प्यार का ज़हर - 42 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार का ज़हर - 42

संतोष : तो बताओ बहू राज ने आप को बोला है. बताने को कोन है. ये लड्की और कहा से आई है. किसकी बच्ची है?

प्रणाली : जी माजी दरअसल. वो ना ये लड्की हम एक दिन गये थे बाज़ार कुच सामान लेने तो आते वक़्त हमने देखा की कोई रो रहा है. और जब हम देखने गये तो ये लड्की थी और अकेली थी. वहा इसका कोई था नही और इसके मम्मी पापा भी नही रहे. वो किसी हादसे मे मर गये.

संतोष : ओ अच्छा फिर कोई बात नही है. लेकिन ऐसे हो सकता है. उसका कोई तो होगा उसके परिवार से.

प्रणाली : नही उसके परिवार से भी कोई नही है. हमे ज्यादा कुच नही बताया गया बस इतना बताया है. सिर्फ इसके मा बाप थे. जो एक हादसे मे मारे गये.

राहुल : लेकिन पुलिस ने भी तो जांस की थी. ना तो कुच तो पता लगा होगा.

प्रणाली : नही बेटा पुलिस ने भी पता किया. लेकिन कुच पता नही चला.

संतोष : ठीक है. अब सब रुको अब से ये इस घर की बेटी है. और अब अगर इसके परिवार मे से कोई भी आया इसको लेने तो ये हर्गिज़ नही जायेगी. क्यू की जिस परिवार खुद्के सद्श्यो की कदर नही होती. वो परिवार परिवार नही कहलाता है.

राहुल : बिलकुल दादी ये चोटी सी जान बनेगी इस घर की इसको अब कोई तकलीफ नही होगी.

दिव्या : हा आप सही बोल रहे हो. वैसे दादी आप फिक्र मत करो ठीक है. इसकी सुरक्षा के कागज़ बना दिये है. और अब ये कानूनी तौर पर पूरी तरह से इस घर का हिस्सा है.

राज : हा दादी ये. भाभी बिल्कुल सही बोल राही है.

संतोष : अरे नही बिल्कुल भी भरोसा नही करती इन कागज़ के टुकडे पर. क्या पता कोई चल कपट करके फिर इस लड्की को कोई दुसरा अपने नाम करवाले. अब इस घर के नियमो के आगे दुसरे कोई नियम या कोई हुक्कुमत नही चलेगी ठीक है.

राहुल : ठीक है बाबा इस लड्की को अब से कोई इस तरह से हाथ तक नही लगायेगा ये मेरा वादा है. आपसे दादी आप फिक्र मत करो ठीक है.

《 अगली शुभ... 》》》

राहुल : दिव्या सुनो तो. आप ना यही पे रेहना ठीक है. वरना आपका खयाल कैसे रख पायेंगे.

दिव्या : जी ठीक है. पर आप फिक्र मत करिये मे अब ठीक हू. और हा संभाल कर जाना.

राहुल : हा ठीक है. और दवाई वक़्त पे लेते रेहना ठीक है.

महेर : भैया आप जा रहे हो. और वापस कब आओगे.

राहुल : बेटा मे हॉस्पिटाल जा रहा हू. और आने मे शायद थोडा वक़्त भी लग जाए हा इस लिये मे आपको आपकी चाची के साथ मे रेहने को बोल रहा हू.

महेर : हा फिर ठीक है. भैया पर जल्दी आना. लेकिन एक बात बोलू भैया.

राहुल : हा बोलो ना क्या बात है.

महेर : मे भी डॉक्टर बन्ना चाहती हू. पढ कर और अपनी मेहनत से.

दिव्या : अरे वाह महेर बेटा ये तो बहुत ही अच्छी बात है. आपको डॉक्टर बन्ना है. लेकिन उसके लिये आपको खूब मेहनत करनी पड़ेगी.

महेर : हा मे पढाई करूंगी. और खूब मेहनत करूंगी.

राहुल : तो फिर ठीक है. ना आपकी पढाई के लिये हम स्कूल मे बात करेंगे ठीक है. आज ही.

महेर : शुक्रिया भैया. आखिर कार मे पढ्ने जा पाऊंगी.

《 कुच देर बाद... 》》》

राज : अरे राज भैया चलो ना हम बहार जाकर आते है.

सरस : हा चलो मुझे भी कुच लेना है. थोडी खरीदारी हो जायेगी. और क्या चलो.

प्रणाली : अरे इतनी शुभ शुभ जाना जरुरी है. क्या? थोडी देर के बाद चले जाना ठीक है.

राज : अरे नही मम्मी हमे देर हो रही है. हम जाकर आते है. ठीक है.

सरस : हा मम्मी हम जल्दी आ जायेंगे आप फिक्र मत करो.

प्रणाली : अरे ऐसी बात नही है. लेकिन फिर भी थोडी देर के बाद जाओ. जहा जाना हो बस बात खतम.

राज : ठीक है मम्मी फिर नही जाते है. कुच देर बाद जायेंगे ठीक है. अब खुश.

प्रणाली : हा बहुत. अब सुनो वो ना राहुल बता रहा था की महेर के लिये कुच पढाई की चीजे भी लानी है. तो उसे बोल कर जाओ की क्या क्या लाना है.

सरस : लेकिन वो साथ आयेगी तो क्या दिक्कत है. उसको जो भी पसंद आयेगा वो ले लेगी.

प्रणाली : अरे वो नही आ सकती है. इस लिये तो अप लोगो को बोला है. की लेते आना.

प्रणाली : अरे वो नही आ सकती है. इस लिये तो अप लोगो को बोला है. की लेते आना. वो ना दिव्या बेटी के पास है बाबा उसको अभी भी कमजोरी मेहसूश होती है. ना इस लिए.

सरस : हा फिर रेहने दो वैसे भी. अगर भाभी ने जाने की जिद्द कर दी. और चली भी गये तो भैया हम गुस्सा होंगे.

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