कहानी प्यार कि - 65 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 65

इस बड़े धमाके से ... सब का ध्यान उस और गया... सभी डर के मारे भागदौड़ करने लगे... अनिरूद्ध , करन सब आवाज सुनकर बाहर की और दौड़े...
किंजल भी इस आवाज से गभराई हुई बाहर की और जाने लगी..

अनिरूद्ध के पैर बाहर आते ही रुक गए... सामने उसकी ही गाड़ी जल कर खाक हो गई थी... अनिरूद्ध ने आसपास नजर की तो गाड़ी से कुछ दूरी पर अखिल अंकल ज़ख्मी हालात में दिखाई दिए....

" अखिल अंकल...." अनिरूद्ध जोर से चिल्लाया और उस और भागा... अनिरूद्ध की आवाज से सौरभ और बाकी सब भी उसी और जाने लगे...

अखिल अंकल .. की बॉडी कई जगह से जल गई थी.. खून भी निकल रहा था... पर उनकी सांसे अभी भी चल रही थी...

" अखिल अंकल ये कैसे हुआ..." अनिरूद्ध घबराई हुई आवाज में बोला... उसकी आंखो से आंसू बहने लगे...

" पापा पापा...आप इस तरह.. यहां..." आगे के शब्द सौरभ के गले में ही अटक गए ... वो जोर जोर से रोने लगा...

" सौरभ हमे अभी अंकल को हॉस्पिटल ले जाना होगा... " मोहित वहा आता हुआ बोला...

" अंकल आप आंख खुली रखिए में आपको कुछ होने नही दूंगा... प्लीज मेरे लिए..." अनिरूद्ध ने रोते हुए कहा..

" अनिरूद्ध.... बेटा मुझे माफ करदो... में तुम्हारे पापा के दिए वादे को पूरा नहीं कर पाया..." अखिल जी दर्द से कराहती हुई आवाज में बोले...

" नही अंकल ... आप ऐसा मत कहिए..."

" बेटा में में.. तुम दोनो से बहुत प्यार करता हु.. मेरे जाने के बाद अपने परिवार को संभाल लेना...."

" नही पापा आप ऐसा मत बोलिए... आप कही नही जाएंगे... " सौरभ टूट चुका था अपने पिता को ऐसे देखकर उसकी आंखो से आंसू रुक ही नही रहे थे...

" अनिरूद्ध ... संजना बेटी का और तुम्हारी आंटी का ध्यान रखना... और मेरे सौरभ का भी... में चाहता हु की मीरा से उसकी शादी जल्द ही हो जाए...." बोलते बोलते अखिल जी की आंखे भी बहने लगी थी...

" भाईसाब हम सब को आपकी जरूरत है... आपको हम कही नही जाने देंगे..." मनीष ने आंसू भरी आंखों से अखिल जी के पास बैठकर कहा...

" मनीष ..अब मेरी जगह तुम्हे लेनी होगी.. हमारे घर को टूटने मत देना..." कहते हुए अखिल जी की आंखे बंध होने लगी...

" अरे कोई एंबुलेंस को बुलाता क्यों नही है.... दिखाई नही दे रहा है अंकल की हालात कितनी खराब है...! " अनिरूद्ध ... रोते हुए चिल्लाया...

तभी मोहित एंबुलेंस लेके आया..
" अनिरूद्ध जल्दी जल्दी करो.... "

दो नर्स आए और अखिल अंकल को उठाकर ले जाने लगे...
तभी अखिल अंकल ने अनिरुद्ध का हाथ थाम लिया..
" आई एम सोरी .. बेटे .. मेरी वजह से तुम अपने मोम डेड से दूर हो गए..." इतना ही कहा था की अखिल जी की आंखे बंध हो गई...

नर्स उन्हे जल्दी से ले जाने लगे... इतने में अनिरुद्ध का हाथ अखिल अंकल के हाथ से छूट गया.. अनिरूद्ध बस अखिल अंकल को जाते हुए देख रहा था.. उसे इतना सदमा लगा था की उसे अपने आसपास क्या हो रहा है उसका अंदाजा भी नहीं था.. उसे ये भी मालूम नही था की संजना उसके आसपास नही थी..

अनिरूद्ध जमीन पर बैठ गया...
" अनिरूद्ध खुद को संभालो... मेरे भाई..." करन ने अनिरुद्ध के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा..
पर अनिरुद्ध ने जैसे कुछ सूना ही नही था..
" अनिरूद्ध अगर तुम ऐसा करोगे तो फिर हम अनुराधा आंटी और सौरभ को कैसे समझाएंगे... वो देखो उनकी हालात.. इस वक्त हमे उनको हिम्मत देनी चाहिए ना की खुद ऐसे हिम्मत हारकर बैठ जाए..."
करन की बात सुनकर अनिरुद्ध ने धीरे से सौरभ और अनुराधा आंटी की और देखा जो जमीन पर बैठे फुटफुटकर रो रहे थे...

अनिरूद्ध खड़ा हुआ और सौरभ और आंटी के पास जाने लगा... वो धीरे से सौरभ और आंटी के पास बैठा और उनके गले लग गया...
" अनिरूद्ध तुम्हारे अंकल ... उनसे कहो ना वापस आ जाए वो मुझे छोकड़कर हॉस्पिटल क्यों चले गए... क्यों..." अनुराधा जी रोते हुए बोली...

अनिरूद्ध बिना कुछ बोले उनके सिर पर हाथ फेरने लगा..
" चलो हम हॉस्पिटल में जाते है अंकल हमारा वैट कर रहे होंगे चलो..." अनिरूद्ध आंसू पौछकर खड़े होते हुए बोला...

" चलो संजू ... हम चलते है..." अनिरूद्ध ने अपना हाथ दिया .. जैसे की संजना अभी उसका हाथ पकड़कर उसके साथ चलेगी पर .. संजना वहा पर नही थी .. अनिरूद्ध को अहसास हुआ और वो अपनी चारो और संजना को देखने लगा..
" संजू... संजू... कहा है...? " अनिरूद्ध घबराई आवाज में बोला..

तभी करन वहा पर आ गया...
" करन संजू कहा है...? "

तभी करन को भी अहसास हुआ की संजना वहा पर नही थी..
" अनिरूद्ध तुम शांत रहो .. संजना यही कही होगी.. में अभी उसे ढूंढकर आता हु..."

" नही ... संजू यहां नही है... मैने अपना वादा तोड़ दिया करन.. मैने संजू को वादा किया था की उसे कुछ नही होने दूंगा... " बोलते हुए अनिरुद्ध करन के कंधे पर सिर रखकर रोने लगा...

" यह सब उस जगदीशचंद्र और हरदेव ने किया है... उसने बॉम्ब पार्टी में नही पर अनिरुद्ध की गाड़ी में लगाया था ताकि अनिरुद्ध को मार सके पर अनिरुद्ध की जगह मेरे पापा... में छोडूंगा नही उन दोनो को..." सौरभ गुस्से से बोला और जाने लगा...
पर करन ने उसे रोक लिया...
" क्या कर रहे हो सौरभ.. अभी अंकल को तुम्हारी ज्यादा जरूरत है.. तुम्हे उनके पास जाना चाहिए... " करन की बात सुनकर सौरभ खामोश हो गया...

इन सभी की बात किंजल खड़ी खड़ी सुन रही थी... उसकी आंखो में से भी आंसू बह रहे थे.. पर उसे गुस्सा भी आ रहा था की इन सब ने उसे कुछ बताया नही था...
वो गुस्से से उन तीनो को घूर रही थी...

करन की नजर किंजल पर गई... जिसकी आंखों में इतना गुस्सा था की करन कुछ पल के लिए सहम गया था..
" क..क....किंजल... " करन घबराई आवाज में बोला...

किंजल गुस्से से उन के पास आई...
" तुम लोगो ने इतनी बड़ी बात मुझसे छिपाई....? अभी यहां पर बॉम्ब ब्लास्ट हुआ है...! और वो भी मेरी इवेंट में.. और तुम लोगो ने मुझे कुछ बताया भी नही...? "

" बताते तो तुम क्या कर लेती हा ? " सौरभ गुस्से से किंजल पर चिल्लाया..

" क्या कर लेती मतलब ? कम से कम ये रोकने में मदद तो करती ..."

" रोकने की कोशिश तो हमने भी की थी पर क्या हुआ अभी तुमने देखा ना...? "

" हा पर अगर मुझे बताया होता तो ऐसा नही होता..."

" ओह जैसे तुम तो जानती थी की बॉम्ब कहा पर था...? "
" तुम ना सौरभ... बहुत ज्यादा बोल रहे हो..."

" बस करो तुम दोनो... ये कोई झगड़ा करने का टाईम है ...? " अनिरूद्ध परेशान होकर गुस्से से चिल्लाया...

" जानता हु की तू परेशान है , गुस्सा है पर इस तरह जगड़ने से कुछ ठीक होने वाला है क्या..? " अनिरूद्ध ने सौरभ की और देखकर कहा..

" और तुम किंजल... अगर तुम्हे नही बताया तो उसका भी कोई रीजन होगा... हम नही चाहते थे की तुम्हारी पार्टी खराब हो.. इसीलिए नही बताया.. और इसका मतलब यह नहीं है की हमने कोशिश नही की... हम सब पूरे तैयारी के साथ आए थे.. पार्टी में बॉम्ब थी ढूंढ निकाला था पर वो नकली था... और हम नही जानते थे की असली बॉम्ब यहां होगा मेरी गाड़ी में..." बोलते बोलते अनिरुद्ध चुप हो गया... किंजल को भी अपनी गलती का अहसास हुआ और वो भी सिर जुलाई खड़ी हो गई..

" आई एम सोरी अनिरुद्ध.. में तुम्हे हर्ट करना नही चाहती थी..." किंजल पछतावे के साथ बोली...

" इट्स ओके अब यह सोचो की हमे करना क्या है..."

" सौरभ तुम आंटी को लेकर हॉस्पिटल जाओ.. हम सब यहां संभाल लेंगे..." करन की बात से सब सहमत थे...

" हा सौरभ ..तुम्हे आंटी को भी संभालना है..."
" ठीक है अनिरुद्ध.. पर याद रखना उन दोनो को छोड़ना मत और कोई भी जरुरत हो मुझे फोन कर देना.. संजना मिल जायेगी .. यही कही होगी... फिक्र मत करना..." सौरभ ने कहा और वो वहा से चला गया..

सौरभ के जाते ही अनिरुद्ध , करन , किंजल और मोहित संजना को ढूंढने अंदर चले गए...
" में संजना को यही मीरा के पास ही छोड़कर गया था..."
मोहित ने होटल के उस कमरे को दिखाते हुए कहा...

" पर मीरा भी कही दिखाई नही दे रही है... " मोहित आसपास नजर डालता हुआ बोला..

" अनिरूद्ध ये रूम तो बाहर से बंध है...." करन ने दरवाजे को देखकर आश्चर्य के साथ कहा...


तीनो तुरंत दरवाजा खोलकर अंदर चले गए... पर कमरे में कोई नही था...
तभी उनको बाथरूम में से कुछ आवाज सुनाई दी...

" मे जाकर देखता हु..." करन ने कहा और वो बाथरूम की और गया... उसने देखा तो वहा पर भी दरवाजा बाहर से बंध था...

करन ने दरवाजा खोला तो बाथरूम में मीरा थी...

" मीरा ... तुम यहां क्या कर रही हो...? " करन ने हैरानी के साथ कहा...

" वो संजना... " मीरा गभराते हुए बोली...

अनिरूद्ध और मोहित भी उसके पास आ गए...
" मीरा संजू कहा है ? "

" मुझे नही पता है अनिरुद्ध.... वो मुझे बाथरूम में बंध करके कही चली गई...." मीरा रोती हुई बोली...

" पर संजू ऐसा क्यों करेगी...? "

" पता नही.. पर वो बहुत परेशान लग रही थी... किसी से विडियो कॉल पर बात कर रही थी ऐसा लगा.. में बाथरूम में फ्रेश होने गई थी.. मैंने उसे पूछा भी की क्या हुआ पर उसने कहा की तुम्हारा कोल था...."

" पर मैने तो संजू को कोल किया ही नहीं ..."

" मुझे लगता है .. वो जगदीशचंद्र और हरदेव ही होंगे.. जरूर संजना को किसी बात पर ब्लैकमेल किया होगा..." करन ने सोचते हुए कहा..

यह सुनकर अनिरुद्ध ने गुस्से से सामने रखी चेयर को उठाया और जमीन पर पटक दिया..
" में उन दोनो कमीनों को छोडूंगा नही.. जान से मार डालूंगा.. " अनिरूद्ध गुस्से से चिल्लाया..

इस पल मोहित की नजर अपने मोबाईल पर गई.. फोर्टी मिसकॉल के बाद भी अंजली ने कोई जवाब नही दिया था... उसे कब से कुछ खटक रहा था की कुछ तो गड़बड़ है .. पर ब्लास्ट की वजह से उसका ध्यान कुछ देर के लिए हट गया था...

" अनिरूद्ध में कुछ कहेना चाहता हु..." मोहित धीमी आवाज़ में बोला...

यह सुनकर वो सब मोहित की और देखने लगे... उतनी देर में किंजल भी उसी कमरे में आ पहुंची...
" तुम कहा थी ? " करन ने तुरंत किंजल से पूछा

" में उस तरफ़ ढूंढने गई थी.. पर ये बताओ कुछ पता चला...? "

"हा...." करन ने सब बात किंजल को बताई..

" मोहित आप बोलिए आप कुछ कह रहे थे..."
अनिरूद्ध ने कहा पर मोहित ने कुछ जवाब नही दिया.. मोहित के दिमाग में बहुत सारे खयालात उमड़ रहे थे..उसे अंजली की बहुत फिक्र हो रही थी...

" मोहित आप कुछ कह रहे थे..." अनिरूद्ध फिर से बोला.. इस बार मोहित का ध्यान उन पर गया...

" हा.. वो में यह कह रहा था की आज शाम से अंजली का कुछ पता नही चल रहा है.. "

" हा मैंने भी उसे पार्टी में कही नही देखा.." किंजल ने याद करते हुए कहा..

" हा वो पार्टी में भी आई नही.. अब तक फोर्टी मिसकॉल कर चुका हु पर उसने कोई जवाब नही दिया.. मेसेज भी सीन नही किए है... " मोहित उदासी के साथ बोला..

" मोहित आप यह बात अब बता रहे है ? "

"पर अनिरूद्ध में खुद कुछ समझ नही पा रहा था ऊपर से अभी जो कुछ भी हुआ .. इन सब में में अंजली के बारे में भूल ही गया..." मोहित ने लाचारी के साथ कहा...

" अंजली का गायब हो जाना और संजू का ऐसे भागकर जाना ..ये कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता.. कही संजू का भागकर जाने का रीजन अंजली तो नही है ? " अनिरुद्ध को अब सब समझ आने लगा था..

" तुम कहना क्या चाहते हो अनिरुद्ध...? "

" मोहित मुझे लगता है की अंजली को किडनैप किया है.. "
यह सुनकर मोहित जैसे अंदर तक हिल गया था...

" अगर ऐसा होगा तो संजना और अंजली साथ ही होंगे... " किंजल ने कहा ..

" हमे उनको ढूंढना होगा जल्द से जल्द... "

" पर करन हम उन्हें ढूंढेंगे कहा ? " किंजल का सवाल भी सही था...

" हमे बस संजू को ट्रेस करना है..." अनिरुद्ध ने तुरंत कुछ सोचते हुए कहा..

" पर संजना का फोन तो बंध आ रहा है..." मीरा नासमझी के साथ बोली...

मीरा की बात भी सही थी .. करन , किंजल , मोहित सब अनिरुद्ध को सवालात भरी नजरो से देख रहे थे...

" मैने संजू के नेकलेस में एक ट्रेसिंग डिवाइस लगाया था, जिसके बारे में संजू भी नही जानती थी... हम उसकी मदद से संजना तक पहुंचेंगे..."

" तो चलो देर किस बात की..." करन ने कहा और सब बाहर की और भागे...

इस तरफ खन्ना मेंशन में जगदीशचंद्र और हरदेव आराम से सोफे पर बैठकर नाश्ता कर रहे थे... उसने अंजली को उसके कमरे में बांधकर रखा था और जतिन खन्ना और उनकी पत्नी को अलग कमरे में बंध कर दिया था...

मेंशन के बाहर भी और अंदर भी उनके ही आदमी खड़े हुए थे...
तभी दो लोग संजना को लेकर होल में दाखिल हुए...

संजना को अपने सामने देखकर हरदेव खड़ा हो गया...

" कहा है अंजली बताओ...?" संजना गुस्से से बोली...

" अरे अरे.. इतना गुस्सा क्यों कर रही हो.. तुम्हारी सेहत के लिए अच्छा नही है.." हरदेव ने पास आते हुए कहा..

" तुम्हे क्या ? में गुस्सा करू जो भी करू.. पहले अंजली और अंकल आंटी को जाने दो फिर सभी बात होगी..." संजना फिर से गुस्से में बोली..

" तुम्हे समझ में नही आता संजना ? हमारा बच्चा है.. तुम्हारे पेट में.. उसे पसंद नही है तुम्हारा गुस्सा..." हरदेव शैतानी मुसकुराहट के साथ बोला..

" हाउ डेयर यू... मेरे बच्चे को अपना कहने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी....? "

" नही है तो हो जायेगा... क्यों सही कहा ना पापा..."
बोलते हुए हरदेव और जगदीशचंद्र हसने लगे..

"मैंने फोन पर जो कहा था वो याद तो है ना?" हरदेव की बात सुनकर संजना को वो पल याद आया जब वो और मीरा कमरे में साथ थे...

" संजू तुम यही रहना में अभी बाथरूम में फ्रेश होकर आती हु..." मीरा ने कहा और वो बाथरूम में चली गई..

संजना तब तक आराम कर रही थी.. तभी उसके फोन की रिंग बजने लगी..
उसने देखा तो अंजली का फोन था...

संजना ने फोन उठाया...
" प्लीज संजना मुझे बचा लो.. प्लीज...." अंजली रोती हुई बोली..

" अंजली क्या हुआ.. ? "

" तुम्हारी अंजली इस वक्त मेरे साथ है.." हरदेव ने अंजली के पास से फोन लेकर कहा..

" तुम ..? अंजली के साथ क्या किया है तुमने ? "

" एक काम करो वीडियो कोल करो में तुम्हे दिखा ही देता हु और हा .. आवाज बिलकुल मत करना .. अगर किसी और ने सुन लिया तो में तुम्हारी भाभी की क्या हालात करूंगा वो तुम सोच भी नहीं सकती..." हरदेव ने कहा और फोन काट दिया..

यह सुनकर संजना बहुत डर गई.. वो मीरा को ना सुनाई दे इस वजह से बालकनी में चली गई...

तभी अंजली के फोन से वीडियो कोल आने लगा..

संजना ने तुरंत फोन उठाया .. तो सामने हरदेव था.

" बहुत खुबसूरत लग रही हो.." हरदेव मुस्कुराता हुआ बोला.

" अंजली कहा है..? " संजना उसकी बातो को नजरंदाज करते हुए गुस्से से बोली..

" ये देखो..." हरदेव ने अंजली की और केमेरा किया.
अंजली को उसने बेड के साथ बांध दिया था.. और मुंह में पट्टी लगा दी थी ताकि वो कुछ बोल ना पाए.. अंजली की रो रोकर बुरी हालात हो चुकी थी..

" प्लीज अंजली को छोड़ दो.. तुम आखिर चाहते क्या हो.. ? ऐसा क्यों कर रहे हो ? "

" मुझे तुम चाहिए...सिर्फ तुम .. अगर तुम मेरे पास आ जाओगी तो में इसे छोड़ दूंगा..."

" तुम्हे क्या लगता है तुम कहोगे और में आ जाऊंगी..? तुम अनिरुद्ध को जानते नही हो.. में अभी उसे बताती हु फिर देखना वो तुम्हारा क्या हाल करता है..."

" खबरदार अगर अनिरुद्ध को कुछ भी कहा तो... "

" अनिरूद्ध को कहा तो क्या कर लोगे हा तुम ? "

" में अभी दिखाता हु की में क्या क्या कर सकता हु.." कहते हुए हरदेव अंजली के पास जाने लगा..अंजली बोलने के लिए .. छूटने के लिए तड़प रही थी पर वो कुछ कर नही सकती थी..

हरदेव ने अंजली के पास जाकर जोर से उसका दुप्पटा खींच लिया..

" रुक जाओ..." संजना जोर से चिल्लाई...

" अभी भी अनिरुद्ध को बताएगी? "

" नही नही में किसीको भी नही कहूंगी .. तुम प्लीज अंजलि के साथ कुछ मत करना"

" अभी तो सिर्फ दुप्पटा निकाला है.. अगर तुमने मेरी बात नही सुनी तो में क्या करूंगा .. वो तुम सोच भी नही सकती हो इसीलिए चुपचाप मेरी बात मान लो.."

" तुम क्या चाहते हो ? "

" नीचे मेरे दो आदमी एक रेड गाड़ी के साथ खड़े है .. चुपचाप किसी को खबर ना लगे ऐसे गाड़ी में बैठ जाओ और मेरे पास आ जाओ.. तभी में इसको और उसके मोम डेड को छोडूंगा.. और सुनो तुम्हारी हर एक हरकत पर मेरी नजर है इसलिए कोई भी चालाकी मत करना.."

संजना अपनी याद में से बाहर आई...
" मुझे सब याद है.. मैने किसी से कुछ भी नही कहा है..."

क्रमश :