा मार देता है और रवी को स्टेज पर निचे गीरा देता है। रवी के स्टेज पर गिरते वहा खडे विद्यार्थीओ के बिच रवी को बचाने के लिए हलचल होती है पर संजयसिह के साथी मित्र अपनी अपनी गैरकानूनी बंदुके दिखाकर सभी को डरा देते हैं जीससे कोई भी कुछ नहीं कर सकता और सभी अपनी अपनी जगह खडे रहते हैं लेकिन एक स्टुडन्टस छुपकर रुहान और महावीर को फोन लगा देता है। 

     साले कुत्ते हरामी तु मेरे सामने खडा होगा... निचे पडे रवी का गला पकडते हुए संजयसिंहने कहा। 

     रवी अभी भी डरा नहीं था वो भी संजयसिह को मारने की कोशिश करता है लेकिन पहोच नहीं पाता है और लडकर जमीन पर गीर जाता है। रही बात कॉलेज के प्रोफेसरो और प्रिन्सीपल की तो उनमे से कोई भी संजयसिह और उसके बापु से उलझना नहीं चाहता था। संजयसिह रुहान पर का सारा गुस्सा रवी पर उतारता है और रवी थक हार कर जमीन पर गीर जाता है। 

     साला अब जो भी बिच मे आएगा वो आज जरुर ईश्वर को पाएगा। जाओ रे कॉलेज का गेट बंद कर दो अब ना इलेक्शन नहीं होगा सब यही पे एक कागज पे लिखकर मुझे युवा स्टुडन्ट लिडर बनाऐगे...समझे...अपनी गन का रोफ बताते हुऐ संजयसिहने कहा। 

     पर संजयभाइ बिना चुनाव केसे होगा यह तो गलत हो जाएगाना... कॉलेज के अंदर से बहार ग्राउंड पर आते हुए एक प्रोफेसरने धीमे से संजयसिह को कहा। 

     बे प्रोफेसर तु अपनी जान बचाना चाहता है तो अंदर चला जा अब हमे बहुत जल्दी भारत की सबसे बडी राजकीय पार्टी का राज्य युवा लिडर का पद मिलनेवाला है तो बिच मे मत आना क्योकी यह पद तो मे अपने हाथ से नहीं जाने दुंगा... प्रोफेसर के पैर के पास अपनी बंदुक से गोली मारते हुए संजयसिहने कहा। प्रोफेसर भागकर फिरसे अंदर की और चलाजाता है।

     संजयसिहने अपनी दादागीरी से पुरी कॉलेज को अपने निचे ले लिया था और इतना पावर उसके पास अचानक कहा से आ गया था यह अभी तक रहस्यमय बना हुआ था। संजयसिह के साथी कोलेज का आनेजाने का मुख्य दरवाजा बंद करदेता है। 

TO BE CONTINUED NEXT PART... 

     क्या रुहान अपने दोस्त , कॉलेज स्टुडन्टस को संजयसिह के कहेर से बचा पाएगा ? संजयसिह मे उलझा रुहान जीज्ञा को कैसे अपना बना पाएगा ? आज जीज्ञा की शादी का संगीत है और कल उसकी शादी क्या इस कहानी का अंत एसा ही होगा या जीज्ञा और रुहान के जीवन में अभी कोई मोड आना बाकी है ? जीज्ञा के सपने का क्या ? नाटक स्पर्धा का क्या होगा ? किस हद तक गीरेगा संजयसिह अपने बदले के लिए ? सारे सवाल सायद आपके दिमाग मे घर कर चुके होंगे और आप इनके उत्तर जानने के लिए बेताब भी होंगे तो जल्द ही आपको इन सारे सवालो के जवाब मिलने वाले हैं तो जुडे रहीयेगा हमारी कहानी के आनेवाले अंत के अंको के साथ और इसे अपने दोस्तों के साथ शेर करना ना भुले। अगर आपने अभी तक आगे के अंको को नहीं पढा है तो इस पेज मे निचे की और सारे अंको की लिंक दी गई है क्लिक करे और पढे 

 || जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है || A VARUN S PATEL STORY