कहानी प्यार कि - 22 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 22

थोड़ी देर के बाद गाड़ी ओब्रॉय मेंशन पर आकर रूकी। अनिरूद्ध ने गाड़ी का दरवाजा खोला और फिर संजना कि तरफ अपना हाथ बढ़ाया.. संजना ने अनिरूद्ध का हाथ थामा और फिर बाहर आई दोनो साथ में अंदर जाने के लिए आगे बढ़े... दरवाजे पर अनुराधा जी दादी और बाकी सब गेस्ट उन लोगो के स्वागत के लिए खड़े थे.. अनुराधा जी ने दोनो कि आरती उतारी और फिर संजना कलश गिराकर अंदर दाखिल हुई...

उसके बाद शादी के बाद कि और कुछ रस्मे हुई और उसके बाद अनुराधा जी संजना के पास आई..
" बेटा अब तुम अपने कमरे में जा सकती हो... थोड़ी देर आराम करलो ... "

" जी आंटी..." संजना ने कहा और वो जाने लगी...

" संजना रुको..." अनुराधा जी संजना को रोकती हुई बोली...

" क्या हुआ आंटी..? "

" एसे नहीं जाना है तुम्हे..."

" तो फिर कैसे जाना है ? "

" एक मिनिट रुको मे बताती हूं... अनिरूद्ध .... बेटा यहां आ तो..." अनुराधा जी अनिरूद्ध को आवाज लगाती हुई बोली जो अभी अपने कुछ दोस्तो के साथ बाते कर रहा था...

" जी आंटी..." अनिरूद्ध वहा आता हुआ बोला...

" जा संजना को अपने कमरे में ले जा..."

" हा ... चलो संजू " अनिरूद्ध इतना बोलकर जा ही रहा था कि अखिल अंकल वहा आ गए..

" एसे नहीं बेटा... अपनी पत्नी को गोद में उठाकर कमरे तक लेकर जाना है "

ये सुनते ही अनिरूद्ध और संजना आश्चर्य से उनको देखने लगे..
" क्या अंकल ... पर एसा क्यों ? "

" ये हमारे घर कि रस्म है .. हमने भी यह रस्म निभाई थी तो तुम्हे भी करनी पड़ेगी " अखील जी मुस्कुराते हुए बोले..

ये सुनते ही संजना शर्म से लाल हो गई... वो नजरे जुकाये ही यह सुन रही थी...

" हा हा जा भाई .. रस्म तो निभानी पड़ेगी.. अगर तुम्हारी जगह मे होता तो बिना कोई सवाल पूछे यह रस्म करने दौड़कर जाता..." सौरभ वहा आते हुए बोला...

" हा हा वो तो देखेंगे... तुम्हे तो कोई मोटी लड़की ही मिलनी चाहिए... तब पता चलेगा " अनिरूद्ध सौरभ को घूरते हुए बोला...

" जा जा ...एसा कुछ नहीं होगा "

" चलो अब जाओ .. संजना तुम्हारी राह देख रही है ..." अनुराधा जी अनिरूद्ध को टोकती हुई बोली...

अनिरूद्ध संजना के पास गया... और उसने संजना कि और देखते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया... संजना शर्म के मारे आंख भी ऊपर नहीं कर पा रही थी पर अनिरूद्ध सिर्फ उसके इस शरमाते चेहरे को देखे जा रहा था... वो धीमे धीमे सीढ़ियों से ऊपर अपने कमरे में गया... कमरे के दरवाजे पर उसने संजना को नीचे उतार दिया...



फिर अनिरूद्ध अंदर आया और संजना को अन्दर आने के लिए कहा... अंदर आते ही संजना ने जैसे ही कमरे को देखा वो बस देखती ही रह गई... कमरे को बहुत ही सुन्दर तरीके से सजाया गया था...
" कैसा लगा हमारा कमरा ? "

" बहुत ही सुंदर है ... सच मे "

" पर तुमसे सुन्दर नहीं... अभी अभी तुम्हारे जिस शर्माते चेहरे को देखा है ना हाय... मेरी तो जान ही निकल गई थी ..." ये सुनकर संजना मुस्कुराने लगी...

" सच मे ... पर तुम इतना क्यों शर्मा रही थी ? मैंने पहली बार थोड़ी ना तुम्हे एसे उठाया है ? "

" हा पर अकेले मे और सब के सामने उठाने मे फर्क होता है ना ..! सब बड़े लोग वहा थे .. और तुम भी तो पहले कितने सवाल कर रहे थे उसका क्या ? "

" हा वो वो तो मुझे इस रस्म के बारे में पता नहीं था इसीलिए ..."

" चल जूठे... तुम भी पहले थोड़े तो घबरा गए थे "

" हा तो तुम इतनी भारी हो तो तुम्हे गोद में यहां तक उठाकर लाने का सोचकर घबरा तो जाऊंगा ही ना ... ! "

" क्या ? मे भारी हूं ? "

" हा तो मेरे हाथ अकड़ गए ... देखो रेड भी हो गए है ..." अनिरूद्ध ने हाथ दिखाते हुए कहा...

संजना ने अनिरूद्ध का हाथ हटा दिया ..
" ओहो बहुत रेड हो गए है ... हम अभी हॉस्पिटल चले जाते है .. और डॉक्टर से में कहूंगी कि डॉक्टर साहब मुझे उठाकर इनके हाथ अकड़ गए है और हा रेड भी हो गए है क्या आप उनकी सर्जरी कर सकते है ? " संजना गुस्से में बोली..

" अरे इतनी सी बात मे सर्जरी थोड़ी करेंगे ...? "

" इतनी सी बात ? नहीं ये बहुत बड़ी बात है... अपनी पत्नी को उठाना कोई छोटी बात है ? " संजना फिर से गुस्से मै बोली और अनिरूद्ध जो अब तक अपनी हसी दबाकर बैठा था वो जोर जोर से हसने लगा... संजना उसे देखती ही रह गई.. और अनिरूद्ध को देखकर उसे भी हसी आ गई... अनिरूद्ध ने धीरे से संजना को गले लगा लिया...
" मे तो मजाक कर रहा था... मेरी संजू के लिए तो मे कुछ भी कर सकता हूं... और हा वो भारी नहीं है... उसका लेहंगा भारी है " अनिरूद्ध के एसा बोलने से संजना भी स्माइल करने लगी ... दोनो एकदुसरे मे खोए हुए थे... उस वक्त दोनो के चेहरे पर सुकुन था ...

" संजू ... तुम चेंज करके थोड़ी देर आराम कर लॉ .. फिर डिनर के लिए भी तो जाना है ... और हा फिर रात को भी तो सोने मे देर हो जायेगी ..."

" क्यों ? "

" अरे ! भूल गई ? आज हमारी शादी हुई है और आज रात को क्या है ! " अनिरूद्ध शरारती मुस्कुराहट के साथ बोला...

" अनिरूद्ध ... " संजना ने अनिरूद्ध के कंधे पर हल्के से मारा...

तो अनिरूद्ध हसने लगा...
" चलो अब तुम जाओ... मुझे चेंज करना है ..." संजना थोड़ी शर्माती हुई बोली..

" हा हा जा रहा हूं ..." अनिरूद्ध ने कहा और उसने धीरे से संजना के गाल पर किस किया और वहा से चला गया... संजना मुस्कुराने लगी...

थोड़ी देर आराम करने के बाद संजना डिनर के लिए रेडी होने लगी... उसने रेड कलर की बहुत ही प्यारी साड़ी पहनी और फिर तैयार हो कर वो नीचे चली गई...

डिनर कि तैयारी हो चुकी थी ... पूरे परिवार ने साथ में मिलकर डिनर किया... थोड़ी देर सब ने बातचीत कि और फिर सोने चले गए... उनके परिवार के ज्यादातर गेस्ट शादी मे नहीं थे इसीलिए अगले दिन सब के लिए ओब्रॉय मेंशन मे पार्टी रखी थी...

संजना अपने कमरे में जाकर सब देख रही थी... अनिरूद्ध का कमरा वाकई मे बहुत अच्छा था... अनिरूद्ध अभी तक आया नहीं था और आता भी कैसे ? सौरभ ने आज पूरी तरह से उसे परेशान करने कि तैयारियां करदी थी...

" अनिरूद्ध सुन वो पेमेंट करदे ना .. अर्जेंट है... " सौरभ ने अनिरूद्ध से कहा...

" हा अभी कर देता हूं " अनिरूद्ध ने कहा और फिर उसने अपने फोन से पेमेंट कर दिया.. और वहा से जाने लगा...

" अरे रुको कहा जा रहे ही...! वो में कह रहा था कि कल जो बैंगलोर से क्लाइंट आने वाले है तो उनकी डिटेल्स तो तूने भेजी ही नहीं ! "

" मैंने कहा था ना कि में तुम्हे भेज दूंगा ..." अनिरूद्ध थोड़ा चिढ़कर बोला..

" नहीं फिर तुम फ्रि ही कहा होंगे... रात को देर से सोओगे फिर देर से उठोगे...और फिर पार्टी.. तब तक तो मीटिंग भी खत्म हो जाएगी ..." ये सुनकर अनिरूद्ध सौरभ को गुस्से से घूरने लगा...

फिर अनिरूद्ध ने लैपटॉप निकाला और मीटिंग कि सारी डिटेल्स सौरभ को मेल कर दी...
और फिर अनिरूद्ध खड़ा होकर जैसे ही जा रहा था ...
" यार रुक तो ... इसमें तो मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा...मे मीटिंग करूंगा कैसे..? प्लीज़ मुझे यह समझा देना ...! प्लीज़..." सौरभ के इतना बोलने पर अनिरूद्ध बेमन से ही सही पर सौरभ को मीटिंग के बारे में समझाने लगा... अब तक एक घंटा बीत चुका था... संजना कब से अनिरूद्ध की राह देख रही थी...

अनिरूद्ध सब समझाने के बाद उठकर जा रहा था तो सौरभ फिर से बोला...
" सुन ...! "

" अब क्या है यार ...! अब और क्या बाकी रह गया है ? " अनिरूद्ध गुस्से में चीड कर बोला...

" नहीं कुछ नहीं " सौरभ को समझ आ गया था कि अगर अब उसने अनिरूद्ध को कुछ भी कहा तो उसका मजा उस पर ही भारी पड़ेगा इसीलिए उसने चुप रहना ही बेटर समझा...

" अनिरूद्ध ..." सौरभ ने फिर से टोका...

अनिरूद्ध रुककर गुस्से से उसकी और देखने लगा...

" बेस्ट ऑफ़ लक... एंड एंजॉय..." सौरभ स्माइल करते हुए बोला.. पर अनिरूद्ध अब भी उसकी तरफ गुस्से से देख रहा था... यह देखकर सौरभ वहा से भाग गया...

अब अनिरूद्ध धीरे धीरे अपने कमरे कि और बढ़ने लगा... उसकी धड़कने कुछ तेज होने लगी थी... उसने अपने कमरे का दरवाजा खोला... तो उसने देखा कि संजना खिड़की के पास खड़ी आसमान मे देख रही थी... दरवाजा खुलने कि आवाज से संजना ने उस तरफ देखा...
अनिरूद्ध को सामने देखकर संजना मुस्कुराने लगी... अनिरूद्ध संजना को देखता ही रह गया.. वो आज इतनी प्यारी लग रही थी कि उसका ध्यान संजना पर से हट ही नहीं रहा था...

अनिरूद्ध धीरे धीरे संजना के करीब आने लगा.. और उसने संजना के माथे को हल्के से चूम लिया...
" बहुत ही ख़ूबसूरत लग रही हो तुम इस साड़ी मे.."
संजना ये सुनकर सिर्फ मुस्कुराई..

" इतनी देर कैसे हो गई.. ? "

" शी...! " अनिरूद्ध ने संजना को आगे बोलने से रोक दिया...

" अभी और कोई बात नहीं ..यह वक्त हमारा है और में इसमें सिर्फ तुम्हे महसूस करना चाहता हूं.."



संजना यह सुनकर अनिरूद्ध के सीने में जाकर छुप गई... अनिरूद्ध भी स्माइल करने लगा.. अनिरूद्ध ने वहा रखा एक ऑडियो प्लेयर ऑन किया और वो संजना के साथ डांस करने लगा..

" पल एक पल में ही थम सा गया
तू हाथ में हाथ जो दे गया
चलूँ मैं जहां जाए तू
दाएं मैं तेरे, बाएं तू
हूँ रुत मैं, हवाएं तू साथिया
हंसू मैं जब गाए तू
रोऊँ मैं मुरझाए तू
भीगूँ मैं बरसाए तू साथिया.."

दोनो एक दूसरे मे खोकर अपने प्यार को अपनी रूह में उतार रहे थे... यह रात उनके जीवन कि सबसे सुंदर रात हो गई थी...

पर इस तरफ मोहित कि आंखो से नींद कोसों दूर थी.. इतनी रात होने के बावजूद भी वो अभी जगा हुआ था... सीने मे छुपे दर्द को वो चाहकर भी मिटा नहीं पा रहा था.. और संजना और अनिरूद्ध की शादी देखकर तो वो दर्द ताज़ा हो गया था...
" शायद तुम अभी सो रही होगी... और तुम्हे मेरी याद भी नहीं आ रही होगी... क्या पता तुम मुझे भूल भी गई होगी... पर तुम्हे भूलना मेरे लिए इतना आसान नहीं है.. अंजलि.. आज अनिरूद्ध और संजू के प्यार को देखकर मुझे हमारी याद आ गई... मेरे प्यार मे एसी क्या गलती रह गई थी कि तुम्हे मुझे छोड़ने का फैसला लेना पड़ा.. ! क्यों तुम मुझसे इतनी दूर चली गई ..? " मोहित कि आंखो से आंसू जलक् आए थे ...
मोहित को अंजलि के साथ बिताए सारे पल याद आ गए थे... उसकी यादों के साथ उसे भी कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला..

सुबह हो चुकी थी... अनिरूद्ध अब भी सो रहा था.. पर संजना उठकर नाह धोकर तैयार हो चुकी थी... उसने धीरे से सोते हुए अनिरूद्ध के माथे पर प्यार से हाथ फेरा और फिर उसे गुड मॉर्निंग कहा फिर वो वहा से जाने लगी.. पर अनिरूद्ध ने उसका हाथ पकड़ लिया..

" थोड़ी देर रुको ना..." अनिरूद्ध आंखे बंध किए हुए ही बोला...

" मुझे देर हो रही है.. चलो तुम भी उठ जाओ.."
संजना ने अनिरूद्ध को खिचते हुए कहा.. पर अनिरूद्ध जरा भी हिला नहीं..
अनिरूद्ध ने संजना को खींच लिया.. संजना अनिरूद्ध के बगल में जा गिरी... अनिरूद्ध ने धीरे से अपनी आंखे खोली... और उसे संजना का चेहरा दिखाई दिया...

" इसे कहते है गुड मॉर्निंग..." अनिरूद्ध संजू कि आंखो मे देखकर बोला..

" तुम भी ना... चलो अब मुझे जाने दो.. पार्टी है आज याद है ना..! "

" हा... पर .."

" पर बर कुछ नहीं चलो उठो..." संजना खड़ी खुई और उसने अनिरुद्ध के उपर से ब्लैंकेट हटा दिया.. अनिरूद्ध बेमन से खड़ा हुआ...
" जाओ...जल्दी..." संजना ने अनिरूद्ध को बाथरूम कि तरफ धक्का देते हुए कहा..

अनिरूद्ध मुंह बिगाड़ता हुआ बाथरूम मे चला गया..

संजना सब के साथ नीचे तैयारियां मे लगी हुई थी.. आज कि पार्टी मे सब गेस्ट आने वाले थे.. और एक खास गेस्ट जो बहुत ही बेताब था अनिरूद्ध से मिलने के लिए..."

" आ रहा हूं मे आज अनिरूद्ध...तुमसे मिलने " उसने हस्ते हुए कहा और अपनी ब्रांडेड कार निकाली और अपने ब्रांडेड सूट मे गाड़ी मे बैठकर पार्टी मे आने के लिए निकल गया..

🥰 क्रमशः 🥰