दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 31 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 31

लड़ाई की तैयारी 

   नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के ३० अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए। 

   हेल्लो मे रुहान। आप सबने अभी तक की मेरी कहानी तो पढ ली है और सायद आप सभी मेरा और जीज्ञा का दर्द भी महसुस कर रहे होंगे। हम दोनो आपको अभी पागल भी लग रहे होंगे पर क्या करे किस्मत कुछ इस तरह से ही हमारे साथ खेल रही है की हम अपने आपको नोरमल रख ही नहीं पाते हैं। अभी का ही आप देख लो शादी जीज्ञा की किसी और से है और मे उसका न चाहते हुए भी सोपींग कर रहा हुं। मुझे पता है की आम तौर पे किसी बोयफ्रेन्ड गर्लफ्रेंन्ड के रिश्ते मे गर्लफेन्ड की जब किसी और से मंगनी हो जाती है तो वो स्वयम ही न चाहते हुए भी ब्रेक-अप कर लेते है ताकी वो ज्यादा दुंःखी ना हो और जाते जाते एक दुसरे को वचन भी देते हैं की जब भी जरुरत पडे याद कर लेना पर वो कभी एसा नहीं सोचते की उस जुदाई से लेकर गर्लफेन्ड की शादी तक का समय ही कठीन होता है बाद मे तो सभी अपनी अपनी जगह सेटल हो ही जाते हैं। हमारा केस उन सभी प्रेमीओ जेसा ही था की मेने और जीज्ञाने एक दुसरे को बिना बताए प्यार तो किया लेकिन अब उसके पापाने अपनी इज्जत बचाने के लिए उसकी शादी तय कर दी और मेरी पगली जीज्ञा तैयार भी हो गई उस मौत जेसी शादी के लिए पर मुझे उसका यह निर्णय सही लगा क्योकी उसने इस शादी के लिए हामी इसलिए भरी ताकी उसके पापा की दिखावट वाली पगडी हंमेशा उच्ची रहे। जीज्ञा के पापाने भले ही जीज्ञा की खुशी के बारे मे नहीं सोचा हो पर जीज्ञा अपने पापा के बारे मे हरपल सोचने के बाद ही अपने जीवन का फेसला लेती है। पापा को दुःखी कर के शादी करना अच्छी बात है और समाज मे इसे अच्छी बात मानी भी नहीं जाती लेकिन समाज यह भी नहीं देखता की हमारे देश मे कितने पिताओ की इज्ज़त के ख़ातिर कितनी लडकीया अपने सपने और अपनी खुशी छोडकर मौत जेसी लगनेवाली शादी कर लेती अब यह भी तो सही नहीं है ना एक पिता को भी अपनी लडकी की खुशी देखनी चाहिए। मे किसी को गलत ठहराना नहीं चाहता मे तो बस इतना ही बताना चाहता हु कि अपने पिता को दुःखी करके और उनकी इज्जत उछालकर अपनी खुशीया ढुंडनेवाली लडकीओ को और अपनी इज्जत समाज मे मिट्टी मे ना मिल जाए इसलिए अपनी बेटी को जबरदस्ती कही पे भी ब्याह देनेवाले पिता को दोनो को एक-दुसरे के बारे मे सोचना पडेगा और अपना नजरिया बदल के इस समाज को आगे कोई अच्छी दिशा मे ले जाना पडेगा। मे चाहता हु की समाज की हर लडकीया जीज्ञा जेसी हो जो अपनी खुशी देखने से पहले अपने पिता की खुशीया देखे लेकिन समाज का हर पिता गीरधनभाई जेसा कभी नहीं होना चाहिए जो सिर्फ अपनी इज्जत और अपने रुतबे को ही देखे। मेरा और जीज्ञा के बिच प्यार का अभी किसी भी तरह का भविष्य अब नझर नहीं आ रहा फिर भी मे आज उसके साथ आया हु और इसका एक ही कारण है कि लोग कठिन समय मे एक दुसरे को साथ देने का वादा कर के बिछड जाते है पर मे एसा नहीं हुं मुझे पता है की बिन मरजीवाली अपनी शादी के लिए सोपींग करना जीज्ञा के लिए कितना मुश्किल हो रहा है और इस मुश्किलों को आधा करने के लिए ही आज मे जीज्ञा के साथ आया हु जीससे उसका आधा दर्द मे ले शकु पर... अब मुझसे यह नहीं होनेवाला था। हम दुल्हन के शादीवाले जोडे की दुकान मे थे और उन्होने जबरदस्ती जीज्ञा को शादी का जोडा पहनने के लिए जीद की और जीज्ञा मजबुरन उस जोडे को पहनने के लिए एक अलग रुममे गई हुइ थी। मे और पुर्वी अपना मु लटकाए हुए बहार बेठे थे। कुछ मिनट बितते है। जीज्ञा सजधज के बहार आती है। शादी के जोडे मे जीज्ञा बहुत संदर दिख रही थी। खुबसुरत जीज्ञा को देखकर रुहान और पुर्वी अपनी जगह से खडे हो जाते हैं और जीज्ञा को देखने लगते हैं। जीज्ञा की खुबसुरती और मासुमीयत उसके चहरे पे बखुबी निखरके दिख रही थी बस कुछ कम था तो वो थी जीज्ञा के चहरे पर की खुशी जीसके लिए रुहान अपनी जान देने के लिए भी तैयार हो जाता था पर किस्मत और जीज्ञा के पिताने अब रुहान से वो मोका छिन लिया था और वो अब जानता था की उसके सामने शादी के जोडे मे सजकर जो दुल्हन खडी है वो किसी और के लिए सजी हुई है और यह सहेन करना अब रुहान के लिए बहुत मुश्किल था और सायद आप उस जगह होते तो आप के लिए भी वो क्षण बहुत कठीन होता। 

    रुहान अपनी जगह से आगे जीज्ञा की तरफ आता है और उसे कसके गले लगा लेता है और दोनो रोने लगते हैं। दोनो मे से कोई एक दूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे। अभी शादी वाली बिदाई भले ही ना हो रही हो लेकिन दोनो जानते थे की अब बिछडने का समय हो चुका था और रुहान अब उसकी शुरुआत करता है। जीज्ञा के माथे को अपने होठो से चुमकर... बाय... तुमने और अल्लाह ने चाहा तो फिर मिलेंगे... इतना बोलकर रुहान रोती हुई जीज्ञा को छोडकर चला जाता है। 

    जाते हुए रुहान की आखोमे से भी आसु छलक रहे थे रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। 

    रुहान... पीछे से आकर जीज्ञाने कहा। 

   अपने आसु पोछकर रुहान पीछे की और मुडता है। 

    मुझे आखरी बार छोडने के लिए बस स्टोप नहीं आओगे ? ...जीज्ञाने कहा। 

    मे तुम्हें पाच मिनट पहले ही आखरी बार छोड चुका हुं अब जब भी आउंगा तो छोडने के लिए तो नहीं ही आउंगा क्योकी अब झेलने कि हिम्मत नहीं है... बाय... इतना बोलकर रुहान अपने रास्ते चला जाता है। 

    तो कुछ इस तरह जीज्ञा की शादी से पहले आखरी बार बिछडते हैं रुहान और जीज्ञा। 

    अब दुसरे साल का स्टुडन्टस के युनियन लीडर के चुनाव का समय फिर से आ चुका था लेकिन इस साल रुहान और जीज्ञा दोनो अब कोलेज आने की हालत मे नहीं थे। जीज्ञा अपनी शादी होने के कारण अहमदाबाद जा रही थी और रुहानने भी कॉलेज आना बंद कर दिया था इसलिए फिर से संजयसिह के लोगो ने विद्यार्थीओ को धमकाना और संजयसिह को फिर से लिडर बनाने की कोशीशे शुरु कर दी थी क्योकी सभी जानते थे की रुहान अब शायद चुनाव मे हिस्सा भी नहीं लेगा और कॉलेज भी नहीं आएगा। कुछ एसा मानकर संजयसिह और उसके आदमी लोग चल रहे थे।    

    संजयसिह और उसके लोग संजयसिह की ओफिस पे बेठे हुए थे और सभी के बिच कॉलेज के लीडर के चुनाव को लेकर चर्चा चल रही थी क्योकी अब संजयसिह कॉलेज के लीडर का चुनाव जीतने के बाद किसी एक पार्टी मे शामिल होना चाहता था और फिर हाथ मे कुछ पावर आने के बाद अपने बापु को फिर से बरोडा मे घुसाने की कोशीश मे था और वो तभी हो सकता था जब रुहान के पिता को गुजरात मे से हटाया जाए। आपको यह सब उच्च स्तर पे दो पागल के आनेवाले दुसरे पार्ट मे पढने को मिलेगा। 

    संजयसिह और उसके दोस्तो के बिच संवाद। 

    अगर इस बार रुहानने चुनाव के बिच मे आने की बात की तो उसकी मोत तय है... हाथ मे तलवार लिए बेठे हुए संजयसिहने कहा। 

    अरे भाई अभी भी आप उस हरामी की सोच मे पडे हुए हो अभी असमे इतनी हिम्मत कहा है की वो आप के सामने खडा रह सके पडा होगा कही देवदास बनकर... संजयसिह के साथी दोस्तने कहा। 

     तुम लोग उस हरामी को सही से जानते नहीं हो। तुम लोगो को लगता है कि जीज्ञा की शादी तय हो जाने से वो शांति से बेठ जाएगा। नहीं वो नहीं बेठेगा वो कुछ ना कुछ करेके शादी को रोकेगा जरुर क्योकी उसका सबकुछ वो छोरी है। अगर वो छोरी उससे अलग हो जाए और सफलतापूर्वक उसकी शादी हो जाए तो वो पुरी तरह से बरबाद हो जाएगा। न खाने लायक बचेगा और न पीने लायक... संजयसिहने कहा। 

     मेरे पास पक्की खबर है भाई की जीज्ञा कल सुबह की बस से अहमदाबाद जा रही है और दोनो ने अपना विदाई समारोह मोल मे ही रचा दिया है... संजयसिह के आदमी ने कहा। 

     तुम लोग अभी भी अंधे होकर आगे बढ रहे हो। रुहान एक इंसान है और इंसान का निर्णय कभी भी बदल शक्ता है और रही बात रुहान के निर्णय की तो रुहान बहुत जल्द अपना निर्णय बदलेंगा और जीज्ञा की शादी को रुकवाने की कोशिश जरुर करेगा। नजर रखो उस पर हमे किसी भी सुरत मे यह शादी रुकने नहीं देनी है क्योकी यह शादी का मतलब रुहान की बदनामी है और रुहान की बदनामी मतलब हमारी तरक्की ...संजयसिहने अपने साथीओ से कहा।

     पर भाई मुझे नहीं लगता की अब यह शादी रुक शक्ति है क्योकी रुहान कोई हिंदी फिल्म का शाहरुख खान तो है नहीं की कुछ कुछ होता की तरह काजोल से लास्ट टाईम पर बाजी मार लेगा ...संजयसिह के साथी दोस्तने कहा। 

     प्यार मे पागल हरामी कुछ भी कर सकते हैं और अभी सभी इस दुनिया में शाहरुख ही है और तुम लोग ज्यादा सोचे बिना मे जो कहु वेसे करते जाओ। मे हर हद पार कर दुंगा लेकिन रुहान को अब जीज्ञा के पास तक नहीं पहुचने दुंगा... अहंकार में डुबे हुए संजयसिहने कहा। 

     कुछ इस तरह बितता है दिन जहा रुहान और जीज्ञा की सुबह सबेरे से ही डुबी हुई थी। 

     दुसरे दिन सुबह। न चाहते हुए भी आज रुहान बरोडा बस स्टेशन जीज्ञा को आखरी बार छोडने के लिए पहुच गया था पर जीज्ञा पुर्वी अभी तक आए नहीं थे। दो घंटे तक रुहान बस स्टेशन पर जीज्ञा का इंतजार करता है लेकिन जीज्ञा और पुर्वी बस स्टेशन आते ही नहीं है। रुहान बार बार पुर्वी को फोन कर रहा था पर पुर्वी रुहान का फोन नहीं उठा रही थी। शायद अगले दिन मोल मे मिलना ही रुहान और जीज्ञा के जीवन की आखरी मुलाकात थी। थककर रुहान अपने दोस्त रवी को फोन लगाता है।

     हेल्लो रवी यह लोग किस बस से जाने वाले थे... रुहानने फोन पर रवी से पुछा। 

     कौन लोग और तु बस स्टेशन हैं... रवीने सामने सवाल करते हुए कहा। 

     कोन लोग मतलब मे जीज्ञा और पुर्वी की बात कर रहा हु और तु सवाल करे बिना जवाब देना... रुहानने रवी से कहा। 

     सुबह १० बजे की बस से जानेवाले थे क्यु वो वहा नहीं आए है और हमने तो कल वहा नहीं जाने का नक्की किया था ना... रवीने फिर से उत्तर देते हुए और सवाल करते हुए रुहान से कहा। 

     सुबह के ७:०० बजे से खडा हु अभी तक कोई नहीं आया है। तु होस्टेल पे आ मे वहा आता हुं... रुहानने रवी से कहा। 

     दोनो समय बितने पर होस्टेल पहुचते है और उन्हें वहा से जानने को मिलता है कि जीज्ञा और पुर्वी दोनो को पुर्वी के पापा लेने आए थे और दोनो अहमदाबाद जाने के लिए निकल गए हैं। मोल मे हुई मुलाकात ही जीज्ञा और रुहान की आखरी मुलाकात बनके रह जाती है। 

     अब हमारी कहानी अंतिम चरण मे प्रवेश कर चुकी है जहा जीज्ञा और रुहान के जीवन का फेसला होनेवाला है। अब आपके दिमाग चल रहे सारे सवालो के उत्तर आपको मिलनेवाले है तो बिलकुल पढना ना भुले दो पागल के आनेवाले अंक को। धन्यवाद। 

TO BE CONTINUED NEXT PART...

 ||जय श्री कृष्ण || || श्री कष्टभंजन दादा सत्य है || A VARUN S PATEL STORY