कहानी प्यार कि - 29 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 29

" क्या हुआ था अनिरुद्ध उस रात ? "

" उस रात में और सौरभ पार्टी में करन का वैट कर रहे थे पर करन अभी तक यहां पहुंचा नही था... हमने कई बार करन को कोल लगाया पर उसका फोन लग ही नहीं रहा था... " अनिरूद्ध ने आगे बताना शुरू किया..

" हा और फिर मैंने अनिरुद्ध से कहा की चलो करन आए तब तक ड्रिंक पीते है और अनिरुद्ध के मना करने पर भी में उसे जबरदस्ती अपने साथ ले गया...हम दोनो ने एक ही साथ वो ड्रिंक पी थी पर ..."
सौरभ आगे कुछ बोले उससे पहले ही अनिरुद ने कहा की..
" मेरी ड्रिंक में उसने कुछ मिला दिया था और इस वजह से मेरा सिर चकराने लगा.. मैने अपना कंट्रोल ही खो दिया था.. आंखो के सामने सब कुछ धुंधला दिखाई देने लगा था फिर किसीने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ ले जाने लगा..."

" वो मोनाली थी है ना ? " संजना तुरंत बोली..

" हा संजू.. मोनाली मुझे अपने साथ ऊपर कमरे में ले गई.. मुझे ठीक से कुछ याद नहीं की मेरे साथ क्या हुआ था.. पर मोनाली मेरे करीब आने की कोशिश कर रही थी और में उसे रोक रहा था.. उसने ऐसा नाटक किया की जैसे में उसके साथ बत्तीमिजी कर रहा हु ....."



" में थोड़ी देर के लिए अपने एक फ्रेंड से बात करने गया उतने में ही मोनाली अनिरुद्ध को ले गई... जब मुझे अनिरुद्ध नही दिखाई दिया तो में उसे हर तरफ दूंढने लगा.. तभी करन वहा पहुंच गया.. करन को में कुछ कहता उससे पहले ही मोनाली का फोन आ गया...
सौरभ की नजरों के सामने वो सब फिर एक बार जैसे लौट आया था..

" करन सुनो में तुम्हे कुछ बताना चाहता हु ..." सौरभ ने करन के पास जाते हुए कहा..

तभी करन का फोन बजा...
" एक मिनिट मोनाली का कोल आ रहा है " करन ने सौरभ को रोककर मोनाली का कोल उठा लिया..

" करन प्लीज मुझे बचालो... प्लीज ... अनिरूद्ध ये क्या कर रहे हो तुम...? दूर हटो... करन जल्दी आओ में ऊपर हु.. " मोनाली रोती हुई बोल रही थी और तभी फोन कट हो गया..

करन ये सुनते ही ऊपर की और भागा...सौरभ भी उसके पीछे भागा..

ऊपर पहुंचते ही उन्होंने देखा की कमरा अंदर से लॉक था...
करन ने जोर से दरवाजे को धक्का दिया और दरवाजा खुल गया..

उन दोनो ने देखा की करन मोनाली के बहुत ही करीब था और उसने मोनाली का हाथ पकड़ा हुआ था..

" अनिरूद्ध ....." करन जोर से चिल्लाया...

ये सुनते ही मोनाली हाथ छुड़वाकर करन को जाकर लिपट गई...

" ये सब क्या हो रहा है अनिरूद्ध...?" करन गुस्से से बोला...

ये सुनते ही करन ने बड़ी मुश्किल से अपनी आंखे खोलकर पीछे देखा.. उसे करन का धुंधला सा चहरा नजर आया..

" अरे करन ! मेरे भाई.. ये देखो ना तुम्हारी गर्लफ्रेंड मुझे जबरदस्ती अपने करीब लाने की कोशिश कर रही थी.." अनिरूद्ध नशे में धीरे धीरे करन के पास आता हुआ बोला..

" शट अप अनिरुद्ध.. मोनाली के खिलाफ अब में एक और शब्द नही सुनूंगा ..." करन चिल्लाकर बोला...

" करन मेरे भाई .. ये तुम्हे धोखा दे रही है... तुम इसकी असलियत नहीं जानते हो.." अनिरूद्ध ने करन के पास आकर उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा...

तभी करन ने अनिरुद्ध को जोर से धक्का दिया... अनिरूद्ध धक्के की वजह से दूर जाकर गिरा...

" ये क्या कर रहे हो तुम करन...?" सौरभ ने कहा और वो तुरंत अनिरुद्ध के पास गया... और उसे खड़ा करने लगा.. अनिरूद्ध ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था...

" अनिरूद्ध सच कह रहा है करन .. ये लड़की धोखेबाज है.. तुम नही जानते की आज इसने क्या किया है ! " सौरभ ने गुस्से से मोनाली की तरफ देखा और कहा...

" में सब जानता हु .. सौरभ .. मोनाली ने मुझे सब कुछ बता दिया है .. "

" तो फिर तुम अनिरुद्ध पर भरोसा क्यों नही कर रहे हो..? "

" क्या ? यह सब जानने के बाद तुम्हें अब भी लगता है की में अनिरुद्ध पर भरोसा करू ? मेरी मोनाली को पैसों के दम पर अपनी बनाना चाहता था और जब मोनाली ने मना कर दिया तो वो ये हरकते कर रहा है ? " करन बहुत ज्यादा गुस्से में था... पर सौरभ यह सुनकर हैरान रह गया..

" क्या बोल रहे हो तुम करन ! अनिरूद्ध ने ऐसा कुछ नही किया है... इस छिपकली ने तुम्हे सब जूठ कहा है ..."

" जुबान संभलकर बात करो सौरभ ... उसका नाम मोनाली है समझे...! और तुम मेरे और अनिरुद्ध के बीच ना ही आओ ये अच्छा होगा नही तो..." करन इतना बोलते ही चुप हो गया..

" नही तो क्या कर लोगे... हा ? बताओ ना क्या कर लोगे..? "

" इस अनिरुद्ध के साथ साथ हमारी भी दोस्ती खत्म हो जाएगी..." करन के इतना बोलते ही सौरभ चुप हो गया... उसने कभी सोचा भी नही था की उसका दोस्त करन उसे ऐसा कुछ कहेगा...

" मेरे भाई आज तुमने साबित कर दिया की इस दोस्ती का तुम्हारे लिए कोई मोल नहीं था... और नाही तुमने कभी इस दोस्ती का भरोसा किया था .. दोस्ती जिसमे नाही विश्वास हो .. ना ही प्यार हो ऐसी दोस्ती ना ही हो तो ज्यादा बेहतर रहेगा.. " सौरभ की आंखों से ये बोलते हुए आंसू निकल आए थे...

उसने अनिरुद्ध को सहारा दिया और वहा से जाने लगा... अनिरूद्ध को अब भी कुछ होश नही था... उसे ये भी नही पता था की यहां क्या हुआ था... सौरभ के जाते ही करन जमीन पर बैठ गया... और रोने लगा...

यह सब सुनकर संजना की आंखों से आंसू बह रहे थे... अनिरूद्ध और सौरभ का भी यही हाल था.. संजना ने अपने आंसू पोछे और अनिरुद्ध से पूछा..

" क्या अगले दिन तुमने करन से बात करने की कोशिश की थी ? "

" हा.. संजू .. एक बार नही कई बार मैने उसे सब सच बताया पर उसने मानो कान ही बंध कर दिए थे.. वो सच मानने को तैयार ही नहीं था... हर वक्त वो मुझ पर इल्जाम लगाता था.. और फिर एक पल ऐसा आया की मैने अपनी कोशिश के साथ उम्मीद भी छोड़ दी.. और फिर सेमेस्टर खत्म होते ही वो कॉलेज छोड़कर चला गया... "

" कोई बात नही अनिरुद्ध... अब करन फिर से वापस लौट चुका है और इस बार उम्मीद भी है और अब उसे पूरी करनेमे में पूरी कोशिश भी करूंगी..." संजना ने अनिरुद्ध के हाथ पर हाथ रखते हुए प्यार से कहा..

" और इस बार किस्मत भी हमारे साथ है ... " सौरभ ने कुछ याद करते हुए कहा..

अनिरूद्ध और संजना नासमझी के भाव से सौरभ की तरफ देखने लगे..

" अरे सोरी में तुम दोनो को बताना ही भूल गया था की मोनाली इस वक्त दिल्ली में ही है.. पहले मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मुझे लगा था की मोनाली और करन साथ में है और करन दिल्ली में होगा तो मोनाली भी दिल्ली में ही होगी.. पर ..वो दोनो तो अलग हो चुके है.." सौरभ अपनी ही धुन में बताएं जा रहा था और संजना और अनिरुद्ध अब भी आश्चर्य के साथ सौरभ को देख रहे थे...

" पर तुम्हे कैसे पता चला की मोनाली दिल्ली में है? " अनिरूद्ध के इतना पूछते ही सौरभ मुस्कुराया..

" जब विकी ने कोल करके मुझे बताया था की करन कैनेडा में है तब उसने मुझे मोनाली के बारे में पूछा था की वो अब कहा है.. तब मैंने ऐसे ही जानने के लिए शर्मा जी को कहा था की वो इसके बारे में पता लगाए और कल ही उन्होंने मुझे इस बारे में बताया.." सौरभ की बात सुनकर अनिरुद्ध मुस्कुराया..

" शर्माजी ना बहुत ही काम के है... और अच्छे भी पर एक मिनिट उन्होंने ये बात मुझे फोन करके क्यों नही बताई ? " अनिरूद्ध सौरभ की और घूरता हुआ बोला...

" अब मुझे क्या पता...! " सौरभ ने मासूम सा फेस बनाते हुए कहा..

" तुम्हे इसीलिए नही बताया क्योंकि तुमने ही उनको कहा था की हमारे हनीमून में हमे फोन करके डिस्टर्ब ना करे .. याद आया..." इतना बोलकर संजना ने धीरे से अनिरुद्ध के माथे पर मारा..

" हा हा आया याद.. उसमे मारने की क्या जरूरत थी ? " अनिरूद्ध माथे पर हाथ फेरता हुआ बोला..

" अब शादी की है तो मार तो खानी पड़ेगी ..." सौरभ हस्ते हुए बोला...

" अच्छा ऐसा अभी रुक तुझे बताता हु.." अनिरूद्ध उठकर सौरभ के पास पहुंचे उससे पहले ही सौरभ उठकर भागा...

" अबे रुक..."

" अरे मैंने ऐसा क्या गलत कहा..! यही जिंदगी की सच्चाई है..मेरे दोस्त..."

" ओके अगर यही सच है तो में मीरा से कहूंगा की वो शादी के बाद रोज तुम्हे मारे और वो भी झाड़ू से .." अनिरूद्ध भूल ही गया था की सामने संजना बैठी है और वो सब सुन रही है..

" क्या ..? " संजना यह सुनकर खड़ी हो गई

अनिरूद्ध और सौरभ रूक गए.. और एक दूसरे का चहेरा देखने लगे...
" सोरी भाई.." अनिरूद्ध ने इशारे में सौरभ से कहा...

" ये सच है सौरभ ..? " संजना थोड़ा कड़क आवाज में बोली..

सौरभ ने घबराते हुए हा में अपना सिर हिलाया..

" अरे ये तो बहुत ही अच्छी न्यूज है... मेरी मीरा के लिए तुमसे अच्छा और कोई साथी हो ही नही सकता..." संजना खुशी के मारे उछलने लगी...

यह देखकर सौरभ और अनिरुद्ध भी खुश हो गए और संजना के पास आ गए..

" तो फिर कब शहनाई बजवानी है ...? "

" अभी कहा संजना...! " सौरभ थोड़ा उदास हो गया..

" पर क्यों ? " संजना भी शांत हो गई..

" अभी मुझे नही पता है की मीरा मुझे पसंद करती है या नही.. "

" तो उसे बताओ..."

" पर उसने मना कर दिया तो ? "

" मना क्यों करेगी भला ? एक काम करो तुम जाते ही उसे बता दो.." संजना एक्साइटेड होती हुई बोली..

" ओ ओ जरा थंभा... मिस ओब्राय.. इतना ईजी भी नही है.. ऐसे नही मानेगी वो.. इसके लिए बहुत कुछ करना पड़ता है.." अनिरूद्ध ने संजना को रोकते हुए कहा..

" क्यों नहीं मानेगी ? " संजना ने अनिरुद्ध की तरफ देखते हुए कहा...

" तुम मानी थी भला ? याद है ना तुम्हारे पीछे में कितना भागा था तब जाकर तुम मानी थी .. और वो भी उस गुंडो की वजह से नही तो पता नही अब हम कहा होते ?" अनिरूद्ध की बात सुनकर संजना उसे गुस्से से घूरने लगी..

" मतलब मुझे मीरा को गुंडों से बचाना पड़ेगा ? " सौरभ की यह बात सुनकर अनिरुद्ध और संजना हसने लगे..

" अरे नही डफर.. तुम्हे उसे अपने प्यार का यकीन दिलाना होगा.. तभी तो वो तुमसे प्यार करेगी.. " अनिरूद्ध ने हस्ते हुए कहा..

" और उसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा..? "

" अरे अब ये भी हम बताए तुझे ? तेरा प्यार है तू ही सोच इस बारे में.."

" हा हा ठीक है ..." सौरभ मुंह बिगाड़ता हुआ बोला..

" ओह नो.. हम इस सब में एक बात तो भूल ही गए..." संजना अचानक से बोली..

" क्या संजू ? " अनिरूद्ध को कुछ समझ नहीं आया..

" कल होली है... "
संजना की बात सुनकर सौरभ और अनिरुद्ध खुश हो गए..

" ओह या .. कल तो होली है और वो भी शादी के बाद की हमारी पहली होली..." अनिरूद्ध खुश होता हुआ बोला..

" हा पर अनिरुद्ध में चाहती थी की हमारी पहली होली हम पूरा परिवार साथ में मनाए.. और वो भी सब के आशीर्वाद के साथ " संजना थोड़ी मायूस हो गई ...

" हा तो उसमे क्या.. हम आज शाम की फ्लाइट से ही दिल्ली चले जाते है ... अब खुश..? "

" हा बहुत ही ज्यादा खुश. थैंक यू अनिरूद्ध..." संजना के चहेरे पर एक बड़ी सी स्माइल आ गई थी..

" तो फिर ठीक है तब तक तुम दोनो अपना हनीमून एंजॉय करो में चलता हु ..." इतना बोलकर सौरभ वहा से चला गया।

शाम को तीनो फ्लाइट से दिल्ली आने के लिए निकल गए.. और देर रात को ओब्रोय मेंशन में पहुंचे.. अनुराधा जी अब भी सोई नहीं थी... वो होल में बैठी ही तीनो का इंतजार कर रही थी...

" आंटी आप अब तक सोई नहीं..." अनिरूद्ध उनके पास आता हुआ बोला..

" अरे ! बच्चो तुम आ गए... चलो चलो कुछ खा लो पहले..." अनुराधा जी तुरंत खड़ी होते हुई बोली..

" मम्मा हमने खाना खा लिया है... और अब सोने जाना है बहुत ही थक गए है..." सौरभ अंगड़ाई लेते हुए बोला..

" ठीक है बच्चो तुम जाकर आराम करो..."

" आंटी.. वो में कह रही थी की कल होली है तो में..."

संजना आगे कुछ बोलती उससे पहले अनुराधा जी बोली की..

" हमने तुम्हारे मायके में न्योता भेज दिया है संजू.. हम कल सब साथ होली मनाएंगे..." अनुराधा जी मुस्कुराती हुई बोली..

" थैंक यू आंटी..." संजू खुशी के मारे अनुराधा जी के गले लग गई..

" जाओ बेटा अब सो जाओ ..." अनुराधा जी ने संजना के माथे पर हाथ फेरते हुए कहा...

फिर संजना और अनिरुद्ध सोने चले गए...


सुबह हो चुकी थी संजना देर से सोने के बावजूद भी जल्दी उठ गई थी... वो होली के लिए बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड थी... तभी उसे कुछ शरारत सूझी.. उसने वाशरूम के दरवाजे के ऊपर बाल्टी रख दी जो रंगो वाले पानी से भरी थी... अनिरूद्ध जैसे ही उठा संजना जल्दी से कमरे के बाहर चली गई और छिप कर अनिरुद्ध को देखने लगी...

अनिरूद्ध अब भी नींद में था.. उसने जैसे ही वाशरूम का दरवाजा खोला... बाल्टी का सारा पानी उसके ऊपर आया.. और एक जटके में उसकी सारी नींद चली गई...

" संजू...! " वो जोर सी चिल्लाया...



" बुरा ना मानो होली है....! " संजना वहा से जोर से बोली और हस्ती हुई भाग गई...

अनिरूद्ध यह सुनकर मुस्कुराने लगा...

" मिस संजना अनिरुद्ध ओब्रॉय इसका बदला आपसे लिया जाएगा..." अनिरूद्ध के चेहरे पर शरारती स्माइल आ गई.. फिर अनिरुद्ध फ्रेश होकर तैयार हो गया.. उसने व्हाइट कुर्ता पजामा पहना था .. उस पर उसने एक रेड चुनरी कमर पर बांधी और फिर नीचे चला गया...

नीचे सब आ चुके थे.. रागिनी जी, राजेश जी , मोहित , मीरा सब वहा मौजूद थे.. अनिरूद्ध और संजना ने पहले सबके आशीर्वाद लिए.. फिर सब बाहर आंगन में होली खेलने के लिए जाने लगे... संजना दादी के साथ ही जा रही थी ताकि अनिरुद्ध आकर उसे रंग ना लगा सके... पर अनिरुद्ध उसकी सारी हरकते समझ रहा था..

" कितना भी बच लो संजू.. पहले में ही तुम्हे रंग लगाऊंगा..." अनिरूद्ध ने संजना की नजरों में झांकते हुए मन में कहा...

" अच्छा.. पतिदेव ... देखते है कौन पहले रंग लगाता है.." संजना भी मन में बोली और वहा से चली गई..

क्रमशः