Pyaar ka Zeher - 51 books and stories free download online pdf in Hindi

प्यार का ज़हर - 51

गायत्री : नहीं ये लोगो को मारने वाका काम बिल्कुल नहीं करेगा. रिहान तुम अभी के अभी चल रहे हो ठीक है.

रिहान : नहीं मम्मी में शाम को आ जाऊंगा ठीक है लेकिन अभी नहीं आ सकता में.

गायत्री : ठीक है मत आओ. तुम्हे यहा रेहना है ना तो रहो. अब इसे कोई कुछ नहीं बोलेगा ठीक है. चलो अब यहा से. सुनो रिहान अब हम जा रहे है. लेकिन अख़बार में किसी तरह की तुम्हारे नाम की खबर आए तो फिर तुम मेरे घर की चौकट पे पैर नहीं रखोगे. इतना बता कर जा रहे है.

रिहान : अरे मम्मी... मम्मी सुनो तो सही मेरी बात मेरे यहां पर आने के कोई गलत इरादे बिल्कुल नहीं है.

गायत्री : मुझे कुछ नहीं सुनना. और तुम लोग भी जाओ अपने घर. जो होना था हो गया.

राज : चलो तो फिर ये रिहान भाई तो नहीं मान ने वाले. उनकी मम्मी की बात नहीं मानी तो हमारी कहा मानेंगे.

( कुछ देर बाद... )

रितेश : अब सुनो रिहान भाई एक मश्ला सुलझाना है. ठीक है.

रिहान : हा बोलो भाई क्या करना है.

रितेश : एक जगह पे जमिन वो हमे खरीदनी है. लेकिन वहा का मालिक ना नखरे बहुत दिखा रहा है.

रिहान : ओ अच्छा ये बात बात है. कोई बात नही आप फिक्र मत करो मे सब सही से कर दूंगा. आप बस देखते जाओ.

रितेश : ठीक है लेकिन ज्यादा से ज्यादा ये कोशिश करना की उसके साथ लडाई ना करनी पडे ठीक है. और हा अगर वो मान ता ही नही है. तो फ़ीर कुच करने की इजाजत है.

रिहान : अरे मेने कहा ना मे आपको अब कभी भी शिकायत का मौका दूंगा ही नही.

《 जोशी विलास 》》》

प्रणाली : आइये आइये मान गये क्या आपके प्यारे से रिहान जी जो ऐसे चले गए मना ने.

राहुल : नही यार मम्मी हम तो उस वक़्त शोक रेह गए. जब रिहान ने अपने मम्मी पप्पा की बात नही मानी. इसके बाद तो हमने कुच कहा ही नही किसीसे हम चुप चाप चले आये.

सरस : हा मम्मी हम तो ये सोच कर गए थे. की हमारी तो दूर की बात है. उन्होने तो उन्के मम्मी पप्पा की भी बात नही मानी.

राज : बिलकुल मम्मी आज तक हमने तो आपकी बात नही टाली कही भी कभी फ़ीर ऐसे कैसे यार.

प्रणाली : होता होता है. जब इंसान समझदार हो जाता है. तब ऐसे वो कुछ काम करता है. जो की उसको मजबुरी मे या तो किसी दबाव के कारण करना पड्ता है. लेकिन इसके पीछे एक दुसरा कारण और भी है. की मम्मी पप्पा की बात ना मानना या फ़ीर मानना वो अलग बात है. एक तरफ एक बेटा अपनी मा बाप की वो हर बात मानता है. तो दुसरी तरफ वही बेटा अपनी मजबुरी मे अपनी लाचारी के कुच मामलो मे मम्मी पप्पा के फैश्ले पर टिके नही रहते. और वो मना कर देते है. अब तुम तीनो को ही देख लो अभी कुच वक़्त पहले नाश्ते के लिए बोल रही थी. लेकिन आप नही माने आपको वहा जाना ही जाना था. अगर नही जाते तो हमारी इस कोमल सी बच्ची सरस पे सवाल उठ ता. वैसे ही अगर रिहान ने भी कुच सवाल को ढकने के लिए ही ये कदम मजबुरी मे उठाये हो. और फ़ीर सौदा भी तो यही हुआ होगा ना. की अगर इस लड्की को बच्चा ना है. तो इसके बदले मुझे क्या मिलेगा. और वहा रिहान की कोशिश दिख गई सरस को छुड़वाने मे लडाई के वक़्त. और फ़ीर मांग कर दी होगी की. अगर तुम लोगो को ये लड्की चाहिए तो मुझे ये बंदा चाहिए रिहान. क्यू? सही कहा ना राज मेने. बोलो सरस अब.

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