कहानी प्यार कि - 40 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 40

हा जय कुछ पता चला ? ..." अनिरूद्ध ने तुरंत जय का फोन उठाते हुए कहा..

" यार अनिरुद्ध बहुत बड़ी गड़बड़ है..."

" क्यों ? क्या हुआ ? "

" तुम्हारी वैशाली चाची ने जो भी कहा है वो सब जूठ है..."

" व्हाट ? "

" हा अनिरुद्ध मेंने कंपनी के कुछ एंप्लॉयज से बात की उन्होंने कहा की .. वैशाली मल्होत्रा ने तो कोई फ्रोड नही किया है.. उन्हे तो इन सब के बारे में कुछ भी पता नही है.. और उन्होंने यह भी कहा की वैशाली मल्होत्रा ने खुद अपनी मर्जी से यह जॉब छोड़ी थी..."

" पर ये भी तो हो सकता है ना की मोनाली ने बाहर इस बारे में किसीको पता नही लगने दिया हो.. ! चाची जूठ क्यों बोलेगी ? मतलब उन्हे अपना घर सब बेचना पड़ा .. वो तो जूठ नही हो सकता है ना..? "

" आई एम सोरी अनिरुद्ध पर यह सब जूठ है.. वैशाली मल्होत्रा ने जिन्हे अपना घर बेचा था मैने उनसे भी बात की है.. उन्होंने कोई मजबूरी में नही बल्कि उन्हें इंडिया जाना है ऐसा कहकर अपनी मर्जी से घर बेचा है..! "

" पर उन्होंने ऐसा क्यों किया ? " अनिरूद्ध ने निराश होते हुए कहा..

" देखो दोस्त.. खुद को संभालो.. मैने तुम्हे जो सच है वही कहा है.. "

" आई नो.. जय.. थैंक यू सो मच मेरी हेल्प करने के लिए.. तुम्हे कभी भी मेरी जरूरत हो ना तो याद रखना आई एम ऑलवेज घेर फॉर यू..."

फिर अनिरुद्ध ने फोन रख दिया.. उसने अपनी आंखे बंध करली.. थोड़ी देर वो अभी जो कुछ उसने सुना था उसके बारे में सोचता रहा.. फिर उसने जैसे ही आंखे खोली.. उसकी आंखों से आंसू अपने आप निकल आए..

आज वो बहुत हर्ट हुआ था.. उसे लगता था की वैशाली चाची को वो पसंद नही है पर उसे ये नही पता था की वो इस हद तक भी जा सकती है...

तभी संजना ने उसके कंधे पर हाथ रखा..

अनिरूद्ध की भीगी आंखे देखकर वो परेशान हो गई..

" अनिरूद्ध.. क्या हुआ तुम्हे..? तुम्हारी आंख में ये आंसू ? "

" संजू तुम सही थी... लोग पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है..." अनिरूद्ध ने अपने आंसू पौछते हुए कहा..

" पर हुआ क्या है ये तो बताओ ! "

" वो माइक्रोफोन और किसीने नही बल्कि वैशाली चाची ने ही लगाया था.. और वो मोनाली से मिली हुई है..इतना ही नहीं उन्होंने हमसे जो कुछ भी कहा वो सब जूठ था.. वो अपनी मर्जी से जॉब छोड़कर और वो घर बेचकर आई है.. "

" ओह गॉड..! तो क्या चाचू भी उनके साथ..? "

" नही संजू.. मेरे चाचू कभी ऐसा नहीं कर सकते है.. आई एम श्योर की चाची ने इस सब के बारे में चाचू को नही बताया है..."

"तो फिर अब हम क्या करेंगे ? "

" पहले तो हमे वैशाली चाची को चाचू की साइन लेने से रोकना होगा क्योंकि मुझे लगता है मोनाली ने इसी काम के लिए चाची को अपने साथ मिला लिया है.. क्योंकि वो चाचू से आसानी से उनकी साइन ले सकती है.."

" हा तुम सही कह रहे हो.. कल सुबह सबसे पहले हम यही काम करेंगे..."

" ठीक है और कल हमे इस माइक स्मिथ से भी बात करनी है..."

" उसका नंबर मिल गया तुम्हे ? "

" हा मिल गया है..."

" तो ठीक है अभी हम सो जाते है कल इस बारे में बात करते है..."

" हम...."

अगले दिन सुबह वैशाली तैयार थी पेपर्स के साथ.. मोनाली ने उसे पेपर्स भिजवा दिए थे...

" आज मुझे किसी भी हालत में मनीष से ये पेपर्स साइन करवाने है... पर में ये करूंगी कैसे..? कुछ सोच वैशाली ... हा आइडिया.. अनिरुद्ध ने कहा है यह कहकर में एकबार ट्राई करती हु..." वैशाली ने अपने मन में कहा ..

संजना पिछे छिपकर वैशाली पर नजर रख रही थी...

वैशाली पेपर्स के साथ अपने कमरे में गई.. मनीष बेड पर बैठकर अपना फोन चेक कर रहा था..

" सुनो... "

" हा कहो..."

" इन पेपर्स पर तुम्हारे साइन चाहिए..."

" मेरी साइन ? पर क्यों...? देखने दो जरा पेपर्स.."

" अरे ये अनिरुद्ध ने भिजवाए है.. कहा की अर्जेंट है कुछ..."

" पर अनिरुद्ध ने मुझसे तो कुछ कहा नहीं..."

" मुझे कहा तुमसे कहने के लिए..."

" अच्छा लाओ...."

मनीष ने पेपर्स लिए और वो जैसे ही उसे पढ़ने जा रहा था की वैशाली ने उसे रोक लिया..

" अरे अनिरुद्ध ने भेजे है तो सब ठीक ही होगा.. तुम साइन करो ना..."

" हा बाबा करता हु.."

" रुकिए चाचू...." संजना ने अंदर आते हुए कहा..

" क्या हुआ बेटा ? "

" आप इन पर साइन नही कर सकते..."

" क्यों क्या हो गया..."

" क्योंकि आप अभी नीचे चल रहे है नाश्ता करने .."

" पर बेटा अनिरुद्ध ने कहा ये अर्जेंट है... में साइन कर लेता हु फिर जाते है..."

" नही चाचू मैने अनिरुद्ध से बात करली है.. वो भी नीचे नाश्ते पर आपका वैट कर रहा है.. आप एकबार उनसे बात कर लीजिए फिर साइन कर लेना.. और वैसे भी पेपर्स कहा भागे जा रहे है क्यों चाची...! "

" हा हा..." वैशाली ने मुंह बिगाड़ते हुए कहा

" ठीक है चलो...."
फिर मनीष उठकर नाश्ता करने के लिए चले गए...

" थैंक्स गॉड..." संजना की सांस में सांस आई..

" अभी तो रोक लिया पर आगे चाची क्या प्लान करने वाली है...कैसे पता चलेगा..." संजना ने चिंतित होते हुए कहा..

फिर वो भी सबके साथ नाश्ता करने चली गई..

नाश्ता करने के बाद.. संजना ने अभी जो हुआ वो सब अनिरुद्ध को बताया...

" ओके तुम इस बात की चिंता मत करो मैने इस बारे में सोच लिया है..."

" पर क्या ? "

" बाद में बताता हु..."

तभी मनीष चाचू वहा आ गए..

" अनिरूद्ध.. तुमने कोई पेपर्स भिजवाए थे साइन करने के लिए ? "

" हा चाचू.. थोड़ा अर्जेंट है आप साइन कर दीजियेगा... और ये लीजिए आपकी पेन आप वहा टेबल पर भूल गए थे..."

" ओह थैंक यू..."

संजना आश्चर्य से यह सब देखती रही... उसे कुछ समझ नही आया की अनिरुद्ध ऐसा क्यों कर रहा है..!
फिर मनीष चाचू वहा से चले गए..

" अनिरूद्ध ये तुमने क्या किया ? "

" क्या ? "

" तुमने चाचू के पेपर्स साइन करने के लिए क्यों कहा ? "

" संजू तुम फिक्र मत करो में जो कर रहा हु वो बहुत सोच समझकर कर रहा हु... तुम्हे मुझ पर ट्रस्ट है ना ? "

" हा ..."

" तो चलो ये सब भूल जाओ.. और हम ऑफिस चलते है.. उस माइक से बात जो करनी है..."

" ठीक है चलो..."

कहकर अनिरुद्ध और संजना दोनो ऑफिस चले गए..

और वैशाली ने मनीष से उस पेपर्स पर साइन करवा लीए...
वैशाली इस बात से खुश होकर नाचने लगी थी...

उसने मोनाली को फोन किया..

" मोनाली तुम्हारा काम हो गया है... मैने मनीष के साइन ले लिए है..."

" क्या इतनी आसानी से ये कैसे हो गया ? "

" आसानी से हो गया ये तो अच्छी बात है ना...! "

" हा पर अनिरुद्ध ने कुछ किया नही तुम्हे रोकने के लिए...? "

" नही उसे तो इस बारे में कुछ अंदाजा भी नहीं था.. पहले मुझे लगा की उस संजना को शायद पता चल गया है क्योंकि पहली बार जब में मनीष के पास गई तो उसने आकर मनीष को रोक लीया था पर फिर वो भी अनिरुद्ध के साथ ऑफिस चली गई..."

" पर ये कैसे हो सकता है ..! क्या उसे तुम पर शक तो नही हुआ ना? "

" नही बिल्कुल नही... "

" अच्छा ठीक है तो तुम दोपहर को दो बजे पेपर्स लेकर आ जाना.."

" ओके ठीक है में आ जाऊंगी..." वैशाली ने खुश होते हुए कहा और फोन रख दिया..

इस तरफ अनिरुद्ध , संजना और सौरभ ऑफिस में एक साथ बैठे थे...

" तो ठीक है में उस माइक स्मिथ को फोन लगा रहा हु.. "

" ओके..."

अनिरूद्ध ने माइक स्मिथ को फोन लगाया..

" हेलो..." उसने फोन उठाते हुए कहा..

" हाय.. माइक.. हाउ आर यू ?"

" आई एम सोरी... वू आर यू..? "

" ओह सोरी.. आई एम अनिरुद्ध ओब्रॉय... ओब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री का ऑनर..."

" ओह.. आई हर्ड ए लोट अबाउट ओब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री.. नाइस टू टॉक टू यू... मि. ओब्रॉय..."

" थैंक यू.. बट माइक मे आई आस्क यू समथिंग ? "

" या श्योर..."

" डू यू नो मोनाली मैथ्यूज ? "

" वाय आर यू आस्क अबाउट मोनाली ? "

" आई एम हर क्लासमेट इन कॉलेज.. आई हर्ड ए न्यूज अबाउट योर मैरेज विथ मोनाली.. सो आई कॉल यू टू कन्फर्म धेट.."

" नो नो.." माइक ने हंसते हुए कहा..

" सो इस धेट ए रूमर..? "

" यस.. अवर एंगेजमेंट इस स्टील पेंडिंग..."

" ओह..! सो वेन इज योर एंगेजमेंट ? "

" घेर इस स्टील टाइम.. मोनाली हेज़ गोन टू इंडिया फॉर फ्यू मंथ..."

" ओके थैंक यू सो मच.. एंड प्लीज डोंट टेल मोनाली धेट आई कॉल.. "

" बट वाय ? "

माइक ने कहा पर अनिरुद्ध ने फोन कट कर दिया...

" क्या हुआ ? " संजना ने अनिरुद्ध को ऐसे फोन काटते हुए देखकर कहा..

" यार वो कितने क्वेश्चन कर रहा था.. मुझे समझ नही आ रहा था की में उसे क्या कहूं.. इसलिए मैने फोन कट कर दिया वैसे भी हमे जो जानना था वो हमे पता चल गया है.."

" तो अब हमें बता भी .." सौरभ ने कहा..

" मोनाली और माइक का ब्रेक अप हुआ ही नहीं है.. उसकी तो माइक के साथ एंगेजमेंट होने वाली है.."

" व्हाट? तो फिर वो करन के पीछे क्यों पड़ी है..? "

" वो सिर्फ यहां हमें बरबाद करने आई है.. और उसके लिए वो करन का इस्तेमाल करना चाहती है.. उसे कोई प्यार नही है करन से.. " अनिरूद्ध ने गुस्से में कहा..

" ईसका मतलब है वो करन को प्यार की जाल में फसाकर उसका इस्तेमाल करके उसे छोड़कर चली जाने वाली थी ...! " संजना को भी अब उस मोनाली पर गुस्सा आ रहा था..

" राइट संजू.. पर मोनाली का कोई प्लान हम ससेक्स नही होने देंगे..! "

"हा..."

" सुनो सौरभ.. अखिल अंकल और तुम किसी भी पेपर्स पर बिना मुझे दिखाए साइन मत करना... ओके..."

" ओके अनिरुद्ध... " फिर सौरभ अखिल अंकल के पास चला गया..

" आज मैने जो किया है उससे मोनाली को बहुत गुस्सा आने वाला है.. और वो जरूर इस बात का बदला लेगी,.. मुझे अब पूरी तरह से इन सब के लिए तैयार रहना होगा..." अनिरूद्ध मन में सोच रहा था..

" क्या सोच रहे हो अनिरुद्ध...? "

" कुछ नही संजू.. अच्छा वो रिकॉर्डिंग तुम किंजल को भेज देना... अब आगे का काम उसे करना है..."


" ठीक है अनिरुद्ध में अभी भेज देती हु..."


दोपहर हो गई थी .. और वैशाली पेपर्स लेकर मोनाली के पास उसके घर पर पहुंची...

" आओ आओ वैशाली... पेपर्स तो लाई हो ना ? "

" हा हा पेपर्स के लिए ही तो आई हु...ये लो..."

वैशाली ने पेपर्स मोनाली के हाथ में दिए..

मोनाली ने एनवेलप में से पेपर्स निकाले और खोले... पर पेपर्स देखते ही मोनाली की आंखे फटी की फटी रह गई..

उसका चहेरा गुस्से से लाल हो गया...

" वैशाली कहा है साइन ? " मोनाली गुस्से से चिल्लाई..

" अरे ! साइन है तो सही.. मैने सामने बैठकर मनीष से साइन करवाई है..."

" तो फिर मुझे दिखाई क्यों नही दे रही है ? "

" लाओ मुझे देखने दो.."
वैशाली ने पेपर्स मोनाली के हाथ में से छीन लिया और देखने लगी.. और पेपर्स पर साइन ना देखकर वैशाली शॉक्ड रह गई..

" ये ये कैसे हो सकता है.. ? मैने अपनी आंखो के सामने मनीष से साइन करवाई थी..." वैशाली घबराते हुए बोली...

" ये सब उस अनिरुद्ध की साजिश है... वो साला मुझे बेवकूफ बना गया... ! तुम्हे अब में छोडूंगी नही अनिरुद्ध... अब तुम क्या मेरा चेहरा देख रही हो गेट आउट..." मोनाली ने गुस्से से पैर पटकते हुए कहा और चली गई..


तभी मोनाली के फोन पर एक कॉल आया..
मोनाली ने कॉल उठाया..

" संभलकर मोनाली... गुस्से से ऐसे पैर पटकोगी तो चोट लग जायेगी..." अनिरूद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा..

" यू ब्लडी बास्टर्ड... हाउ डेयर यू टू कॉल मि...? "

" कुल डाउन.. मोनाली.. ये बताओ कैसा लगा मेरा सरप्राइस...? "

" में जानती थी तुमने ही पेपर्स के साथ कुछ किया है... "

" नो .. मैने पेपर्स के साथ कुछ नही किया .. पर हा पेन के साथ किया था..."

" व्हाट? "

" या... मैने चाचू को डिसअपियर इंक वाली पैन दी थी.. साइन करने के लिए.. और उसकी इंक दो तीन घंटे में गायब हो जाती है.. इतना तो तुम्हे पता ही होगा.. आई थिंक..."

" ये तुमने अच्छा नही किया.. कोई बात नही.. मेरे अगले वार के लिए तैयार रहना..."

" ओके आई एम रेडी..."

अनिरूद्ध ने हस्ते हुए कहा और फोन कट कर दिया..

" अब तक में सीधे तरीके से काम कर रही थी.. पर तुम ऐसे मानने वालो में से नही हो.. अब मुझे ऐसा तरीका अपनाना होगा की जिससे तुम सामने से मेरे पास आओगे.. और पेपर्स पर साइन करोगे.. क्योंकि में तुम्हारी कमजोरी जानती हूं.. तुम्हारी फैमिली..." मोनाली ने शैतानी हसी के साथ कहा..


🥰 क्रमश: 🥰