प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ७ RACHNA ROY द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

प्यार का अनोखा रिश्ता - भाग ७

हिना को बुखार बहुत ज्यादा था। थर्मामीटर से चेक किया पुरा चहेरा लाल हो गया था।
कंचन ने जल्दी से ठंडा पानी बाउल में लेकर आईं।
राज जल्दी-जल्दी हिना के सर पर पट्टी रखता गया। उसके हाथ पैर ठंडे पड़ गई गए थे राज ने अपने हाथों की गर्मी से हिना के हाथों में और पैर में मालिश किया।।
हिना बेहोश थी और फिर जैसे कुछ कहना चाहती थी।
राज ने सोचा हे भगवान कुछ बोल न दे वरना सब।।
राज ने कहा कंचन दुध लेकर आओ।
कंचन दुध लाने चली गई।
राज ने हिना के हाथों और पैरों पर मालिश करने लगा ओह मैं क्या करूं जिंदगी ने क्या खेल खेला है।
राज ने कहा हिना प्लीज़ उठ जाओ दवाई खा लो।
हिना ने आंख खोला तो देखा कि राज उसके इतने करीब था और फिर बोली अरे देवर जी आप।

राज प्लीज़ उठो मत, तुम्हें बुखार है।
हिना रोने लगी और फिर बोली मैं ठीक हूं आप जाइए।
तभी कंचन आ गई और फिर राज ने कहा कंचन तुम दुध पिला दो और फिर दवा भी खिला देना।

ये कहते हुए राज नीचे चला गया।

हिना ने पूछा कि देवर जी यहां थे।
कंचन ने कहा हां, भाभी ,भाई तो घबरा गए थे आपको पट्टी करने लगे तभी तो बुखार उतर गया आपका।
हिना ने कहा अच्छा ,मै ठीक हुं।
कंचन ने कहा ये दुध पीकर दवा खा लिजिए।
पता है राजीव भाई को ऐसे पहले कभी नहीं देखा इतना परेशान हो गए थे आपके लिए । जैसे कोई अपनों के लिए होता है।।

हिना ने कहा हां, ठीक है तुम जाओ।मैं सो जाती हुं और हां ,मैं ठीक हूं।
कंचन दरवाजा बंद करके चली गई।
हिना सोचने लगी और फिर बोली कहां फस गई मैं। क्या मुझे मम्मी के पास चले जाना चाहिए।

कंचन नीचे पहुंच कर बोली कि भाभी सो गई है।
राजीव ने कहा अच्छा दुध और दवाई लिया? कंचन ने कहा हां लिया।
कंचन भी किचन में चली गई।

आभा ने कहा आज अगर अमर होता तो ये हालत नहीं होता हिना का।
राज ने कुछ भी नहीं कहा और कुछ बिना खाएं उठ गए।
आभा ने कहा अरे इसे क्या हुआ।
राज ने कहा हां बस मन नहीं कर रहा है।और फिर सब सोने चले गए।


दूसरे दिन सुबह राज के मम्मी डैडी उठ कर चाय पीने रहें थे और राज जोगिंग करने चला गया।
हिना भी तैयार हो कर नीचे आ गई।
रमेश ने कहा हिना ,अब कैसी हो?
हिना ने कहा पापाजी मैं ठीक हूं अभी।
आभा ने कहा कल रात बुखार से तप रही थी।
राज ने जलपटटी किया था।
हिना ने कहा हां, मुझे पता चला ,पर मम्मी क्या जरूरत थी मैं ठीक थी।
आभा ने कहा हां ,बेटा पर अमर होता तो करता ना।
हिना रोने लगी।
रमेश ने कहा बस करो, अब हिना ये आंसु बहतेहम नहीं देख सकते हैं जिसको जाना था वो चला गया और जो है।।

कुछ देर बाद ही राज आ गया और हिना उसकी आहट समझ गई थी तो कहा देखो कंचन देवर जी आएं हैं।
कंचन ने दरवाजा खोला तो देखा कि सच में राज खड़ा था और फिर कंचन ने कहा अरे वाह!भाभी ने कहा कि आप ही हों।।।
आभा और रमेश भी एक दूसरे को देखने लगें।
फिर राजीव आ गए और जूस पीने लगा और हिना को देखा तो पुछा कि कैसी है आप?
हिना ने कहा हां ठीक हुं और हां शुक्रिया आपका देवर जी।।

राजीव ने कुछ नहीं कहा और फिर जूस पीने के बाद ऊपर चला गया।
हिना नाश्ता करने के बाद वही बैठी रही और फिर बोली कि मैं क्या माईका चली जाऊं?. आभा ने कहा हां ठीक है मैं मना नहीं करूंगी पर हम दोनों का मन लगा रहता है हिना तुम्हारे साथ।।

हिना ने कहा हां जानती हूं बस कुछ दिनों के लिए।
कुछ देर बाद हिना की सहेली का फोन आया और सब बोली कि घर आना चाहती है।
हिना ने कहा हां ठीक है सब आ जाओ।
कुछ देर बाद ही हिना की सहेलियां आ गई।
सब आकर हिना के गले लग कर रोने लगी।
आभा ने सबको बैठने के लिए कहा।।
फिर कंचन ने सबके लिए पकौड़े और काॅफी लेकर आ गई।।
जीनत ने कहा बहुत ही खराब लग रहा है जीजू थे तो हम नहीं आ पाए। अब आगे क्या करेंगी?
हिना ने कहा देखती हूं पर तुम्हें कुछ बताना है।
फिर हिना ने मैसेज में सब बातें लिखी पढ़ने के बाद जीनत परेशान हो गई।
कुछ देर बाद राजीव नीचे आया और उसने हिना की सहेलियां को देखा जीनत खड़ी हो गई एक दूसरे को जानते हुए भी अनजान बने रहे।
हिना ने कहा ये अमर के भाई हैं और देवर जी ये मेरी सहेलियां हैं।
राजीव ने सबको हेलो कहा।।
आभा ने कहा बेटा अब तुम लोग हिना के कमरे में जाकर आराम करो, दोपहर का खाना खा कर जाना।
हिना, राजीव को देखते हुए बोली हां मम्मी हम लोग ऊपर जा रहे हैं।
फिर सब ऊपर हिना के रूम में गई।

जीनत हिना के गले लग कर रोने लगी और फिर बोली अरे ये भगवान ने क्या किया तेरे साथ जिसके लिए ये सब हुआ आज वो तेरे सामने है पर तू कुछ नहीं कर सकती हैं।
हिना रोने लगी और फिर बोली अरे सच कहा है मैं सोच रही थी कि यहां से चली जाऊं ताकि किसी को कोई तकलीफ़ नहीं हो।
जीनत ने कहा, पर वहां पर भी तो खुश नहीं रहेगी भगवान ने तेरे प्यार को तेरे सामने ला कर खड़ा कर दिया है कैसे तू रहेगी?
हिना ने कहा कुछ दिनों में बहुत कुछ सिखा दिया इस जिंदगी ने।

अब ये परीक्षा है कि मैं कैसे रहती हुं।
जीनत ने कहा हां ,ठीक है चल बैठ हम कुछ बातें कर ले।
कुछ देर बाद कंचन ने सबके लिए जूस और चिप्स देकर गई।
रैना ने कहा तेरा ससुराल बहुत ही खुले विचारों का है तेरी सास भी बहुत अच्छी है।
हिना ने कहा हां, पहले दिन से लेकर आज तक लगा ही नहीं कि ये मेरी सासु मां है।
फिर सब बातों में लगे थे कि अचानक गिटार की धुन आने लगी।
हिना ने कहा ये धुन राज बजा रहा है और ये जान कर मुझे तकलीफ़ देने के लिए कर रहा है वो ओह माई गॉड।
जीनत ने कहा सम्हाल खुद को।
राज अपने कमरे में आज बहुत दिनों बाद अपने दिल की सुनकर गिटार बजाने लगा। कुछ देर बाद उसकी मां भी आ गई और फिर बोली कितने दिन के बाद इस घर में पहले जैसा माहौल हो गया।


राज ने धुन बन्द करके कहा कि ये धुन किसी की याद दिलाता है।
आभा ने कहा हां, आज तक बताया नहीं कि किस के लिए घर छोड़ कर चला गया था ?बेटा,बोल दे बेटा वरना।
राज ने यह सुनकर मां से लिपट कर ऱोने लगा और फिर बोला कैसे बताऊं मां की किस लिए घर छोड़ दिया था ??और फिर कैसे बोलूं कौन है?
आभा ने कहा हां, रो लो जी हल्का हो जाएगा।
चलो अब खाना खाने चले।
राज ने कहा मां आप जाओ मैं आता हूं।

फिर मां चली गई।
राज ने अपने आंसु पोंछ कर नीचे आ गए और फिर देखा तो हिना और उसकी सहेलियां खाना खाने बैठ गई थी।


राज भी जाकर हिना के समाने ही बैठ गया।और बार -बार हिना को देखने लगा।
हिना थोड़ी सी असहज महसूस कर रही थी और फिर बोली अरे !जीतन क्या देख रही हो मुझे? कुछ बचा नहीं है अब देखने के लिए।!
जीतन ने कहा देखो मैं एक बात कहना चाहूंगी सबके सामने कि हिना को सफेद साड़ी नहीं पहननी चाहिए इससे और नाकारात्मक विचार आना शुरू हो जाएगा।।
आभा ने कहा हां, मैं भी कहने वाली थी फुल सी बच्ची उसका पुरा जीवन और फिर अगर सफेद पहनेंगी तो हमें भी अमर की याद आएगी।
हिना ने कहा पर मम्मी मुझे कोई परेशानी नहीं है मैं अमर की विधवा ही हुं।
हिना ने कहा जीतन तुम कुछ भी मत बोल।
आभा ने कहा ,नहीं बेटी तुम अब हमारी बेटी हो।अमर तो चला गया पर मैं नहीं चाहती कि तुम घुट- घुट कर जीयो।।।
फिर सब खाना खाने के बाद कुछ देर बैठ कर बातें करने लगी।।और फिर कुछ देर बाद सब जाने लगीं।सब मिलकर हिना को गले से लगा लिया और फिर बोली हिना जब कभी हमारी याद आएं तो हमें बुला लेना।
हिना ने कहा हां ज़रूर।
फिर हिना ने सबको बाहर तक छोड़ा। हिना रोने लगी।।
फिर हिना भी अपने कमरे में चली गई।
कुछ देर बाद राज ने दरवाजा खटखटाया और फिर बोला कि भाभी मैं अन्दर आ जाऊं।
हिना ने कहा हां ज़रूर।
राज अन्दर पहुंच कर बोला मुझे भाई के स्टडी टेबल पर कुछ फाइलें देखना है।
हिना ने कहा हां प्लीज़।
राज सीधे अमर के स्टडी रूम में जाकर फाइल देखने लगा।
फाइलों में राज को एक डायरी मिली जो अमर की थी उसे भी ले लिया और साथ में कुछ फाइलें भी।
फिर जाने लगा तो हिना ने कहा देवर जी आप बेझिझक इस रुम में आ सकते हो मैं ही। बाहर चली जाऊंगी।
राज ने कहा, नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है ,मुझे जो चाहिए था वो मिल गया।
राज अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर देता है और फिर सबसे पहले वो डायरी लेकर बैठ जाता है। आखिर क्या लिखा था उस डायरी में??
राजीव ने पेज पलटा तो देखा कि
लिखा था हिना बहुत ही अच्छी लड़की है पर लगता है उसने ये शादी किसी दबाव में आकर किया है।
आज मैंने उससे पूछा कि क्या कोई है तुम्हारे जिंदगी में?
हिना ने कहा हां, कोई है पर डैडी ने जबरदस्ती शादी करवा दी थी।
मैंने हिना को छूआ तक नहीं और ना ही वो कभी मेरे करीब आईं।
वो किसी और कि है।
हिना को वादा कर दिया कि मैं उसे उसके प्यार से मिलवा दुंगा।
मैं सब कुछ जानना चाहता हूं पर हिना नहीं बता रही हैं।
हनीमून तो सिर्फ बहाना है हमें सिर्फ हिना से जानना है उस इंसान के बारे में।
ये सब पढ़ने के बाद राज बहुत रोने लगा कि भाई ने इतना सोचा आपने मुझे मेरे नज़रों से छोटा कर दिया।
मैं तो कभी भी नहीं बता सकता कि मैं क्या चाहता हूं। काफी देर तक राज परेशान हो गया था और फिर
राज सो गया।
एक, एक करके दिन बीतने लगा।
हिना चुपचाप अपने कमरे में खुद को बन्द करके रख दिया था उसे यह लगता था कि राज के सामने जाएगी तो फिर खुद को सम्हाल नहीं पाएंगी।
राजीव भी हिना को बस दूर से ही देखा करता था वो भी अपने भाई के लिए सोचता रहता था। हिना की क्या गलती है उसने हंसना छोड़ दिया कैसे जिएंगी वो इस तरह।।

राजीव ये सब सोचता हुआ अपने मां के कमरे में गया और फिर बोला कि मां आप लोग हिना को।। ओह सॉरी भाभी को कहीं घुमाने लेकर जाओ।।
पापा ने कहा हां बिल्कुल ठीक कहा!
आभा ने कहा हां, बेटा ऐसा करते हैं कि हम लोग ऊटी चलें तेरी मिनल मासी के पास।।
राजीव ने कहा हां, ठीक है फिर मैं अभी फाल्इट के टिकट बनवा देता हूं।
राजीव के पापा ने कहा अरे बाबा तुम भी चलो?
राजीव ने कहा पर मैं कैसे जा सकता हूं?
आभा ने कहा नहीं तुम्हें भी जाना होगा।।
राजीव ने कहा ओके मैं देखता हुं।
आभा शाम को चाय पीते समय हिना से कहा कि जानती हो हिना मिनल मासी हम सब को ऊटी बुला रही है तुम्हारे पापा जी चाहते हैं कि हम सब चले।
हिना ने कहा पर मुझे तो यही पर रहना है मां।।
आभा हिना को अपने सीने से लगा लिया और फिर बोली अरे बाबा हम सब घुमने जा रहे हैं।
हिना रोने लगती है राजीव दूर से देखता है और फिर सोचने लगता कि कितना बदनसीब हुं मैं कि उसके आंसु तक नहीं पोंछ सकता हूं।।
फिर राजीव वहां से चला जाता है।
अगले दिन सुबह राजीव जागिग करने के बाद ही आकर अपने मां को बताता है कि फ्लाइट की टिकट हो गई है परसों की।
आभा ने कहा हां, ठीक है सब पैकिंग भी करना है।
राजीव फिर सोच कर वहां से अपने कमरे में जाता है और फिर सोचता कि मैं जो कुछ भी कर रहा हूं सिर्फ हिना के लिए।
कुछ सोच कर घर से निकल जाता है।
वो सीधे माॅल में जाकर कुछ सूट खरीद लेता है और फिर वापस आ कर हिना को ढुढने लगता है।
फिर हिना अपने कमरे में पैकिंग करने लगती है वहीं बेरंग सी सफ़ेद साड़ियां रखने लगती है और एक बार फिर अतीत में खो जाती है।

क्रमशः