दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 5 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 5

अच्छाई VS बुराई - दो पागल - कहानी सपने और प्यार की अंक

   हेल्लो दोस्तो तो केसे हो आप लोग। मे फिरसे हाजिर हु आप सब के बिच आपकी अपनी सबसे मजेदार नवलकथा को लेकर जीसमे प्यार, ड्रामा सबकुछ है लेकिन इसको पढने से पहले मेरी आपसे एक अपील है कि आप पहले आगे के चार अंक अगर आपने नहीं पढे हैं तो उन अंको को पढले और फिर इसे पढना शुरु करे ।

शुरुआत

     तो आइये शुरु करते है आगे की कहानी । जहा से हमारी कहानी थमी थी वही से शुरुआत। कोलेज के शुरु होने के तीन दिन बाद।     

       आपको अगले भाग में जीज्ञा और रुहान की मुलाकात तो देखने जरुर मिली लेकिन उनकी दोस्ती की शरुआत अभी तक नहीं हुई थी। अब बात हमारी कहानी के उस चेप्टर की है जो जीज्ञा और रुहान के जीवन में भुचाल खडा कर देने वाला है और उस चेप्टर का नाम है संजयसिह। संजयसिह हमारी कहानी का विलेन। संजयसिह वो बंदा है जो अभी कोलेज के तीसरे साल में पढता है लेकिन सारी कोलेज जाने उसके बाप की ही हो एसा लगता है। संजयसिह बरोडा के सबसे बड़े माफिया डोन का बेटा हैं। कोलेज के प्रिन्सीपल सर और सभी प्रोफेसर लोग उसके सामने उलझने से बचते है। बडे बडे प्रोफेसरो की उसके सामने पढाने से फटती है। तो कुछ एसा है संजयसिह। संजयसिह आम तौर पे कोलेज मे बहुत कम आता है वो कोलेज साल के उस दिन आता है जब उसे कॉलेज के प्रेसीडेन्ट का चुनाव लडना होता है। एक बार चुनाव जीतने के बाद उसके पन्टर लोग ही सारी कोलेज पे राज करते हैं और वो जाके अपने राजनैतिक सपने के लिए महेनत करता है। वो कॉलेज का चुनाव सीर्फ और सिर्फ राजनैतिक पार्टी को अपना दब-दबा बताने के लिए ही लडता है। आज वही दिन हैं जहा सारी कोलेज मे अपने अपने प्रेसीडेन्ट के चुनाव की तैयारीया चालु है लेकिन जीज्ञा की कोलेज मे एसी कोई तैयारी अभी तक शुरु नहीं हुई थी। कोलेज के सभी सीनियर स्टुडन्टस जानते थे की अगर कोई संजयसिह के सामने चुनाव में खडा हुआ तो वो कही का नहीं रहेगा । इसीलिए सभी सीनियर स्टुडन्टस बिना चुनाव की बात करे अपने अपने कामो मे व्यस्त थे। कॉलेज में अभी लेक्चर चल रहे थे और सभी स्टुडन्टस अपने अपने क्लासरुम मे थे। जीज्ञा और पुर्वी भी अपने क्लासरुम मे पढ रहे थे। रुहान महावीर और रवी अभी तक कॉलेज नहीं पहोचे थे।

      थोडा समय बितता है। संजयसिह के छे पन्टर दोस्तों कॉलेज में दाखिल होते हैं। दो दो पन्टर लोग अलग अलग क्लासरुम मे जाते है और प्रोफेसर को कुछ इस तरह धमकाते है।

      जीज्ञा के क्लासरुम मे प्रोफेसर पढाने का काम कर रहे थे। संजयसिह के दो पन्टर जीज्ञा के क्लासरुम मे घुसते है और घुसते समय ही अपनी दादागीरी दीखाना शुरु कर देते हैं।

      ओ मास्टरजी चल अपना पढाना बंद कर और यह टेबल जाके मैदान के बिचो बिच रखवा दे अपने स्टुडन्टस को बोल के... संजयसिह के पन्टर दोस्त ने रुआब से कहा ।

      अभी अभी पढने आए हुए सारे स्टुडन्टस यह भयानक वातावरण देखकर गभरा जाते हैं और अंदरो अंदर बातचीत करना शुरू कर देते हैं।

      ओह पन्टरो अंदरो अंदरो घुसपुसाना बंद करो और सुनलो यह संजयभाइ का कॉलेज है। शांति से जाकर उनको वोट दे देना वरना यहा पे दिखना बंद हो जाओगे... संजयसिह के दुसरे पन्टरने कहा।

      अबे मास्टर तुझे जो बोला वो सुनाई नहीं दीया...पहले पन्टरने कहा ।

      प्रोफेसर संजयसिह की दादागीरी जानता था इसीलिए वो भी डर के पसीना पसीना हो गया था।

     जी जरुर... डर के मारे बोलते हुए कुछ बच्चो ने कहा।

     प्रोफेसर उनकी बात सुनकर दो स्टुडन्टस को कहेकर क्लासरुम का टेबल बहार रखने के लिए बोलता है। संजयसिह के लोगों की दादागीरी जीज्ञा और पुर्वी अच्छी तरह से देख रहे थे। पुर्वी बखुबी जानती थी की एसे लोग जीज्ञा को कभी सहन नहीं होते हैं वो सामने लडने के लिए तैयार हो जाती है लेकिन साथ में पुर्वी यह भी जानती थी की यह लोग बडे गुंडे है इसलिए पुर्वी जीज्ञा के हाथ पर हाथ रखती है और इसारो के द्वारा उसे कीसी भी जातका तमासा करने के लिए मना करती है।

       तु चिंता ना कर मुझे फिजुल मे कोई तमासा करने की और महान बनने का कोई शोख नहीं है... जीज्ञाने पुर्वी से कहा।

       जीज्ञा के रुम मे आए हुए संजयसिह के दो पन्टरो में से एक पन्टर तीसरे पार्ट में पहली बेंच पे बेठी हुई लडकी को छेडता है।

       क्या जानु केसी है नाम क्या है तेरा कॉलेज छुटने के बाद चलेगी क्या ... लडकी को छेडते हुए पहले पन्टरने कहा ।

        देखिए आप को जो भी चाहिए वो ले जाएं लेकिन लडकी को मत छेडो प्लीज़... प्रोफेसर ने बडी हिम्मत करते हुए उस पन्टर से कहा ।

      लडकी को छेडते हुए देखकर इस तरफ पीछे बेठी जीज्ञा भी अपनी जगह से खडी हो जाती है।

      ओय बेठ जा बिना बात की केप्टन मार्वल बनने की कोशिश मत कर वरना एसी गुम करुंगा की अपने बाप को भी नहीं मिलेगी... जीज्ञा को खडी देखकर उस पन्टरने कहा।

      जीज्ञा कुछ भी बोले उससे पहले पुर्वी उसका हाथ पकड लेती है और नीचे बीठा देती है।

      प्लीज़ तुझे मेरी कसम है कोई बखेडा मत करना... पुर्वीने कहा।

      जीज्ञा पुर्वी के कहने से अपना सारा गुस्सा अपने अंदर दबा के अपनी जगह बेठ जाती हैं ।

      क्या है तेरे को हा । ज्यादा मच मच नहीं करने का क्या वरना तु भी गुम हो जाएगा और हा सुन लो सारे अभी आधे घंटे के बाद संजयसिह आ रहे हैं तो सारे स्टुडन्टस बिना बताए आ जाना वरना अच्छा नहीं होगा... इतना बोलकर संजयसिह के दोनो पन्टर लोग चले जाते है।

      दोनों के जाने के बाद पहली बेन्च पे बेठी हुई लडकी रोने लगती है और इस तरफ उस रोती हुई लडकी के लिए कुछ भी ना कर शकी इसके अफसोस से जीज्ञा अपना सारा गुस्सा अपनी बेंच पर निकालती है। बाद में अपनी बेंच से उठकर जीज्ञा उस लडकी के पास जाती हैं और उसे गले लगाती है और कहती है।

      तु चिंता ना कर कीसी के बाप मे इतनी ताकात नहीं है जो तुझे छेड जाए... जीज्ञाने उस लडकी को कहा।

      देखो बेटा इन लोगो से ना ही उलझो तो ही अच्छा है। यह बहुत खराब लोग हैं... उस प्रोफेसर ने जीज्ञा से कहा।

      शरम आनी चाहिए आप सभी को की मे लडकी हो कर भी इन से अपने लिए उलझने को तैयार हु और आप... अगर हिम्मत नहीं है तो चुडिया पहन लो। देखो लडकीओ अपने जीवन में इन मे से किसी से दोस्ती मत करना यह कोई तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकेंगे... जीज्ञाने क्लासरुम मे बैठे हुए लडको की तरफ इशारा करते हुए सभी लडकीओ से कहा।

      रुहान और उसके दोनो दोस्त अभी तक कोलेज नहीं पहुचे थे और वो लोग संजयसिह वाली बात से बिलकुल अंजान थे।

     सभी क्लासरुम की हालत एक जेसी थी। सभी क्लासरुम के टेबल को उठाकर संजयसिह के पन्टर लोग मैदान में एक साथ रखवाकर स्टेज जेसा कुछ बना रहे थे। प्रिन्सीपल सहित सभी लोग इन लोगो की दादागीरी देख रहे थे लेकिन कोई भी कुछ बोल नहीं पा रहा था। थोडा समय बितता है। कॉलेज का ब्रेक का समय होता है सभी लोग अपने अपने क्लासरुम से बहार निकलकर कोई केन्टिंग की तरफ जा रहा था तो कोई गार्डन की और। बिचो बिच केम्पस में संजयसिह के पन्टर लोग खडे थे और सभी को वहा से चिल्लाकर बोल रहे थे।

      ओ मकडीमानव जेसे दिखनेवाले लडके और बहेनजी जेसी दीखने वाली औरत कहा जा रही हो आप सब को बोला नही है कि मैदान में जमा होने का है संजयसिह आ रहे हैं... सभी पन्टर लोग कुछ एसी दादागीरी के साथ लोगो को धमका रहे थे।

       ओय मोटे यहा पे मे बोल रहा हु फिर भी तु उस तरफ कहा जा रहा है... एक स्टुडन्टस को संजयसिह के एक पन्टरने कहा।

       सोरी सर क्या मे बाथरूम जाकर आ शक्ता हु बहुत लगी है... उस मोटे ने अपनी समस्या बताते हुऐ कहा।

       नही तु यही पे हगेगा... एक पन्टरने कहा और सभी पन्टर लोग इस पे हसने लगते है ।

       पन्टरो का इस तरह का जवाब सुनकर वो मोटा रोने लगा... जाने दोना प्लीज़... रोते हुए मोटे ने कहा ।

      जा बे जा हमारी सभा में वेसे भी अतर की ज़रुरत नहीं है... एक पन्टरने कहा।

      तो कुछ एसी थी इन लोगो की कॉलेज में दादागीरी। इन लोगो की दादागीरी से जीज्ञा और पुर्वी सहित सभी विद्यार्थी मैदान में जमा हो गए थे। जीज्ञा संजयसिह की बेसब्री से राह देख रही थी की एसा कोनसा दानव है जो सारी कॉलेज को अपने निचे रखता है।

       रुहान और उसके दोस्त अभी भी कॉलेज नहीं पहुचे थे और इस तरफ जीज्ञाने आज संजयसिह से लडने का मुड बना लिया था। थोडा समय बितता है संजयसिह की एक ओपन जीप के साथ कोलेज मे एन्ट्री होती हैं। वो ओपन जीप सभी क्लासरुम के टेबलो से बने हुए स्टेज के पास आती है। सभी का ध्यान संजयसिह पर था। संजयसिह 5"6 फिट का लंबा चोडा दिखनेवाला इंसान और साउथ के लोगो की तरह पीछे बंधी हुई चोटी से वो पुरी तरह से गुंडा दिख रहा था । अपनी जीप से उतरकर स्टेज पे चडने के लिए जाता है लेकिन उसके पन्टर लोगो ने स्टेज जरुर बनाया था लेकिन उस पे चडने के लिए पगथीया बनाना भुल गए थे। संजयसिह यह देखकर गुस्सा होता है और अपने पास खडे अपने एक आदमी को जोर से थप्पड खीचकर मारता है।

       सालो तुम लोग पुरा काम कब करोगे... संजयसिह ने कहा।

       माफ कर दो सरकार... इतना बोलकर संजयसिह का आदमी अपने घुटनों पे बेठ जाता है और उसके उपर अपने पेर रखकर संजयसिह स्टेज के उपर चढ जाता है।

       स्टेज पे चडकर संजयसिह अपने भाषण की शुरुआत करता है।

       जय माताजी केसे हो आप सभी। आप सब मेरे बिना बुलाए यहा पे आये इसका साफ साफ मतलब हैं कि आप मुझे बहुत प्यार करते हैं और आप मुझे फिर से अपना प्रेसीडेन्ट बनाना चाहते हैं लेकिन मेरी आप सबको बिनंती है कि आप लोग मुझे इसलिए चुनाव मत जीताना की आप लोग मुझ से बहुत प्यार करते हो बल्कि इसलिए जीताना की मे आपके हितो का ध्यान रख शकु। आप जानते हो की पीछले दो सालो से मे आप सभी के हितो का और लडकीओ का खास ध्यान रखता आ रहा हुं। मेरा वचन है आप सबको की मे हर साल की तरह इस साल भी लडकीओ की सुरक्षा का पुरा ध्यान रखुंगा... संजयसिह ने अपनी बात शुरु करते हुए कहा।

       जीज्ञा संजयसिह की ऐक्टिंग देखकर अंदर ही अंदर उबल रही थी और यह बात पुर्वी साफ साफ जानती थी इसीलिए वो मन ही मन भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि है भगवान जीज्ञा को शांत रखना।

       इस तरफ संजयसिह का जुठा भाषण चल रहा था और इस तरफ देर से तो देर से लेकिन कोलेज के सही पन्टर लोगो की कोलेज मे एन्ट्री होती है। रुहान, रवी और महावीर कोलेज मे प्रवेश करते हैं।

       मेरे चुनाव जीतने के बाद किसीको भी किसी भी जात की चिंता करने की जरुरत नहीं है। खासकर लडकीओ को मे आपको वचन देता हूँ कि आपको आपकी मरज़ी के बिना छुना तो दुर कोई देख भी नहीं शकेगा... संजयसिह ने जुठ पे जुठ बोलते हुए कहा।

       अब जीज्ञा से संजयसिह का और जुठ बरदाश्त नहीं हो रहा था। रुहान, रवी और महावीर भी संजयसिह के चल रहे जुठे भाषणो मे शामिल होते हैं मतलब वो भी विद्यार्थीओ की भीड मे आकर खडे हो जाते है।

       एक सवाल है संजयसिहजी क्या मे पुछ शक्ति हुं... जीज्ञाने अपना हाथ उपर करते हुए कहा।

       अब पुर्वी समझ गई थी की ये अब बखेडा शुरु करने वाली है इसलिए बिना कुछ सोचे समझे उसने एक अच्छा काम करते हुए अपनी बहन को कहा ।

       चल तुने ठान ही लिया है कि फसना हि है तो साथ मे फसते है... पुर्वीने जीज्ञा के कान में धीरे से कहा ।

       जीज्ञा के हाथ उपर करते हि रुहान, रवी और महावीर की नजर उसके उपर जाती है।

       जी पुछीए आज का दिन आपका हैं लेकिन थोडा ध्यान से पुछिएगा... संजयसिहने जीज्ञा के सामने अपनी आखे दिखाते हुए कहा।

      भाईलोग तैयार हो जाव इससे भीडने के लिए ... रुहान ने अपने दोनो दोस्तो से कहा।

          तु ना तेरी यह आखे मेरे को मत दीखा ठीक है मे तेरे से नहीं डरती और हा अगर तु गारन्टी देता है की तेरे पीछे खडे यह तेरे भडवे लडकीओ को नहीं छेडेंगे तो मे तेरे को वोट देगी वरना निकल यहा से क्युकी अब तेरी नहीं चलने वाली । कब से मे तेरे लोगो की दादागीरी देख रही हुंँ... जीज्ञाने डायरेक्ट चोथे गीयर में अपने भाषा को चलाते हुए सब के सामने संजयसिह को कहा ।

       बे जीज्ञा तुझे डायरेक्ट चोथे गीयर मे चलने को किसने कहा था। थोडा धीरे से शुरुआत करती तो तेरा क्या जाता इतने बडे गुंडे की थोडी तो इज्ज़त कर... चौकी हुई पुर्वीने धीरे से जीज्ञा को कहा।

        वाह यह तो सच मे शेरनी है। बरोडा के गुंडे के बेटे के साथ बिना सोचे समझे लडने को तैयार हो गई। मेने कहा था यह उन ग्यारह लडकीओ से अलग है... रुहानने अपने दोस्तों से कहा।

       संजयसिह जीज्ञा के रुआब को देखकर हैरान रह जाता है।

       तु किस से क्या बात कर रही हैं तुझे पता है। थोडा जबान संभालकर बात कर... इस कोलेज का बाप हु मे। इतना सही है कि यहा आकर इतनी रीस्पेक्ट से बात कर रहा हुँ वरना तेरी जेसीको तो मे... संजयसिह के इतना बोल ने के बाद संजयसिह को अटकाकर जीज्ञा संजयसिह को जवाब देना शुरु कर देती है।

       बे भडवे तु भी सोच समझकर बोल और लडकीओ की इज्जत करना शीख। जीस मांँ की कोक से जन्म लिया हे ना वो भी एक औरत हि है ... जीज्ञाने संजयसिह को जडबातोड जवाब देते हुए कहा।

       ये लडकी तु बहुत ज्यादा बोल रही है... संजयसिह के उस पन्टरने निचे आते हुए बोला जो जीज्ञा की क्लास की लडकी को छेड रहा था।

       जेसे ही वो जीज्ञा के पास आकर उसे छुने जाता है उससे पहले जोर से जीज्ञा उसको चाटा मारकर जमीन पे गीरा देती है और यह देखकर संजयसिह बोखला जाता है और जोर जोर से चिल्लाकर बोलने लगता है।

       बस अब बहुत हो गई सराफत। तु साईड मे हो जा(अपने पन्टर से कहा।) ... निचे आते हुए संजयसिहने कहा। संजयसिह जीज्ञा के पास आता है।

      रुहान तुझे नहीं लगता कि अब हमको एन्ट्री कर देनी चाहिए... महावीरने कहा।

      नहीं नहीं अभी थोडी देर रुको जीज्ञा जब तक संभाल रही है तब तक हमे नहीं जाना चाहिए... रुहानने महावीर से कहा ।

      संजयसिह जीज्ञा के पास आता है और सबको धमकीया देकर जीज्ञा को बगैर छुए डराने की कोशिश करना शुरू करता है।

      ध्यान से सुन लो सभी जीसके भी पीछवाडे ज्यादा गुदा भरा हुआ है वो बेशक आ जाए हमारे सामने प्रेसीडेन्ट के चुनाव के लिए। और हा लडकिया जरा अपनी औकात में रहे वरना उनको गायब करना हमे अच्छी तरह से आता है और फिर मिलेगी तो भी अपना मु दिखाने के लायक नही बचेगी... अपनी गंदी जबान चलाते हुए संजयसिहने कहा।

 ( यहा पे लडकी के पात्रो को और चरीत्रो को मजबुत बनाने के लिए संजयसिह के मु से एसे शब्दो का उच्चारण किया गया है। इसका कोई और मतलब ना निकाले। यह कहानी मे एक लडकी ही मुख्य पात्र है।)

       औकात वाली बात सुनकर जीज्ञा को अपने पापा की सुनाई हुई बाते याद आ जाती है और वो संजयसिह की आखो में आखे डालकर बोलती है।

       सारे मर्द एक जेसे ही होते हो क्या... जीज्ञाने संजयसिह के मु के उपर सब के सामने थुकते हुए कहा।

       संजयसिह के उपर थुकने के कारण संजयसिह गुस्सा हो जाता है और जीज्ञा का हाथ पकड लेता है और जोर से बोलता है ... अब तुम्हें तुम्हारी औकात बतानी ही पडेगी... जीज्ञा के बालो को अपने हाथ से पकडकर जीज्ञा को घसीटकर ले जाने की कोशिश करते हुए संजयसिहने कहा।

       अपनी बहन को ले जाते हुए देखकर पुर्वी अपना बेग निकालकर संजयसिह के चहरे पर मारती है । दोनो बहने अकेली संजयसिह से लड रही थी। संजयसिह गुस्सा होकर दानव बन जाता है और एक हाथ से जीज्ञा का हाथ पकडा था और एक हाथ से पुर्वी के बालो को पकड लेता है और दोनो को घसीटकर ले जा रहा था।

       रुहान अब हमे जाना चाहिए और इन लोगो को बचाना चाहिए... रवीने रुहान से कहा।

       इन लोगो को जरुर बचाएंगे लेकिन हम लोग नहीं यह सब खडी दुर्गा इन दोनो को संजयसिह से बचाएगी... चलो स्टेज पर... रुहानने कहा।

       संजयसिह दोनो को अकेले घसीटकर ले जा रहा था और उसके पन्टर लोग स्टेज पर खडे खडे हस रहे थे लेकिन जीज्ञा और पुर्वी अभी भी संजयसिह को मारकर अपने आपको छुडाने की पुरी कोशिश कर रही थी।

       रुहान, रवी और महावीर तीनो स्टेज पर चडते है ।

       ओय हिरो कहा जा रहे हो... स्टेज पर खडे हुए संजयसिह के पन्टरो ने कहा।

       शांति रख वरना तेरे बाप से पहले तु पीट जाएगा इस से अच्छा है कि तु खुद पीटने की वजह अपने बाप को पीटते देख... रुहानने एक पन्टर से कहा।

       बे क्या है तेरे को हा... दुसरे पन्टरने आ कर रुहान को कहा ।

       रवी और महावीर मे थोडा भाषण देकर आता हुंँ तब तक तुम लोग इन लोगो को संभालो... रुहानने महावीर और रवी से कहा।

       बे महावीर चल दो दो को बाट लेते हैं... रवीने कहा।

       नहीं यार एसे नही होगा बहुत ज्यादा है यह लोग... महावीरने सब हस्ते हुए पन्टर लोगो के सामने देखकर कहा।

       तुम लोगो से होगा या नहीं जल्दी वरना वो संजयसिह जीज्ञा और पुर्वी को लेकर चला जाएगा... रुहानने महावीर और रवी से कहा।

       बे रुहान मे एक दो के हाथ अगर काट दुं तो अंकल संभाल लेंगे ना... महावीरने अपने बेग से रामपुरी छुरी निकालते हुए कहा।

       बे तु तो बडा छुपा रुस्तम निकला हा। काट दे बस मरना नहीं चाहिए वरना क्या थोडा मामला बडा हो जाएगा... रुहानने अपने आगे खडे एक पन्टर को धक्का मारकर स्टेज के बिचो बिच जाते हुए कहा।

      आव सालो पहला कोन आएगा क्योकी जो पहला आएगा उसका एक हाथ तो मे कम से कम काट ही दुंगा...  महावीरने अपनी छुरी दिखाते हुए कहा।

      अरे वाह जाडिया तुने तो सब लोगो की फाडदी... रवीने कहा।

      अब सारा द्रश्य कुछ एसा था। एक तरफ गुस्से में लाल संजयसिह जीज्ञा को अपने हाथसे और पुर्वी को बालो से पकडकर खीच कर अपनी कार की तरफ ले जा रहा था । जीज्ञा और पुर्वी दोनो अपने आपको छुडाने की पुरी कोशीश कर रहे हैं लेकिन ताकात से भरे संजयसिह के हाथो से अपने आपको छुडाना इतना आसान थोडी है और इस तरफ रुहान चाहता था कि कॉलेज की सब लडकीया संजयसिह के सामने लडे और जीज्ञा-पुर्वी को छुडाए लेकिन सभी लोग संजयसिह से डरे हुए थे क्योकी सब जानते हैं कि अगर हमने संजयसिह से भीडने की कोशिश कि तो वो बहुत ही पावरफुल है और वो कीसी भी हद तक जा शक्ता है। सभी के मन मे एक ही बात चल रही थी की जीज्ञा और पुर्वी ने यह बहुत ही गलत पंगा ले लिया था क्युकी अंदर खडे सभी प्रोफेसरो और प्रिन्सीपल सर भी यह सब देखने के अलावा और कुछ नहीं कर शक्ते थे। अब यह देखना बहुत ही रसप्रद हो गया था की रुहान और उस के दोस्त संजयसिह जेसे राक्षस से केसे जीज्ञा और पुर्वी को बचाएगें और अगर बचा भी लेते हैं तो क्या संजयसिह जेसा गुंडा सब को चेन से जीने देगा क्या ? माहोल बहुत ही गरम था और अब संजयसिह, जीज्ञा और रुहान के बिच अब बहुत बडी घमासान होने वाली हैं जीससे यह कहानी और भी मजेदार हो जाएगी। सब के मन में एक ही सवाल था कि अब क्या होगा ? जो भी होगा वो बहुत भी मजेदार होने वाला है तो पढना मत भुलना आगे के अंको को क्युकी आगे आपको संजयसिह, जीज्ञा और रुहान के बिच घमासान तो देखने को मिलेंगी पर साथ ही साथ आपको जीज्ञा और रुहान की कोम्पलीकेटेड लवस्टोरी भी देखने को मिलेंगी जीससे आप हमारी इस कहानी के साथ दिल से जुड जाएंगे।     

TO BE CONTINUED NEXT PART ...

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY