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कहानी प्यार कि - 63

" चाची आप यहां ? " अनिरुद्ध ने हैरानी के साथ कहा...

" अनिरूद्ध प्लीज मुझे माफ करदो.. में जानती हु मैने बहुत गलतियां की है पर पर में अपनी सारी गलतियां सुधार दूंगी.. प्लीज मुझे जेल जाने से रोक लो..."
वैशाली गिड़गिड़ाती हुई बोली...

" प्लीज चाची अभी में इस बारे में आपसे कुछ बात नही करना चहता..." बोलते हुए अनिरुद्ध जाने लगा..

" रुको रुको अनिरुद्ध प्लीज में तुम्हे सब सच बताऊंगी.. हर एक बात बताऊंगी जो जगदीशचंद्र और हरदेव ने मुझसे कही है..."
वैशाली के मुंह से यह सुनकर अनिरुद्ध रुक गया..

" अगर तुम संजना को बचाना चाहते हो तो प्लीज एक बार मेरी बात सुन लो..."
अनिरूद्ध संजना का नाम सुनकर तुरंत पीछे मुड़ा ..

"क्या जानती है आप ? " अनिरूद्ध ने वैशाली के पास आते हुए कहा..

" पहले वादा करो कि मुझे जेल नही भेजोगे..."

" नही अनिरुद्ध .. " संजना अनिरुद्ध को रोकते हुए बोली...पर अनिरुद्ध ने जैसे संजना की बात सुनी ही नही थी...

" ठीक है में वादा करता हु की आपको कोई जेल नही भेजेगा... अब बताइए की वो लोग कल क्या करने वाले है..." अनिरूद्ध ने तेजी से कहा.. उसकी बात में संजना के लिए डर था फिक्र थी .. वो कैसे भी करके अपनी संजना को सेफ रखना चाहता था..

" जगदीशचंद्र और हरदेव ने एक बड़ा प्लान बनाया है जिसे वो लोग कल किंजल की पार्टी के वक्त अंजाम देने वाले है.." वैशाली ने गंभीरता के साथ कहा..

" कैसा प्लान चाची ? "

" वो लोग कल संजना को अपने साथ किडनैप करके ले जाने वाले है और तुम्हे .."

" मुझे मारने वाले है यह में जानता हु चाची... आप यह बताइए की वो यह सब कैसे करने वाले है..." अनिरूद्ध गुस्से से चिल्लाया...

" वो वो... ये ये कुछ फोटो दिए है " वैशाली ने घबराते हुए कहा और कांपते हाथो से फोटो अनिरुद्ध को दिखाई..

" मुझे कहा था की इन लोगो को मुझे पार्टी में एंट्री दिलानी है.. "

" जैसे पहले आपने किया था वैसे ही है ना..?"
अनिरूद्ध की बात सुनकर वैशाली चुप रही और सिर जुकाए खड़ी रही..

" अनिरूद्ध पूरी बात तो सुन लो चाची की..." संजना ने डांटते हुए कहा..

अनिरूद्ध चुप हो गया...
" उनके अंदर पहुंचने के बाद वो लोग वेटर के कपड़े पहनकर संजना पर ध्यान रखेंगे.. वो जानते है की तुम संजना को अकेला नही छोड़ोगे इस लिए सबसे पहले वो लोग तुम्हे अपना टारगेट बनायेंगे.. "

" मुझे यकीन था की उन्होंने यही सोचा होगा .. "

" हा अनिरुद्ध .. इसीलिए वो पहले तुम्हारा ध्यान भटकाएंगे और फिर उसी वक्त संजना को अपने साथ ले जायेंगे..."

" पर चाची वो अनिरुद्ध का ध्यान भटकाने के लिए करेंगे क्या ?" संजना ने परेशान होते हुए कहा..

" वो में नही जानती.. उन्होंने यह नही बताया था .. पर वो लॉग...." वैशाली बोलते हुए चुप हो गई.. उसके चहेरे पर डर साफ नजर आ रहा था..

" वो लोग क्या चाची....? " अनिरूद्ध ने वैशाली को हिलाते हुए कहा जो डर के मारे मानो स्टेच्यू बन चुकी थी..

" बॉम्ब ब्लास्ट करने वाले है..." वैशाली एक ही सांस में घबराए हुए बोल गई....

और यह सुनते ही अनिरुद्ध और संजना अंदर तक सहम उठे थे....

" बॉम्ब ब्लास्ट....? " संजना सहमी हुई आवाज में बोली...

" हा उन लोगो ने मुझे कहा था की वो मुझे सही सलामत बाहर निकाल लेंगे... इसीलिए मैंने उनकी मदद करने के लिए हा कही थी...." बोलते हुए वैशाली रोने लगी थी...

" चाची आप ... आप ना इस दुनिया की सबसे स्वार्थी औरत है... बॉम्ब ब्लास्ट जैसे घिनौने क्राईम में आप किसिका साथ देने चली थी ? सीरियसली? " अनिरूद्ध गुस्से से चिल्लाया..

" पार्टी में सिर्फ अनिरुद्ध ही नही पर कितने सारे लोग होंगे... इस बॉम्ब ब्लास्ट से कितनी सारी मासूम जान जा सकती है उसका अंदाजा भी है आपको...? और मनीष चाचू ? वो भी तो होंगे ना वहा पर ? " संजना से भी रहा नही गया था.. उसे भी वैशाली के ऊपर बहुत गुस्सा आ रहा था..

" में जानती हु संजना ... पर मेरा दिमाग उस वक्त काम नहीं कर रहा था.. मैं सिर्फ अपने बारे में सोच रही थी.. पर अब मुझे अपनी गलती का अहसास हो रहा है इसलिए ही तो में तुम्हे सब बता रही हू..."

" नही चाची... आप का सच सबके सामने आ गया.. इसीलिए आप यह सब बता रही है.. ताकि हम आपको पुलिस के हवाले ना करदे.. पर चाची आप एक बात याद रखियेगा अगर इस बार आपने और कोई भी चालाकी की तो एक बात समझ लेना इस अनिरुद्ध से ज्यादा बुरा कोई नही होगा... " अनिरूद्ध की आंखो में खून उतर आया था उसका गुस्सा देखकर वैशाली और भी ज्यादा घबरा गई..

" नही नही में ऐसा कुछ नही करूंगी.. जैसा तुम कहोगे वैसा ही करूंगी...."

"अनिरूद्ध शांत हो जाओ और ये सोचो कि हमे करना क्या है ? "

" हा संजू तुम सही कह रही हो.. चाची प्लीज आप अब जा सकती है मुझे कुछ सोचने का वक्त चाहिए प्लीज..."

" हा ठीक है..." बोलकर वैशाली आंखो मे आसू लिए वहा से चली गई...

" अनिरूद्ध तुम्हे क्या लगता है हमे चाची पर भरोसा करना चाहीए ? "

" सच कहूं संजू मुझे भी चाची पर पूरा भरोसा नही है.. और अगर उनकी बातो पर में विश्वास करूं भी तो ये बात समझ नही आ रही की इतनी बड़ी इवेंट में बॉम्ब ब्लास्ट करना ये कोई आसान बात नहीं है... और जगदीशचंद्र और हरदेव अभी अभी जेल से बाहर आए है .. वो इतना बड़ा रिस्क कैसे ले सकते है ? "

" पर क्यों? उसमे रिस्क कैसा ? " संजना को बात समझ नही आई थी..

" संजू तुम्हे याद है किंजल ने कहा था की इवेंट में हमारे शहर के बड़े नेता, और बड़े बड़े बिजनेस मैन भी आने वाले है.. इसीलिए सिक्योरिटी भी ज्यादा होगी.. अगर इस इवेंट में ब्लास्ट हुआ और इन में से किसकी भी जान गई तो पूरे शहर में तहलका मच जाएगा और जगदीशचंद्र और हरदेव इस वक्त अपनी इमेज सुधारना चाहेंगे ना की बिगाड़ना.. और उनके लिए यह सब नेता ही उनके काम आ सकते है..."

" हा यह बात तो सही है.. अगर वो पकड़े गए तो फिर उनका जिंदा रहना भी मुश्किल होगा.. "

" राइट संजू.. ऐसे केस में वो लोग ज्यादा बच नहीं सकते..."

" तो फिर अनिरुद्ध हम कैसे पता लगाएंगे की उनका प्लान है क्या ? "

" पता नही .. पर मुझे इस प्लान में कुछ तो गलत लग रहा है .. जगदीशचंद्र बहुत शातिर है पता नही उसने क्या सोचा है .. पर हम वैशाली चाची की बात को भी अनसुना नही कर सकते हमे हर तरफ से सतर्क रहना होगा..."

" अनिरुद्ध मुझे डर लग रहा है.. कही कुछ गडबड हो गई और हमारा छोटू ? " संजना ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा..

" नही संजू .. में तुम्हे और छोटू को कुछ नही होने दूंगा ये मेरा वादा है तुमसे... "
अनिरूद्ध ने संजना को अपने गले लगा लिया...

" अब तुम सो जाओ.. कल बहुत बड़ा दिन है..." अनिरूद्ध ने कहा और संजना को अपनी बाजुओं में सुला दिया..

वो एक हाथ से संजना के माथे को सहला रहा था.. कुछ ही देर में संजना को नींद आ गई पर अनिरुद्ध की आंखो से नींद कोसों दूर थी...

इस तरफ किंजल को भी एक्साइटमेंट में नींद नही आ रही थी.. वो मुस्कुराती हुई बाहर बालकनी में खड़ी होकर तारों को देख रही थी.. उसे अभी से अगले दिन की झलक दिखाई दे रही थी.. वो बहुत ही ज्यादा खुश थी.. अगले दिन जो काला साया मंडराने वाला था उससे बिल्कुल अंजान वो खुद को स्टेज पर सबकी बधाईयां लेते हुए देख रही थी...

करन भी अपनी खिड़की में से किंजल को देख रहा था उसे खुश देखकर वो भी मुस्कुरा रहा था...
" किंजल मुझे अहसास हो गया है की तुम मेरे लिए बहुत खास हो.. अब तक में इस फिलिंग को इग्नोर करते आया हु पर अब नही .. अब बस एक दिन की दूरी है .. कल में तुमसे अपने दिल की बात कह दूंगा.. की में भी तुमसे प्यार करने लगा हु.. कल तुम्हारे लिए सबसे खास दिन होगा.. में चाहता हु की में कल सबके सामने तुम्हे प्रपोज करू... फिर तो कल दो सुरप्राइज होंगे जो सबको मिलेंगे .. एक मेरा सरप्राइज़ और एक तुम्हारा..." करन ने मुस्कुराते हुए कहा और फिर गहरी नींद में सो गया...

सुबह हो चुकी थी... चिड़िया की आवाजे चारो और गूंज रही थी... और अनिरुद्ध बेड पर बैठा हुआ कुछ सोच रहा था.. तभी संजना की आंख खुली...उसने देखा तो अनिरुद्ध इतनी सुबह जागकर बैठा हुआ था..

" अनिरूद्ध अभी तो सिर्फ छह बजे है ..तुम इतनी जल्दी क्यों जाग गए....?"

" संजू तुम सो जाओ मुझे नींद नहीं आ रही है.."

" नींद नही आ रही है ? तुम रात को सोए थे या ऐसे ही बैठे हुए सोच रहे हो..."
अनिरूद्ध ने कुछ जवाब नही दिया तो संजना समझ गई की अनिरुद्ध सोया ही नही है..

" क्या सोच रहे हो ये बताओ मुझे ? "

" नही अभी नही अभी तुम सो जाओ.. "

" अब मुझे नींद नहीं आएगी अनिरुद्ध ..! तुम बताओ की क्या सोच रहे हो...? "

" में यह सोच रहा था की कल जो भी हुआ वो हमे किंजल और करन को बताना चाहिए या नहीं ? उनकी क्या सरप्राइस है वो भी हम नही जानते.. कही वो दोनो सगाई तो नही करने वाले ? और अगर ऐसा होगा तो उनके लिए आज बहुत बड़ा दिन होगा.. कही हमारी वजह से उनकी सर्प्राइज खराब हो गई तो ? "

" क्या सोच रहे हो तुम ? सगाई वाली बात तो है ही नही ..! बात कुछ और है ये में जानती हु.. अगर सगाई होती और वो भी करन के साथ तो किंजल उछल उछल कर नाचती और सब को बता देती.. "

" तो फिर संजू में क्या करू..? "

" एक काम करो करन को तो बता सकते हो ना ? "

" हा "

" तो फिर करन को बता दो किंजल को मत बताना .. और वैसे भी वो आज बिजी रहेगी.. "

" हा ठीक कहा..."
बोलकर अनिरुद्ध उठकर जाने लगा..

" कहा जा रहे हो ?"

" सौरभ के पास...."

" पर अभी वो सो रहा होगा...."

संजना बोल ही रही थी पर अनिरुद्ध बिना उसकी सुने चला गया...

कुछ देर बाद अनिरुद्ध के रूम में संजना , सौरभ , मीरा , मोहित और करन बैठे हुए थे... माहोल बहुत गंभीर था...

" ये तो बहुत बड़ी प्रोब्लम है अब हम क्या करने वाले है...? " सौरभ ने परेशान होते हुए कहा...

" अनिरुद्ध तुम बताओ तुमने क्या सोचा है ? " मोहित ने गंभीरता के साथ पुछा...

" हम वही करेंगे जो वो लोग हमसे करवाना चाहते है..."
अनिरूद्ध की बात सुनकर सब हैरानी से उसे देखने लगे..

" ये तुम क्या कह रहे हो अनिरुद्ध..? " संजना ने आश्चर्य के साथ पूछा...

" संजू में सही कह रहा हु.. देखो मेरी बात ध्यान से सुनो.. जगदीशचंद्र और हरदेव उनके लोगो को वैशाली चाची के जरिए अंदर लाना चाहते है तो हम उन्हे आने देंगे... अब हम जानते है की वो लोग कौन होंगे.. इसीलिए हम उन पर कड़ी नजर रखेंगे.. एक टीम हम तैयार रखेंगे जो अगर बॉम्ब की सिचुएशन आए तो उसे हैंडल कर लेगी.. अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमे पता नही है की वो लोग क्या करने वाले है..."

" हा अनिरुद्ध में यही सोच रहा था पर अगर उनका प्लान कुछ और है तो फिर हम कैसे पता लगाएंगे की वो लोग क्या करने वाले है...? " करन ने सोचते हुए कहा...

" हमे बस यह करना है की कुछ भी हो जाए हमे उन लोगो पर से अपनी नजरे नही हटानी है.. और हमे एक लड़की को बिलकुल संजना की तरह तैयार करना होगा.. अगर हमे कुछ गडबड लगे तो करन और सौरभ तुम दोनो संजू को लेकर कही सेफ जगह चले जाना और संजू की जगह हम उस दूसरी लड़की को खड़ा कर देंगे इससे उन लोगो को पता भी नही चलेगा..."

" अनिरूद्ध यह आइडिया बहुत अच्छा है इससे हम उन लोगो का ध्यान भटका सकते है..." मोहित ने सहमति जताते हुए कहा..

" देखो यह जितना सुनने में आसान लगता है उतना है नहीं.. हमे बहुत ही ज्यादा सतर्क रहना होगा... हम कुछ नही जानते की वो लोग करने क्या वाले है..."

" तुम फिक्र मत करो अनिरुद्ध हम ध्यान रखेंगे और संजना का भी ध्यान रखेंगे..." सौरभ अनिरुद्ध को तसल्ली देते हुए बोला..

"ठीक है तो हम सब एक दूसरे के कॉन्टैक्ट में रहेंगे.. मीरा तुम संजू को अकेले मत छोड़ना.. और हा संजू में तुम्हारे आसपास ही रहूंगा ठीक है..."

" हम...." संजू उदासी के साथ बोली....

और फिर सब अपने अपने काम के लिए चले गए...
करन सिक्योरिटी की टीम अरेंज करने में लगा हुआ था.
पर साथ में उसे कई खयालात अंदर ही अंदर परेशान कर रहे थे...
" क्या आज किंजल को प्रपोज करना सही होगा ? इतनी ज्यादा टेंशन है और में अपने बारे में कैसे सोच सकता हु ? मुझे कुछ समझ नही आ रहा की आज कैसी सिचुएशन क्रिएट होने वाली है.. भगवान प्लीज सब संभाल लेना...." सोचते हुए करन ने भगवान से प्रार्थना की और फिर अपने काम में लग गया...


क्रमश:

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