कहानी प्यार कि - 39 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 39

सौरभ ने अपना काम शुरू कर दिया था..
वो मोनाली के बॉयफ्रेंड के बारे में जानने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहा था.. साथ में वो कॉलेज के फ्रेंड्स को भी फ़ोन लगाकर उनके बारे में जानने की कोशिश कर रहा था..

तभी किंजल भी उसकी हेल्प करने के लिए वहा आ गई ...

" क्या हुआ सौरभ कुछ पता चला ? "

" नही अभी तक तो नही... "

" तुमने उस लड़की को कोल करके पूछा.. जो मोनाली के पीछे पीछे फिरा करती थी..? "

" कौन दिव्या ? "

" हा.. वही.. और हा तुम्हारे पास उसका नंबर तो होगा ही.."

" अरे ! ऐसे क्यों बात कर रही हो.. यार अब ये मत कहना की तुम अब तक उसके लिए मुझसे नाराज़ हो.."

" नही में क्यों नाराज होंगी.. "

" ओहो.. भूल गई क्या .. तुम्हे हम दोनो के रिलेशनशिप के बारे में पता चला था तो तुम मुझसे कितनी ज़गड़ी थी..! "

" हा तो वो तुम्हारे लिए सही नही थी इसलिए..."

" हा तो फिर ब्रेकअप तो हो गया था ना हमारा..."

" हा हा ठीक है ... अब पहले हमे जो करना है वो करो ना.. उसे फ़ोन करके पूछो.. "

" हा हा करता हु ..."

बोलकर सौरभ ने दिव्या को फोन लगाया..

" हाय दिव्या...! "

" हाय सौरभ.. कैसे हो..! "

" आई एम फाइन.. तुम बताओ..! "

" ठीक हु .. वैसे तुम्हे आज मेरी याद कैसे आ गई..! "

" बस ऐसे ही.. ओर बताओ क्या कर रहा है वो तुम्हारा बॉय फ्रेंड ..हा ? "

" कौन राज ? "

" हा वही.."

" हम दोनो तो कब से अलग हो गए है.. अब में किसी और को डेट कर रही हू.. "

" ओहो.. और वो कौन है ? "

" रोहित... "

" क्या कर रहे हो सौरभ काम की बात पर आओ ना.." किंजल ने सौरभ को टोकते हुए धीरे से कहा..

" वैसे मोनाली की कोई खबर ...? "

" हा वो अभी इंडिया में है.. वो उसकी इंस्टा पोस्ट देखी ती..."

" क्यों ? उसने तुम्हे नही बताया ? "

" नही अब हमारी बात नही होती.. कॉलेज के बाद वो अपनी लाइफ में इतनी बिजी हो गई की उसने हम सब से रिश्ता ही तोड़ दिया..."

" ओह.. ऐसा नहीं करना चाहिए था उसे.."

" कोई बात नही .. पर तुमने अचानक मोनाली के बारे में क्यों पूछा ? "

" वो तुम्हारी एक हेल्प चाहिए थी.."

" हा बोलो ना.. "

" हम कॉलेज में थे तब मोनाली का कोई दूसरा बॉयफ्रेंड था? "

" मुझे जब तक याद है मोनाली का बॉयफ्रेंड करन था.."

" हा पर करन के अलावा भी.. और कोई था ? "

" पता नही ऐसा तो कुछ याद नहीं आ रहा .."

" प्लीज याद करने की कोशिश करो ना.."

" हा ऐसा कुछ था तो सही.. एक बार क्लब में मोनाली किसी और लड़के को लेकर आई थी.. "

" कौन था वो...? "

" पक्का तो याद नही पर शायद माइक कहा था... हा वही था माइक स्मिथ"

" ओके थैंक यू सो मच.. बाय.."

" बाय..."

फिर सौरभ ने फोन रख दिया..

" लाइफ में पहेली बार ये दिव्या किसी के तो काम आई...! "

" ऐसा मत बोल किंजल ... अब वो पहले जैसी नहीं रही.. बदल गई है.."

" हा जो भी हो.. तुम ये नाम सर्च करो.."

सौरभ ने माइक स्मिथ गूगल पर सर्च किया.. तो उसकी फोटो आ गई..

" हा यही है.. हमने इसे ही देखा था मोनाली के साथ.."

सौरभ ने गौर से उसकी तस्वीर देखते हुए कहा..

" माइक .. रोसवुड होटल के ऑनर थोमस स्मिथ का बेटा...है क्या शानदार होटल है.. यार... लंडन में , टोरंटो में.. न्यूयॉर्क में सब जगह इसकी होटल्स है.. मुझे ये समझ नही आ रहा की ऐसे लड़के को भला क्यों कोई छोड़ सकता है...! " सौरभ ने हैरान होते हुए कहा..

" पॉइंट तो है.. क्या पता इस माइक ने ही मोनाली को छोड़ दिया हो ..! "

" शायद .. कोई नही अनिरुद्ध और संजना से बात करते है..की उनका इस बारे में क्या कहना है..."

" ठीक है तो अभी में चलती हु बाय "

कहकर किंजल वहा से निकल गई..

अनिरूद्ध और संजना घर पर रुककर ही मोनाली के बारे में ज्यादा से ज्यादा इन्फोर्मेशन निकालने में लगे हुए थे..

" अनिरूद्ध मैने सब चेक कर लिया.. हमारी कंपनी में से एक भी शेयरहोल्डर का मोनाली के साथ कोई भी कनेक्शन नहीं लग रहा है...! "

" हा संजू में भी यही सोच रहा हु.. वो उनके साइन के बिना तो शेयर नही खरीद सकती .. तो वो ये सब कैसे करने वाली है..."

" मुझे लगता है उसने हमारे किसी अपने ही मेंबर के साथ हाथ मिला लिया है.."

" नही संजू.. मुझे नही लगता हमारा कोई अपना ऐसा कर सकता है.."

" अनिरूद्ध पैसे के लिए लोग कुछ भी कर सकते है..! "

" हा पर... अच्छा ठीक है में इस बारे में जानने की कोशिश करूंगा.. अपने लोगो को लगा देता हु .. वो सब पर नजर रखेंगे.."

" हा यह ठीक रहेगा..."

" एक मिनट रुको..." अनिरूद्ध की नजर किसी चीज पर गई...

" शी...कुछ मत बोलना..." अनिरूद्ध धीरे से फ्लावर पोट के पास रखी उस चीज के पास गया...

उसने उस चीज को निकाला और देखा..

" ओह गॉड....! "

" क्या हुआ ? " संजना को समझ नही आया की वो चीज क्या थी..

अनिरूद्ध ने उसे जमीन पर जोर से पटका.. और तोड़ दिया...

" अनिरूद्ध वो क्या था ? "

" वो एक माइक्रोफोन था... कोई हमारी बाते सुन रहा था..."

" पर यहां हमारे कमरे में ये माइक्रोफोन कौन लगा सकता है...? "

" पता नही.. शायद तुम सही थी.. हमारे घर में से ही किसीने यह किया है..."

" तुम्हे किसी पर शक है अनिरुद्ध ? "

" नही.. पर क्या तुमने किसीको हमारे कमरे में आते हुए देखा था ? "

" नही तो..."

तभी अनिरुद्ध को याद आया की वैशाली चाची से टकराने के बाद.. वैशाली उसी के कमरे की तरफ गई थी..

" संजू में अभी आया...." कहते हुए अनिरुद्ध वहा से चला गया..

इस तरफ मोनाली ने गुस्से में अपने कान में लगाया हुआ इयर बड़ तोड़ दिया...

" एक काम ठीक से नही करती.. माइक्रोफोन भी उस अनिरुद्ध ने तोड़ दिया.. अब उसके प्लान के बारे में कैसे पता चलेगा.. ! "

गुस्से में बोलते हुए मोनाली ने वैशाली को फोन लगाया
..

" कितनी बार कहा है की तुम मुझे फोन मत करो .. में करूंगी..." वैशाली ने फोन उठाते हुए कहा..

" यह सब मुझे नही पता.. तुम मेरी बात सुनो.. मैने तुम्हे माइक्रोफोन किसी ऐसी जगह लगाने को कहा था की जहा अनिरुद्ध का ध्यान ना जाए.. और तुमने क्या किया ? "

" पर मैंने ऐसी जगह ही लगाया था... "

" ओह जरा बताओ वो तुमने कहा लगाया था ? "

" फ्लावर पोट के पीछे..."

" आर यू स्टूपिड ? एक काम ढंग से नहीं करती हो.."

" तो तुम्हे मुझे बता देना चाहिए था की मुझे कहा लगाना है.. ! अब मुझ पर इल्जाम क्यों लगा रही हो ? "

" में तुम्हे कहने ही वाली थी की तुमने फ़ोन कट कर दिया.."

" हा वो इसलिए क्योंकि तब में अनिरुद्ध से टकरा गई थी और मेरा फोन नीचे गिर गया था.. और अनिरुद्ध तुम्हारा फ़ोन में नाम देख लेता तो ? हमारा सारा भांडा फुट जाता "

" ओके फाइन... अब मेरी बात ध्यान से सुनो मुझे कल तक तुम्हारे हसबेंड के साइन किए हुए पेपर चाहिए .. और कल मुझे नहीं मिले तो तुम अपना फेशन डिज़ाइनर का सपना भूल जाना..." आगे वैशाली कुछ बोले इससे पहले मोनाली ने गुस्से में फोन कट कर दिया..

अनिरूद्ध ने अपनी कंपनी के पार्किंग एरिया में गाड़ी पार्क की और तेज कदमों से अपनी ऑफिस की तरफ जाने लगा...

सौरभ ने उसे देखा तो उसे आवाज लगाई पर अनिरुद्ध रुका नहीं तो सौरभ भी उसके पीछे गया..

" अबे क्या हुआ ? इतने गुस्से में क्यों लग रहा है ? "

सौरभ की बात सुनकर अनिरुद्ध ने माइक्रोफोन वाली बात सौरभ को बताई..

" तो तुम्हे लगता है की माइक्रोफोन वैशाली चाची ने लगाया है ? "

" नही.. पर में अपना शक दूर करना चाहता हु.."

" पर तू कर क्या रहा है...? "

" थोड़ी देर चुप रहो.. मुझे अपना काम करने दो.. फिर बताता हु..."

अनिरूद्ध ने लंडन अपने किसी फ्रेंड को फ़ोन लगाया..

" हेय ..! जय..यार एक काम था.. "

" हाय अनिरुद्ध.. एनीथिंग सीरियस ? "

" हा... "

" बताओ में तुम्हारी क्या हेल्प कर सकता हु ? "

" लंडन की फैशन डिजाइनर की एक कंपनी है.. तुम्हे वहा जाकर कुछ पूछताछ करनी है..."

" ओके पर किसके बारे में..? "

" वैशाली मल्होत्रा .. में नाम और एड्रेस भेजता हु.. तुम उनके बारे में सारी इन्फॉर्मेशन निकालकर मुझे तुरंत फोन करना.."

" ओके .. बाय "

अनिरूद्ध ने फोन रख दिया..

" अबे ये जय तो वो पुलिस में है वही ना ? "

" हा ... अच्छा ये बता मोनाली के उस बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ पता चला ? "

" हा माइक स्मिथ.. नाम है उसका..." सौरभ ने सारी बात अनिरुद्ध को बताई..

" स्ट्रेंज... मोनाली ने उसे कैसे छोड़ दिया ... ! "

" पता नही.. "

" अच्छा उसका कोई नंबर मिला क्या तुम्हे ? "

" नही "

" यह काम एक ही आदमी कर सकता है.. "

" कौन ? "

" शर्मा जी..." अनिरूद्ध ने मुस्कुराते हुए कहा..

" ठीक है में अभी उनसे कहकर नंबर निकलवाता हू " सौरभ भी मुसकुराते हुए वहा से चला गया..

रात होने को आई थी.. और करन अपने घर पे अपने लिए खाना बना रहा था..

तभी डोर बेल बजी... करन ने जाकर डोर खोला तो सामने किंजल थी...

" हाय... क्या में अंदर आ सकती हु..."

" हा जरूर आओ ना...."

" वैसे क्या कर रहे थे... ? "

" में खाना बना रहा था..."

" सीरियसली..! तुम्हे खाना बनाना भी आता है ? "

" या... "

" ग्रेट... ! "

" पर तुम इस वक्त मेरे घर क्यों ? "

" क्यूं ? नही आ सकती ? "

" नही ऐसा नहीं है बस ऐसे ही पूछा..."

" इट्स ओके.. में बहुत बोर हो रही थी तो सोचा अपने दोस्त से मिलने चली जाती हु ..! "

" क्यों आंटी घर पे नही है ..? "

" नही वो आज उनकी कुछ फ्रेंड्स के साथ बाहर गई थी.. रात को देर से आयेगी..."

" ओके.. तुम बैठो.. में तुम्हारे लिए कुछ लेकर आता हु.."

" एक्चुअली.. में तो खाना खाकर आई हूं.. चलो में तुम्हे मदद कर देती हु..."

" नही.. तुम बैठो ना में कर लूंगा..."

" नो.. में हेल्प कर रही हू.. तो कर रही हू.. अब और कुछ मत बोलना..."
किंजल का रोब देखकर करन तो उसे देखता ही रह गया..

" मेरे घर पर आकर मुझ पर ही दादागिरी कर रही है.." करन ने मन में कहा और बिना कुछ कहे किचन में आ गया..

" तो क्या बना रहे हो तुम ?"

" पनीर की सब्जी और रोटी..."

" ओके तो तुम सब्जी बनाओ में रोटी बनाती हु..."

बोलते हुए किंजल जरूरी सब चीजे निकालने लगी..

गेहूं का आटा ऊपर रखा हुआ था.. किंजल की नजर वहा पर गई.. और वो उसे उतारने की कोशिश करने लगी.. उसके हाथ तो पहुंच रहे थे पर वो डिब्बा ले नही पा रही थी..करन का ध्यान सब्जी बनाने में था...

किंजल अपने पैरो से ऊंची हुई और उसने डिब्बा पकड़ लिया पर वो इतना भारी था की किंजल के हाथ से छूट गया और सारा आटा किंजल के ऊपर गिर गया और डिब्बे के गिरने की जोर से आवाज आई..

आवाज सुनते ही करन ने तुरत उस तरफ देखा..
किंजल पूरी आटा आटा हो गई थी उसके बाल , मुंह कपड़े सब सफेद हो गए...

पहले तो करन एकदम सीरियस होकर किंजल को देख रहा था..और फिर जोर जोर से हसने लगा..

" करन घिस इस नोट फेयर.. तुम मुझ पर हस रहे हो...! "

" आई एम सोरी किंजल पर तुम बहुत फनी लग रही हो..." करन हस्ता हुआ बोला..

किंजल करन के इस हस्ते हुए मासूम चहरे में ही खो गई...और मुस्कुराने लगी..

" एक मिनिट रुको.. में तुम्हे अभी दिखाता हु.." कहकर करन ने किंजल की फोटो खींच ली और उसे दिखाई..

फोटो देखकर किंजल को भी हसी आ गई..
तभी किंजल को मस्ती सूझी.. उसने.. भी नीचे गिरा हुआ आटा उठाया और करन को लगाने के लिए भागी..

" नही नही किंजल... दूर रहो मुझसे... देखो .. मुझे ये जरा भी पसंद नही है .. "

" अच्छा मुझे देखकर तो तुम्हे बहुत हसी आ रही थी...ये आटा तो में तुम्हे लगाकर ही रहूंगी..."

किंजल और करन किचन में इधर से उधर एक दोनो के पीछे भाग रहे थे.. किंजल ने मौका देखकर करन के ऊपर सारा आटा डाल दिया..

" ये क्या किया तुमने..." करन ने खुदको देखते हुए कहा..

पर किंजल हसने लगी...
" जैसे को तैसा.." किंजल ने अंगूठा दिखाते हुए कहा..

" तुम्हे तो में छोडूंगा नही रुको.." करन किंजल के पास आ ही रहा था की उसका पैर फिसला और वो सीधा किंजल के ऊपर गिरा...

किंजल नीचे और करन उसके ऊपर था... दोनो की आंखे एक दूसरे से मिली.. कुछ वक्त के लिए दोनो सब कुछ भूलकर एक दूसरे में खो गए थे.. तभी करन खड़ा हो गया..

" आई एम सोरी...तुम ठीक तो हो..." करन ने किंजल को खड़ा करते हुए कहा..

" हा आई एम फाइन..." किंजल ने अपनी नजरे जुकाली.. दोनो कुछ वक्त के लिए एक दूसरे से नजरे नही मिला पा रहे थे..

" सुनो तुम फ्रेश हो जाओ.. वहा मेरा कमरा है.."

" हम..." किंजल ने कहा और वो करन के कमरे में नहाने के लिए चली गई..

करन ने कपड़े से खुद को साफ किया और फिर किचन साफ किया..

किंजल को नहाने के बाद याद आया की वो अपने कपड़े तो लाई ही नही है..

" ओह गॉड अब में क्या करू...! करन से कहूं क्या? नही नही... पर और कोई रास्ता भी तो नहीं है.. "

" करन करन...." किंजल ने करन को आवाज लगाई..

" हा बोलो..." करन ने कमरे में आते हुए कहा..

" वो कपड़े..? मेरा मतलब है मेरे कपड़े तो मेरे घर पर होंगे..ना "

" ओह गॉड अब ये क्या नई मुसीबत है ..! "

" क्या तुमने कुछ कहा ? "

" नही में अभी कुछ करता हु..." करन ने कुछ सोचा और अपनी अलमारी में से अपने कुछ कपड़े निकाले जो उसे छोटे हो रहे थे ..

" देखो अभी तुम ये कपड़े पहन लो.. में यहां बेड पर रख रहा हु.. ओके.. में बाहर जा रहा हु..." कहते हुए करन कमरे से बाहर आ गया...

किंजल कपड़े चेंज करके बाहर आई.. वो कुछ सहमी हुई सी लग रही थी..

करन ने उसे देखा.. किंजल को वो कपड़े बहुत बड़े हो रहे थे.. पर वो इस कपड़े में बहुत क्यूट लग रही थी..

" तो कैसा है ये..? " किंजल ने कपड़े की तरफ इशारा करते हुए कहा..

" अच्छे तो लग रहे है... और तुम्हे शर्माने की जरूरत नहीं है.. तुम क्यूट लग रही हो..."

" क्या ? क्या कहा तुमने ? "

"मैने कहा तुम क्यूट लग रही हो.."

यह सुनकर किंजल का चहेरा लाल हो गया.. वो धीमे से आकर बैठ गई..

" आई एम सोरी करन मेरी वजह से सब खराब हो गया.. तुम्हे भूख भी तो लगी होगी.."

" इट्स ओके ... इसमें तुम्हारी कोई गलती नही थी.और ये देखो मैंने नूडल्स बना लिए हैं..."

करन ने नूडल्स दोनो की प्लेट में निकाले..

" हम.. टेस्टी है..."

फिर दोनो ने कुछ बाते की और किंजल अपने घर चली गई..

अनिरूद्ध कब से जय के कोल का इंतजार कर रहा था..
तभी जय का फोन आ गया..

जय ने अनिरुद्ध को ऐसी बात बताई की यह जानकर अनिरुद्ध शॉक्ड रह गया...

🥰 क्रमश: 🥰