कहानी प्यार कि - 21 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 21

अनिरूद्ध जगदीशचंद्र कि बात सुनकर परेशान हो गया था...
पुलिस हरदेव और जगदीशचंद्र को लेकर चली गई...
अनिरूद्ध को देखकर मोहित उसके पास आया
" अनिरूद्ध .. में जानता हूं कि जगदीशचंद्र कि बात सुनकर तुम्हे धक्का लगा है ... पर हमे एसे ही उसकी बातो पर विश्वास नहीं कर लेना चाहिए.. क्या पता वो बस हमे उलझाने के लिए ये सब बोल रहा हो..! हम शादी के बाद इस बारे में जरूर जानने की कोशिश करेंगे पर अभी तुम्हे तुम्हारी और संजू कि शादी पर फोकस करना चाहिए.." मोहित के कहने से अनिरूद्ध को थोड़ा सुकून मिला... वो भी अपनी शादी को बहुत अच्छे से एन्जॉय करना चाहता था... उसने मोहित के सामने देखकर स्माइल कि ..

तभी राजेश जी और रागिनी जी अनिरूद्ध के पास आ गए... और उन्होंने हाथ जोड़ते हुए कहा..
" अनिरूद्ध जी.. हमे माफ़ कर दीजिए.. हमने आप को इतना गलत समझा.. अगर आप नहीं होते तो हम से बहुत बड़ा पाप हो जाता .. हमारी संजू कि खुशियां छीनने का पाप.. "

" नहीं नहीं पापा आप एसा मत बोलिए... और आपको हाथ जोड़ने कि जरूर नहीं है .. मे आपका बेटा हूं और बेटे के सामने हाथ नहीं जोड़ा जाता.. हाथ उठाया जाता है ... " अनिरूद्ध ने राजेश जी और रागिनी जी के हाथ नीचे करते हुए कहा...
संजना ये देखकर मुस्कुरा रही थी पर उसके साथ उसकी आंखे नम हो गई थी...
तभी अखिल जी , अनुराधा जी और दादी अनिरूद्ध के पास आए..

" बेटा आय एम् प्राउड ऑफ़ यू..." अखिल जी अनिरूद्ध की पीठ थपथपाते हुए बोले..

" थैंक यू अंकल..." अनिरूद्ध ने कहा ..

" पापा मम्मी .. संजू ... ये है मेरे अखिल अंकल .. अखील मल्होत्रा.. और ये मेरी प्यारी आंटी.. अनुराधा मल्होत्रा.. मेरे मा पापा से भी बढ़कर है ये मेरे लिए... मे आप लोगो से कुछ छिपाना नहीं चाहूंगा.. मे जब छोटा था तभी मा पापा कि ऐक्सिडेंट मे डैथ हो गई थी.. तब से इन्होंने ही मुझे संभाला है.. पढ़ाया लिखाया और इस कंपनी के लिए काबिल बनाया है ... और ये मेरी प्यारी दादी ... " अनिरूद्ध ने सब को उनका इंट्रोडक्शन देते हुए कहा ।

राजेश जी और रागिनी जी ने उनको नमस्ते किया और संजना ने उन सब के पैर छुए...

" चलो चलो अब जल्दी से साथ मे फेरे ले लो कही कोई नया एम् एल ए ना टपक जाए.. " दादी ने सबको एसे खड़े देखा तो कहा...

ये सुनकर सब हसने लगे और अनिरूद्ध ने संजना कि तरफ अपना हाथ बढ़ाया .. संजना ने अनिरूद्ध का हाथ थाम लिया और दोनो साथ मे हवन के पास आ गए ..

संजना ने एक बार सब कि तरफ देखा ... वहा सब थे पर उसे मीरा कही दिखाई नहीं दे रही थी.. वो थोड़ी परेशान हो गई..

" क्या हुआ संजू ..? " अनिरुद्ध ने उसे परेशान देखा तो पूछा..

" वो मीरा कही दिखाई नहीं दे रही है...! "

अनिरूद्ध ने भी एक बार सब तरफ नजर घुमाई पर उसे भी मीरा कही नहीं दिखी...
सौरभ पास मे ही खड़ा ये सब देख रहा था...

" तुम दोनो चिंता मत करो मे देखकर आता हूं.." सौरभ ने अनिरूद्ध और संजना से कहा और फिर वो बाहर कि तरफ आ गया...

मीरा गार्डन में उदास होकर एक कुर्सी पर बैठी हुई थी... सौरभ ने उसे देखा तो उसके पास चला गया...

" एक्सक्यूज़ मि..." सौरभ ने मीरा के पास जाकर कहा...

मीरा ने उसकी तरफ देखा और कहा..
" तुम तो अनिरूद्ध के दोस्त हो ना ? "

" जी हा..."

" तो फिर तुम यहां क्या कर रहे हो... ? " मीरा ने पूछा तो सौरभ उसके पास कुर्सी लेकर बैठ गया..

" तुम भी तो यहां हो...! "

" मेरी बात अलग है... पर तुम्हारे फ्रेंड के फेरे हो रहे है तो तुम्हे वहा होना चाहिए..."

" पर मुझे तो लगा कि शायद तुम्हारी फ्रेंड के भी फेरे हो रहे है ...! "
सौरभ बोला तो मीरा उसे देखने लगी वो कुछ भी नहीं बोली...

" संजना तुम्हे बुला रही है .. वो कब से तुम्हारे लिए परेशान हो रही है... चलो .."सौरभ ने गंभीरता से कहा...

" मेरे वहा होने से कोई फर्क नहीं पड़ता.. तुम जाओ मुझे नहीं आना है ..." मीरा अभी शायद बहुत नाराज़ थी ...

" तुम्हारे होने से फर्क पड़ता है संजना को... वो कब से तुम्हारे लिए परेशान हो रही थी...वो तो मंडप से आ नहीं सकती इसीलिए मे आया हूं ... चलो..."

" कहा ना मुझे नहीं आना है... उसके पास अब सब है .. उसे मेरी कोई जरुरत नहीं है।"

" तुम एसा क्यों बोल रही हो ..? उसे तुम्हारी जरूरत है "

" जरुरत होती तो वो मुझे पराया नहीं समझती... वो सब जानती थी फिर भी उसने मुझे कुछ नहीं बताया...सब जानते थे .. किंजल भी... " मीरा के शब्दो मे नाराज़गी साफ नजर आ रही थी सौरभ को..

" ऐसी बात नहीं है मीरा.. संजना को कल ही पता चला है..और किंजल को संजना ने नहीं बताया.. वो तो बाय मिस्टेक संजना कि जगह किंजल आ गई थी अनिरूद्ध के पास जब अनिरूद्ध ने संजना को सच बताने बुलाया था..और कल जब उसे पता चला तो बहुत रात हो गई थी...और आज तो तुम जानती हो कि संजना को जरा भी फुर्सत नहीं मिली होगी.. इसीलिए... नहीं तो संजना तुम्हे जरूर बताती.." सौरभ ने मीरा को समझाते हुए कहा...

ये सुनकर मीरा सोच मे पड़ गई.. उसे भी सौरभ कि बात सच्ची लगी थी...

" तो क्या सोचा चले...? "सौरभ खड़ा होता हुआ बोला...

" हम्म.." मीरा ने कहा और वो खड़ी हो गई.. उसने सौरभ को देखकर स्माइल कि...

फिर दोनो अंदर आ गए... अभी संजना और अनिरूद्ध के फेरे शुरू नहीं हुए थे.. मीरा संजना के पास आकर खड़ी हो गई...

" क्या हुआ..? " संजना ने इशारे मे मीरा से पूछा..

" कुछ नहीं ..." मीरा ने भी इशारे मे सिर हिला दिया.. और फिर स्माइल करने लगी...

संजना भी उसे देखकर मुस्कुराई...

" फेरे के लिए खड़े हो जाइए..." पंडितजी ने कहा..

संजना और अनिरूद्ध खड़े हो गए... फिर पंडितजी के कहे मुताबिक संजना और अनिरूद्ध ने फेरे शुरू किए... हर एक फेरे के साथ संजना अनिरूद्ध की होती जा रही थी... उनका प्यार हर एक फेरे के साथ अटूट बंधन मे बंधता जा रहा था.. दोनो ने सात फेरे पूरे किए और एक दूसरे का साथ निभाने का वचन दिया...

अनिरूद्ध ने संजना को मंगलसूत्र पहनाया और उसकी मांग मे सिंदूर भरा... अब संजना और अनिरूद्ध का रिश्ता एक पवित्र बंधन में बंध चुका था... जिसमे प्यार के साथ भरोसा, साथ और जिम्मेदारी भी थी.. अब संजना सिंघानिया नहीं थी अब वो संजना अनिरूद्ध ओब्रॉय हो चुकी थी.. और वो नाम बता रहा था कि अब संजना अनिरूद्ध की है और अनिरूद्ध संजना का... तभी एक बहुत ही प्यारा सोंग बैकग्राउंड में बजा...

"आज हम तुम ओ सनम
मिलके ये वादा करें
मैं तेरे दिल में रहूँ
तू मेरे दिल में रहे
हम तेरी आँखों में ऐसे खो जाएंगे
दुनिया वालों को न हम नज़र आएंगे
आज हम तुम ओ सनम
मिलके ये वादा करे"


दोनो ने मिलकर सबसे आशीर्वाद लिया... अब संजना और अनिरूद्ध चेर मे साथ मे बैठे हुए थे पास मे अखिल जी सौरभ और शर्माजी भी बैठे हुए थे...सामने सब रिपोर्टर्स अनिरूद्ध के बोलने का वेट कर रहे थे... यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अनिरूद्ध ने ही प्लान किया था... अब अनिरूद्ध ने बोलना शुरू किया..

" आज इस प्रेस कांफ्रेंस करने की बहुत ही बड़ी वजह है.. आज मे आप सबको खुद से और मेरी जिंदगी से जुड़े कुछ एसे लोगो से मिलवाना चाहता हूं जो मेरे लिए सब कुछ है... मे अनिरूद्ध ओब्रॉय... आप सभी ओब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री को सिर्फ और सिर्फ ओब्रॉय से पहचानते है , पर सिर्फ नाम से ये कंपनी मेरी है.. कंपनी के असल हकदार ये सब है जो इस कंपनी को चलाते है , कंपनी मे काम करते है..जो छोटे से छोटे काम से जुड़े हुए है .. अगर ये सब नहीं होते तो आज जहां हमारी कंपनी पहुंची है वहा कभी नहीं पहुंचती... अखिल मल्होत्रा... सौरभ मल्होत्रा.. शर्माजी .. ये सब इस कंपनी कि इंट है कंपनी के आधार है.. और वो लोग जो शायद कंपनी मे काम नहीं करते होंगे पर उनकी दुआए.. उनकी प्रार्थना .. उनका प्यार कही ना कहीं हमारी इस सफलता से जुड़ा हुआ है.. मेरा परिवार मेरे दोस्त , और सबसे इंपॉर्टेंट मेरा प्यार .. जो मुझे यहां तक लाया है.. "

" जी सर .. आज आपकी शादी हुई है और वो भी आपके प्यार के साथ .. आपको कैसा महसूस हो रहा है ..? " एक रिपोर्टर ने खड़े होकर पूछा..

यह सुनकर अनिरूद्ध मुस्कुराया ...

" मेरा प्यार.... ! प्यार शब्द का सही मतलब भी में जानता नहीं था.. पर जब संजना मेरी जिंदगी में आई तब मुझे इसका सही मतलब मालूम हुआ.. ये अहसास हुआ कि प्यार क्या होता है.. हमारी लाइफ मे बहुत मुश्किलें आई पर हमारा प्यार कम नहीं हुआ और ये उसी प्यार की ताकत है जो आज हम दोनों साथ है... आज ये अनिरूद्ध ओब्रॉय संजना सिंघानिया के साथ हमेशा के लिए जुड़ चुका है सिर्फ नाम से ही नहीं पर दिल से वो भी पूरी जिंदगी के लिए... तो हा आज मे बहुत ही ज्यादा खुश हूं.. इतना खुश हूं कि आप को बता नहीं सकूंगा..." अनिरूद्ध के चहेरे पर खुशी साफ जलक रही थी संजना भी यह सुनकर थोड़ी इमोशनल हो गई.. फिर अनिरूद्ध ने संजना कि और देखा और उसका हाथ थाम लिया...

" सर आप दोनो कि एक फोटो हो जाए ?" एक रिपोर्टर ने पूछा...

" या श्योर ..." अनिरूद्ध ने कहा और वो खड़ा हुआ उसने संजना का हाथ थामा और दोनो ने फिर कुछ फोटो खिंचवाई .. फिर दोनो वापस अपनी जगह पर बैठ गए...

" आज और एक जरूरी बात है जो में आप सब से कहना चाहता हूं.. आप सब अब तक जान चुके होंगे कि अमेरिका से केंसर की मेडिसीन आने वाली थी और जिसका गलत फायदा हमारे ही देश के कुछ लोग उठाना चाहते थे... पर अब सब ठीक हो गया है... मे आप सबको यह बताना चाहता हूं कि हमारी ओब्रॉय कंपनी इस 'ibrance ' मेडीसीन को जल्द ही इंडिया मे लाएगी और जरुरतमंद को आधे दाम मे पहुंचाएगी... पर आप सभी को एक रिक्वेस्ट है कि आप सब इससे जुड़ी हुई सारी इंफॉर्मेशन से वाकिफ रहे.. कोई भी अफवाह पर भरोसा मत कीजिएगा .. हमारी साइट मे लिखी इंफॉर्मेशन पर ही भरोसा कीजिए और हम एक हेल्पलाइन नंबर आपको बताएंगे .. जिसमे आपको कोई हेल्प कि जरूरत हो तो आप कोल कर सकते है.. बाकी कि इंफॉर्मेशन आप तक पहुंच जाएगी.. तो मे बस आप सबसे बिनती करता हूं कि आप सब इसमें हमे योगदान दीजिए... साथ दीजिए ताकि हम हमारे देश कि उन्नति के लिए कुछ कर सके थैंक यू ..." अनिरूद्ध ने कहा और सभी ने जोरो से तालिया बजाई...

फिर कुछ सवाल जवाब के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म हुआ...

यह लाईव न्यूज़ सब जगह दिखाई दे रही थी...
ब्रांडेड सूट पहने हुए हाथ में शराब का ग्लास उठाए ... वो शख्स टीवी पर यह न्यूज देख रहा था...
" सही खेल गए अनिरूद्ध मेरे दोस्त...! शादी करली और अपने इस दोस्त को बुलाया भी नहीं ! अब तो पर्सनली तुमसे मिलने आना होगा... शादी कि बधाइयां जो देनी है तुम्हे..." उसने शराब का घूंट पीते हुए कहा... उसके चेहरे पर शैतानी हसी थी ..

इस तरफ संजना कि विदाय कि तैयारियां हो गई थी... सब के चहेरे उतरे हुए थे... रागीनी जी के आसू रुक नहीं रहे थे.. संजना भी रोती हुई उन्हे चुप कराने कि कोशिश कर रही थी... राजेश जी भी नम आंखों से अपनी बेटी को देख रहे थे... उनके दिल का हिस्सा आज उनसे दूर जा रहा था और यह दर्द सिर्फ और सिर्फ एक माता पिता ही समझ सकते थे ... संजना बारी बारी से सब से मिली... किंजल और मीरा भी रो रही थी... किंजल रोते हुए भी अपनी आडी टेडी हरकतों से बाज नहीं आई थी संजना को गले लगाकर भी उसे चिडा रही थी ... और संजना उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगी थी... मीरा भी संजना को गले लगाकर उससे माफ़ी मांग रही थी दोनो से मिलने के बाद संजना मोहित के पास गई ... मोहित पीछे मुड़ कर खड़ा था... क्योंकि वो संजना के सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहता था...

पर संजना पीछे से ही मोहित को पकड़कर रोने लगी और तब मोहित खुद को संभाल नहीं पाया... वो संजना कि तरफ मुड़ कर उसके गले लग गया... उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे पर उसके आंसू ही काफी थे संजना को बताने के लिए कि वो उससे कितना प्यार करता था...

तब अनिरूद्ध वहा आया और उसने मोहित के कंधे पर हाथ रखा...

" आप चिंता मत करिए... मे संजना का पूरा ख्याल रखूंगा..और मे आपसे वादा करता हूं कि संजना कि आंखो से एक भी आंसू नहीं गिरने दूंगा.. संजना कि खुशी कि जिम्मेदारी अब मेरी है "

अनिरूद्ध के इतना बोलते ही मोहित ने अनिरूद्ध को भी गले लगा लिया... फिर मोहित मे संजना का हाथ अनिरूद्ध के हाथ में दिया ...और सिर्फ इतना कहा कि..
" अपना ख्याल रखना..."

संजना कि आंखो से अब भी आंसू बह रहे थे .. फिर अनिरूद्ध और संजना गाड़ी मे बैठे और कुछ रस्म के बाद गाड़ी सिंघानिया मेंशन से सीधी ओब्रॉय मेंशन के लिए निकल गई.. जहां उन दोनों के रिश्ते कि एक नई शुरुआत होने वाली थी...
संजना गाड़ी मे अनिरूद्ध के कंधे पर सिर टिकाकर आंखे बंध किए हुए बैठी थी और अनिरूद्ध संजना का मासूम चेहरा निहार रहा था...अनिरूद्ध के चेहरे पर सुकुन था...
अनिरूद्ध ने धीरे से संजना कि एक लट कानो के पीछे कि और उसे देखते हुए एक प्यारा सा गाना गुनगुनाना शुरू किया...

" मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बता दूँ
तेरी ज़ुल्फ़ फिर सवारूँ, तेरी मांग फिर सजा दूँ

मुझे देवता बनाकर, तेरी चाहतों ने पूजा
मेरा प्यार कह रहा है, मैं तुझे खुदा बना दूँ
मेरे दिल में आज...

कोई ढूंढने भी आये, तो हमे ना ढूंढ पाए
तू मुझे कहीं छूपा दे, मैं तुझे कही छूपा दूँ
मेरे दिल में आज...

मेरे बाजुओं में आकर तेरा दर्द चैन पाए
तेरे गेसुओं में छूपकर, मैं जहां के गम भूला दूँ
मेरे दिल में आज..."

🥰 क्रमशः 🥰