ऐश इस चहल- पहल के बीच नीचे उतर आई। ये एक विशालकाय प्रांगण था जिसमें सुंदर सजावट के साथ आते - जाते लोगों का जमघट भी था, खान - पान की बेशुमार दुकानें, मेले सा उत्साह और पूजाघरों सी मंगलकारी शांति भी।
नज़दीक ही विशाल पार्क में पानी के सुरम्य सरोवर और उनमें अठखेलियां करते कई नस्लों और प्रजातियों के जीव- जंतुओं की उपस्थिति देख कर ऐश अपनी तमाम निराशा को भूल गई। ये नई दुनिया बेहद उम्मीद भरी थी।
सबसे पहले तो ऐश ने एक साफ़ सा किनारा चुन कर ठंडे जल में एक डुबकी लगाई और फिर बदन से पानी की बूंदें छिटकती इठलाती हुई सतह पर आई।
पार्क के विशाल लॉन और गलियारों में बच्चे खेल रहे थे। हर तरफ़ आनंद का ही साम्राज्य था।
एक घुमावदार नीचे से छज्जे पर उसने कुछ परिंदों को दाने चुगते हुए देखा तो वो भी उछल कर वहां चली आई। स्वादिष्ट, तरह- तरह की चीज़ें थीं जो शायद वहां आने वाले इंसानों ने अन्य प्राणियों के खाने के लिए ही डाली थीं।
केला खाते हुए एक बंदर को देख ऐश उसके कुछ पास चली आई। वैसे भी मेले- ठेलों में न कोई अजनबी होता है, न दोस्त। सब एक दूसरे से मिलना - जुलना ही चाहते हैं।
बातचीत शुरू हुई तो ऐश को पता चला कि वो बंदर तो कोई पहुंचा हुआ सिद्ध है। वह किसी संत की तरह बात कर रहा था।
ऐश को अचंभा हुआ जब बंदर ने केले का छिलका फेंकते हुए ऐश से कहा - बालिके, चिंता मत करो। जीवन में न कोई अकेला है और न कोई किसी का साथी। यहां सब एक दूसरे के साथी हैं।
ऐश ने सोचा, इसे कैसे पता चला कि मैं अकेलेपन से उदास हूं। क्या मेरे चेहरे पर हताशा चिपकी हुई है? पर मैंने तो अभी- अभी शीतल जल में डुबकी लगा कर स्वादिष्ट भोजन खाया है। ज़रूर ये बंदर कोई महान आत्मा है। इससे और बात करनी चाहिए। क्या पता यही "प्यार" के बारे में, जीवन के सार के बारे में कुछ बता सके। यदि ये इतना ही अंतर्यामी है तो शायद ये रॉकी के बारे में भी कोई जानकारी दे सके। वो कहां है, किस हाल में है, क्या ऐश को याद करता है?
ऐश ने बंदर की ओर अपार श्रद्धा से देखते हुए एक मुस्कान बिखेरी।
बंदर एक पल रुक कर फिर बोला - मैं तुम्हारे बारे में सब जान गया हूं कि तुम कौन हो और कहां से आई हो?
- पर कैसे? मैंने तो आपको अभी तक कुछ भी बताया नहीं है। ऐश ने कहा।
बंदर मुस्कुराया। फिर एक हाथ को ऊपर आसमान की ओर उठा कर शांति से बोला - वो...वो.. वहां बैठा है हम सब को सब कुछ बताने वाला। हम सब किसी को क्या बताएंगे!
ऐश ने ऊपर आकाश की ओर देखा फिर बोली - कहां, कौन, मुझे तो वहां कोई नहीं दिखाई दे रहा। ऐश को थोड़ी सी आशा हुई कि अगर इस बंदर को आसमान की ऊंचाई तक सब कुछ दिख रहा है तो शायद ये उसके साथियों को भी ढूंढ देगा। उसने उत्सुकता से पूछा - आपको वहां और क्या- क्या दिख रहा है?
अब बंदर हंसा। फिर बोला - विराट शून्य!
- मतलब?
- मतलब कुछ नहीं। कुछ भी नहीं। बंदर ने ज़ोर देकर कहा।
ऐश का चेहरा उतर गया। उसे ये गोरखधंधा कुछ समझ में नहीं आया कि आसमान में कोई बैठा है, जो सब बता रहा है पर वहां कुछ भी नहीं है... ज़ीरो दिख रहा है।
उसे आभास हुआ कि कहीं ये बंदर पागल - वागल तो नहीं है... कहीं बातें करते- करते उस पर हमला ही कर बैठे?
नहीं- नहीं, उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए। हमला क्यों करेगा? अभी- अभी तो कितने सलीके से बैठा केला खा रहा था। केले का छिलका तक उसने एक कोने में कचरे के ढेर में ही फेंका। ये कोई एकांत भी नहीं है, इतने सारे प्राणी हैं चारों ओर। ज़रूर ये कोई गूढ़ बात कह रहा है। मुझे धैर्य से इसकी बात सुननी चाहिए।
सोचती हुई ऐश बंदर के और निकट चली आई।