कहानी प्यार कि - 25 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 25

सुबह अनिरुद्ध और संजना तैयार हो चुके थे टोरंटो शहर घूमने के लिए। दोनो ने नाश्ता किया और फिर गाड़ी में बैठकर बाहर जाने के लिए निकल गए...


" संजू आज में तुम्हे अपनी यूनिवर्सिटी दिखाने ले जाऊंगा पर उससे पहले हम रॉयल ओंटारियो म्यूजियम जायेंगे..."

" ओके... "

संजना ने कहा और फिर दोनो म्यूजियम के लिए चले गए... म्यूजियम में बहुत कुछ देखने को था... इस म्यूजियम में दुनियाभर के इतिहास , कला , और संस्कृति को शामिल किया गया था..

संजना को यह सब देखना बहुत अच्छा लगता था.. वो पहले से ही इतिहास और संस्कृति के बारे में पढ़ती रहती थी... संजू दुनिया भर की इस विशेषताओ को देखकर बहुत खुश थी...

इस तरफ करन कैनेडा आ चुका था...
" सुनो मैंने कहा उस हिसाब से सब सेट कर दिया ना ? " उसने फोन पर बात करते हुए कहा..

" जी सर.." उसने कहा और फिर कोल कट कर दिया..

"अनिरुद्ध देख लेना कैसे में आज तुम्हारी इस बेस्ट सरप्राईज को वर्स्ट सरप्राईज बनाता हु .. ! " करन मोबाइल में उस वीडियो को देखते हुए बोला...

दिल्ली में किंजल सिंघानिया मेंशन में अपने कमरे में बैठी हुई कुछ सोच रही थी...
" वो बिल्कुल बदला नहीं है... पहले जैसा ही खडूस और गुस्सेल है... क्या उसकी शादी हो गई होगी ..? उसने कुछ बताया तो नही ...! शीट...! में क्यों उसके बारे में इतना सोच रही हूं ? ( थोड़ी देर बाद ) हो ही गई होगी उसकी शादी.. अब तक थोड़ी ना वेट करेगा वो.. वैसे भी उस चुड़ैल से प्यार जो करता था..." किंजल मुंह बिगाड़ती हुई बैठे बैठ मन में बोली जा रही थी...

" ओए क्या हुआ इतने मुंह क्यों बिगाड़ रही है ? " मोहित ने वहा आते हुए कहा..

" नही कुछ भी तो नही ..."

मोहित बड़े गौर से उसे घूरने लगा..

" क्या ...? क्या घूर रहे हो ? "

" कुछ हुआ नही तो ऐसे मुंह क्यों आड़ा टेड़ा कर रही थी ? "

" वो तो बस में ऐसे ही कुछ सोच रही थी इसीलिए..."

" अच्छा ठीक हैं... सुन में ओब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री जा रहा हु कुछ काम है तो... तुझे आना है क्या ? "

" नही मुझे नही आना अभी मन नहीं कर रहा .." किंजल मुंह बिगाड़ती हुई बोली...

" अच्छा ठीक है तो में जाता हूं... बाय.."

" बाय..."

मोहित ने अपनी गाड़ी निकाली और ओब्रॉय फार्मा कंपनी जाने के लिए निकल गया..

रास्ते में उसकी नजर चाय की एक छोटी सी दुकान पर पड़ी... मोहित ने तुरंत वहा अपनी गाड़ी रोकी...
वो धीरे कदमों से वहा गया... वहा रखी हुई लकड़े की एक बेंच पर उसकी नजर गई...

उसे चाय पीते हुए मोहित और अंजलि दिखाई दिए...
दोनो हस्ते मुस्कुराते बाते करते हुए चाय पी रहे थे...मोहित अंजलि की जुल्फों को सवार रहा था ..
तभी गाड़ी की होन की आवाज मोहित को सुनाई दी और वो अपनी यादों से बाहर आया.. इस बेंच पर कोई नहीं था... मोहित ने एक चाय बनाने को कहा... वो थोड़ी देर वहा बैठ गया.. और अपनी यादों को समेटने में लग गया...

जतिन खन्ना और अंजलि इसी रास्ते से गुजर रहे थे... अंजलि गाड़ी के विंडो पर सिर टिकाए अपने इस शहर को बड़ी गोर से देख रही थी .. तभी उसकी नजर चाय की उस दुकान पर बैठे मोहित पर पड़ी... मोहित को देखते ही वो जटके से सीधी बैठ गई... गाड़ी की विंडो बंध होने की वजह से मोहित को कुछ दिखाई नहीं दिया... वो बस आती जाती हुई गाड़ी को देख रहा था...

अंजली की आंखे नम हो गई... उसने दूर से ही मोहित को छूने के लिए हाथ बढ़ाया ... पर विंडो बंध होने की वजह से उसका हाथ वही तक रह गया... इतने वक्त के बाद मोहित को देखकर उसे जाकर मोहित को गले लगाने का मन किया... पर जैसे ही उसने अपने पापा को देखा वो शांत हो गई... वो बस मोहित को दूर होते हुए देख रही थी...

मोहित वहा से उठकर गाड़ी से ओब्रोय फार्मा कंपनी के लिए चला गया...
वहा पहुंचते ही .. उसने एक जगह गाड़ी पार्क की... तभी उसकी नजर पास खड़ी एक गाड़ी पर पड़ी ..
जतिन खन्ना पीछे मुड़े हुए गाड़ी में बैठी अंजलि से कुछ बात कर रहे थे... मोहित को उनका चेहरा दिखाई नही दिया... वो वहा से उतरा और अंदर जाने लगा...

अंजली जतिन जी की बातो में तो हामी भर रही थी पर उसका ध्यान.. गाड़ी की साइड मिरर में था जिसमें उसे मोहित अंदर जाता हुआ दिखाई दे रहा था...

जतिन जी फिर वहा से अंदर की और चले गए...
" अब तो तुम और भी ज्यादा हेंडसम हो गए हो.. मोहित.. और ये बियर्ड तुम पर ज्यादा सूट कर रही है.. मैं तो पहले ही तुम्हे कहती थी पर तुम मेरी बात ही नही सुनते थे... लगता है कोई आ गया है तुम्हारी लाइफ में जिसकी तुम सुनने लगे हो..." अंजली ने एक फीकी हसी के साथ कहा..

फिर वो गाड़ी चलाते हुए वहा से चली गई...

इस तरफ अनिरुद्ध और संजना टोरंटो यूनिवर्सिटी में पहुंच चुके थे...

" ओह माई गोड इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी ...? " संजना तो यह देखती ही रह गई..

" हा संजू ... अभी अंदर तो आओ ... तुम्हे जितनी बड़ी लग रही है ये उससे भी ज्यादा बड़ी है... १८२७ में यह यूनिवर्सिटी को रॉयल चार्टर ने बनाया था.. इसे सब
' किंग्स कॉलेज ' भी कहते है..." अनिरुद्ध संजू को सब दिखाते हुए उसे इनफॉर्मेशन दे रहा था..

" तुम्हे पता है संजू ... में सौरभ और करन यहां इस केंटीन में बहुत मजा किया करते थे... केंटीन की यादें सब के लिए बहुत ज्यादा स्पेशल होती है...हम अपनी सारी गम और खुशी की बाते शेयर किया करते थे... और साले .. सभी हर वक्त मेरे साथ खड़े रहा करते थे..." अनिरुद्ध की आंखों में एक चमक सी थी... संजू उसे इतना खुश देखकर मुस्कुरा रही थी...

" और ये फुटबॉल ग्राउंड... बहुत सारी मैच हमने यहां जीती है और कई सारी हारी भी है.. करन कैप्टन था हमारी टीम का... वो थोड़ा वैसे भी कड़क और गुस्से वाला था और कैप्टन बनने के बाद तो सबकी छुट्टी करदी थी उसने... सौरभ तो इतनी मस्ती करता था...सबकी.. प्रैंक भी बहुत करता था.. "

" हा सौरभ तो अभी भी वैसा ही है " संजना स्माइल करती हुई बोली...

" हा वो बिल्कुल पहले जैसा है .. और किंजल भी...ये दोनो प्रैंक मास्टर थे...दोनो मिलकर सब की बजा देते थे... और इन फिरंगीओ से तो हिंदी में ऐसा ऐसा बुलवाते थे की उन लोगो को इसका मतलब समझ आ जाए तो तो हम सब को देश से बाहर फिकवा दे... कभी कभी तो बच्चे जैसी हरकते करते थे दोनो और करन इससे चीड़ जाता था... दोनो पर गुस्सा ही करता रहता था .. "

" हा पार्टी में देखा था उसे ... किंजल पर गुस्सा करते हुए ..." संजना के इतना कहते ही.. अनिरुद्ध जो कब से खुशी से करन करन किए जा रहा था वो उदास हो गया..

" क्या हुआ अनिरुद्ध ? "

" काश करन पहले जैसा होता... वो इतना कैसे बदल गया...? " संजू अनिरुद्ध के चेहरे का भाव देख रही थी..

" अनिरुद्ध ..में कब से तुम्हे करन के बारे में पूछना चाहती थी... ऐसा क्या हुआ की तुम दोनो अब ठीक से बात भी नहीं करते ? " संजना के पूछते ही अनिरुद्ध ने गंभीर होते हुए संजू की तरफ देखा...

" कॉलेज के दो साल तक तो सब कुछ ठीक था.. हम सब बहुत खुश थे... हम तीनो की दोस्ती की तो सब मिसाल दिया करते .. की याराना हो तो ऐसा.. उस टाइम में सिंगल था...मैंने पहले से ही डिसाइड किया था की रिलेशनशिप में आऊंगा तो सिर्फ अपनी पसंदीदा पार्टनर के साथ... जो वहा मुझे कोई मिली ही नही... और मिलती भी कैसे ? तुम तो यहां इंडिया में जो थी..." अनिरुद्ध हल्का सा मुस्कुराया...

" सौरभ की गर्लफ्रेंड चेंज होती रहती थी... परमेनेंट कोई नही थी... और करन की गर्लफ्रेंड थी मोनाली... वैसे तो इंडिया की थी पर कल्चर उसने पूरा इस देश का अपना लिया था.. करन उससे बहुत प्यार करता था... पर ..."

अनिरुद्ध जैसे ही आगे बोल पाता तभी वहा अनिरुद्ध के एक प्रोफेसर आ गए...
" हेय अनिरुद्ध... हाउ आर यू ..? "

" आई एम फाइन सर.. एंड यू..? "

" फिट एंड फाइन..." उन्होंने हस्ते हुए कहा..
अनिरुद्ध ने उनको संजना का इंट्रोडक्शन करवाया.. फिर वो दोनो को बाकी प्रोफेसर से मिलवाने ले गए.. इस वजह से अनिरुद्ध आगे की बात संजना को नही बता सका..

यूनिवर्सिटी में सब से मिलने के बाद अनिरुद्ध संजू को ईटन सेंटर मॉल ले गया... वहा दोनो ने खूब शॉपिंग की... संजना आगे की बात वहा भी अनिरुद्ध को पूछना चाहती थी पर अनिरुद्ध खुद जब कंफर्टेबल होगा तब उसे बता देगा यह सोचकर वो चुप रही...

" सुनो सी एन टावर पर मैंने जो कहा है वो सब इंतजाम कर देना .. में संजू को बहुत अच्छा सरप्राइस देना चाहता हु " अनिरुद्ध ने किसी से फोन कर बात करते हुए कहा..

" डोंट वरी... सब हो जायेगा..."

इस तरफ सौरभ कंपनी में अपना काम कर रहा था..

तभी उसे उसके किसी दोस्त का फोन आया..
" हाय विकि.. कैसा है तू..? " सौरभ ने फोन उठाते हुए कहा..

" में ठीक हु तू बता..."

" बस चलता रहता है सब... और बोल आज कैसे याद किया..? "

" क्या यार तुझे कभी ऐसे फोन नही कर सकता क्या ? " विकी ने कहा..

" अबे साले.. नाटक बंध कर तुझे अच्छी तरह से जानता हु .. बता क्या बात है .? "

" वो करन कैनेडा आया हुआ है .. आज देखा मैने उसे .. यहां.. "

" क्या करन और कैनेडा ? वो वहा कब पहुंच गया..? " सौरभ शॉक्ड हो गया था..

" वो तो पता नही पर में क्या कह रहा था.. की वो करन की गर्लफ्रेंड मोनाली थी वो अब कहा है ? करन के साथ है या नही ? "

" अबे तू उसमे इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रहा है ? और उसके बारे में मुझे कैसे पता होगा ! "

" कोई बात नही मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था... " विकी ने बात को छुपाते हुए कहा...

" चल चल में अच्छे से तुझे जानता हु...और सुनो उस मोनाली में तेरा कोई चांस नहीं लगने वाला है इसीलिए जूठे सपने मत देखो समझे... बाय फोन रखता हु .." सौरभ ने कहा और कोल कट कर दिया...

" ये करन और कैनेडा... ! अनिरुद्ध और संजना भी वही है... ये कोई गड़बड़ करने तो नही गया ना उनके पीछे ? कुछ तो प्लान चल रहा है उसके दिमाग में पहले पार्टी में बीन बुलाए आ गया और अब कैनेडा भी पहुंच गया... पता करवाना होगा... अब मुझे ही वहा जाना पड़ेगा..." सौरभ मन में सोच रहा था .. वो तुरंत कंपनी से घर जाने के लिए निकल गया..

🥰 क्रमश : 🥰