में और मेरे अहसास - 63 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 63

1.

प्यार व् उम्मीद तुमसे है l
हुईं नज़र चार जबसे है ll

पगला और दिवाना दिल l
पहेली बार देखा तबसे है ll

सच मानो प्यारी ग़ज़लों मे l
अल्फ़ाज़ नशीले लबसे है ll

नहीं डर रहा किसीका l
जबसे राबता रबसे है ll

हुस्न ने पर्दा जो उठाया l
चाँद शर्मिदा अबसे है ll

मुकदस है तेरा चहेरा l
प्यारी सुबह तुमसे है ll

आबिदा हो गई हो सखी l
दुआ की बारिस नभसे है ll
१-९-२०२२
आबिदा - तपस्विनी


2.


खुलकर मुस्कुराए जमाना गुजर गया l
जुदाई की बात से वजूद बिखर गया ll

पल हर के लिए भी दूर नहीं जाएगे l
हररोज मिलने के वादे से मुकर गया ll

अब यकीन नही होता किसी भी तरह l  अपनेपन का वो अह्सास मर गया ll

रात दिन चौखट पे धक्के खाते रहे l
दिल में जगह न बनी उल्टा घर गया ll

दिल से भुला ही नहीं पाते हैं वो जो l
नजरों में पहले ही दिन उतर गया ll
२-९-२०२२


3.


कुछ भी हो अपनों को खोना नहीं l
दर्द का बोझ हरगिज़ ढोना नहीं ll

बड़े मतलबी है मुहब्बत करने वाले l
बेवफाओ को दिल में समोना नहीं ll

लोग तो तमाशे देखनेवाले होते हैं l
टूटकर किसीके सामने रोना नहीं ll

बहोत कुछ है दिल मे रखने को l
दिल मे यादो को पिरोना नहीं ll

प्यार से रहना चाहे तो ठीक l
दोस्तों को बारहा सँजोना नहीं l
३-४-२०२२


4.

रफ्ता रफ्ता दर्द को अपना लिया है l
हालात के साथ समझोता किया है ll

नादाँ समझकर माफ़ करते रहे हैं l
बार बार जुदाई का जाम पिया है

४ -४-२०२२


5.

ख़्वाब सारे रूह की गोद में है l
इश्क मुक़म्मली की खोज में है ll

क़ायनात में चैन और सुकून l
मां के आँचल की कोर में है ll

जिंदगी की पतंग उड़ाने को l
दारोमदार साँस की डोर में है ll
५ -४-२०२२
6. 
गाँव की मिट्टी की खुशबु रूह में बसी हैं l
आज खेतों से शहरों की और बही हैं ll

पाठशाला के दोस्तों की मुलाकात से l
बारहा फ़िर बचपन की याद बरसी हैं ll

लौट जाने की तमन्ना कई बार हुईं हैं l
माजी के सुहाने घर की जुदाई सही है ll

नन्हें, जवान, बड़े बुढ़ो की सुन्दर l
तस्वीरों को देख दिल को खुशी है ll

नीद की रानी ख्वाब दिखा रहे हैं l
गाँव की गलियों में रूह चली हैं ll
५-९-२०२२


7.


कहो तो सही दिनभर क्या सोचते हो l
बात करते वक़्त शब्द क्यूँ तौलते हो ll

जो कहना है एकबार में ही बता दो l
एक के बाद एक राज क्यूँ खोलते हों ll

ख़ुद की बारात में भी न झूमे थे l
गैरों की महफिल में क्यूँ डोलते हों ll

किसकी याद में आँसू आ गये l
खुद ही अश्क क्यूँ पोछते हों ll

अपनेआप जो छोड़कर चल दिये l
उस गुमशुदा चीज़ क्यूँ खोजते हों ll

बेदर्द और बेवफा है इश्क वाले l
अपनी रूह को क्यूँ नोचते हों ll

जाना चाहें जहां जाने दो सखी l
आगे बढ़ने से क्यूँ रोकते हों ll
६-९-२०२२


8.


खुद की परछाईं साथ छोड़ गई l
दिल पे गहरी घात छोड़ गई ll

दुनिया की नज़र में न आए इस l
जल्दी में अधूरी बात छोड़ गई ll

मायूसी के बादलों को हटाने l
आज ख़ुदाई-इल्तिफ़ात छोड़ गईं ll

सखी महफ़िल में गीत सुनाने के लिए l
पीछे अपने सुरीला साज़ छोड़ गई ll

मिलन के वादों को चकनाचूर कर l
तपिश की तड़पती रात छोड़ गई ll
७-९-२०२२
ख़ुदाई-इल्तिफ़ात - भगवान की कृपा


9.


दिल से हम तुम्हें चाहते हैं l
ख़ुद से ज्यादा तुम्हें जानते हैं ll

यूही हाथो को थामे रखना l
सच कहे हमनवां मानते हैं ll

सपनो को पंख देकर सखी l
अपना समझकर पालते हैं ll

सबकुछ नौछावर करेगे l
दूर करने को टालते हैं ll

कामयाबी हासिल करने l
बारहा सपने छानते हैं ll

तुम्हारी खुशी के लिए l
जान बुझाकर हारते हैं ll

तुम्हारी ही मरज़ी जो l
जिंदगी को ढालते हैं ll
८ -९-२०२२


10.


मुहब्बत, वादा, यादें बस जिंदगी यही है ll
अभी भी सांसो की आवनजावन सही है ll

बड़े चाव से आशिक ने भेजीं हुई l
नायाब सौगात न समझ सके वो ll


तेरी खामोशी मात करती है l
चुपचाप मुझसे बात करती है ll

बातेँ करती है इतराते सखी l
जैसे कि इल्तिफ़ात करती है ll

नीद को भगा देती है, तेरा l
इंतज़ार सारी रात करती है ll

रूहों के मिलने से पहले ही l
जलन क़ायनात करती है ll

मीठी सी मुस्कान में खंजर l
छिपाकर वो घात करती है ll
११-९-२०२२


11.


खुशियो को ढूंढें कहाँ बता दे जरा l
आज प्यार भरा नगमा सुना दे जरा ll

चार दिन की जिंदगी जी ले झूम ले l
दिल से गिले शिकवे भुला दे जरा ll

बड़ी शिद्दत से जी कर रहा है कि l
महबूब दिल से दिल मिला दे जरा ll

जिस तरह से मासूमियत है यूही l
सदा मुस्कराते रहे दुआ दे जरा ll

हाथ की मेहंदी में छुपा रखा है l
नाम जिगर पर लिखा दे जरा ll

मुहब्बत की है तो इज़हार भी कर l
आज दुनिया को दिखा दे जरा ll

12. 


कहां छुपे हो मैं ढूँढू कहाँ l
ग़ुबार छाया है देखूँ कहाँ ll

बड़े शहर में बड़े लोगों के l
बंध दरवाजे टटोलूँ कहाँ ll


देश की राष्ट्रभाषा हिंदी हैं l
भारत की आत्मा हिंदी हैं ll

लोगों की पहचान हिंदी हैं l
साहित्य का मान हिंदी हैं ll

क़ायनात की साँस हिंदी हैं l
धरती की धड़कन हिंदी हैं ll

मनमोहिनी वाणी हिंदी हैं l
अमृत बरसाती हिंदी हैं ll

साज सुरीली सरगम हिंदी हैं l
ग़ालिब की गज़ल हिंदी हैं ll

सागर सी सुरीली हिंदी हैं l
जाम सी नशीली हिंदी हैं ll

पंखी की किलकारी हिंदी हैं l
आलोक उजियारी हिंदी हैं ll

मयूर की कला हिंदी हैं l
मां गौरव गाथा हिंदी हैं ll

पवित्र संस्करण हिंदी हैं l
मुबारक जन्म दिन हिंदी हैं ll

१४-९-२०२२

13. 

 

जहाँ में आदमी मुसाफिर हैं l
यहि जीवन की रफ़्तार हैँ ll

अच्छा बुरा गुज़रे सब ये l
भाग्य पर दारोमदार हैं ll

कभी खुशियाँ कभी गम l
दिखलाता रंग हजार हैं ll

हार जीत की बाज़ी और l
खेल बहोत मजेदार हैं ll

जिंदगी की अदा देखो l
सांसो का कारोबार हैं ll

हँसता खिलखिलाता बस l
जीवन मिले नसीबदार है ll
१४-९-२०२२


14. 

 

ख्वाबों का कारोबार खतरनाक होता है l
वार उसका दिल पर असरकारक होता है ll 

 

15.

इंसान नहीं उसका वक्त बोलता है l
जेब की गर्मी में जुबान खोलता है ll

15-9-2022