प्यार का ज़हर - 38 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

प्यार का ज़हर - 38


राहुल : अरे मे खूद चला जाता. लेकिन मुझे मना किया हुआ है राज ने.

दिव्या : न जाने ऐसा तो क्या हुआ होगा. जो राज भाई इतने जल्दी जल्दी चले गये.

《 कुच देर बाद...》

{ अब काला बद्शाह महेर पे हमला करने ही वाला होता है. और वहा पे राज आजाता है. परंतु इस बार भी काले बादशाह काले पेड की तरह किस्मत खराब थी. जो इस बार भी काला काले बादशाह का खात्मा शन मिनटो मे हो गया. अब आगे }

बटूक : अरे काले बादशाह ये क्या किया. बस एक ही वार मे ज़मीन पे धुल चाट ते रह गये. कमाल के बादशाह हो.

महेर : बटूक तुम्हारा ये काला बादशाह. अब जवाब देने के लिये जिंदा नही रहा है. तुम खूद देख लो जाकर.

बटूक : अरे मर भी गया कमाल का हेवान था. जो एक बार मे ही खतम हो गया.

राज : हा बटूक ये हेवान मर गया. और ये इस लिये मर गया क्यू की ये मूर्ख है. सब्से बडा क्यू की इसे कुच भी पता नही रहता है. इस लिये ये मर गया है. इसकी गलती ये है. की इसने हमे हल्के मे लिया. और दुसरी बात इसने गलती की महेर पर वार कर के इस लिये इसको एक मौका भी नही दिया. मेने उसकी भुल सुधार ने के लिये.

बटूक : म मुझे माफ करदो. मे तो सिर्फ इसके साथ रहता था. मेने कोई गलत काम नही किया.

महेर : चिंता मत करो बटूक तुझे नही मारेंगे. बस बुरी चिज अपनी जिन्दगी मे कभी मत करना. वरना इसी काले बादशाह और काले पेड की तरह मारे जाओगे.

बटूक : नही नही मुझे आपके साथ ले चलो. मुझे अब यहा नही रेहना. अब डर लगने लगा है.

राज : ठीक है चलो. लेकिन एक शर्त पर. तुम्हे अपनी बुराई की शक्तियो को त्याग ना होगा. बोलो है मंजूर.

बटूक : हा मुझे मंजूर है.

महेर : ठीक है भैया फिर इसे आप ही एक अच्छा और सच्छा इन्सान बनादो.

राज : जरुर क्यू नही इसे स्वच तो बन्ना पडेगा. क्यू की बुराई तो बुराई होती है. कभी भी धोका दे सकती है.

《 कुच देर बाद... 》

महेश : आखिर मेरे बेटी और बेटा सही सलामात है. वही काफी है. इतनी देर से बस परेशान होए जा रहे थे सब. अब सब ठीक हो गया है.

प्रणाली : हाए मेरे बच्चो को कीसि की नज़र न लगे. वैसे बेटा वहा हुआ क्या था कुच बताओगे.

राज : होना क्या था उस काले बादशाह ने मेरि चोटी बहेन को मारने की कोशिश की. फिर उसका अंजाम क्या हुआ सीधा मौत. अरे जब सहन करने की शक्ती न हो तो क्यू भिड्ते है. फ़ालतु मे अब अपनी जान गवाह बैठा ना वो.

महेर : अरे कोई बात नही भैया. ऐसा समझो की बुराई मिट गई.

राहुल : सही बोल रही हो महेर अगर कही बुराई की बदबू भी आई तो. उसे वही दफना देनी चाहिये.

राज : हा भैया सही बोला आपने.

महेश : ठीक तो अब सब सही हो गया है. तो सब अपने अपने ठिकाने पर लगादे.

प्रणाली : हा चलो चलो अब ये शादी का प्रोग्राम पुर्ण करके अब सब को रिहाई भी तो देनी है.

शान्ता देवी : चलो अब हम भी चलते है. घर मे भी काफी काम है

प्रणाली : जी जरुर आते रहियेगा.

आगे जान्ने के लिए पढते रहे प्यार का ज़हर और जुडे रहे मेरे साथ