Pyaar ka Zeher - 65 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का ज़हर - 65

रिहान : लेकिन ये कानूक के खिलाप गया तो अगर हमारी वजह से कोई और मुसीबत आई तो नही हम ज्यादा मुसिबते पैदा नही करना चाहते.

सरस : अरे रिहान जी किच नही होगा. एक बार कोशिश तो करो कोशिश करने से पहले हार मन्ना ये किस तरह की बात हुए यर.

रितेश : हा हा ठीक है फिर हम आने के लिये तैयार है. लेकिन हम जेल मे नही जायेंगे ये बात आप लोग याद रखना. ठीक है.

राज : आप लोगो हम कुच नही होने देंगे बस एक बार चलो इस गुंडे वाली दुनिया छोड कर बहार आ कर देखो शरीफ वाली दुनिया मे.

देवेन्दर : अरे भिया शरीफ तो जरुर रहेंगे लेकिन हद से ज्यादा नही. इसे आप जो समझना हो समझो.

राज : ठीक है बाबा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी लेकिन चलो अभी.

《《 कुच देर बाद 》》

[ मैन टैन पुलिस थाना जनपद ट्रीट ]

अर्जुन : आइये आइये मिस्टर राज. कहिये कैसे आना हुआ. और एक सैकेण्ड ये लोग तो वही है. ना जो खुले आम गुंडा गर्दि करते है. हवालदार डालो इन तीनो को जेल के अनदर.

सरस : अरे एक्स पेक्टर साहब रुकिये तो जरा. जरा कल जो हाद सा हुआ उसके बारे अपका क्या कहना है.

अर्जुन : हा दरअसल उस मिशन मे हमे कोई अन्य नंबर से फ़ोन आया था पर हमने उस अनजान नंबर वाले की खोज बहुत की लेकिन वो मिला नही हमे फिर भी उस व्यक्ति खोज अभी भी चालू है.

सरस : तो साहब आप अब ऐसा समझो की आपकी अब ये खोजने की क्रिया समाप्त हुए.

अर्जुन : क्या मतलब है आपके कहने का. मे कुच समझा नही.

सरस : मतलब यही है की यही तीनो लोग है जिन्होने आपकी मदद की थी उस मुसीबत के वक़्त मे और वो अनजान व्यक्ति कोई और नही बल्कि मेरे भैया खुद थे राहुल.

अर्जुन : ओह अच्छा वाकई सच मे बहुत बढिया काम किया है आप चारो लोगो ने वैसे ये सब किया कैसे.

रिहान : देवेन्दर भाई बताओ सब विस्तार से.

देवेन्दर : दरअसल साहब हुआ ये की **** ****** ****** **** ******* ******* ******* **** ****** ******** ********** ********* ************ ************ ************* ********** ****** ***** ********** ***** ***** **** *** ** **** *** **** *** *** **** तो ये बात थी साहब.

अर्जुन : ओहो तो ये बात है मतलब इतनी बदी मुसीबत आ चुकी थी ना की क्या बताई अगर एक छोटी से छोटी गलती हो जाती ना तो कोई भी एक जगह पर कई सारे लोग मारे जाते अच्छा हुआ आप मे इस कठिन कार्य मे हमारी सलतपर्वक मदद की मे डी.एस.पी. साहब को बोल कर आपको इनाम देने की खबर जाहेर करवाता हू ठीक है.

रिहान : राज भाई राहुल भाई और सरस जी खाश कर के आप का बहुत बहुत शुक्रिया अगर आप हमे हिम्मत नही देती यहा पर आने की तो फिर हम कभी आ नही पते और फिर हम कही ना कही तो पकडे जाते और कई साल की सज़ा होती हमे एक बार और शुक्रिया अदाह करते है आप सभी का.

《 अग्ली सुबह 》

महेर : शुभ प्रभात भैया.

राहुल : शुभ प्रभात छोटी शुभ शुभ क्या कर रही हो सोने दो ना.

महेर : अरे भैया आप फिर सो गए. अरे उठो ना जल्दी कितना सारा काम बाकी है. सब करना पडेगा जल्दी से उठो अब.

राहुल : अरे छोटी ये काम है. वो ना घर के लोग कर लेंगे. तुम बस अपनी पढाई पे ध्यान दो ठीक है.

महेर : भैया चाची आ गई.

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